यू.पी.पी.एस.सी. 2021 मुख्य परीक्षा सामान्य हिन्दी हल प्रश्न-पत्र

यू.पी.पी.एस.सी. 2021 मुख्य परीक्षा सामान्य हिन्दी हल प्रश्न-पत्र

 विशेष अनुदेश:
(i) सभी प्रश्न अनिवार्य है।
(ii) प्रत्येक प्रश्न के अंत में निर्धारित अंक अंकित हैं।
(iii) पत्र, प्रार्थना पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अथवा अन्य किसी का नाम, पता एवं अनुक्रमांक ना लिखें। आवश्यक होने पर क, ख, ग उल्लेख कर सकते हैं।
Q1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट, सही और संक्षिप्त भाषा में दीजिए : 
किसी परिमित वर्ग से कल्याण से सम्बन्ध रखने वाले धर्म की अपेक्षा विस्तृत जनसमूह के कल्याण से सम्बन्ध रखने वाले धर्म, उच्च कोटि का है। धर्म की उच्चता उसके लक्ष्य के व्यापकत्व के अनुसार समझी जाती है। गृहधर्म या कुलधर्म से समाज धर्म श्रेष्ठ है, समाज-धर्म से लोकधर्म, लोकधर्म से विश्वधर्म, जिसमें धर्म अपने शुद्ध और पूर्ण स्वरूप में दिखाई पड़ता है। यह पूर्ण धर्म अंगी है और शेष धर्म अंग। पूर्ण धर्म, जिसका सम्बन्ध अखिल विश्व की स्थिति रक्षा से है, वस्तुतः पूर्ण पुरुष या पुरूषोत्तम में ही रहता है, जिसकी मार्मिक अनुभूति सच्चे भक्तों को ही हुआ करती है, इसी अनुभति के अनुरूप उनके आचरण का भी उत्तरोत्तर विकास हो जाता है। गृह धर्म दृष्टि रखने वाला लोक या समस्त या किसी परिवार की रक्षा देखकर, वर्ग धर्म दृष्टि रखने वाला, किसी वर्ग या समाज की रक्षा देखकर और लोक धर्म पर दृष्टि रखने वाला लोक या समस्त मनुष्य जाति की रक्षा देखकर आनन्द का अनुभव करता है। पूर्ण या शुद्ध धर्म का स्वरूप सच्चे भक्त ही अपने और दूसरों के सामने लाया करते हैं, जिनके भगवान् पूर्ण धर्म स्वरूप है, अतः ये कीटपतंग से लेकर मनुष्य तक सब प्राणियों की रक्षा देखकर आनन्द करते हैं। विषय की व्यापकता के अनुसार, उनका आनन्द भी उच्च कोटि का होता है। उच्च से उच्च भूमि के धर्म का आचरण अत्यन्त साधारण कोटि का हो सकता है। इसी प्रकार निम्न भूमि के धर्म का आचरण उच्च से उच्च कोटि का हो सकता है। गरीबों का गला काटने वाले चीटियों के बिलों पर आटा फैलाते देखे जाते हैं, अकाल-पीड़ितों की सहायता में एक पैसा चन्दा न देने वाले अपने डूबते मित्र के बचाने कि लिए प्राण संकट में डालते देखे जाते हैं।
(a) प्रस्तुत गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(b) धर्म समाज का कल्याण कैसे करता है? इसे गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(c) उपर्युक्त गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए।
Ans. (a) भावार्थ : धर्म की व्यापकता लक्ष्य के विस्तार से मापी जाती है। पूर्ण धर्म विराट चेतना में निहित होता है। इसकी अनुभूति सच्चे साधक को ही होती है। समष्टि की रक्षा में ही व्यक्ति का आनंद निहित होता है। विषय की व्यापकता के अनुसार ही आनंद की व्यापकता होती है। दिखावा करने से धर्म की अभिव्यक्ति नहीं की जा सकती है।
