भारतीय उद्योगों में आधुनिक प्रौद्योगिकी की भूमिका का मूल्यांकन करें।
भारतीय उद्योगों में आधुनिक प्रौद्योगिकी की भूमिका का मूल्यांकन करें।
(41वीं BPSC/1997 )
उत्तर – भारतीय उद्योगों के विकास में आधुनिक प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के रूप में –
> नाभिकीय प्रौद्योगिकी,
> नूतन एवं वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकी,
> रक्षा अनुसंधान प्रौद्योगिकी
> लेजर प्रौद्योगिकी
> इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी
> अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी
> आनुवंशिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी आदि का भारतीय औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
नाभिकीय प्रौद्योगिकी के विकास ने भारतीय उद्योगों की ऊर्जा संबंधी आवश्यकता के लिए ताप विद्युत एवं जल विद्युत पर निर्भरता को कम किया है। आज नाभिकीय ऊर्जा देश में ऊर्जा उत्पादन का तीसरा सबसे बड़ा स्त्रोत है। यह पर्यावरण हितैषी होने के कारण भविष्य में विकास की भरपूर संभावना रखता है। नाभिकीय प्रौद्योगिकी का प्रयोग कृषि एवं औषधि क्षेत्र में भी किया जा रहा है। नाभिकीय ऊर्जा के अतिरिक्त नवीन एवं वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकी के अंतर्गत सीएनजी, हाइड्रोजन ऊर्जा, जैव ईंधन, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा आदि का विकास किया जा रहा है। ये स्त्रोत भविष्य में ऊर्जा संकट से बचाने में सहायक सिद्ध होंगे। अतः ये स्त्रोत वर्तमान एवं भविष्य के औद्योगिक विकास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।
भारतीय उद्योगों के विकास में इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी का सर्वाधिक योगदान है। कई उद्योग सीधे-सीधे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण आदि पर निर्भर हैं। रेडियो, टी.वी., सीडी, प्लेयर, डी.वी.डी. प्लेयर, डिजिटल ऑडियो, माइक्रोवेब ओवन, उपग्रह आधारित दूरदर्शन प्रणाली आदि इलेक्ट्रॉनिक आधारित विकास एवं उद्योग हैं। इलेक्ट्रॉनिक तकनीकी ने खाद प्रसंस्करण उद्योग, चिकित्सा एवं आधारभूत अवसंरचना आधारित उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रक्रिया नियंत्रण उपकरण, रोबोट, परीक्षण एवं मापन यंत्र आदि इलेक्ट्रॉनिक्स के ही अंग हैं। कम्प्यूटर के आविष्कार एवं विकास ने औद्योगिक विकास के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का ही परिणाम आज सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के रूप में हमारे समाने है। फैक्स मशीन, ई-मेल, वॉयस
मेल, फाइबर ऑप्टिक आदि के विकास में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का योगदान है। इसके अलावा आजकल रसायन उद्योगों एवं ऑटोमोबाइल उद्योगों में लगभग 90% काम कम्प्यूटर द्वारा ही संचालित होते हैं। नाभिकीय ऊर्जा उद्योग, खनन उद्योग आदि के अतिरिक्त छपाई उद्योग, फिल्म उद्योग, कैमरा आदि में भी कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का योगदान है। आज भारत सुपर कम्प्यूटर का विकास कर चुका है एवं इसका प्रयोग नाभिकीय हथियार डिजाइन, रासायनिक यौगिकों के डिजाइन, अंतरिक्ष, वाहन उद्योग, पेट्रोलियम खनन, नाभिकीय दवाओं के लिए भी किया जा रहा है।
अतः भारत हथियारों का एक बड़ा क्रेता है एवं विभिन्न देशों से भारी-भरकम रक्षा सौदे किए जाते हैं। ऐसे में स्वदेशी हथियारों के निर्माण को भारत सरकार प्रोत्साहित कर रही है। इस क्षेत्र में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एवं हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) आदि महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का महत्वपूर्ण स्थान है। इस क्षेत्र में भारत का इसरो संस्थान अनुसंधान एवं विकास कार्य संचालित करता है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के द्वारा संचार प्रौद्योगिकी, मौसम निगरानी एवं भविष्यवाणी, सैटेलाइट टेलीविजन, भू-स्थैतिक प्रणाली जैसे अत्याधुनिक प्रणालियाँ विकसित हुई हैं। ये सभी औद्योगिक विकास से प्रत्यक्षतः जुड़े हुए हैं।
लेजर प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत में हीरे को तराशने एवं रत्न – प्रसंस्करण में दस्तावेजों के अध्ययन, उपभोक्ता वस्तुओं पर बारकोड के अध्ययन आदि के लिए किया जा रहा है। चिकित्सा क्षेत्र में लेजर प्रौद्योगिकी का प्रयोग कैंसर उपचार, आंखों से मोतियाबिन्द, रेटिना सूजन आदि के उपचार में किया जाता है। नकली उत्पादों से बचने के लिए लेजर प्रकाश के उपयोग से त्रिविमीय होलोग्राम का प्रयोग किया जाता है।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने 2004 में नैनो-टेक्नोलॉजी के विकास का प्रयास प्रारंभ किया। नैनो-टेक्नोलॉजी अभी विकास के प्रारंभिक चरण में है। परन्तु इससे भारतीय उद्योगों को फायदा मिल रहा है। आनुवंशिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी ने चिकित्सा एवं कृषि-क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे संबंधित उद्योगों के विकास में इस टेक्नोलॉजी का योगदान है।
> Key to Remember
> प्रमुख आधुनिक प्रौद्योगिकी
> नूतन एवं वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकी
> रक्षा अनुसंधान प्रौद्योगिकी
> नैनो प्रौद्योगिकी
> नाभिकीय प्रौद्योगिकी
> इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी
> लेजर प्रौद्योगिकी
> आनुवंशिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी
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