औद्योगिक ढांचे में लघु उद्योग क्षेत्र के महत्व की व्याख्या कीजिए |

औद्योगिक ढांचे में लघु उद्योग क्षेत्र के महत्व की व्याख्या कीजिए |

 ( 43वीं BPSC/2001) अथवा
अर्थव्यवस्था के विकास में लघु उद्योग क्षेत्र का महत्व बताएं |
उत्तर- लघु औद्योगिक इकाई उन उद्योगों को कहा जाता है जिनमें अधिकतम 5 करोड़ रुपये के निवेश हों, यद्यपि 1950 में यह सीमा 5 लाख रुपये थी। ये उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। यह अनुमान किया जाता है कि मूल्य के अर्थ में यह क्षेत्र निर्माण की दृष्टि से 39% एवं देश के कुल निर्यात के 33% हिस्से के लिए जिम्मेदार है। हाल के वर्षों में यह क्षेत्र लगातार संपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र की तुलना में उच्च विकास दर दर्ज करा रहा है। इस क्षेत्र का वृहद लाभ यह है कि इसकी रोजगार क्षमता न्यूनतम पूंजी लागत पर है । यह क्षेत्र 31.2 मिलियन व्यक्तियों को रोजगार देता है और इस क्षेत्र में मजदूरों की गहनता वृहद उद्योगों की तुलना में करीब 4 गुना ज्यादा है।
लघु उद्योग में खादी, हथकरघा एवं ग्राम उद्योग, हस्तशिल्प, रेशम उद्योग आदि परंपरागत उद्योगों के साथ ही आधुनिक एवं परिमार्जित वस्तुएं जैसे- टीवी सेट, इलेक्ट्रानिक नियंत्रण उपकरण एवं विभिन्न इंजीनियरिंग निर्माण आदि शामिल हैं। बड़े उद्योगों के लिए आवश्यक कल पुर्जों का निर्माण आदि भी लघु उद्योगों के माध्यम से होता है।
लघु उद्योगों को भारी पैमाने पर बड़े उद्योगों से प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है। चूंकि एक बड़ी आबादी इस क्षेत्र से प्रत्यक्षतः रोजगार के लिए जुड़ी हुई है, अतः सरकार इन उद्योगों के संरक्षण के लिए उपाय करती है लेकिन लघु उद्योगों के लिए आरक्षित वस्तुओं की संख्या चरणबद्ध तरीके से घटाई जा रही है। फिर भी भारतीय औद्यागिक ढ़ांचे में इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है जिन्हें निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है
1. यह लघु उद्योग उद्यमियों की पौधशाला है जो व्यक्तिपरक सृजनात्मकता और नव- परिवर्तनों से प्रेरित होती है।
2. यह क्षेत्र रोजगार की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। लगभग 3.12 करोड़ लोग (2006-07 के अनुसार) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लघु उद्योगों में रोजगार प्राप्त किए हुए हैं।
3. आर्थिक सर्वेक्षण (2010-11) के अनुसार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) का देश के GDP में 8% का योगदान है जिसमें 45% विनिर्मित उत्पादन और 40% के निर्यात शामिल हैं।
4. लघु उद्योगों की तीसरी राष्ट्रव्यापी गणना (2002-03) के अनुसार देश में 23.5 लाख पंजीकृत एवं 3.7 लाख अपंजीकृत लघु उद्योग की इकाइयां हैं ।
5. लघु उद्योगों द्वारा स्थानीय पूंजी एवं श्रम का कुशलतापूर्वक उपयोग संभव हो पाया है। 6. लघु उद्योग औद्योगिक विकेन्द्रीकरण में सहायक है।
अतः लघु उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन धीरे-धीरे इनके लिए आरक्षित श्रेणी के उत्पादों को घटाया जा रहा है एवं इन उत्पादों के निर्माण में देश की बड़ी कंपनियों एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को छूट दी जा रही है। अक्टूबर 2008 तक सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्रों में विनिर्माण के आरक्षित मदों की संख्या घटकर 21 रह गई है। साथ ही लघु उद्योग वित्त और साख समस्या, कच्चे माल की समस्या, मशीनों और नये उपकरणों की समस्या, विपणन की समस्या आदि से जूझ रहे हैं। इनके लिए लघु उद्योगों के प्रति उदार रवैये की आवश्यकता है।
> लघु उद्योग में निवेश की अधिकतम सीमा- 5 करोड़ रु.
> महत्व – 3.12 करोड़ लोगों का रोजगार प्रदाता (2006-07)
>  MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) का GDP में 8% योगदान, जिनमें विनिर्मित उत्पाद – 45%, निर्यात 40% ( आर्थिक सर्वेक्षण, 2010-11)
> औद्योगिक विकेन्द्रीकरण में सहायक
> देश में 23.5 लाख पंजीकृत एवं 3.7 लाख अपंजीकृत लघु उद्योग की इकाइयां कार्यरत
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *