भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं के विकास की विवेचना कीजिए । स्वतंत्रता के बाद प्रत्येक दशाब्दी में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को प्रधानता देने की समीक्षा कीजिए।

भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं के विकास की विवेचना कीजिए । स्वतंत्रता के बाद प्रत्येक दशाब्दी में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को प्रधानता देने की समीक्षा कीजिए।

( 47वीं BPSC / 2007 )
अथवा
प्रश्नानुसार, उच्च शिक्षण संस्थानों के विकास को दर्शाना है जो विज्ञान-प्रौद्योगिकी से संबंधित हों।
उत्तर – तकनीकी श्रम शक्ति की मांग के फलस्वरूप भारत सरकार ने प्रथम तीन पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान डिप्लोमा, स्नातक एवं स्नाकोत्तर स्तर पर तकनीकी शिक्षा के विस्तार पर जोर दिया। चौथी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत गुणवत्ता स्तर पर भी विशेष ध्यान दिया गया।
अस्सी के दशक में निजी संस्थाओं को तकनीकी एवं प्रबंधन संस्थान संचालित करने की अनुमति दी गई। उसके बाद इस क्षेत्र में काफी विकास हुआ। देश में तकनीकी शिक्षा के समन्वित विकास को सुनिश्चित करने के लिए 1987 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (AICTE) की स्थापना की गई। तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षण संस्थान हैं-
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), राष्ट्रीय औद्योगिकी इंजीनियरिंग संस्थान (NIIE), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी व प्रबंधन संस्थान (IITM), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) आदि ।
UGC ने विश्वविद्यालयों में अनुसंधान सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कुछ केन्द्रों की स्थापना की है, जैसे-JNU में नाभिकीय विज्ञान केन्द्र, पुणे में खगोल विद्या एवं खगोल भौतिक केन्द्र आदि । बड़े स्तर पर तकनीशियनों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पोलीटेक्निक संस्थान एवं ITI संस्थान स्थापित किए गए हैं।
• स्वतंत्रता के बाद प्रत्येक दशाब्दी में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की स्थिति – 
1947-1960
> स्वतंत्रता के बाद ही भारत सरकार परमाणु ऊर्जा विकास के लिए सक्रिय हो गई। 1948 को डॉ. होमी जहांगीर भाभा की अध्यक्षता में परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन किया गया। 1954 में आयोग के कार्यों को संपादित करने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई।
> 1958 में राष्ट्रीय विज्ञान नीति की घोषणा हुई एवं इसके आधारभूत वैज्ञानिक सुविधाओं के विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिए व्यापक कार्य किए गए। इसके लिए राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। इनमें रमन अनुसंधान संस्थान – बेंगलुरु, बीरबल साहनी वनस्पति विज्ञान संस्थान लखनऊ आदि प्रमुख हैं।
> इसी दौरान माप-तौल की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति MKS (Miter-Kilogram- Second) पद्धति अपनाई गई।
1960-1970
>  अंतर्गत पहले से कार्बन वैज्ञानिक संस्थाओं, तकनीकी संस्थाओं व राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं को बेहतर आर्थिक एवं संस्थागत सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं अनुसंधान कार्यों के विस्तार पर जोर दिया गया।
> अनुसंधान के लिए दिए जाने वाले अनुदानों एवं छात्रवृत्तियों में वृद्धि की गई ।
>  इस्पात, ईंधन, रसायन, बिजली जैसे आधारभूत उद्योगों का विस्तार तथा मशीन निर्माण क्षमता को विस्तृत किया गया।
> परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष अनुसंधान में नवीन तकनीक विकसित करने का प्रयास किया गया । हिमालय क्षेत्र में बायो स्ट्रैटीग्राफी, पेट्रोलॉजी, जियो-केमिस्ट्री, सेडीमेंटोलॉजी, टेक्टॉनिक्स और पर्यावरण भू-गर्भ का अध्ययन करने के लिए देहरादून में 1968 में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की स्थापना की गई।
1970-1980
> यह दशक राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा। 1974 में भारत ने राजस्थान के पोखरण में शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण किया।
> भारत सरकार द्वारा 1972 में अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग के गठन से शोध गतिविधियों को अतिरिक्त गति प्राप्त हुई।
> 1980 के में पहला स्वदेशी प्रक्षेपण यान SLV-3 का सफल परीक्षण किया गया है।
> विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (DST) मई 1971 में स्थापित किया गया जिसका उद्देश्य नए देशों में अनुसंधान को बढ़ावा देना और देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ी गतिविधियों के आयोजन, समन्वयन तथा प्रोत्साहन के लिए नोडल विभाग की भूमिका अदा करना है ।
1980-1990
>  महासागर विकास विभाग की स्थापना 1981 में की गई। यह विभाग महासागर नीति संकल्प के अनुरूप देश में महासागर की गतिविधियों के समन्वयन, विकास और आयोजन के नोडल और स्वतंत्र विभाग का कार्य प्रधानमंत्री की देख-रेख में करता है।
> अंटार्कटिक अभियान की शुरुआत 1981 में हुई थी ।
> 1983 में सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी नीति घोषित किया गया।
> 1987 में सूचना प्रौद्योगिकी पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद् (ITFAC) का गठन किया।
> महासागरीय विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 1987 से समुद्री जीव संसाधन आकलन प्रारंभ किया गया।
> अप्रैल 1984 को भारत के राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम भारतीय बने । वे भारत- सोवियत रूस (तत्कालीन) संयुक्त अभियान के फलस्वरूप अंतरिक्ष में गए।
1990-2000
> यह दशाब्दी विज्ञान प्रौद्योगिकी के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। इसमें जैव-प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं वैकल्पिक ऊर्जा तकनीक का काफी विकास हुआ।
> 1990 में विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद्, 1994 में नवीन प्रौद्योगिकी कोष एवं 1996 में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड की स्थापना की गई।
> 1991 में भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना की गई।
> 1993 में विदेश संचार निगम द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग की शुरुआत हुई एवं इसी साल राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई की स्थापना हुई।
> 1995 में इसरो की व्यावसायिक इकाई एन्ट्रिक्स की स्थापना की गई ।
2000-2010
> नयी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी नीति, 2003 की घोषणा की गई। इसका अन्य उद्देश्यों के अलावा विज्ञान-प्रौद्योगिकी के लाभों एवं उपयोगों के बारे मे

