न्यूक्लियर ईंधन से शक्ति उत्पादन के महत्व की व्याख्या कीजिए।

न्यूक्लियर ईंधन से शक्ति उत्पादन के महत्व की व्याख्या कीजिए।

(44वीं BPSC/2002 )
अथवा
परमाणु ऊर्जा के महत्व को बताएं।
उत्तर- न्यूक्लियर ईंधन से उत्पादित शक्ति को परमाणु ऊर्जा या नाभिकीय ऊर्जा भी कहा जाता है। वर्तमान में ऊर्जा के लिए भारत अन्य स्रोतों, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम आदि पर ही निर्भर है। विद्युत उत्पादन में भी भारत की कोयले पर निर्भरता लगभग 83% है, जबकि जल विद्युत एवं परमाणु विद्युत पर क्रमश: 13.8% एवं 2.4% है। सर्वप्रथम ऊर्जा उत्पादन के वर्तमान स्रोतों की सीमाओं अथवा समस्याओं की चर्चा करें तो हम पाते हैं कि प्रमुख स्रोत कोयले का भंडार वर्तमान उपयोग के अनुसार लगभग 50 वर्षों में समाप्त हो जाएगा अथवा इनका उत्पादन काफी कम हो जाएगा। साथ ही कोयले के भंडार देश के कुछ ही भागों में हैं। ताप विद्युत गृहों अथवा उद्योगों तक कोयले के परिवहन का खर्च काफी ज्यादा होता है एवं कोयले का उपयोग पर्यावरण की दृष्टि से भी नुकसानदेह है।
ऊर्जा के अन्य स्रोत जैसे पेट्रोलियम की बात करें तो देश में पेट्रोलियम के काफी कम भंडार हैं तथा हम अपनी पेट्रोलियम की आवश्यकता के लिए आयात पर निर्भर हैं। पेट्रोलियम संपन्न राष्ट्रों की राजनीतिक अस्थिरता एवं यहां भी पेट्रोलियम के कम होते भंडारों के कारण यह ऊर्जा स्रोत भी भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपर्याप्त है। साथ ही पेट्रोलियम पदार्थ पर्यावरण हितैषी भी नहीं है। इसके अलावा सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, प्राकृतिक गैस, भू-तापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस, बायोडीजल आदि देश की ऊर्जा आवश्यकता में काफी कम योगदान कर पाते हैं। ऐसे में ऊर्जा उत्पादन के एक प्रमुख वैकल्पिक स्रोत, नाभिकीय ऊर्जा का महत्व बढ़ जाता है। भारत के 1969 में प्रथम परमाणु विद्युत गृह (तारापुर स्थित) की स्थापना से अब तक के सफर में इस क्षेत्र में देश ने काफी प्रगति की है। वर्तमान में हमारे यहां अमेरिका एवं रूस के रिएक्टरों के अलावा स्वदेशी रिएक्टर भी कार्य कर रहे हैं।
देश के कुल विद्युत उत्पादन में परमाणु – विद्युत का योगदान 2009-10 के दौरान लगभग 2.4% रहा। अगले कुछ सालों में भारत 36 नए रिएक्टर अलग-अलग देशों से आयात करने जा रहा है जिनके सहारे करीब 30 हजार मेगावाट क्षमता विस्तार किया जाना है। नाभिकीय ऊर्जा की एक महत्वपूर्ण विशेषता इसका पर्यावरण हितैषी होना है। इसके उत्पादन से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले गैसों का उत्सर्जन नहीं होता। नाभिकीय ऊर्जा भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जहां हमारे पास कोयले के सीमित एवं पेट्रोलियम के अति- अल्प भंडार मौजूद हैं, वहीं भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के तृतीय चरण के लिए आवश्यक थोरियम के विशाल भंडार उपलब्ध हैं। यदि परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का तृतीय चरण सफल रहता है तो नाभिकीय ऊर्जा के लिए आवश्यक ईंधन की समस्या भारत के लिए समाप्त हो जाएगी। न्यूक्लियर ईंधन से शक्ति उत्पादन प्रक्रिया का विकास हमारे विविध घरेलू, औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति तो कर ही सकता है। साथ ही इसका फायदा हमारे सैन्य आवश्यकताओं के लिए भी हो सकता है।
यद्यपि हम नाभिकीय हथियार मुक्त विश्व की आशा आवश्यकता पर जोर देते हैं जो विश्व शांति एवं समृद्धि के लिए आवश्यक है, लेकिन वर्तमान वैश्विक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए हमें अपनी सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र में मजबूत रहना होगा। हम यदि न्यूक्लियर संबंधी अनुसंधान में प्रगति करते हैं तो इसका फायदा सैन्य दृष्टिकोण से देश को होगा। अतः यदि भारत सुरक्षापूर्ण नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन की नीति का अनुसरण करे तो न्यूक्लियर ईंधन से शक्ति उत्पादन भारत की ऊर्जा आवश्यकता के लिए मददगार साबित होगा।
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