सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर (सामाजिक न्याय के संदर्भ में) का संक्षिप्त वर्णन करें।

सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर (सामाजिक न्याय के संदर्भ में) का संक्षिप्त वर्णन करें।

उत्तर- भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 1970 का दशक कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है।

सन् 1971 में ,श्रीमती इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में काँग्रेस सत्ता में आई। उसके बाद श्रीमती गाँधी ने संविधान के बुनियादी ढाँचे में परिवर्तन करने का प्रयास किया । 1975 में उन्होंने देश के अंदर आपातकाल की उद्घोषणा कर जिस ढंग से लोकतंत्र का विश्लेषण किया, उसके विरोध में सरकार विरोधी जनसंघर्ष तेज हुए और ये जनसंघर्ष लोकतंत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित किए। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी।। इस प्रकार अब तक भारतीय लोकतंत्र का सफर अनेक उतार-चढ़ावों के साथ चलता रहा। इसके साथ-साथ समाज के प्रत्येक नागरिक को समान अवसर प्रदान करने के लिए सरकार ने अनेक घोषणाएँ की जैसे अतिपिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण, महिलाओं को पंचायत स्तर पर राजनीति में प्रवेश के लिए आरक्षण, सूचना का अधिकार कानून, दहेज प्रथा पर रोक हेतु सख्त कानून, समान नागरिक संहिता इत्यादि।

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