 में आम जनता के बीच जागृति पैदा करना था।
> विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने वर्ष 2002 में महिला वैज्ञानिक योजना शुरू की।
> 2005 में नैनो मैटीरियल साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी इनीशिएटिव की शुरुआत की गई।
> तकनीकी शिक्षा विकास के लिए 1987 में AICTE की स्थापना की गई।
> तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले कुछ संस्थान — IIT, NIIE, IITM, IIIT आदि।
> UGC ने विश्वविद्यालयों में अनुसंधान केन्द्र स्थापित किए हैं— JNU नाभिकीय विज्ञान केन्द्र, खगोल विद्या एवं खगोल भौतिक केन्द्र पुणे आदि ।
> स्वतंत्रता के बाद भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की स्थिति –
> परमाणु ऊर्जा आयोग (गठन) – 1948
> राष्ट्रीय विज्ञान नीति की घोषणा – 1958
> परमाणु ऊर्जा विभाग (स्थापना) – 1954
> वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी- 1968
> भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया- मई 1974
> पहले स्वदेशी प्रक्षेपण यान SLV-3 का सफल परीक्षण – 1980
> भारतीय अंटार्कटिक अभियान की शुरुआत – 1981
> प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष यात्रा की।
> 1991 में भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना
> 1995 – एन्ट्रिक्स की स्थापना
> नई विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति – 2003
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