लेखन का महत्त्व स्पष्ट कीजिये ।

लेखन का महत्त्व स्पष्ट कीजिये ।

उत्तर— लेखन आत्माभिव्यक्ति का एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण साधन है। वैसे भी व्यक्ति को अपने घरेलू तथा सामाजिक जीवन में अनेक विचारों को लिपिबद्ध करना पड़ता है। वास्तव में लिखना अब कला न रहकर आत्माभिव्यक्ति का आवश्यक साधन बन गया है। लिखना, वस्तुतः वह साधन है जो छात्रों के विचारों को मूर्त रूप प्रदान कर सकता है तथा उन विचारों को अमर बना सकता है। लेखन के महत्त्व को हम निम्न प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं—
(i) लेखन साक्षरता का पर्याय है।
(ii) लेखन संदेश भेजने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
(iii) लेखन के अभाव में शिक्षा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पाठ्य पुस्तकें कक्षा कार्य, गृह कार्य, परीक्षाएँ एवं मूल्यांकन आदि का कार्य लेखन द्वारा ही होता है ।
(iv) लेखक अपने भावों की अभिव्यक्ति के लिए लेखन का सहारा लेता है।
(v) लेखन की सत्ता के कारण ही आज समय तथा दूरी पर विजय पाई जा सकती है।
(vi) विभिन्न व्यक्तियों या देशों में परस्पर अनुबन्ध तथा मैत्री लिखित भाषा के द्वारा ही सम्भव है।
(vii) लेखन में मस्तिष्क तथा उंगलियों का कार्य एक साथ
चलता रहता है और नियमित अभ्यास से दोनों ही सबल होते हैं ।
(viii) अपने विचारों तथा भावों को मूर्त रूप देने तथा दूसरों तक पहुँचाने के लिए लेखन की आवश्यकता होती है।
(ix) विभिन्न कालों की परिवर्तित परिस्थितियों, विचारधाराओं तथा क्रियाकलापों से परिचित होने के लिए भाषा का लिखित रूप ही काम आता है ।
(x) वक्ता के अभाव में किसी के विचारों से अवगत होने के लिए भाषा का लिखित रूप ही काम आता है।
(xi) भाषा – शिक्षण के उद्देश्यों में से एक उद्देश्य अभिव्यक्ति की शिक्षा है। अभिव्यक्ति के भी दो रूप हैं— मौखिक तथा लिखित । लिखित अभिव्यक्ति तभी सम्भव है, जब लेखन क्षमता तथा मौखिक अभिव्यक्ति सबल हो ।
(xii) किसी भी भाषा या विषय में पूर्ण दक्षता प्राप्त करने के लिए पढ़ना तथा लिखना दोनों ही सीखना आवश्यक है।
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