लघु उद्योगों का क्या अर्थ है ? लघु उद्योगों की भारतीय अर्थव्यवस्था में निर्यात एवं रोजगार की दृष्टि से क्या भूमिका है ?
लघु उद्योगों का क्या अर्थ है ? लघु उद्योगों की भारतीय अर्थव्यवस्था में निर्यात एवं रोजगार की दृष्टि से क्या भूमिका है ?
(45वीं BPSC/2002 )
उत्तर – सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विकास अधिनियम, 2006 के अनुसार लघु औद्योगिक इकाई उन उद्योगों को कहा जाता है जिनमें अधिकतम निवेश 5 करोड़ रु. का हो । ये उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। हाल के वर्षों में यह क्षेत्र लगातार संपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र की तुलना में उच्च विकास दर दर्ज कर रहा है ।
लघु उद्योगों में खादी, हथकरघा एवं ग्राम उद्योग, हस्तशिल्प, रेशम उद्योग आदि परंपरागत उद्योगों के साथ ही आधुनिक एवं परिमार्जित उत्पाद जैसे- टीवी सेट, इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण उपकरण एवं विभिन्न इंजीनियरिंग निर्माण शामिल हैं। वृहत उद्योगों के आवश्यक कल-पुर्जों का निर्माण आदि भी लघु उद्योगों के माध्यम से होता है।
लघु उद्योगों को भारी पैमाने पर बड़े उद्योगों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। चूंकि काफी लोगों को इससे प्रत्यक्षतः रोजगार के साथ ही अर्थव्यवस्था को गति मिलती है, अतः सरकार इन उद्योगों के विकास के लिए “सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विकास अधिनियम, 2006” के अंतर्गत इनके प्रोत्साहन एवं विकास के लिए प्रयासरत है। 2000 से 2005 की अवधि के लिए लघु उद्योग क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए कैपिटल सब्सिडी योजना लागू की थी।
लघु उद्योगों का रोजगार एवं निर्यात की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण योगदान है। देश में 2002-03 के आंकड़ों के अनुसार 23.5 लाख पंजीकृत एवं 3.7 लाख अपंजीकृत लघु औद्योगिक इकाइयां हैं जिससे लगभग 3.23 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसके अलावा लाखों लोग इन उद्योगों से प्रत्यक्ष ढंग से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, जैसे- कृषि से जुड़े लघु उद्योग कृषि एवं कृषकों की आमदनी के स्त्रोत हैं। इन उद्योगों की स्थापना चूंकि छोटे शहरों में होती है, अतः स्थानीय . बाजारों का भी विकास होता है। साथ ही महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो पाते हैं। छोटे व्यापारी अथवा पढ़े-लिखे बेरोजगार भी सरकारी सहायता से ऐसे उद्योग लगाते हैं जिससे जहां लोगों को रोजगार मिलता है, वहीं उद्योगों का विकेन्द्रीकरण होता है। ये बड़ी कंपनियों अथवा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बाजार में एकाधिकार को कम करता है। विकास का प्रवाह छोटे शहरों एवं कस्बों की तरफ होता है। लघु उद्योग निर्यात की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है। 2010-11 के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार हमारे कुल निर्यात में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) का 40% योगदान है। इसमें हैण्डलूम उत्पाद का महत्वपूर्ण योगदान है। खादी एवं ग्रामोद्योग का निर्यात (2004-05) में 39.08 करोड़ रु. रहा। आंकड़ों के आधार पर कहें तो लघु उद्योग के उत्पादों का निर्यात पहले की अपेक्षा बढ़ा है। चूंकि इससे व्यापक हित जूड़े हुए हैं, अतः इसके विकास एवं इसे बाजार के अनुरूप तथा प्रतियोगी बनाने के लिए सरकार को गंभीर प्रयास करने होंगे।
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