Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 12 जन्म-बाधा Solutions | Bseb class 9Th Chapter 12 जन्म-बाधा Notes

Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 12 जन्म-बाधा Solutions | Bseb class 9Th Chapter 12 जन्म-बाधा Notes

प्रश्न- गुड्डी अपनी तुलना, बुधुआ मजदूर से क्यों करती हैं ? 
उत्तर— गुड्डी अपनी तुलना, बंधुआ मजदूर से इसलिए करती है क्योंकि जिस प्रकार मजदूर अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकता, उसी प्रकार गुड्डी भी अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकती। बंधुआ मजदूर को हर क्षण अपने मालिक के इशारे पर नाचते रहना पड़ता है, फिर डाँट सुननी पड़ती है, उसी प्रकार का जीवन गुड्डी का भी है। वह दिन भर घर के काम में व्यस्त रहती है फिर भी उसे धीमर कहा जाता है।
प्रश्न- माँ-बाप के लिए चाय बनाकर लाते समय उसके पैरों में फुर्ती आ गयी क्यों ?
उत्तर— माँ-बाप के लिए चाय बनाकर लाते समय उसके पैरों में फुर्ती इसलिए आ गयी क्योंकि गुड्डी ने अपनी उपेक्षा संबंधी पत्र प्रधानमंत्री को भेज दी थी। उसे विश्वास हो गया था कि जैसे ही प्रधानमंत्री हमारा पत्र पढ़ेंगे वैसे ही हमें भी बंधुआ मजदूरों की भाँति परतंत्रता के बंधन से मुक्त करा देंगे। वह भी अन्य बच्चों की भाँति पढ़ने के लिए स्कूल जाएगी तथा घरेलू काम से मुक्त हो जाएगी। इसी विश्वास के कारण उसके पैरों में फुर्ती आ गई ।
प्रश्न- “लेकिन क्यों नहीं सुनी जाएगी मेरी बात। हिज्जे गलत हों, पर बात तो सही है।”
(क) ऐसा गुड्डी ने क्यों सोचा ?
(ख) यह वाक्य गुड्डी के व्यक्तिगत की किन विशेषताओं को दर्शाता हैं?
उत्तर— (क) गुड्डी ने ऐसा इसलिए सोचा कि सरकार का काम अन्यायी को दंड देना तथा न्याय की रक्षा करना होता है। उनकों मेरी समस्या पर विचार करना है न कि मेरे हिज्जे की गलती को देखना है।
(ख) इस वाक्य से स्पष्ट होता है कि गुड्डी स्वाभिमानी एवं शोषण का विरोधी है। वह लिंग-भेद को सामाजिक बुराई मानती है। वह अपने अधिकार की प्राप्ति के लिए ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखती है और अपनी समस्याओं से अवगत कराती है।
प्रश्न- “टिकट कहाँ से लाऊँ? बिना टिकट के ही भेज देती हूँ। वे तो समझ ही जाएँगे।”
(क) गुड्डी ने ऐसा क्यों सोचा ?
(ख) यह वाक्य गुड्डी के किस पक्ष को दर्शाता है ?
उत्तर— (क) गुड्डी ने ऐसा इसलिए सोचा कि समाज में लड़की को बोझ माना जाता है। इसी विवशता के कारण अपनी मुक्ति के लिए बिना टिकट का पत्र भेज दिया।
(ख) यह वाक्य गुड्डी की हीनता पक्ष को दर्शाता है। वह लड़की है, इसलिए उसे लड़के जैसी सुविधा प्राप्त नहीं है। उसे विवशतापूर्ण जीवन जीने की मजबूरी है।
प्रश्न- इस कहानी का शीर्षक ‘जन्म-बाधा’ है। आपकी दृष्टि में ऐसा शीर्षक क्यों दिया गया है ?
उत्तर— इस कहानी का शीर्षक ‘जन्म-बाधा’ इसलिए दिया गया है, क्योंकि लड़की होने के कारण गुड्डी जबकि बबलू, गुड्डू तथा मन्नू तीनों भाई पढ़ते-लिखते हैं, इन पर परिवार की कोई जिम्मेदारी नहीं है, परन्तु गुड्डी के लिय परिवार का हर काम करना आवश्यक है। यदि उसका जन्म लड़की में न होकर लड़का में होता तो वह भी स्कूल जाती और घर की जिम्मेदारी से बेखबर रहती। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस कहानी का शीर्षक: ‘जन्म – बाधा’ दिया गया।
प्रश्न- किन-किन बातों से पता चलाता है कि गुड्डी अपनी मुक्ति के लिए दृढ़संकल्प थी ?
उत्तर— गुड्डी अपनी मुक्ति के लिए दृढ़संकल्प थी, इसका पता इन बातों से चलता है कि बबलू द्वारा फेकी गई लीड की शिकायत पापा से नहीं करती है। पापा के झोले से लिफाफा एवं कागज निकाल लेती है। पत्र लिखने के लिए मौके की तलाश में रहती है। माँ तथा छोटकी को सोते जान पत्र लिखना आरंभ करती है। क्या लिखूँ तथा हिज्जे संबंधी गलती पर अपना विचार प्रकट करती है – ” पर बात तो सही है! जो हो, लिख देती हूँ सीधे-सीधे ।” भगवान से प्रार्थना करती है कि मेरा सहारा कोई नहीं है, इसलिए पत्र लिखवा दो भगवान । तथा बिना टिकट पत्र भेज देती है। इससे स्पष्ट है कि वह अपनी मुक्ति के लिए दृढ़ संकल्प थी।
प्रश्न- अपनी मुक्ति के लिए गुड्डी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखती है। इससे इसके माता-पिता परेशानी में पड़ सकते हैं। गुड्डी के इस व्यवहार पर तर्क सहित विचार कीजिए।
उत्तर— गुड्डी प्रधानमंत्री को जिस प्रकार की चिट्ठी लिखती है, निश्चित रूप से उसके माता-पिता परेशानी में पड़ सकत हैं। छोटे बच्चों को स्कूल नहीं भेजकर उनसे काम करवाना कानूनन अपराध है। लेकिन गुड्डी इस बात से अनजान है। उसे तो अपनी मुक्ति प्यारी है और पढ़ने की इच्छा बलवती है। इन बातों के अलावा उसे किसी बात की फिक्र नहीं। अस प्रकार गुड्डी को हम सिकी प्रकार दोषी नहीं मानते।
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