(b) धर्म से समाज की रक्षा होती है। धर्म का लक्ष्य प्राणिमात्र के कल्याण से है। धर्म किसी वर्ग विशेष तक ही सीमित नहीं होता है। धर्म की महानता समष्टि के कल्याण से परखी जाती है। धर्म एक साधन है जिसकी सहायता से व्यक्ति विराटता की अनुभूति करता है तथा आनंदपूर्ण जीवन को उपलब्ध होता है।
(c) (i) किसी परिमित ……… उच्च कोटि का है।
व्याख्याः किसी भी धर्म की उच्चता व्यापक जनसमूह के कल्याण एवं हित में निहित होती है, व्यापक धर्म एक प्राणी की भी चिंता करता है, उसे कष्ट से बचाना है तथा उसकी रक्षा करता है।
(ii) पूर्ण धर्म …….. पुरुषोत्तम में ही रहता है।
व्याख्याः धर्म की विराटता परम तत्व की अनुभूति में ही है। यह संपूर्ण विश्व को अपने अंदर समाहित करता है। यह वर्ग विशेष तक सीमित नहीं रहता है। यह सबकी मंगल की कामना करता है।
(iii) गरीबों …………..……. डालते देखे जाते हैं।
व्याख्याः धर्म प्राणी मात्र का हित चाहता है, कल्याण का प्रदर्शन नहीं करता है। दिखावा करने वाले स्वयं के हित तक ही सीमित होते हैं। उन्हें सर्वजन कल्याण से कोई वास्ता नहीं होता है।
Q2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निर्देशानुसार उत्तर लिखिए। 
लोभियों का दमन योगियों के दमन से किसी प्रकार कम नहीं होता। लोभ के बल से वे, काम और क्रोध को जीतते हैं, सुख की वासना का त्याग करते हैं, मान-अपमान में समान भाव रखते हैं। अब और चाहिए क्या? जिससे वे कुछ पाने की आशा रखते हैं वह ‘वे यदि उन्हें दस गालियां भी देता है तो उनकी आकृति पर न रोष का कोई चिन्ह प्रकट होता है और न मन में ग्लानि होती है। न उन्हें मक्खी चूसने में घृणा होती है और न रक्त चूसने में दया । सुन्दर से सुन्दर रूप देखकर वे अपनी एक कौड़ी भी नहीं भूलते। करूण से करूण स्वर सुनकर वे अपना एक पैसा भी किसी के यहाँ नहीं छोड़ते। तुच्छ से तुच्छ व्यक्ति के सामने हाथ फैलाने में वे लज्जित नहीं होते। क्रोध, दया, घृणा, लज्जा आदि करने से क्या मिलता है कि वे करने जायें ? जिस बात से उन्हें कुछ मिलता नहीं जबकि उसके लिए उनके मन के किसी कोने में जगह नहीं होती, तब जिस बात से पास का कुछ जाता है, वह बात उन्हें कैसी लगती होगी, यह यों ही समझा जा सकता है। जिस बात में कुछ लगे वह उनके किसी काम की नहीं चाहे वह कष्ट निवारण हो या सुख-प्राप्ति, धर्म हो या न्याय । वे शरीर सुखाते हैं, अच्छे भोजन, अच्छे वस्त्र आदि की आकांक्षा नहीं करते। लोभ के अकुश से अपनी सम्पूर्ण इन्द्रियों को वश में रखते हैं। लोभियों ! तुम्हारा अक्रोध, तुम्हारा इन्द्रिय-निग्रह, तुम्हारा मानापमान-समता, तुम्हारा तप अनुकरणीय है। तुम्हारी निष्ठुरता, तुम्हारी निर्लज्जता, तुम्हारा अविवेक, तुम्हारा अन्याय विगर्हणीय है। तुम धन्य हो! तुम्हें धिक्कार है !!
