Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 1 मानव बनो Solutions | Bseb class 9Th Chapter 1 मानव बनो Notes

Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 1 मानव बनो Solutions | Bseb class 9Th Chapter 1 मानव बनो Notes

प्रश्न- ‘मानव बनो’ शीर्षक कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर— शिव मंगल सिंह ‘सुमन’
प्रश्न- मानव बनने के लिए हमें कौन-कौन से कार्य करने चाहिए ?
उत्तर— मानव बनने के लिए हमें न तो किसी के समक्ष अपनी पीड़ा या दुर्बलता प्रकट करनी चाहिए और न ही किसी के आगे हाथ फैलाना या कुछ माँगना चाहिए। हमें स्वभिमानपूर्ण आचरण से संसार में भूचाल (परिवर्तन) लाने का प्रयास करना चाहिए।
प्रश्न- कवि के अनुसार व्यक्ति की सबसे बड़ी भूल क्या है ?
उत्तर— कवि के अनुसार व्यक्ति की सबसे बड़ी भूल किसी पर निर्भर होना है। व्यक्ति को आत्मनिर्भर होना चाहिए, क्योंकि परमुखापेक्षी व्यक्ति को सदा अपमानित जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
प्रश्न- मानव बनने की बात, जो कवि द्वारा बताई गई है, इसके अतिरिक्त आप मानव में और कौन-कौन-सा गुण देखना चाहेंगे ?
उत्तर— मानव बनने की बात, जो कवि द्वारा बताई गई है, इसके अतिरिक्त मैं मानव को कष्टसहिष्णु, परोपकारी, कर्मठ, ईमानदारी आदि गुणों से सम्पन्न देखना चाहूँगा।
प्रश्न- अगर कोई समस्या आपके सामने आती है, तो इस समस्या का समाधान आप कैसे करते हैं? उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर— यदि कोई समस्या मेरे सामने आती है, तो उस समस्या का समाधान मैं धैर्यपूर्वक करता हूँ। जैसी समस्या होती है, उसी के अनुरूप समाधान का उपाय करेंगे। माना कि मेरे घर का चापाकल खराब हो गया है और उसे बनवाने में दो-तीन दिन लग जाएँगे। ऐसी हालत में मैं निकटतम कुएँ से घर के लिए पानी ला दूँगा। इतना पानी ला दूँगा कि घर की महिलाएँ नहा-धो भी ले और कपड़ा भी फींच लें। बर्तन साफ करने और भोजन बनाने में भी उन्हें कोई कठिनाई न हो, इतना पानी ला दूँगा। यह काम मैं विद्यालय जाने के पहले और विद्यालय से लौटने के बाद करूँगा। इस बीच चापाकल बनवाने का भी प्रयास करता रहूँगा।
प्रश्न- ‘मानव होने का अर्थ है अपने जीवन पर खुद अधिकार।’ इस विचार का तर्कपूर्ण समीक्षा कीजिए ।
उत्तर— कवि का कथन बिल्कुल सत्य है, क्योंकि वही व्यक्ति संसार में मान्यवर होता है या महान पद पर आसीन होता है जो स्वाभिमानी होता है। ऐसा व्यक्ति कर्मठ, ईमानदार, कष्टसहिष्णु, संयमी तथा नम्र होता है। ऐसे व्यक्ति की आश्यकताएँ सीमित होती है। वह फिजूलखर्च नहीं होता, जिस कारण इन्हें किसी के समक्ष हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होती है। वह पूर्ण आत्मनिर्भर एवं मानवीय गुणों से पूर्ण होता है।
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