भारत में, ‘मेक इन इंडिया’ मोदी सरकार द्वारा शुरू किया गया एक प्रकार का स्वदेशी आंदोलन है। इस आंदोलन को गति देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका की सोदाहरण विस्तार से विवेचना कीजिए।

भारत में, ‘मेक इन इंडिया’ मोदी सरकार द्वारा शुरू किया गया एक प्रकार का स्वदेशी आंदोलन है। इस आंदोलन को गति देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका की सोदाहरण विस्तार से विवेचना कीजिए।

उत्तर – मेक इन इंडिया भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना तथा देश में निवेश को बढ़ाना है। मौजूदा भारतीय प्रतिभा आधार का उपयोग कर, अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना और साथ ही साथ माध्यमिक व तृतीयक क्षेत्र को सशक्त बनाना है। इसके द्वारा भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के सरकार के उद्देश्य को इंगित करता है।
मेक इन इंडिया के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं – 
1. अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए क्षेत्र की विकास दर को 12-14% प्रति वर्ष बढ़ाना।
2. 2022 तक अर्थव्यवस्था में 100 मिलियन अतिरिक्त विनिर्माण नौकरियों का सृजन करना।
3. यह सुनिश्चित करना कि विनिर्माण क्षेत्र का योगदान वर्तमान 16% से बढ़कर 2025 तक 25% हो जाए।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता भारत में हो रहे तकनीकी अनुसंधान पर निर्भर करती है। अतः विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण आयम के रूप में इस कार्यक्रम में अपनी भूमिका निभा सकता है। विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सरकार द्वारा निम्न योजनाओं के माध्यम से एक सहायक का काम किया है। जैसे
1. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम – इसका उद्देश्य भारत को ज्ञान आधारित और डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था में बदलना है।
2. स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम- इस कार्यक्रम के पीछे मूल विचार एक पारिस्थितिकी का निर्माण करना जो स्टार्टअप के विकास को बढ़ावा देकर स्थाई आर्थिक विकास को प्रेरित करता है। इससे रोजगार के सृजन में सहायता मिलती है।
इसके अलावा मेक इन इंडिया के जो 25 क्षेत्र चिन्हित किए गये हैं उन सभी में विज्ञान प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। जैसे
1. रेलवे- इस क्षेत्र में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में अनुसंधान द्वारा रेल के अत्याधुनिक बोगियों का निर्माण भारत में होने लगा है। इसके अलावा इससे पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी का विकास कर वैश्विक आकांक्षाओं को पूर्ण करने में मदद मिल रही है ।
2. दवाईयाँ – भारत 1990 तक API (active pharmaceutical ingredient) में आत्मनिर्भर था परन्तु उसके बाद के वर्षों में (API) के लिए भारत को चीन पर निर्भर बना दिया जिसमें हम अनुसंधान की सहायता से फिर से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
3. अंतरिक्ष क्षेत्र: – भारत आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बदौलत अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग आत्मनिर्भर है। क्रायोजेनिक इंजन, लौंचिग व्हीकल तथा उपग्रह आदि सभी का निर्माण भारत में ही होने लगा है। साथ ही साथ भारत दूसरे देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज कर विदेशी मुद्रा का अर्जन भी करता है।
अतः हम कह सकते हैं कि मेक इन इंडिया विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बदौलत देश को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता कर सकता है तथा भारत के निर्माण क्षेत्र को विश्व पटल पर जीरो – डिफेक्ट तथा जीरो- इफेक्ट के साथ स्थापित कर सकता है।
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