(a) प्रस्तुत गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
(b) उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर लोभियों के लक्षण बताइए।
(c) उपर्युक्त गद्यांश का संक्षेपण कीजिए |
Ans. (a) शीर्षक – ‘लोभी व्यक्ति’
(b) लोभी व्यक्ति अपने स्वार्थ की सिद्धि में सब कष्ट सहने को तैयार रहता है। जहाँ लाभ की प्राप्ति होती है, वहाँ वह गालियाँ भी सुनने को तैयार रहता है। जहाँ उसका स्वार्थ पूरा नहीं होता है, वहाँ वह जाता नहीं है। लाभ प्राप्ति में वह सुख, धर्म, न्याय सबकी तिलांजलि दे देता है।
(c) गद्यांश संक्षेपण : लोभी व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए योगियों की भांति इंद्रिय दमन करते हैं। लाभ के लिए वह काम व क्रोध पर नियंत्रण का दिखावा करता है। अपमान को भी सहन करता है । न वह रोष प्रकट करता है, न मन में ग्लानि का भाव लाता है। अपने लाभ की पूर्ति में न तो सौन्दर्य की कद्र करता है, न ही करुणा को स्वीकार करता है। सहायता की भीख माँगने पर भी वह द्रवित नहीं होता है। अपने लाभ के लिए अर्थहीन व्यक्ति के समक्ष भी झुकने को तैयार रहता है। अपने लोभ की पूर्ति के लिए अपने शरीर को कष्ट देते हैं। अच्छे भोजन व वस्त्र से रहित होते हैं, क्रोध का संयम, इंद्रिय निग्रह, अपमान में समता का प्रदर्शन करते हैं।
Q3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(a) अर्ध- सरकारी पत्र किसे कहते हैं? यह सरकारी पत्र से किस प्रकार भिन्न होता है ? दोनों का अलग-अलग प्रारूप तैयार कीजिए ।
(b) नगर महापौर की ओर से महानगर मे डेंगू से हो रही मृत्यु संबंधी एक सरकारी पत्र उत्तर प्रदेश शासन को लिखिए ।
Ans. (a) अर्द्ध सरकारी पत्रः ये पत्र सरकारी अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर लिखे जाते हैं। शासकीय व्यवस्था के फलस्वरूप जब कोई मामला उलझ जाता है तब अपने समकक्ष या अपने से कनिष्ठ स्तर के अधिकारियों को कार्य निस्तारण हेतु अर्द्ध सरकारी पत्र का प्रयोग किया जाता है ।
पत्र प्रारूप
भारत सरकार
क.ख.ग.
सचिव
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
नई दिल्ली
दिनांक ……….
पत्रांक सं. ……….
प्रिय ………
आपका पत्र क्रमांक ……… दिनांक ……… को प्राप्त हुआ। आपने उ. प्र. में चल रहे सतत् साक्षरता अभियान की सफलताओं को विस्तार से उल्लेखित किया है। मैं चाहता हूँ कि इसी प्रकार सतत् साक्षरता योजना देश के अन्य प्रदेशों में संचालित हो। यदि आप अपना सुझाव भेंज सकें तो उसके आधार पर एक विस्तृत योजना बनाई जा सकती है। मैं आपके सुझाव की अपेक्षा करता हूँ।
श्री क.ख.ग.
आपका सद्भावी
…………
शासन सचिव
शिक्षा विभाग, उ. प्र. सरकार
लखनऊ
सरकारी पत्रः केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के बीच या दो भिन्न-भिन्न राज्यों के मध्य या सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच जिन पत्रों का प्रयोग होता है उसे सरकारी पत्र कहते हैं. ये पत्र औपचारिक होते है। जबकि अर्द्ध सरकारी पत्र अनौपचारिक होते हैं।
(b)
पत्र संख्या …………
दिनांक …………….
प्रेषक
क.ख.ग.
महापौर
महानगर पालिका, प्रयागराज
दिनांक …………
सेवा में
सचिव
स्वास्थ्य मंत्रालय,
उ. प्र. शासन, लखनऊ
विषयः प्रयागराज नगर में डेंगू से हो रही मौत के रोकथाम के संबंध में।
महोदय,
मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि मच्छरों के प्रकोप के कारण नगर में डेंगू तेजी से फैल रहा है तथा मृत्यु का कारण बन रहा है। इलाज के लिए मरीजों की लम्बी-लम्बी लाइनें लग रहीं हैं। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाओं जैसे- डॉक्टर, दवाएं, बेड आदि की कमी के कारण कई लोग असमय मौत के मुख में जा रहे हैं। लोगों की जान बचाने के लिए चिकित्सीय सुविधाएं बढ़ाने की तुरंत आवश्यकता है।
आपसे प्रार्थना है कि इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सीय सुविधाएं बढ़ाने के निए तुरंत निर्देश दें।
धन्यवाद सहित
भवदीय
क.ख.ग.
महापौर – प्रयागराज
दिनांक ………..
