जैव-प्रौद्योगिकी (Biotechnology) क्या है? मानव स्वास्थ्य सुधारने में जैव-प्रौद्योगिकी को किस प्रकार प्रयुक्त किया जा सकता है ?

जैव-प्रौद्योगिकी (Biotechnology) क्या है? मानव स्वास्थ्य सुधारने में जैव-प्रौद्योगिकी को किस प्रकार प्रयुक्त किया जा सकता है ?

(43वीं BPSC/2001 )
उत्तर – जैव-प्रौद्योगिकी का चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक उपयोग किया जा रहा है । जैसे- उन्नत एवं सस्ती औषधियों का निर्माण, वृद्धि हार्मोन्स एवं एन्जाइमों का निर्माण, संक्रामक रोगों से रोकथाम हेतु विशिष्ट प्रतिरोधी औषधियों एवं टीके का निर्माण, कैंसर की वैक्सीन का निर्माण, डीएनए तकनीक द्वारा अच्छी प्रोटीन का उत्पादन, उत्तम जनन, प्रतिरोध क्षमता, परखनली किटें तथा आनुवंशिक रूप से पैदा होने वाली बीमारियों की रोकथाम आदि ।
जैव-प्रौद्योगिकी के ही एक महत्वपूर्ण तकनीक, जीन अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) के द्वारा जीवों के जेनेटिक आधार में परिवर्तन या संशोधन कर उनके आकार एवं गुणों को बदल कर पूर्णत: नवीन प्रकार के जीवों का निर्माण किया जा सकता है। भारत में जीन अभियांत्रिकी का उपयोग मुख्यतः एड्स, हृदय रोग, हीमोफीलिया, मलेरिया आदि के टीके बनाने में किया जा रहा है। दोषपूर्ण जीन (Defective Gene) के कारण ही विभिन्न प्रकार की बीमारियां होती हैं। जीन उपचार (Gene Therapy) से दोषपूर्ण जीन की पहचान करके उनके स्थान पर दोषमुक्त जीन की स्थापना की जाती है। यह तकनीक उपयोगी है एवं विभिन्न बीमारियों के संबंध में इस पर अनुसंधान कार्य चल रहा है।
विश्व के कई देशों के वैज्ञानिक मानव के जीनोम विश्लेषण कार्य में लगे हुए हैं तथा इसमें कुछ सफलता भी मिली है। भारत सरकार भी मानव जीनोम पर अध्ययन करने के लिए देश भर में उन्नत अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना करने पर कार्य कर रही है। ऐसा पहला केन्द्र बेंगलुरु में ‘मानव आनुवंशिकी अनुसंधान केन्द्र’ नाम से स्थापित किया गया है। यदि इसमें अपेक्षित सफलता मिलती है तो जीन में मौजूद कमी या दोष को दूर करना संभव होगा। कैंसर, एड्स, मधुमेह, हृदय रोग आदि रोगों पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है। जैव प्रौद्योगिकी की सहायता से क्लोनिंग (Cloning) तकनीक का विकास किया जा रहा है जो चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण साबित होगा। उसी प्रकार स्टेम सेल (Stem Cell) संबंधी अनुसंधान भी चिकित्सा क्षेत्र में विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
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