भारत में पंचायती राज के उद्देश्यों एवं उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

भारत में पंचायती राज के उद्देश्यों एवं उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

अथवा

पंचायती राज के उद्देश्य यथाशक्ति का विकेन्द्रीकरण, जनसामान्य की शासन में भागीदारी आदि का उल्लेख करते हुए उत्तर लिखें।
उत्तर  – भारत में प्राचीन समय से ही पंचायती व्यवस्था थी लेकिन आधुनिक भारत में स्वतंत्रता के बाद 1993 में 73वें संविधान संशोधन के बाद ही यह प्रभावी भूमिका में आ सकी। भारत में पंचायती राज के उद्देश्यों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अंतर्गत रखा जा सकता है –
> वास्तविक लोकतंत्र हेतु सत्ता का विकेन्द्रीकरण ताकि स्थानीय स्तर पर लोग निर्णय ले सकें।
> समाज के पिछड़े, दलित एवं महिलाओं के सशक्तिकरण एवं विकास के लिए पंचायतों की भूमिका ।
> स्थानीय लोगों को अपनी समस्या के समाधान के लिए तैयार करना।
> पंचायत के माध्यम से रोजगार के साधन में वृद्धि करना, जैसे- कुटीर उद्योग को बढ़ावा, हस्तशिल्प का विकास, पशुपालन, खादी ग्रामोद्योग आदि को प्रोत्साहित करना आदि ।
> महिला एवं बाल कल्याण, दुर्बल वर्गों का कल्याण आदि सामाजिक एवं स्वास्थ्य संबंधी कार्यों को पंचायत के माध्यम से सम्पन्न कराना।
> विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों, शैक्षणिक कार्यों आदि को पंचायतों के माध्यम से संपन्न करवाना। अंततः पंचायतों की स्थापना का उद्देश्य राजनीतिक रूप से संपन्न भारत का निर्माण करना ।
• पंचायती राज की विशेषताएं
1. ग्राम, मध्यवर्ती स्तर एवं जिला स्तर पर त्रि-स्तरीय व्यवस्था
 2. महिलाओं के लिए कम-से-कम 1/3 आरक्षण की व्यवस्था एवं एससी/एसटी को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रत्येक स्तर पर आरक्षण की व्यवस्था
3. एक निश्चित 5 साल की कार्यावधि
4. पंचायत सदस्यों का चुनाव प्रत्येक स्तर पर प्रत्यक्ष रूप से होगा। पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की पद्धति राज्य सरकार के अनुसार एवं मध्यवर्ती स्तर एवं जिला स्तर के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होगा
5.  पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा के लिए वित्त आयोग का गठन।
6. 11वीं अनुसूची में 29 विषय हैं, जिन पर पंचायत का प्रशासनिक नियंत्रण होगा।
7. स्थानीय कर वसूलने एवं प्राप्त – धन खर्च करने की शक्ति आदि।
• पंचायती राज का मूल उद्देश्य
> सत्ता का विकेन्द्रीकरण
> कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण
> रोजगार के ग्रामीण साधनों का विकास
> सरकार के काम को करते हुए पंचायत के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर विवादों एवं विकास कार्यों का निपटारा।
•  पंचायती राज की विशेषता
> त्रि-स्तरीय व्यवस्था
> महिलाओं, एससी/एसटी के लिए आरक्षण का प्रावधान
> 5 वर्षों का कार्यकाल
>  वित्त आयोग की स्थापना
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