Q4. (a) निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए:
(i) अनुक्रिया
(ii) अधिष्ठित
(iii) वादी
(iv) आगमन
(v) सज्जन
(vi) सुपुत्र
(vii) राग
(viii) सम्मुख
(ix) सलज्ज
(x) उदात्त
Ans.  (a)  विलोम शब्द 
(i) अनुक्रिया     –     प्रतिक्रिया
(ii) अधिष्ठित     –    अनधिष्ठित
(iii) वादी           –    प्रतिवादी
(iv) आगमन     –     प्रस्थान
(v) सज्जन        –      दुर्जन
(vi) सुपुत्र        –      कुपुत्र
(vii) राग         –      द्वेष
(viii) सम्मुख    –    विमुख
(ix) सलज्ज      –     निर्लज
(x) उदात्त        –     अनुदात्त
Q5. (a) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए:
(i) उपासना
(ii) दुस्साध्य
(iii) निमीलित
(iv) सुपुत्र
(v) अपस्मार
Ans. (a) प्रयुक्त उपसर्ग:
(i) उपासना                =  उप + आसना            ( उपसर्ग – उप )
(ii) दुस्साध्य                =  दुस + साध्य              ( उपसर्ग – दुस )
(iii) निमीलित             =  नि + मिलित              ( उपसर्ग – नि )
(iv) सुपुत्र                    =  सु + पुत्र                    ( उपसर्ग – सु )
(v) अपस्मार                =  अप + समार            ( उपसर्ग – अप )
(b) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग कीजिए:
(i)   अपनापा
(ii)  वैदिक
(iii)  राधेय
(iv)  गुरुता
(v)   ग्रामीण
Ans. (b) प्रयुक्त प्रत्यय:
(i)   अपनापा                 =  अपना + पा                      ( प्रत्यय – पा )
(ii)  वैदिक                    =  वेद + इक                         ( प्रत्यय – इक )
(iii)  राधेय                    =   राधा + एय                        ( प्रत्यय – एय )
(iv)  गुरुता                    =   गुरु + ता                          ( प्रत्यय – ता )
(v)   ग्रामीण                   =  ग्राम + ईण                        ( प्रत्यय -ईण )
Q6. निम्नलिखित वाक्याशों या पदबंधों के लिए एक-एक शब्द लिखिएः
(i) उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पत्ति
(ii) शत्रुओं का हनन करने वाला
(iii) मुकदमा दायर करने वाला व्यक्ति
(iv) युद्ध की प्रबल इच्छा हो जिसमें
(v) उत्तर देकर खंडन करना
Ans. वाक्याशों या पदबंधों के लिए एक शब्दः
(i) उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पत्ति – रिक्थ
(ii) शत्रुओं का हनन करने वाला – शत्रुघ्न
(iii) मुकदमा दायर करने वाला व्यक्ति – वादी
(iv) युद्ध की प्रबल इच्छा हो जिसमें  – युयुत्सु
 (v) उत्तर देकर खंडन करना – प्रतिउत्तर
Q7. (a) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए:
(i) तुम तुम्हारी किताब ले जाओ।
(ii) यही सरकारी महिलाओं का अस्पताल है।
(iii) यह एक गहरी समस्या है ।
(iv) मोहन आगामी वर्ष कलकत्ता गया था।
(v) गणित एक कठोर विषय है।
Ans. (a) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए: 
(i) तुम तुम्हारी किताब ले जाओ।(अशुद्ध वाक्य)
तुम अपनी किताब ले जाओ। (शुद्ध वाक्य)
(ii) यही सरकारी महिलाओं का अस्पताल है। (अशुद्ध वाक्य)
यही महिलाओं का सरकारी अस्पताल है।  (शुद्ध वाक्य)
(iii) यह एक गहरी समस्या है । (अशुद्ध वाक्य)
यह एक गम्भीर समस्या है। (शुद्ध वाक्य)
(iv) मोहन आगामी वर्ष कलकत्ता गया था। (अशुद्ध वाक्य)
मोहन विगत वर्ष कलकत्ता गया था। (शुद्ध वाक्य)
