सॉफ्टवेयर से आप क्या समझते हैं? देश के आर्थिक विकास में कैसे सॉफ्टवेयर उद्योग रीढ़ की हड्डी के समान है, समझाएं। कम्प्यूटर की भाषाओं के विकास पर अपना मत स्पष्ट करें तथा समझाएं कि हमारे देश का इस क्षेत्र में क्या योगदान है ?
सॉफ्टवेयर से आप क्या समझते हैं? देश के आर्थिक विकास में कैसे सॉफ्टवेयर उद्योग रीढ़ की हड्डी के समान है, समझाएं। कम्प्यूटर की भाषाओं के विकास पर अपना मत स्पष्ट करें तथा समझाएं कि हमारे देश का इस क्षेत्र में क्या योगदान है ?
अथवा
सॉफ्ट वेयर का वर्णन करते हुए देश के आर्थिक विकास में सॉफ्टवेयर उद्योग के योगदान की चर्चा करें। कंप्यूटर की भाषाओं का उल्लेख करते हुए स्पष्ट करें कि हमारे देश का इस क्षेत्र में क्या योगदान है।
उत्तर – सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग भाषा द्वारा लिखे गये निर्देशों की श्रृंखला है, जिसके अनुसार दिए गये डेटा का प्रोसेस होता है। बिना सॉफ्टवेयर के कम्प्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर सकता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है। सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर भी कार्य करता है। इसे प्रोग्राम भी कहते हैं। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संचार स्थापित करने को इंटरफेस कहते हैं। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विभिन्न तरह के होते हैं। सामान्यतः इसे तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है –
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software): यह कम्प्यूटर हार्डवेयर को नियंत्रित करता है जिससे कि अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर अच्छी तरह से चल सके। इसके उदाहरण हैं- ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर, विंडोज सिस्टम आदि।
2. अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software): यह यूजर को एक या एक से अधिक कोई विशेष कार्य पूरा करने की अनुमति देता है। उच्च स्तर की कम्प्यूटर भाषाओं का उपयोग कर अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैं। सॉफ्टवेयर प्रोग्राम अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हुए लिखा जाता है, अत: यूजर आसानी से कम्प्यूटर का उपयोग कर सकता है। जैसे- वर्ड प्रोसेसर, व्यापार सॉफ्टवेयर और चिकित्सा सॉफ्टवेयर आदि ।
3. प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर (Programming Software): यह आमतौर पर कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने में एक प्रोग्रामर की सहायता करने के लिए उपकरण प्रदान करता है, जैसे – पाठ संपादक, कम्पाइलर, डि-बगर, इन्टरप्रेटर आदि।
• देश के आर्थिक विकास में सॉफ्टवेयर उद्योग का महत्व
सॉफ्टवेयर उद्योग के क्षेत्र में पिछले दशक में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। इसने पूरी दुनिया में प्रतिष्ठा हासिल की और विश्वसनीय एवं लागत प्रभावी सेवाएं प्रदान करने में प्रसिद्धि पाई है। विश्व में आज भारत आउटसोर्सिग गंतव्य के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। प्रमुख विकसित बाजार स्पष्ट लाभ हासिल करने और अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने के लिए भारत से सूचना प्रौद्योगिकी / / सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाएं (आईटी/आईटीईएस) आउटसोर्स कर रहे हैं।
भारतीय आईटी कंपनियों ने विश्व भर में 600 से अधिक वितरण केंद्रों की स्थापना की है और 78 देशों के 200 से अधिक शहरों में उपस्थिति के साथ सेवाएं प्रदान करने में लगी हुई हैं। राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात के रूप में, इस क्षेत्र का राजस्व वित्त वर्ष 1997-98 के 1.2 फीसदी के मुकाबले वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर करीब 9 प्रतिशत हो गया है। साल 2012 के 52 फीसदी की तुलना में साल 2018 में करीब 55 फीसदी हिस्सेदारी के साथ भारत वैश्विक सोर्सिंग बाजार की अगुवाई करना जारी रखे हुए है।
भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग भारत के आर्थिक विकास के सबसे गतिशील क्षेत्रों में से एक उद्योग के तौर पर उभरकर सामने आया है और विश्व में भारत को ‘परमशक्ति’ (सॉफ्ट पावर) के रूप में मान्यता दिलवाने के लिए जिम्मेदार है। भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के अलावा, आईटी-आईटीईएस उद्योग ने विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पैमानों जैसे रोजगार, रहन-सहन के मानक और विविधता, में अपने लोगों के जीवन को सक्रिए, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष योगदान के जरिए प्रभावित किया है।
