मध्य प्रदेश की प्रमुख समाधि स्थल एवं मकबरे

मध्य प्रदेश की प्रमुख समाधि स्थल एवं मकबरे

Monuments of Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के प्रमुख समाधि एवं मकबरे

तानसेन की समाधि ( Tomb of Tansen )

तानसेन की समाधि, मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले मे स्थित है यह मकबरा प्रसिद्ध संगीत सम्राट तानसेन का है। इसका निर्माण 1586 मे अखबर ने (लगभग 16वीं शताब्दी)में करवाया था। तानसेन अकबर के दरबार में नौं रत्नों में से एक थे। इस मकबरे के पास ही इमली का एक पेड़ है। ऐसी धारणा है कि इसकी पत्तियां चूसने से आवाज मधुर तथा सुरीली होती है।

यह मकबरा स्तंभयुक्त गैलरी वाले आयताकार ऊँचे चबूतरे पर बना है और  आरंभिक मुगलकालीन वास्तुकला का नमूना है। यहां प्रतिवर्ष नवंबर – दिसंबर में उस महान संगीतकार की स्मृति में एक राष्ट्रीय संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है जो संगीत प्रेमियों के लिये एक प्रमुख आकर्षण है।

मोहम्मद गौस का मकबरा ( Tomb of Mohammad Ghaus )

यह मकबरा ग्वालियर मे स्थित है इसका निर्माण अकबर ने 15 वीं सदी मे करवाया था यह मकबरा मुस्लिम गुरू और हिंदू शिष्य के अनूठे प्रेम का प्रतीक है मोहम्मद गौस का मकबरा दुनिया का एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक स्मारक है जहां देश- विदेश के गायक व संगीतकार मन्नत मांगने आते हैं।

सूफी संत मोहम्मद गौस का मकबरे के पास ही उनके शिष्य तानसेन का स्मारक भी यहीं बना है। यहां से हर साल तानसेन समारोह की शुरूआत होती है। देश- विदेश के पर्यटक भी यहां सालभर आते रहते हैं। इस मकबरे को ग्वालियर के साथ राजस्थान से आए कारीगरों ने तैयार किया था

होशंगशाह का मकबरा ( Hoshang Shah’s Tomb )

यह मांडू मे स्थित है ये भारत की प्रथम संगमरमर की इमारत है ! होशंगशाह का मकबरा गौरवांवित इतिहास और अनोखी कारीगरी का नमूना है  यह मांडू के करीब धार से लगभग 35 कि. मी. की दूरी पर स्थित है। इसी मकबरे को देखकर शाहजहां ने ताजमहल की कल्पना को साकार किया। होशंगशाह का मकबरा एक चबूतरे पर बना है। मकबरे की लंबाई और चौड़ाई एक समान 200 फीट है। ये पर्सियन कला का एक बेजोड़ नमूना है

तात्या टोपे की समाधि ( Tatya Tope’s Tomb )

तात्या टोपे की समाधि मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले मे अग्रसेन चौक के पास स्थित है तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे। 18 अप्रैल 1859 को तात्या टोपे को फांसी दी गयी थी ये महारानी लक्ष्मीबाई के सहयोगी थे

रानी दुर्गावती की समाधि ( Tomb of Rani Durgavati )

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में बड़ेला ग्राम में रानी दुर्गावती की समाधि स्थित है जो मंडला रोड पर स्थित है, वही रानी की समाधि बनी है, जहां गोण्ड जनजाति के लोग जाकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय भी इन्ही रानी के नाम पर बनी हुई है।

रानी लक्ष्मी बाई की समाधि  ( Rani Lakshmi Bai Tomb )

रानी लक्ष्मीबाई की समाधि ग्वालियर मे फूल बाग़ में स्थित है। इसका निर्माण महान योद्धा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की स्मृति में करवाया गया है। रानी लक्ष्मीबाई जिन्हें झांसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है, ने 1857 में भारतीय क्रांति में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध किया था। रानी लक्ष्मीबाई की समाधि भारत की महान महिला योद्धा की स्मृति में बनाई गई है। यहाँ रानी लक्ष्मीबाई की आठ मीटर ऊंची मूर्ति रखी है। यहाँ रानी लक्ष्मीबाई की स्मृति में प्रतिवर्ष जून में एक मेला लगता है। इस मेले से ग्वालियर के पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।

