भारतीय संघीय व्यवस्था में सामयिक दिगों ( Recent trends ) की व्याख्या करें। क्या राज्यों को अधिक क्षमता ( Autonomy ) की आवश्यकता है?
भारतीय संघीय व्यवस्था में सामयिक दिगों ( Recent trends ) की व्याख्या करें। क्या राज्यों को अधिक क्षमता ( Autonomy ) की आवश्यकता है?
अथवा
भारतीय संघवाद (Indian Federalism) में विगत कुछ वर्षों में उत्पन्न विशेषताओं का उल्लेख करते हुए उनका विश्लेषण (Anlysis) करें। प्रश्न के दूसरे भाग के लिए राज्यों के अधिक क्षमता देने संबंधी अपने विचार लिखें, क्योंकि प्रश्न का दूसरा भाग आपके विश्लेषण क्षमता का परिचायक है।
उत्तर – भारत राज्यों का संघ है। यहां अधिकतम शक्तियां केन्द्र को प्राप्त हैं, परंतु राज्यों को भी उनकी आवश्यकता के अनुरूप उनके क्षेत्रों में व्यापक अधिकार प्राप्त हैं। स्वतंत्रता के शुरुआती दशकों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार बनी जिससे केन्द्र एवं राज्यों के मध्य विभिन्न मुद्दों को लेकर टकराव की स्थिति रही। वर्तमान में भारतीय संघीय व्यवस्था में कुछ नई प्रवृत्तियां उभरी है
> कुछ राज्यों की मांग रही है कि राज्यों को ज्यादा तथा महत्वपूर्ण अधिकार दिए जाएं। समय-समय पर अनेक राज्यों जैसे- तमिलनाडु, पंजाब, प. बंगाल आदि ने तथा द्रमुक, अकाली दल तथा माकपा जैसे राजनीतिक दलों ने राज्यों को अधिक अधिकार दिए जाने की वकालत की है।
> विभिन्न राज्यों ने राज्यों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता की मांग की है तथा केन्द्रीय करों में राज्यों के हिस्से को बढ़ाने की मांग की है।
> राज्यों की मांग रही है कि प्रशासनिक तंत्र पर केन्द्र का नियंत्रण कम हो, साथ ही राज्यपाल की नियुक्ति के वक्त संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री की सलाह ली जाए।
> भारतीय संघीय व्यवस्था में अनेक सकारात्मक प्रवृत्तियां भी देखने को मिलती हैं। आजादी के बाद से आज तक एक शासक व्यवस्था के कारण विभिन्न विविधताओं के बावजूद भारतीय राज्यों का स्वरूप समान होता जा रहा है एवं वो धीरे-धीरे एक-दूसरे से मजबूती से जुड़ते जा रहे हैं।
> भारतीय राज्यों, यथा- पूर्वोत्तर के राज्य तथा कश्मीर में विखंडनकारी अथवा अलगाववादी तत्वों के कारण नकारात्मक प्रवृत्तियां भी उभरी हैं। लेकिन लोककल्याणकारी राज्य एवं मजबूत केन्द्रीय सत्ता के कारण इन तत्वों का उद्देश्य पूरा होना असंभव है।
भारतीय संघवाद ( अर्थ )- वर्तमान में भारत 29 राज्यों तथा 7 केन्द्रशासित प्रदेशों का एक संघ है। भारतीय संघ के बारे में संविधान के भाग- 1 (अनुच्छेद 1-4) में विस्तृत वर्णन है। राज्य तथा केन्द्र के अपने अधिकार क्षेत्र हैं लेकिन तुलनात्मक रूप से केन्द्र को राज्यों की अपेक्षा व्यापक अधिकार प्राप्त है।
उभरती प्रवृत्तियां –
> राज्यों द्वारा अधिक महत्वपूर्ण अधिकार की मांग
> वित्तीय स्वायत्तता की मांग
> अधिक प्रशासनिक अधिकार तथा राज्यपाल की नियुक्ति में राज्यों के विचारों को सुनने की मांग
> भारतीय राज्यों के स्वरूप में निरंतर एकरूपता आना
> कुछ राज्यों में विखंडनकारी अथवा अलगाववादी तत्वों का उभरना ।
> 47वीं BPSC (मुख्य परीक्षा ) – 2007
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