सूचना प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय नीति, 2012 का उद्देश्य 2020 तक सॉफ्टवेयर उद्योग का राजस्व यूएस डॉलर 300 बिलियन तक बढ़ाना है। नीति के अंतर्गत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की पूर्ण शक्ति को संपूर्ण भारत की पहुंच में लाने और 2020 तक आईटी तथा बीपीएम सेवाओं के लिए वैश्विक स्तर पर भारत को एक उभरते हुए स्थान के रूप में समर्थ बनाने के लिए देश की क्षमता और मानव संसाधनों का लाभ उठाने संबंधी दोहरे लक्ष्य प्राप्त करने की बात कही गई है।
• कंप्यूटर की भाषाओं का विकास
प्रोग्रामिंक भाषा कंप्यूटर को निर्देश देने तथा इच्छानुसार कार्य करवाने का एक माध्यम है। यह एक कृत्रिम भाषा है जिससे कंप्यूटर को एक निश्चित क्रमानुसार चलाने या काम करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। कुछ निश्चित संकेतों या नियमों का एक सेट है, जिसके द्वारा मानव कंप्यूटर द्वारा निष्पादित किये जाने वाले अनुदेशों को संप्रेषित कर सकता है। मुख्यतः प्रोग्रामिंग भाषा दो प्रकार के होते हैं।
1. निम्नस्तरीय भाषा (Low level Language)
2. उच्चस्तरीय भाषा (High level language
1. मशीन भाषा (Machine Language) : यह कंप्यूटर की आधारभूत भाषा है । यह केवल 0 से 1 दो अंकों के प्रयोग से निर्मित शृंखला अर्थात बाइनरी कोड से लिखी जाती है। यह एकमात्र कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा है जो कि कंप्यूटर द्वारा सीधे-सीधे समझी जाती है। इसे किसी अनुवादक प्रोग्राम की आवश्यकता नहीं करनी होती है। इसे कंप्यूटर का मशीन संकेत भी कहते हैं। प्रोग्रामिंग के शुरूआत के समय प्रोग्राम इसके प्रयोग से लिखे जाते थे।
मशीनी भाषा में प्रत्येक निर्देश के दो भाग होते हैं पहला ऑपरेशन कोड या ऑपकोड और दूसरा लोकेशन कोड या ऑपरेण्ड। ऑपकोड कंप्यूटर को यह बताता है कि क्या करना है और ऑपरेण्ड यह बताता है कि ऑकड़ें कहाँ से प्राप्त करना है, कहां संग्रहित करना है।
मरीन भाषा में प्रोग्राम लिखना एक मुश्किल कार्य है। इस भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए प्रोग्रामर को मशीन निर्देशों या अनेकों संकेत संख्या के रूप में याद करना पड़ता है। इसमें गलती होने की संभावना अत्यधिक है तथा यह अत्यधिक समय लगने वाला कार्य है।
2. असेम्बली भाषा (Assembly Language) : मशीन भाषा में प्रोग्राम लिखने में आनेवाली कठिनाईयों को दूर करने के लिए एक अन्य असेम्बली भाषा का निर्माण किया गया। इसमें बाइनरी कोड (0 या 1) का इस्तेमाल न कर अक्षर अथवा चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। जिसे सिम्बॉल भाषा कहते हैं ।
इसमें न्यूमोनिक कोड का प्रयोग किया गया जिन्हें याद रखना आसान है। जैसे LDA (load), TRAN (Translation), ADD (adding) तथा SUB (Subtraction) के लिए इत्यादि । इनमें से प्रत्येक के लिए एक मशीन कोड भी निर्धारित किया गया, पर असेम्बली कोड से मशीन कोड या ऑब्जेक्ट कोड में परिवर्तन का काम एक प्रोग्राम के द्वारा किया जाता है जिसे असेम्बली कहा गया।
अतः असेम्बली भाषा में प्रोग्राम लिखना अपेक्षाकृत अधिक सरल तथा समय की बचत करने वाला है। इसमें गलतियों को सरलता से ढूंढ़ा जा सकता है।
3. उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language ) : उच्च स्तरीय भाषा कंप्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा है जिसमें अंग्रेजी अक्षरों, संख्याओं एवं चिन्हों का प्रयोग कर प्रोग्राम लिखा जाता है। यह मशीन पर निर्भर नहीं है। इन प्रोग्रामिंग भाषाओं को कार्यानुसार चार वर्गो में विभाजित किया गया है
(i) वैज्ञानिक प्रोग्रामिंग भाषाएं (Scientific Programming Languages): इनका प्रयोग मुख्यतः वैज्ञानिक कार्यो के लिए होता है जैसे- अल्गोल, बेसिक, फोरट्रॉन, पास्कल आदि ।
(ii) व्यावसासिक प्रोग्रामिंग भाषाएं ( Commercial Programming Languages): व्यापार संबंधित कार्यो जैसेबही खाता, रोजानामचा, स्टॉक आदि का लेखा-जोखा आदि के लिए इनका उपयोग किया जाता है। जैसे PL-1कोबोल, डीबेय आदि ।
(iii) विशेष उद्देश्य प्रोग्रामिंग भाषाएं (Special Purpose Programming Languages): ये भाषायें विभिन्न कार्यो को विशेष क्षमता के साथ करने के लिए प्रयोग की जाती है जैसे – AP360, लोगो आदि ।
(iv) बहुउद्देशीय प्रोग्रामिंग भाषाएं (Multipurpose Programming Languages): जो भाषायें समान रूप से विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने की क्षमता रखती है, उन्हें बहुउद्देशीय भाषाएं कहते हैं। जैसे- बेसिक, पास्कल, PL1 आदि।
> सॉफ्टवेयर की परिभाषा एवं स्पष्टीकरण
> देश के आर्थिक विकास के क्षेत्र में सॉफ्टवेयर उद्योग का योगदान
> कंप्यूटर की भाषाओं का विकास
> इस क्षेत्र में भारत का योगदान
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