सूक्ष्मवित्त योजना से महिलाएँ किस प्रकार लाभांवित हुई हैं ?

सूक्ष्मवित्त योजना से महिलाएँ किस प्रकार लाभांवित हुई हैं ?

उत्तर-भारत में ऋण के औपचारिक श्रोत जैसे बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए ऋणाधार की आवश्यकता पड़ती है। गरीब महिला के पास प्रायः यह नहीं होता। कर्जदार बही-खाते में गड़बड़ी कर वे उनका शोषण करते हैं। महिलाएँ स्वयं सहायता समूह में अपने आपको संगठित कर लेती है। अपनी बचत-क्षमता का उपयोग कर वे एक पूँजी खड़ा कर लेती हैं। इस पूँजी का उपयोग सदस्यों के छोटे ऋण की जरूरतों के लिए किया जाता है। कुछ वर्षों के क्रिया-कलाप के बाद वे पश्चात स्वयं सहायता समूह बैंक के साथ संबद्ध हो जाते हैं। बैंक उन्हें बिना ऋणाधार के उचित ब्याज-दर पर ऋण उपलब्ध कराता है। इसका उपयोग महिलाएँ स्वरोजगार के अवसर पैदा करने के लिए करती है। महिलाएँ हथकरघा, सिलाई मशीन, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण आदि में संलग्न हो जाती हैं। इससे वे आत्मनिर्भर बनती है। और उन्हें अपनी क्षमता का उपयोग कर आर्थिक क्षेत्र में योगदान देने का अवसर प्राप्त होता है। स्वयं सहायता समूह की नियमित बैठक में महिलाएँ स्वास्थ्य, पोषण, घरेलू हिंसा आदि विषयों पर चर्चा करती हैं, जिससे उसकी जागरूकता बढ़ती है। ऐसे सृजनात्मक कार्य में भागीदारी से उनका आत्म सम्मान और गौरव भी बढ़ता है। यह महिला सशक्तिकरण की ओर उठाया गया महत्त्वपूर्ण कदम है।

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