चाबाहार बन्दरगाह होने वाले भारत के नये आयात-निर्यात मार्ग के प्रमोचन से अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापार प्रोत्साहन की सम्भावनाओं की विवेचना कीजिए।

चाबाहार बन्दरगाह होने वाले भारत के नये आयात-निर्यात मार्ग के प्रमोचन से अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापार प्रोत्साहन की सम्भावनाओं की विवेचना कीजिए।

उत्तर – चाबहार बंदरगाह भारत द्वारा ईरान में विकसित किया गया है। भारत की ओर से ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह को विकसित करने की रणनीति 2003 में बनाई गई थी, लेकिन ईरान के उत्साह में कमी और बाद में उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगने की वजह से बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। इसके बाद मई 2015 में पून: भारत और ईरान के बीच चाबहार परियोजना पर चर्चा हुई तथा इसके विकास को लेकर सहमति बनी। दिसंबर 2018 में चाबहार बंदरगाह क्रियाशील हो गया है तथा इसके कामकाज पर भारत का नियंत्रण हो गया है।
इस बंदरगाह के क्रियाशील होने से भारत और ईरान के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों में मजबूती तो मिली ही है साथ ही चाबहार बंदरगाह से होने वाले भारत के नए आयात निर्यात मार्ग के शुरुआत से अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापार प्रोत्साहन की अनेक संभावनाएं प्रबल हुई हैं।
चाबहार बंदरगाह से होने वाले भारत के नए आयात निर्यात मार्ग के प्रमोचन से अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापार प्रोत्साहन की संभावनाओं को निम्नलिखित बिंदुओं के तहत देखा जा सकता है
> भारत के लिए चाबहार की अत्यधिक उपयोगिता है। भारत यह मानता है कि बंदरगाहों, सड़कों और रेल कनेक्टिविटी के विकास से भारत ईरान और अफगानिस्तान तीनों देशों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और इन देशों में समृद्धि आएगी।
> आर्थिक वृद्धि और विकास से व्यापार का पुनर्गठन होगा। इस समझौते के लागू होने से भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच व्यापार की लागत में कमी तथा निजी क्षेत्रों के व्यापार प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।
> चाबहार के संचालन से भारत पाकिस्तान को बाईपास कर सकेगा। भारत अफगानिस्तान में माल की आपूर्ति को बढ़ावा दे सकेगा। क्षेत्रीय आर्थिक संपर्क केंद्र के रूप में चाबहार के महत्व के मद्देनजर भारत ने अफगानिस्तान को 1.10 लाख टन गेहूं से भरा पहला जहाज इसी बंदरगाह के रास्ते भेजा था।
> चाबहार पोर्ट का एक लाभ यह भी है कि यह पाकिस्तान में चीन द्वारा चलाए जा रहे ग्वादर पोर्ट से केवल 100 किलोमीटर दूर है। इससे भारत चीन को प्रतिसंतुलित कर सकता है।
> चीन अपने 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे कार्यक्रम के तहत ही इस पोर्ट को विकसित कर रहा है और इसके जरिए एशिया में नए व्यापार और परिवहन मार्ग खोलना चाहता हैं । अतः चाबहार पोर्ट इस संबंध में भी भारत और अफगानिस्तान के बीच आर्थिक सहयोग को सुदृढ़ करने का विकल्प उपलब्ध कराता है।
ईरान के दक्षिण पूर्वी भाग में सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके जरिए भारत को ईरान, अफगानिस्तान सहित पूरे मध्य एशिया, रूस और यूरोप से भी कारोबार करने का नया रास्ता मिल गया है। अरब सागर में स्थित इस बंदरगाह के जरिए भारत ईरान और अफगानिस्तान के बीच नए ट्रांजिट रूट की भी शुरुआत हो रही है जिससे तीनों देशों के बीच व्यापार मजबूत होगा। इसके अलावा चाबहार बंदरगाह भारत के लिए अफगानिस्तान तक पहुंच का सुगम जरिया बनेगा। अभी तक सबसे सुगम रास्ता पाकिस्तान होकर जाता है, लेकिन पाकिस्तान को इसे लेकर आपत्ति रही है और अफगानिस्तान तक भारत की पहुंच को बाधित करने का वह हर संभव प्रयास करता रहा है। लेकिन इस बंदरगाह के जरिए अब भारत के लिए अफगानिस्तान तक पहुंच बनाना आसान हो गया है। भारत-पाकिस्तान के बिना अफगानिस्तान से जुड़ सकेगा। भारत को पश्चिमी एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। यहां उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, लेकिन उसने चाबहार बंदरगाह को इन प्रतिबंधों से छूट दी है क्योंकि अफगानिस्तान के विकास और वहां मानवीय राहत पहुंचाने के लिए ऐसा करना जरूरी था। भारत के आग्रह पर अमेरिका ने इस बंदरगाह को ईरान पर लगे प्रतिबंधों से मुक्त रखा है।
वर्ष 2018 से अफगानिस्तान ने भारत को निर्यात के लिए ईरान के चाबहार के रास्ते एक नया रूट खोल दिया है । यह सामान जहाज के जरिए मुंबई पहुंचा। निर्यात के लिए नए रूट की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापार घाटे को कम करने के लिए अफगानिस्तान धीरे-धीरे निर्यात में सुधार कर रहा है। इस प्रकार चाबहार पोर्ट भारत ईरान और अफगानिस्तान के बीच स्वस्थ सहयोग का नतीजा है और यह आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करेगा।
इससे पहले भारत ने चाबहार पोर्ट के जरिए ही अफगानिस्तान को 11 लाख टन गेहूं और 2000 टन मसूर की दाल का निर्यात किया था। वर्ष 2018 में अफगानिस्तान ने भारत को 740 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था और यह उसका सबसे बड़ा निर्यातक केंद्र है। ईरान का बंदरगाह चाबहार अफगानिस्तान को समुद्र तक आसान पहुंच देता है। इस रूट को विकसित करने में भारत ने मदद की है जो दोनों देशों को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए व्यापार की सुविधा देता है।
इस प्रकार चाबहार बंदरगाह से होने वाले भारत के नए आयात-निर्यात मार्ग के शुरुआत से अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापार प्रोत्साहन की संभावनाओं में वृद्धि हुई है। इससे भारत अफगानिस्तान की स्थिरता के साथ शांति एवं सुरक्षा में सहयोग कर सकेगा। साथ ही ईरान और अफगानिस्तान के माध्यम से भारत पाकिस्तान और चीन को संतुलित करते हुए इस क्षेत्र में अपने हितों को सुरक्षित रख पाएगा।
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