पेशवा बाजीराव की समाधि

मध्य-प्रदेश के खरगोन जिले में रावेर खेड़ी गांव में रामेश्वर मंदिर के सामने पेशवा बाजीराव की समाधि बनी हुई है 1736 में पेशवा बाजीराव ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था

नवाब हसन सिद्धकी का मकबरा

यह मकबरा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित है नगर में भोपाल टाकीज के समीप सफेद संगमरमर से निर्मित यह सुन्दर मकबरा भोपाल राज्य की शासिका नवाब शाहजहां बेगम के दूसरे शौहर नवाब सिद्दीक हसन का है। सन् 1890 में इनका निधन हुआ। शाहजहां बेगम ने उनकी याद में यह मकबरा निर्मित कराया था जिसकी तत्कालीन लागत सात हजार रुपये थी।

रानी अवंती बाई की समाधि

रानी अवंती बाई की समाधि मध्यप्रदेश के मंडला जिले में स्थित है रानी अवंती बाई गढ़ मंडला की शासिका थी

बैजू बावरा की समाधि

बैजूबावरा एक प्रसिद्ध गायक थे। उनकी समाधि मध्य प्रदेश के जिला अशोकनगर के चंदेरी में है बैजू बावरा संगीतकार अकबर के समकालीन थे

अब्दुल्लाह शाह चंगेज का मकबरा

अब्दुल्लाह शाह चंगेज का मकबरा मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित है धार के किले में स्थित है मकबरा दिल्ली सल्तनत समकालीन इमारत है यह स्थापत्य कला का एक बेजोड़ नमूना है

महारानी सांख्यराजे सिंधिया की समाधि

मध्य प्रदेश की पर्यटन नगरी शिवपुरी में महारानी सख्या राजे सिंधिया की स्मृति में समाधि स्थल बनाया गया है। समाधि के ठीक सामने तालाब और उसके बाद सामने ही माधव राव सिंधिया का समाधि स्थल बना है। इनके बुर्ज मुग़ल और राजपूत की मिश्रित शैली में निर्मित हैं। इन समाधि स्थलों में संगमरमर और रंगीन पत्थरों की कारीगरी उत्कृष्ट एवं अद्वितीय है हीरो समाधि आगरा के ताजमहल के समान सुंदर इमारत है

पीरबुधन का मकबरा

पीर बुधन का मकबरा शिवपुरी जिले के शाहपुरा क्षेत्र में स्थित है यहां पर एक मेला भी लगता है शिवपुरी के सांवरा क्षेत्र में यह मेला 250 सालों से लग रहा है। मुस्लिम संत पीर बुधन के मकबरे पर यह मेला अगस्त-सितंबर में यह मेला लगता है

मुमताज महल की कब्र

मुमताज महल की कब्र मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित है आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि मुमताज महल को सबसे पहले बुरहनपुर मध्य प्रदेश के महल में अस्थाई रूप से दफन कर दिया गया था। आज यह कब्र मुमताज की असली कब्र के नाम से प्रसिद्ध है।

दौलत खान लोदी का मकबरा

यह मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित है बुरहानपुर के किले के पास लोदी वंश के स्थापत्य कला का नमूना है

झलकारी बाई की समाधि

झलकारी बाई की समाधि मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित है ये रानी लक्ष्मी बाई की सहायिका थी झलकारी बाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं।

गिरधारी बाई की समाधि

गिरधारी बाई की समाधि मध्यप्रदेश के मंडला जिले में स्थित है यह गढ़ मंडला की शासिका रानी अवंती बाई की सहायता थी

करना बाबा की समाधि

करना बाबा की समाधि मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है यह पुराने जमाने की स्थापत्य कला का एक अनुपम उदाहरण है !

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