Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 17 सोना (महादेवी वर्मा) Solutions | Bseb class 9Th Chapter 17 सोना (महादेवी वर्मा) Notes

Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 17 सोना (महादेवी वर्मा) Solutions | Bseb class 9Th Chapter 17 सोना (महादेवी वर्मा) Notes

प्रश्न- महादेवी वर्मा को अपना निश्चिय क्यों बदलना पड़ा ? 
उत्तर— महादेवी वर्मा को अपना निश्चय इसलिए बदलना पड़ा, क्योंकि उनके परिचित स्वर्गीय धीरेन्द्रनाथ बसु की पौत्री सुस्मिता ने उन्हें लिखा कि ‘गत वर्ष अपने पड़ोसी से उसे एक हिरन मिला था। सघन जंगल से संबद्ध रहने तथा बड़े होने के कारण उसे घूमने के लिए अधिक विस्तृत जगह की जरूरत है। कृपा करके आप इसे स्वीकार कर लें। मैं आपकी बहुत आभारी रहूँगी। मैं इसे किस ऐसे व्यक्ति को देना नहीं चाहती, जो इसके साथ बुरा व्यवहार करे। आपके यहाँ इसकी भली-भाँति देखभाल हो सकेगी, ऐसा विश्वास हैं।’ इसी प्रेम एवं पशुप्रियता के कारण महादेवी वर्मा को अपना निश्चय बदलना पड़ा।
प्रश्न- सोना के दिनभर के कार्यकलाप को अपनी भाषा मे लिखिए ?
उत्तर— सोना अंधेरा होते ही लेखिका के पलंग के पास जा बैठती और सवेरा होते ही बारह निकल जाती थी। उसका दिनभर का कार्यकलाप निश्चित था। दूध पीकर, चने खाकर वह लेखिका के प्रांगण में चौकड़ी भरती और दस के बाद छात्रावास का निरीक्षण करने चल देती। मेस पहुँचती हीं छात्राए एवं नौकर-चाकर उसके पास दौड़े आते और सभी उसे कुछ-न-कुछ खिलाने को उतावले रहते। जलपान अध्याय के बाद सोना मैदान में पहुँचती। वहाँ घास चरती और लोट-पोट के पश्चात् भोजन के समय लेखिका के समीप खड़ी रहती और फिर छलांग लगाकर उन्हें प्रफुल्लित करती। अक्सर वह फ्लोरा के बच्चों को प्यार करती, उन्हें साथ लेकर घूमती ।
प्रश्न- सोना को फ्लोरा के छोटे बच्चे क्यों अच्छे लगते थे ?
उत्तर— पशु प्रेम का भूखा होता है। सोना फ्लोरा के साथ खेलती थी। जब फ्लोरा ने बच्चों को जन्म दिया तब सोना उसकी खोज विकलता से करने लगी। फ्लोरा को लघु जीवों से घिरा देखकर सोना विस्मय-विमुग्ध हो उठीं। अब वह उन बच्चों के पास जाकर बैठने लगी और पिल्लों के बड़े होने पर उसके साथ घूमने लगी। फ्लोरा के छोटे बच्चे सोना के पीछे-पीछे दौड़ते-फिरते थे। इसीलिए सोना को फ्लोरा के छोटे बच्चें अच्छे लगते थे। क्योंकि इन बच्चों के साथ उसे आनंदोत्सव मनाने में मदद मिलती थी।
प्रश्न- सोना के सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर— लेखिका के यहाँ ‘सोना’ दुधमुँही अवस्था में लाई गई थी, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उसका रूप निखारने लगा। एक साल के बाद उसके पीले-पीले रोएँ, के रंग कुछ गाढ़े हो गए। उनमें से ताँबे जैसी चमक आने लगी। अब वह सचमुच सोना बन गई। उसकी पीठ में भराव आ गया। टाँगे सुडौल हो गई और खुरों में कालेपन की चमक आ गई। गर्दन लचीली हो गई और आँखें में आकर्षण आ गया। कज्जल कोरों के बीच उसकी नीली- चमकीली दृष्टि ऐसी लगती थी, जैसे नीलम के बल्बों से बिजली की चमक आ रही हो। उसकी मासूम दृष्टि अति आकर्षक थी।
प्रश्न- पशु-पक्षियों की सुरक्षा के लिए आप क्या-क्या उपाय करेंगे ?
उत्तर— पशु-पक्षियों की सुरक्षा के लिए मैं लोगों को समझाऊंगा कि वे उनका शिकार न करें। वे बेजुबान जीवन शिकारियों का विरोध करने में सक्षम नहीं है। अतः शिकारी लोग कुछ दयाभाव का प्रदर्शन करें। अगर सम्भव होगा तो ग्राम पंचायत की मदद से गाँव के चारों ओर पानी के गढ़े बनवाऊँगा, ताकि आवारा पशु-पक्षी पानी पी सकें। पक्षियों को खाने के लिए छतपर या इधर-उध र मैदान में सस्ते अनाज के दाने छीट दूँगा और ऐसा बरारबर करूगाँ बहेलियों के जाल को मुखिया जी द्वारा जब्त करवा दूंगा। चीटियों के बास स्थान पर सत्तू – चीनी डालूँगा ओर दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहूँगा ।
प्रश्न- हिरन के तीन-चार दिन के बच्चे को लेखिका के पास न लाया जाता।
उत्तर— हिरण के तीन-चार दिन के बच्चे को यदि लेखिका के पास नहीं लाया जाता तो निश्चय ही वह मर जाता। तब ‘सोना’ की कहानी भी नहीं लिखी जाती।
प्रश्न- हेमंत वसंत ओर फ्लोरा सोना से दोस्ती न करते। 
उत्तर— यदि हेमंत वंसत ओर फ्लोरा सोना से दोस्ती नहीं करते तो सोना उनकी खोज में व्यग्र नहीं होती। तब हो सकता था कि सोना की अकाल मृत्यु नहीं होती।
प्रश्न- लेखिका बद्रीनाथ की यात्रा पर न जाती। 
उत्तर— यदि लेखिका बद्रीनाथ की यात्रा पर न जाती तो सोना की मृत्यु इतनी जल्दी नहीं हो पाती। वह पूरी आय जीकर ही मृत्यु को प्राप्त होती ।
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