12वें ब्रिक्स सम्मेलन के प्रमुख उभरते मुद्दों वैश्विक स्थिरता के लिए साझेदारी, साझा सुरक्षा और विकास के लिए अभिनव वृद्धि का वर्णन कीजिए ।
12वें ब्रिक्स सम्मेलन के प्रमुख उभरते मुद्दों वैश्विक स्थिरता के लिए साझेदारी, साझा सुरक्षा और विकास के लिए अभिनव वृद्धि का वर्णन कीजिए ।
अथवा
‘ब्रिक्स शिखर सम्मेलन’ क्या है, संक्षेप में एक परिचय दें।
अथवा
व्यापारिक एवं सामरिक दृष्टि से इसमें शामिल देशों के लिए इसकी उपयोगिता को रेखांकित करें।
अथवा
इसके मुख्य विषय-“वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा और नवाचारी वृद्धि” में शामिल किए गए विषयों का उल्लेख करें।
अथवा
आतंकवाद – रोधी रणनीतिक साझेदारी के मुख्य विन्दुओं को उद्द्घाटित करें।
उत्तर- ब्रिक्स शिखर सम्मेलन – ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन, साउथ अफ्रीका से मिलकर BRICS बना है। पहले इसमें साउथ अफ्रीका शामिल नहीं था तो इसे ब्रिक ( BRIC) ही कहा जाता था। लेकिन 2010 में चीन ने उसे इस ग्रुप में शामिल होने का निमंत्रण भेजा था। उसके शामिल होने के बाद यह ब्रिक्स हो गया। इसकी पहली बैठक 2009 में हुई थी और तब से यह हर साल सदस्य देशों में आयोजित होता रहा है ।
12वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (12th BRICS Summit) 21-23 जुलाई के बीच होना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण टल गया और यह 17 नवंबर, 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए रूस की मेजबानी में आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने भी भागीदारी की। इसका अगला ब्रिक्स सम्मेलन भारत में होगा, हालांकि कोरोना के कारण तारीखों का एलान होना बाकी है।
इस वर्ष ब्रिक्स सम्मेलन का विषय था: “वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा और नवाचारी वृद्धि” (Global Stability, Shared Security and Innovative Growth) । यह शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ की पृष्ठभूमि में और COVID-19 महामारी के बीच आयोजित किया गया। इसमें भारत के प्रधानमंत्री द्वारा COVID-19 के लिए वैक्सीन के उत्पादन में ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया। भारत ने स्पुतनिक- वी (Sputnik-V) वैक्सीन के परीक्षण के लिए रूस के साथ समझौता किया। भारत ने दक्षिण एशियाई देशों में टीके की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु नेतृत्त्व करने का आश्वासन भी दिया। पोस्ट COVID-19 के संदर्भ में ब्रिक्स देश महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। दुनिया की 42 फीसदी आबादी ब्रिक्स देशों में रहती है, अतः यह संगठन वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रमुख इंजन हैं। ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है, जो देशों को वैश्विक स्लोडाउन से उबरने में मदद कर सकता है।
प्रमुख मुद्देः – आतंकवाद – रोधी रणनीति का यह मसौदा ब्रिक्स देशों के बुनियादी पहलुओं जैसे- आंतरिक मामलों में संप्रभुता और गैर-हस्तक्षेप का सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का अनुपालन तथा सुरक्षा मामलों में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका की मान्यता आदि को प्रतिबिंबित करता है।
ब्रिक्स आतंकवाद – रोधी रणनीति
> शिखर सम्मेलन के दौरान ‘ब्रिक्स आतंकवाद – रोधी रणनीति’ पर सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए।
> ब्रिक्स समूह के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों द्वारा इस रणनीति के कार्यान्वयन की समीक्षा की जाएगी, जबकि इसके कार्यान्वयन का दायित्व ब्रिक्स ‘आतंकवाद निरोधी कार्य समूह’ को सौंपा गया।
उद्देश्यः – सभी देशों द्वारा आतंकवादी ठिकानों या आतंकी गतिविधियों के प्रसार में अपने क्षेत्रों के उपयोग को रोकने के लिए उचित कदम उठाया जाए।
> सदस्य देशों की सुरक्षा और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच व्यावहारिक सहयोग (विशेषकर सूचनाओं के साझाकरण पर) को बेहतर बनाना ताकि आतंकवाद को रोकने और मुकाबला करने में मदद मिल सके।
> आतंकवाद को रोकने के लिये इससे संबंधित समूहों, संस्थाओं और संबद्ध व्यक्तियों को प्रोत्साहन देने वाले वित्तीय और भौतिक संसाधनों की उपलब्धता को रोका जाए।
> ‘आतंकवाद के भौगोलिक विस्तार’ को रोकने के लिए प्रयास शुरू किए जाएंगे तथा दो देशों के बीच संघर्षरत क्षेत्रों से आतंकवादियों द्वारा किसी तीसरे देश में की जाने वाली यात्रा से उत्पन्न खतरों से भी सचेत किया जाएगा।
> सदस्य देशों के घरेलू कानूनों के अनुरूप आपसी कानूनी सहायता और प्रत्यर्पण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाएगा।
> आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली ‘चरमपंथी सूचनाओं’ की उपलब्धता को साझा किया जाएगा ताकि इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग आतंकी समूहों द्वारा कट्टरपंथ के प्रचार के लिए नहीं किया जा सके।
निष्कर्षः – आतंकवाद भारत के लिए एक बड़ा खतरा है और सम्मेलन के दौरान अपनाई जाने वाली ‘ब्रिक्स आतंकवाद-विरोधी रणनीति’ आतंकवाद से मुकाबला करने में काफी मददगार साबित हो सकती है। यह भारत के लिए सामरिक दृष्टि से भी काफी कारगर साबित हो सकता है।
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