Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 5 वीर कुँवर सिंह Solutions | Bseb class 9Th Chapter 5 वीर कुँवर सिंह Notes
Bihar Board Class 9Th Non – Hindi chapter 5 वीर कुँवर सिंह Solutions | Bseb class 9Th Chapter 5 वीर कुँवर सिंह Notes
प्रश्न- वीर कुँवर सिंह से संबंधित किसी एक प्रसंग का उल्लेख कीजिए जो आपको अविश्वसनीय लगता है।
उत्तर— यह सामान्य धारणा है कि जो काम कोई स्वयं नहीं कर पाता है, यदि वह काम किसी के द्वारा किया जाता है तो वह अविश्वसनीय लगता है। मुझे भी वीर कुँवर सिंह से संबंधित यह प्रसंग अविश्वसनीय लगता है। प्रसंग इस प्रकार है :
‘एक समय की बात है। अंग्रेज फौज बाबू कुँवर सिंह का पीछा करते हुए गंगा नदी के तट पर पहुँच गई। बाबू कुँवर सिंह नाव से गंगा नदी पार कर रहे थे। अचानक अंग्रेजों की एक गोली उनके बाँये हाथ में आ लगी। गोली का जहर पूरे शरीर में नहीं फैले, अत: बिना एक क्षण की देरी किए बाबू कुँवर सिंह ने अपनी तलवार से उस हाथ को काटकर गंगा में बहा दिया।
प्रश्न- वीर कुंवर सिंह के जीवन से जुड़े कुछ घटनाक्रम तिथियों के साथ स्तंभ ‘क’ एवं स्तंभ ‘ख’ में दिए गए हैं, सही-सही उनका मिलान कीजिए।
उत्तर— (i) वीर कुँवर सिंह द्वारा स्वाधीनता की विजय पताका फहराना — 23 अप्रैल, 1858
(ii) दानापुर सैनिक छावनी की सैनिक टुकड़ी द्वारा विद्रोह — 25 जुलाई, 1857
(iii) वीर कुँवर सिंह की मृत्यु — 26 अप्रैल, 1858
(iv) अंग्रेजी फौज द्वारा जगदीशपुर पर अधिकार — 13 अगस्त, 1857
(v) आरा पर विजय — 27 जुलाई, 1857
प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए :-
(क) वीर कुँवर सिंह का जन्म कहाँ हुआ था?
(ख) उनके माता-पिता का नाम क्या था?
(ग) ब्रिटिश झंडे को किस नाम से जानते हैं ?
(घ) वीर कुँवर सिंह ने अपनी रियासत की जिम्मेदारी कब संभाली ?
(ङ) कुँवर सिंह को किस क्षेत्र में ज्यादा रूचि थी ?
उत्तर— (क) वीर कुँवर सिंह का जन्म भोजपुर जिला के जगदीशपुर गाँव में हुआ था।
(ख) इनके पिता का नाम साहबजादा सिंह तथा माता का नाम पंचरतन कुँवर था।
(ग) ब्रिटिश झंडे को ‘यूनियन जैक’ कहते हैं।
(घ) वीर कुँवर सिंह ने अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् 1827 ई० में रियासत की जिम्मेदारी संभाली।
(ङ) कुँवर सिंह को घुड़सवारी, तलवारबाजी तथा कुश्ती लड़ने में विशेष रूचि थी।
प्रश्न- वीर कुँवर सिंह के किस कार्य से आप ज्यादा प्रभावित हैं और क्यों ?
उत्तर— अंग्रेजों के अत्याचार एवं अन्याय के विरूद्ध विद्रोह का शंखनाद करने वाले वीर कुँवर सिंह निश्चय ही पौरुष के प्रतीक थे। उनके इस प्रयास से मैं अति प्रभावित हूँ, क्योंकि 1857 ई० के बाद ही भारतीयों में स्वतंत्रता प्राप्ति की चाह बढ़ी थी। कुँवर सिंह ने अपने साहस तथा बलिदान से यह साबित कर दिया था कि यदि हम संगठित होकर स्वाधीनता प्राप्ति का प्रयास करें तो आसानी से आजादी मिल सकती है।
प्रश्न- 1857 की क्रांति के समय कुँवर सिंह की जगह आप होते तो क्या करते ?
उत्तर— 1857 की क्रांति के समय कुँवर सिंह की जगह यदि मैं होता तो मैं भी वहीं करता जो कुँवर सिंह ने किया। बिना अपने जीवन की परवाह किये मैं भी युद्ध में सम्मिलित हो जाता और अंग्रेज फिरंगियों के नाको चने चबवा देता !
प्रश्न- 23 अप्रैल को बिहारवासी किस रूप में मनाते हैं ?
उत्तर— 23 अप्रैल को बिहारवासी ‘विजय दिवस के रूप में मनाते हैं।
प्रश्न- ‘वीर कुँवर सिंह एक योद्धा ही नहीं बल्कि एक कुशल नेतृत्वकर्ता भी थे।” इस कथन के संबंध में अपना विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर— इसमें कोई दो मत नहीं कि वीर कुँवर सिंह एक योद्धा के साथ-साथ एक कुशल नेतृत्वकर्ता भी थे। इनकी वीरता तो इसी से सिद्ध होती है, जब इन्होने आरा पर अधिकार जमा लिया। इनकी नेतृत्व क्षमता का पता इनके द्वारा रीवा, काल्पी, आजमगढ़, कानपुर, लखनऊ आदि स्थानों की यात्रा की और वहाँ के राजाओं और नवाबों को अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ने के लिए संगठित किया। अनेक स्थानों के सैनिकों ने इनके नेतृत्व में अंग्रेजों से लोहा लिया। ये बाते इनकी नेतृत्वक्षमता को उजागर करती हैं ।
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