Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 2 नचिकेता Solutions | Bseb class 9Th Chapter 2 नचिकेता Notes

Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 2 नचिकेता Solutions | Bseb class 9Th Chapter 2 नचिकेता Notes

प्रश्न- नचिकेता कौन था ?
उत्तर— नचिकेता महर्षि बाजश्रवा का इकलौता पुत्र था।
प्रश्न- नचिकेता क्यों दुःखी हुआ ? उसने अपने पिता से क्या कहा ?
उत्तर— मचिकेता अपने पिता की लोभ-प्रवृति देखकर दुःखी हुआ, कारण कि पिता ने यज्ञ में अपना सर्वस्य दान में देने का निश्चय किया था, लेकिन यज्ञ की अन्तिम घड़ी में कमजोर बूढ़ी तथा दूध न देनेवाली गाएँ ब्राह्मणों को दान में दे रहे थे।
प्रश्न- नचिकेता यमपुरी किस लिए गया ?
उत्तर— पिता की आज्ञापालन करने के लिए नचिकेता यमपुरी गया। वह पिता के यज्ञ की सफलता के उद्देश्य से यमपुरी गया क्योंकि पिता ने उसे मृत्यु को दान में दे दिया था।
प्रश्न- नचिकेता को यमपुरी के मुख्य द्वार पर क्यों रूकना पड़ा ?
उत्तर— मचिकेता को यमपुरी के मुख्य द्वार पर. इसलिए रुकना पड़ा, क्योंकि उस समय यमराज कहीं बाहर गए हुए थे।
प्रश्न- नचिकेता ने पहला वर क्या माँगा ?
उत्तर— नचिकेता ने पहला वर यह माँगा कि पिताजी का उस पर से क्रोध शान्त हो और उन्हें सर्वमेघ यज्ञ का सुफल प्राप्त हो ।
प्रश्न- नचिकेता ने दूसरा और तीसरा वर क्या माँगा ?
उत्तर— नचिकेता ने अपने दूसरे वर में माँगा कि देव ! जिस विद्या से भय उत्पन्न न हो, वह विद्या मुझे प्राप्त हो । तीसरे वर में उसने आत्मा का रहस्य प्रकट करने का आग्रह किया।
प्रश्न- किसने, किससे कहा ? “मृत्यु के मुख में पहुँचकर कोई नहीं लौटा वत्स !”
उत्तर— यह बात महर्षि वाजश्रवा ने अपने पुत्र नचिकेता से तब कहा जब नचिकेता यमराज के पास जाने की अनुमति माँगी ।
प्रश्न- “छोटा मुँह और बड़ी बात करता है। यज्ञ की मुझे चिन्ता होनी चाहिए, तुझे नहीं।”
उत्तर— यह बात वाजश्रवा ने अपने पुत्र नचिकेता से उस समय कही, जब नचिकेता ने कहा- मैं यमराज के पास चला जाऊँगा। पर आप यज्ञशाला की सारी  गाएँ ब्राह्मणों को दान में दे दें ।
प्रश्न- “आप तो यमपुरी जाने की आज्ञा पहले ही दे चुके हैं। अब कुछ कहना मेरे लिए निरर्थक है।”
उत्तर— यह बात नचिकेता ने अपने पिता वाजश्रवा से तब कही, जब वाजश्रवा अपने पुत्र को यमपुरी जाने की आज्ञा देने से इनकार कर रहे थे।
प्रश्न- यज्ञ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर— “यज्ञ से तात्पर्य है हवनादि करना, गरीबों तथा ब्राह्मणों को खिलाना और उन्हें दान देना। यज्ञ आर्यों का एक महान कृत्य रहा है।
प्रश्न- नचिकेता ‘साधु- प्रवृति’ का था। ‘साधु प्रवृत्ति’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर— साधु प्रवृति से तात्पर्य है कि व्यक्ति माया-मोह से परे हो जाय। अपने-पराये में वह कोई भेद न समझे। सारा संसार उसे अपना कुटुम्ब-सा लगे । उसे लोभ लेश मात्र भी नहीं हो।
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