शुष्क – भूमि खेती (Dry Land Agriculture ) क्या है ? भारत के लिए इसके महत्व की विवेचना कीजिए |
शुष्क – भूमि खेती (Dry Land Agriculture ) क्या है ? भारत के लिए इसके महत्व की विवेचना कीजिए |
(42वीं BPSC / 1999 )
उत्तर – सामान्यतः 20 सेमी. अथवा इससे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में वैज्ञानिक विधियों एवं बीजों का प्रयोग कर जो कृषिकार्य किए जा रहे हैं, उसे ही शुष्क-भूमि कृषि (Dry Land Agriculture) कहते हैं। भारत में राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस विधि को अपनाया जाता है। इस विधि के अंतर्गत –
> भूमि की गहरी जुताई की जाती है ताकि नमी सुरक्षित रखी जा सके।
> पानी की कम आवश्यकता वाले फसलों को उगाया जाता है। जैसे- ज्वार, बाजरा, जौ आदि ।
> सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई, स्प्रींक्लर सिंचाई आदि विधियां अपनाई जाती हैं।
> जल संरक्षण पर जोर दिया जाता है, बांध बनाकर तथा मिट्टी के अवरोधक बनाकर वर्षा के पानी का संरक्षण किया जाता है। पक्के तल वाले नहरों का निर्माण भी किया जाता है ।
> मिट्टी का संरक्षण किया जाता है। इसके लिए खेतों के किनारे वृक्षारोपण, सीढ़ीदार खेत आदि विधियां अपनाई जाती हैं।
> उन्नत बीजों का प्रयोग किया जाता है जो शुष्क – भूमि में भी उग सकें एवं विकास कर सकें।
भारत के लिए शुष्क-भूमि कृषि पद्धति अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश का लगभग 12% भाग शुष्क क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके अंतर्गत गुजरात, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र के क्षेत्र आते हैं। ये क्षेत्र ज्वार, बाजरा, दलहन, तिलहन एवं मोटे अनाजों के प्रमुख उत्पादक हैं जिन्हें जल की आवश्यकता कम पड़ती है। इस तकनीक से इन क्षेत्रों के गरीब एवं बदहाल किसानों को काफी फायदा मिला है। भारत में मानसून की अनिश्चितता एवं सिंचाई के उन्नत साधनों के अभाव ने शुष्क कृषि पद्धति के महत्व को और भी बढ़ा दिया है।
> सामान्यतः 20 सेमी. अथवा इससे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में वैज्ञानिक विधियों एवं बीजों का प्रयोग कर जो कृषि कार्य किए जाते हैं, उसे शुष्क – भूमि कृषि (Dry Land Agriculture) कहते हैं ।
> क्षेत्र – राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
> ड्रिप सिंचाई, स्त्रींक्लर सिंचाई अपनाई जाती है।
> जल संरक्षण पर जोर दिया जाता है।
> उन्नत बीजों का प्रयोग किया जाता है।
> भूमि की गहरी जुताई की जाती है ।
> कम पानी की आवश्यकता वाले फसलों-ज्वार, बाजरा, जौ आदि का उत्पादन।
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