बिहार में 1857 के विद्रोह के उद्भव के कारणों की विवेचना करें तथा उसकी असफलता का उल्लेख करें।

बिहार में 1857 के विद्रोह के उद्भव के कारणों की विवेचना करें तथा उसकी असफलता का उल्लेख करें।

(47वीं BPSC/2007)
अथवा
विद्रोह के विभिन्न कारणों का वर्णन करते हुए उनकी असफलता को लिखें।
उत्तर- 1857 का विद्रोह अंग्रेजों के खिलाफ प्रथम व्यापक विद्रोह था जो काफी बड़े क्षेत्र में फैला एवं इसका नेतृत्व भी अनेक लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में किया। बिहार में 1857 के विद्रोह के अनेक कारण थे जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित थे —
> अंग्रेजों द्वारा भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव किया जाता था। अंग्रेज सैनिकों की अपेक्षा उनका वेतन एवं सुविधाएं कम तथा पदोन्नति के अवसर न के बराबर थे। बिहार के सैनिकों को भी इस तरह के भेदभाव से रू-ब-रू होना पड़ता था जिसके कारण उनके मन में असंतोष व्याप्त था। 12 जून, 1857 को देवघर जिले के गांव रोहिणी में सैनिकों के  विद्रोह के साथ ही विद्रोह आरंभ हो गया। दो अंग्रेज अधिकारी मारे गए परंतु विद्रोह विफल रहा।
> अंग्रेजों की धार्मिक नीति भी हिन्दुओं एवं मुसलमानों के लिए कष्टप्रद थी । ईसाई धर्म प्रचार पर सरकार का काफी जोर था। वहाबी आंदोलन का केन्द्र उस समय पटना एवं आस-पास के क्षेत्र थे जो मूलतः एक सुधारवादी आंदोलन था। वहाबियों ने भारत से ब्रिटिश सत्ता का अंत करने का आह्वान किया। अंग्रेजों ने वहाबी आंदोलन पर कड़ा रूख अपनाया जिसका प्रभाव 1857 के आंदोलन प्रारंभ होने पर दिखा। ये आंदोलनकारी 1857 के विद्रोह में शामिल हो गए।
>  बिहार में जमींदारों एवं सामंतों के विरुद्ध अंग्रेजों की नीति 1857 के विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का प्रमुख कारण रहा। विद्रोहियों के प्रमुख नेता तथा जगदीशपुर के जमींदार बाबू कुंवर सिंह को अंग्रेजों ने दिवालिएपन के कगार पर पहुंचा दिया था। अंग्रेजों ने उनकी सारी संपत्ति छीन ली थी और उसे लौटाना स्वीकार नहीं किया। अतः जैसे ही 3 रेजीमेंटों के सैनिक दानापुर से आरा पहुंचे, उन्होंने उनका नेतृत्व स्वीकार करते हुए विप्लव आरंभ कर दिया। कुंवर सिंह ने लंबे समय तक विद्रोह का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। लेकिन अप्रैल 1858 को कैप्टन ‘ली ग्रांड’ की सेना को पराजित करने के बाद खुद भी घायल हुए एवं कुछ दिनों के बाद मृत्यु को प्राप्त हुए। यद्यपि अमर सिंह ने संघर्ष को आगे बढ़ाया। किन्तु कुंवर सिंह की मृत्यु के बाद विद्रोह में प्रभावी नेतृत्व का अभाव हो गया और विद्रोह शीघ्र ही समाप्त हो गया।
> इन कारणों के अलावा भी कई अन्य कारण थे जो 1857 के विद्रोह में बिहार की सक्रियता का कारण बने जैसे कृषक, शिल्पकार आदि का शोषण जिससे आम जन भी विद्रोहियों के साथ हो गए।
> 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण चर्बी वाले कारतूस के प्रयोग की घटना थी जिससे  बिहार सहित पूरे देश में आंदोलन प्रारंभ हुआ।
> 1857 के विद्रोह के असफलता के लिए अनेक कारक जिम्मेदार थे, जैसे- संगठित तंत्र का अभाव, साजो-समाज का आधुनिक न होना तथा सभी वर्गों का अपेक्षित सहयोग न मिलना।
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