(iv) गणित एक कठोर विषय है। (अशुद्ध वाक्य)
गणित एक कठिन विषय है। (शुद्ध वाक्य)
(b) निम्न शब्दों की वर्तनी का संशोधन कीजिए:
(i) व्यवहारिक
(ii) तत्कालीक
(iii) आशीर्वाद
(iv) पुज्यनीय
(v) इच्छिक
Ans. (b) निम्न शब्दों की वर्तनी का संशोधन कीजिए:
अशुद्ध                                          शुद्ध
(i) व्यवहारिक                            व्यावहारिक
(ii) तत्कालीक                           तात्कालिक
(iii) आशीर्वाद                           आशीर्वाद
(iv) पुज्यनीय                              पूजनीय
(v) इच्छिक                                ऐच्छिक
Q8. निम्नलिखित मुहावरों लोकोक्तियों के अर्थ लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए: 
(i) जब तक साँस तब तक आस
(ii) जिसका काम उसी को साजै
(iii) चित भी मेरी पट भी मेरी
(iv) झूठ के पाँव नहीं होते
(v) हाथ कंगन को आरसी क्या
(vi) आड़े आना
(vii) आँखे बिछाना
(viii) खाक छानना
(ix) ठन-ठन गोपाल
(x) शैतान की आँत
Ans. मुहावरे / लोकोक्तियों का अर्थ एवं वाक्य प्रयोग
(i) जब तक साँस तब तक आस
अर्थ: अंतिम समय तक आशा रखना
वाक्य प्रयोग: रोहित यू.पी.एस.सी. की परीक्षा में अंतिम अवसर तक लगा रहा तथा सफलता प्राप्त करने में चुका नहीं। इस प्रकार उसने प्रमाणित कर दिया कि जब तक साँस तब तक आस ।
(ii) जिसका काम उसी को साजै
अर्थ: जिस कार्य में अनुभव हो उसे ही करना चाहिए
वाक्य प्रयोग: रामू ने अपनी बाइक की मरम्मत करना खुद ही शुरू किया लेकिन काम और बिगड़ गया, तब सोहन ने कहा, ‘जिसका काम उसी को साजै’।
(iii) चित भी मेरी पट भी मेरी
अर्थ: हर परिस्थिति में स्वयं का फायदा होना
वाक्य प्रयोगः मोहन ने राजू को ऐसी भंवर जाल में डाल दिया कि राजू को अ नुकसान तथा मोहन को लाभ मिल रहा है अर्थात् मोहन के लिए चित भी मे पट भी मेरी, वाली बात साबित हो रही है।
(iv) झूठ के पाँव नहीं होते
अर्थ: एक बात पर स्थिर न रहना
वाक्य प्रयोग: मुन्नू लाल एक मुकदमें में न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत हुआ जब एक ही तथ्य के संदर्भ में अलग-अलग बातें करन लगा तब मालूम हो गया कि झूठ के पाँव नहीं होते।
(v) हाथ कंगन को आरसी क्या
अर्थः जो वस्तु स्वतः प्रमाणित हो
वाक्य प्रयोगः साक्षात्कार के समय दिनेश ने मैनेजर से कहा कि टाइपिंग टेस्ट अपने सामने ही करवाकर देख लीजिए कि उसकी स्पीड क्या है, अर्थात् हाथ कंगन को आरसी क्या?
(vi) आड़े आना
अर्थ: बाधक बनना
वाक्य प्रयोगः अध्ययन में पूरा समय देना राजीव की परीक्षा में आड़े आ रहा
(vii) आँखें बिछाना
अर्थः स्वागत करना
वाक्य प्रयोगः रामू के घर पर कोई नहीं है, कौन उसके लिए आँखें बिछाएगा, घर तो वीरान पड़ा है।
(viii) खाक छानना
अर्थ: मारे-मारे फिरना, परेशान होना
वाक्य प्रयोगः लच्छूराम ने बचपन में पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया, अब वह गली-गली खाक छान रहा है।
(ix) ठन-ठन गोपाल
अर्थः गरीब हो जाना
वाक्य प्रयोग: शर्मा जी ने अपनी सम्पत्ति अपने तीनों पुत्रों में बाँट दी, अब ठन-ठन गोपाल हो गए हैं।
(x) शैतान की आँत
अर्थः लम्बी-चौड़ी बातें करना
वाक्य प्रयोग: कल सोहन मेरे समक्ष राजू की बातें करने लगा। उसकी बात खत्म ही नहीं हो रही थी। ऐसा लग रहा था कि उसकी बात शैतान की आँत हो गई हो ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *