वर्णन पाठ से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।

वर्णन पाठ से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर— वर्णन पाठ पठन के विकास के साथ-साथ भाषा का सम्पूर्ण अधिगम कराते हैं। वर्णन पाठों को एक अधिगम अनुभव के रूप में विकसित करने के लिए शिक्षक को प्रयास करना चाहिए क्योंकि शिक्षक का प्रमुख उद्देश्य अधिगम परिस्थितियों को सृजित करना है। इसलिए वर्णन को भी एक अधिगम अनुभव के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए। इसकी प्रमुख गतिविधियाँ एवं क्रियाएँ इसे अधिगम अनुभव के रूप में तैयार करती हैं—

(1) समान ध्वनि वाले शब्द खोजना—समान ध्वनि वाले शब्दों को खोजने से एक ओर छात्रों के शब्द भण्डार में वृद्धि होती है वहीं दूसरी ओर तर्क एवं चिन्तन शक्ति का विकास होता है। इससे वर्णनकर्ता द्वारा अपने वर्णन की प्रक्रिया को सही रूप में पहली बार सम्पन्न किया जाता है। इसके बाद उसमें समान ध्वनि वाले शब्द जोड़ दिए जाते हैं, जैसेवर्णन में दो वाक्यों का उदाहरण दिया जाता है। दिसम्बर के महीने में मौसम ठण्डा था। धूप नहीं निकली थी । परिवर्तित रूप में दिसम्बर में मौसम ठण्डा (गन्दा) था । धूप (रूप) नहीं निकली थी बोला जायेगा । इस प्रकार के शब्दों को छात्रों से पहचानने के लिए कहा जायेगा। इससे छात्रों को शब्दों के प्रयोग का ज्ञान होगा तथा अधिगम स्तर उच्च होगा ।
(2) अनुक्रिया करना—इस सोपान के अन्तर्गत छात्रों से उन क्रियाओं की अपेक्षा की जाती है जो कि उस कहानी के पात्रों से सम्बन्धित हों; जैसे—किसी कहानी में जानवर का वर्णन आ रहा है तो उसकी आवाज निकालना। यदि कहानी में किसी वीर पुरुष का वर्णन है तो उसके अनुरूप शब्दोच्चारण करना या वीरता के शब्द प्रस्तुत करना। इस प्रकार की स्थितियों से समझा जाता है कि छात्र कहानी के प्रमुख भाव एवं तथ्यों का अवबोध कर रहा है। इस प्रकार की अनुक्रिया अधिगम स्थितियाँ सृजित करती हैं ।
(3) कहानी के वाक्य क्रम में परिवर्तन करना—इस सोपान का उद्देश्य बालकों के अवधान को स्थायी एवं प्रभावशाली बनाना है। इसमें कहानी को पहले या वर्णन को पहले सही क्रम में सुनाया जाता है। इसके पश्चात् उसमें परिवर्तन किया जाता है। परिवर्तन की इस प्रक्रिया के कारण छात्रों द्वारा इस त्रुटि को पहचान लिया जाता है तो यह ज्ञात हो जाता है कि छात्रों द्वारा कहानी का अधिगम हुआ है। इस प्रक्रिया से कहानी या वर्णन के माध्यम से छात्रों का ध्यान केन्द्रीकृत होगा तथा अधिगम स्थायी रूप में होगा।
(4) असम्बद्ध को खोजना—इस प्रकार के वर्णन में छात्रों की तर्क एवं मानसिक शक्ति का विकास किया जाता है। इसमें किसी भी वस्तु या घटना का वर्णन करते समय कुछ वाक्य उससे पूर्णत: असम्बद्ध रूप में बोले जाते हैं; जैसे— रेलगाड़ी हवा में चलती है। कार पानी में चलती है। इस प्रकार के वाक्य बोल दिए जाते हैं फिर छात्रों से असम्बद्ध वाक्यों को छाँटने के लिए कहा जाता है। इससे छात्रों के अधिगम स्तर, ध्यान एवं तर्क शक्ति का विकास सम्भव होता है।
(5) कहानी का पुनर्गठन करना—कहानी का वर्णन करने के बाद कहानी को पुनर्गठित करने की प्रक्रिया छात्रों को सम्पन्न करनी चाहिए। इसके अन्तर्गत छात्रों को सर्वप्रथम एक कहानी का वर्णन सुनाया जाता है। इसमें छात्रों को पुनर्गठित सम्बन्धी निर्देश पहले से ही प्रदान कर दिए जाते हैं। कहानी को इसका माध्यम इसलिए बनाया जाता है क्योंकि कहानी में सभी छात्रों की रुचि होती है। इसलिए कहानी वर्णन को छात्र ध्यानपूर्वक सुनते हैं। इसके अन्तर्गत छात्रों को कुछ बिन्दु प्रदान किए जाते हैं, जिनके आधार पर छात्र कहानी का पुनर्गठन करते हैं; जैसे— कहानी योजना, शीर्षक, पात्र, घटनाएँ–प्रथम घटना, द्वितीय घटना, अन्तिम घटना आदि । इस प्रकार के बिन्दुओं द्वारा लेखन का कार्य सम्पन्न किया जाता है। इसके साथ-साथ छात्रों को कुछ वाक्य भी प्रदान किए जा सकते हैं। जिन वाक्यों को जोड़कर वे कहानी बना सकते हैं।
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि कहानी वर्णन की प्रक्रिया में या माध्यम से या अन्य किसी घटना या वृत्त के वर्णन से छात्रों के लिए अधिगम स्थितियाँ सृजित की जा सकती हैं। अतः वर्णन भी अधिगम प्रक्रिया का एक प्रमुख एवं अनिवार्य अंग है यदि इसको उचित रूप में स्वीकार किया जाए। इसलिए प्रशिक्षुओं को यह ज्ञान प्रदान किया जाता है कि वह वर्णन प्रक्रिया को अधिगम अनुभव के रूप में सम्पन्न कर सकें तथा छात्रों को वर्णन के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में अधिगम कार्य सम्पन्न करा सकें।
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