भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम की विभिन्न अवस्थाओं (चेंमे) का वर्णन करें।

भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम की विभिन्न अवस्थाओं (चेंमे) का वर्णन करें।

( 40वीं BPSC/1995 )
उत्तर – भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रेरणा से डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की आधारशिला रखी। डॉ. होमी जहांगीर भाभा की अध्यक्षता में 1948 को परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन किया गया। 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना हुई। परमाणु ऊर्जा विभाग तीन चरणों में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम चला रहा है
प्रथम चरण : भारतीय नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का प्रथम चरण दाबित भारी जल रिएक्टर (Pressurised Heavy Water Reactor-PHWR) संयंत्र पर आधारित है जिसमें भारी जल (Heavy Water – D, O) मंदक व शीतलक के रूप में प्रयुक्त होता है तथा यूरेनियम ऑक्साइड को ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। भारत भारी जल की दृष्टि से आत्मनिर्भर है। इस चरण में 1969 ई. में तारापुर में प्रथम परमाणु विद्युत गृह की स्थापना की गई जो अमेरिकी तकनीक पर आधारित बॉयलिंग वाटर रिएक्टर (BWR) थी। इसके बाद कनाडा के मॉडल पर रावतभाटा, नरौरा, काकरापारा व कैगा में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए। देश में भारी-जल उत्पादन संयंत्रों का निर्माण करने और उनका संचालन करने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग का भारी-जल बोर्ड (HWB) उत्तरदायी है।
द्वितीय चरण : भारतीय नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का द्वितीय चरण फास्ट ब्रिडर टेस्ट रिएक्टर (FBTR) संयंत्र पर आधारित है जिसमें सोडियम, शीतलक के रूप में एवं प्लूटोनियम और प्राकृतिक यूरेनियम का मिश्रित कार्बाइड ईंधन के रूप प्रयुक्त होता है। 1985 में इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र ने कलपक्कम (तमिलनाडु) में फास्ट ब्रिडर टेस्ट में रिएक्टर (FBTR) के साथ अपना कार्यक्रम शुरू किया। इस केन्द्र ने अपना प्रौद्योगिकी लक्ष्य हासिल कर लिया है। इसके अनुभव के आधार पर प्रोटोटाइप फास्ट ब्रिडर रिएक्टर (PFBR) का निर्माण किया जा रहा है। इसके 2010 तक उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य था।
तृतीय चरण : भारतीय ऊर्जा कार्यक्रम का तृतीय चरण भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा आवश्यकता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसे एडवांस हैवी वाटर रिएक्टर (AHWR) संयंत्र के रूप में प्रयुक्त किया जाएगा जिसमें ईंधन के लिए मिश्रित थोरियम-यूरेनियम और थोरियम-प्लूटोनियम विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। सीमित रूप से थोरियम का अनुसंधान PHWR में हो रहा है। कलपक्कम स्थित अनुसंधान रिएक्टर ‘कामिनी’ जो 30kw का सीमित विद्युत उत्पादन करता है में थोरियम से हासिल किये गए U233 ईंधन का इस्तेमाल होता है।
> डॉ. होमी जहांगीर भाभा की अध्यक्षता में 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना।
> 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना |
> तीन चरणों में हमारा परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम चल रहा है –
(i) प्रथम चरण – संयंत्र – दाबित भारी जल रिएक्टर (PHWR)
 – भारी जल मंदक व शीतलक के रूप में
– यूरेनियम ऑक्साइड ईंधन के रूप में प्रयुक्त
(ii) द्वितीय चरण – संयंत्र – फास्ट ब्रिडर टेस्ट रिएक्टर (FBTR )
–सोडियम शीतलक के रूप में
– प्लूटोनियम एवं प्रकृतिक यूरेनियम का मिश्रित कार्बाइड ईंधन के रूप में
(iii) तृतीय चरण –  संयंत्र – एडवांस हैवी वाटर रिएक्टर (AHWR)
– मिश्रित थोरियम – यूरेनियम एवं थोरियम-प्यूटोनियम ईंधन के रूप में।
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