मनोविज्ञान की अवधारणाएँ बताइए।

 मनोविज्ञान की अवधारणाएँ बताइए।

उत्तर— मनोविज्ञान की अवधारणा (Concept of Psychology)– आधुनिक युग में मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञान माने जाने के बावजूद भी मनोवैज्ञानिकों में व्यवहार के अध्ययन के लिए क्या दृष्टिकोण अपनाया जाए, इस संदर्भ में मतभेद है। व्यवहार का पृथक रूप में अध्ययन किया जाए अथवा वातावरण के साथ अन्तः क्रिया के संदर्भ में ? फिर इस प्रश्न पर भी कुछ मतभेद हैं कि मनोविज्ञान के कार्य क्षेत्र को मात्र मानव के व्यवहार तक ही सीमित माना जाए अथवा इसके अन्तर्गत प्राणी मात्र (पशु-पक्षियों सहित) के व्यवहार को अध्ययन का विषय माना जाए । फलतः अध्ययन के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण के कारण तथा व्यवहार की परिभाषा के संदर्भ में मतभेद के कारण विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ दी हैं।
वाटसन (Watson) के अनुसार, “मनोविज्ञान व्यवहार का सकारात्मक विज्ञान है।” मन (Munn) ने भी लगभग इसी परिभाषा को यों दिया है—“ आज के मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यवहार सम्बन्धी वैज्ञानिक अध्ययन से है।” मेक्डूगल (Mc Daugall) ने मनोविज्ञान को ” व्यवहार तथा आचरण का यथार्थ विज्ञान” माना ।
वातावरण तथा व्यवहार के अन्तर्सम्बन्ध पर बल देते हुए वुड वर्थ ने मनोविज्ञान को व्यक्ति की वातावरण के सन्दर्भ में क्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन माना है। इसी प्रकार मर्फी का कथन है कि “मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो उन प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करता है, जो कि किसी प्राणी तथा वातावरण के बीच हुई पारस्परिक अन्तःक्रिया से ताल्लुक रखती है। “
ड्रेवर (Drever) का कहना है कि “मनोविज्ञान वह शुद्ध विज्ञान है जो मानव तथा पशुओं के उस व्यवहार का अध्ययन करता है जो मनोभावों एवं विचारों के उस अन्त: जीवन की अभिव्यक्ति है, जिसे हम मानसिक जगत कहते हैं।” स्किनर के अनुसार, “मनोविज्ञान जीवन की विविध परिस्थितियों के प्रति प्राणी की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन है। प्रतिक्रियाओं तथा व्यवहार से तात्पर्य प्राणी की सभी प्रकार की प्रक्रियाओं, समायोजन, कार्यों तथा अभिव्यक्तियों से है।”
स्किनर ने मनोविज्ञान के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा है, मनोविज्ञान की सरलतम परिभाषा है—व्यवहार का अध्ययन । मनोवैज्ञानिक की अन्तिम रुचि मानव व्यवहार के नियमों को बनाना है, यद्यपि वह मानता है कि सभी प्राणी कुछ नियमों के अनुसार कार्य करते हैं, क्रिया-प्रतिक्रिया करते हैं या व्यवहार करते हैं । फलत: मनोवैज्ञानिक पशुओं के व्यवहार का भी अध्ययन करता है, क्योंकि वह उन स्थितियों को अधिक सरलता से नियंत्रित कर सकता है, जिसमें पशु व्यवहार करते हैं । वह नियंत्रित स्थितियों में पशु के व्यवहार सम्बन्धी सूचनाओं को एकत्र करता है, प्राक्कल्पनाएँ बनाता है अथवा निष्कर्ष निकालता है। इन निष्कर्षों की पुनः जाँच की जा सकती है, इस दृष्टि से कि क्या वे मानव व्यवहार पर भी लागू होते हैं। मनोवैज्ञानिक प्रकृति वैज्ञानिक भी हैं तथा समाज वैज्ञानिक भी। वह परीक्षण करता है, आँकड़े एकत्र करता है तथा उसी प्रकार निष्कर्षों तक पहुँचाता है जिस प्रकार कोई भौतिक वैज्ञानिक अथवा जीव वैज्ञानिक । वह वैज्ञानिक परीक्षण में अपेक्षित सभी कठोर शर्तों का पालन करता है, परन्तु क्योंकि वह मानव व्यवहार का अध्ययन करता है, और क्योंकि सामाजिकता मानव का प्राथमिकता आधार है, मनोवैज्ञानिक समाज वैज्ञानिक भी होता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *