Bihar Secondary School Sample Paper Solved | BSEB Class 10th Sample Sets with Answers | Bihar Board class 10th Sample Paper Solved | Bihar Board Class 10th science Sample set – 1
Bihar Secondary School Sample Paper Solved | BSEB Class 10th Sample Sets with Answers | Bihar Board class 10th Sample Paper Solved | Bihar Board Class 10th science Sample set – 1
1. कौन सा लेंस अपसारी लेंस भी कहलाता है ?
(A) अवतल लेंस
(B) उत्तल लेंस
(C) अवतल एवं उत्तल लेंस दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
2. पुतली के साइज को कौन नियंत्रित करता है ?
(A) पक्ष्माभी
(B) परितारिका
(C) नेत्र लेंस
(D) रेटिना ( दृष्टि पटल)
3. दंत विशेषज्ञ किस दर्पण का उपयोग मरीजों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए करते हैं ?
(A) समतल दर्पण
(B) अवतल दर्पण
(C) उत्तल दर्पण
(D) इनमें से सभी
4. शब्दकोष के छोटे अक्षरों को पढ़ने के लिए किस लेंस का उपयोग करना पसंद करेंगे ?
(A) 50cm फोकस दूरी का उत्तल लेंस
(B) 50 cm फोकस दूरी का अवतल लेंस
(C) 5 cm फोकस दूरी का उत्तल लेंस
(D) 5 cm फोकस दूरी का अवतल लेंस
5. लघुपथन (शार्ट सर्किट) के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान
(A) बहुत कम हो जाता है
(B) परिवर्तित नहीं होता है
(C) बहुत अधिक बढ़ जाता है
(D) निरंतर परिवर्तित होता है
6. सौर कूकर के लिए कौन सा दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है ?
(A) समतल दर्पण
(B) उत्तल दर्पण
(C) अवतल दर्पण
(D) इनमें सभी
7. किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र
(A) शून्य होता है
(B) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है
(C) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है
(D) सभी बिन्दुओं पर समान होता है
8. यदि किसी बिम्ब का प्रतिबिंब का आवर्धन ऋणात्मक है तो उस प्रतिबिंब की प्रकृति क्या होगी ?
(A) वास्तविक और उल्टा
(B) वास्तविक और सीधा
(C) आभासी और सीधा
(D) आभासी और उल्टा
9. भारत में उत्पादित प्रत्यावर्ती विद्युत धारा की आवृति है
(A) 50Hz
(B) 60Hz
(C) 70 Hz
(D) 80 Hz
10. एक माइक्रो एम्पीयर विद्युत धारा निम्नलिखित में कौन सी है ?
(A) 10¯4 A
(B) 10¯5 A
(C) 10¯6A
(D) 10¯7A
11. जल विद्युत संयंत्र किस ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है ?
(A) तापीय ऊर्जा
(B) नाभिकीय ऊर्जा
(C) सौर ऊर्जा
(D) स्थितिज ऊर्जा
12. विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक क्या है ?
(A) वॉट
(B) वॉट/घंटा
(C) यूनिट
(D) इनमें से कोई नहीं
13. सामान्य नेत्र के लिए दूर-बिंदु है
(A) 25 मी
(B) 25 सेमी
(C) 25 मिमी
(D) अनंत
14. किस लेंस का उपयोग कर दीर्घदृष्टि दोष को संशोधित किया जा सकता है ?
(A) अवतल लेंस
(B) उत्तल लेंस
(C) कभी अवतल लेंस और कभी उत्तल लेंस
(D) बेलनाकार लेंस
15. किस वर्ण (रंग) का तरंगदैर्घ्य सबसे बड़ा है ?
(A) लाल
(B) नीला
(C) पीला
(D) बैंगनी
16. किस दर्पण का उपयोग सामान्यतः वाहनों का पश्च-दृश्य दर्पणों के रूप में किया जाता है ?
(A) समतल दर्पण
(B) अवतल दर्पण
(C) उत्तल दर्पण
(D) इनमें से कोई नहीं
17. उपचयन वह प्रक्रिया है जिसमें
(A) ऑक्सीजन का योग
(B) हाइड्रोजन का वियोग
(C) इलेक्ट्रॉन का त्याग
(D) सभी
18. सक्रियता श्रेणी में सबसे अधिक क्रियाशील धातु है
(A) Au
(B) Na
(C) Hg
(D) Cu
19. खड़िया का रासायनिक सूत्र क्या है ?
(A) MgCO3
(B) CaO
(C) CaCO3
(D) Ca(HCO3)2
20. निम्नांकित में कौन प्रबल अम्ल है ?
(A) H2SO4
(B) HCI
(C) HNO3
(D) सभी
21. आधुनिक आवर्त सारणी में क्षैतिज कतारों की संख्या होती है
(A) 18
(B) 7
(C) 16
(D) 10
22. निम्नलिखित में से कौन सा बुझा हुआ चूना है ?
(A) CaO
(B) Ca (OH)2
(C) CaCO3
(D) Ca
23. ‘बॉक्साइट’ किस धातु का महत्त्वपूर्ण अयस्क है ?
(A) ताँबा
(B) जस्ता
(C) एल्युमिनियम
(D) लोहा
24. प्रोपेनोन में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह है
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उत्तर- ( C )
25. ऐसेटिक अम्ल का IUPAC नाम है
(A) ऐथेनॉइक अम्ल
(B) मेथेनॉइक अम्ल
(C) प्रोपेनोन
(D) इनमें से कोई नहीं
26. निम्नलिखित में कौन सा आयन लाल लिटमस को नीला विलयन कर सकता है ?
(A) H+
(B) OH–
(C) Cl–
(D) 02–
27, ऑक्सैलिक अम्ल का प्राकृतिक स्रोत निम्नलिखित में कौन है ?
(A) संतरा
(B) टमाटर
(C) सिरका
(D) इमली
28. आधुनिक आवर्त सारणी में कितने उर्ध्व स्तंभ हैं ?
(A) 7
(B) 9
(C) 15
(D) 18
29. जब मैग्नीशियम फीता को जलाया जाता है, तो उत्पन्न आग की लौ होती है
(A) पीली
(B) नीली
(C) चमकीला उजला
(D) लाल
30. लोहा पर जिंक लेपित करने की क्रिया को कहते हैं
(A) विद्युत लेपित करना
(B) संक्षारण
(C) गैल्वनीकरण
(D) विद्युत अपघटन
31. निम्न में कौन सहसंयोजी यौगिक है ?
(A) NaCl
(B) CaCl2
(C) CH4
(D) Na2O
32. निम्न में कौन भस्म नहीं है ?
(A) CaO
(B) NaCl
(C) NaOH
(D) Na2CO3
33. पुष्पी पौधों में लैंगिक जनन होता है ?
(A) पत्तियों द्वारा
(B) फूलों द्वारा
(C) तना द्वारा
(D) इनमें से कोई नहीं
34. निम्न में कौन उत्सर्जी अंग है ?
(A) वृक्क
(B) अग्न्याशय
(C) आँख
(D) इनमें से कोई नहीं
35. शुक्राणु बनता है
(A) वृषण में
(B) मूत्राशय में
(C) गर्भाशय में
(D) अण्डाशय में
36. निम्न में कौन प्राकृतिक संसाधन नहीं है ?
(A) वायु
(B) मृदा
(C) जल
(D) जीवधारी
37. इन्सुलीन की कमी से होता है
(A) घेंघा
(B) बौनापन
(C) मधुमेह
(D) इनमें से कोई नहीं
38. मैग्नीशियम पाया जाता है
(A) क्लोरोफिल
(B) लाल रक्त कण
(C) वर्णीलवक
(D) श्वेत रक्त कण
39. पुष्प का नर जनन अंग होता है
(A) पुंकेसर
(B) अंडप
(C) वर्तिकाग्र
(D) वर्तिका
40. उभयलिंगी जीव है
(A) केंचुआ
(B) मछली
(C) शेर
(D) बकरी
41. पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्रोत है
(A) कोयला
(B) सूर्य
(C) पानी
(D) लकड़ी
42. निम्नलिखित में नर युग्मक कौन है
(A) शुक्राणु
(B) अंडाणु
(C) योनि
(D) अंडाशय
43. जिबरेलिन है
(A) पादप हार्मोन
(B) जंतु हार्मोन
(C) एंजाइम
(D) वसा
44. अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है
(A) अमीबा में
(B) यीस्ट में
(C) प्लाज्मोडियम में
(D) पैरामीशियम में
45. पत्तियों का मुरझाना किस हार्मोन के कारण होता है
(A) ऑक्जिन
(B) जिबरेलिन
(C) साइटोकाइनिन
(D) ABA
46. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को क्या कहते हैं ?
(A) द्रुमिका
(B) सिनेप्स
(C) ऐक्सॉन
(D) आवेग
47. पादप में पलोएम उत्तरदायी है
(A) जल संवहन
(B) भोजन संवहन
(C) ऑक्सीजन संवहन
(D) ऐमीनो अम्ल संवहन
48. अंडाणु निषेचित होता है
(A) योनि
(B) गर्भाशय
(C) फेलोपिन नलिका
(D) अंडाशय
प्रश्न- अवतल दर्पण एवं उत्तल दर्पण में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर– अवतल दर्पण एवं उत्तल दर्पण में निम्नलिखित अंतर है—
अवतल दर्पण | उत्तल दर्पण |
एक प्रकार का गोलीय दर्पण जिसका उभरा हुआ भाग पॉलिश किया हुआ रहता है।
|
एक प्रकार का गोलीय दर्पण जिसका भीतरी भाग पॉलिश किया हुआ रहता है। |
इसमें प्रायः वास्तविक प्रतिबिंब बनता है। |
इसमें हमेशा काल्पनिक एवं छोटा प्रतिबिंब बनता है।
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इसका उपयोग टार्च, गाड़ी के हेडलाइट में परावर्तक के रूप में होता है।
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इसका उपयोग साइड मिरर के रूप में गाड़ी चालक के बगल में होता है।
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प्रश्न- अवतल दर्पण में फोकस दूरी (f) और वक्रता त्रिज्या में क्या संबंध है ?
उत्तर– अवतल दर्पण में फोकस दूरी f तथा वक्रता त्रिज्या r हो तो f = r/2 अर्थात् फोकस दूरी, वक्रता त्रिज्या की आधी होती है।
प्रश्न- ऐमीटर और वोल्टमीटर को विद्युत परिपथ के साथ क्रमशः श्रेणीक्रम एवं समांतरक्रम में क्यों जोड़ा जाता है ?
उत्तर– ऐमीटर का प्रतिरोध बहुत ही कम होता है; अतः इसे श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है, जबकि वोल्टमीटर का प्रतिरोध बहुत ही अधिक होता है; अतः इसे समांतरक्रम में जोड़ा जाता है। परिपथ में ऐमीटर, विद्युत धारा तथा वोल्टमीटर, विभवांतर मापता है।
प्रश्न- जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ है ?
उत्तर– जीवाश्म ईंधन की निम्नलिखित हानियाँ हैं– (i) इसके भंडार सीमित हैं। (ii) इसके प्रयोग से प्रदूषण बहुत अधिक होता है। (iii) इसके बनने की दर बहुत कम है।
प्रश्न- उत्तल लेंस के वक्रता केन्द्र पर रखे बिंब के प्रतिबिंब के लिए एक किरण आरेख खींचे और उस प्रतिबिंब की प्रकृति, आकार (साइज) एवं स्थान को लिखें।
उत्तर– उत्तल लेंस के वक्रता केन्द्र पर रखे बिंब के प्रतिबिंब के लिए एक किरण आरेख —
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प्रश्न- भू-संपर्क तार क्या है? इसका क्या कार्य है ?
उत्तर– भू-संपर्क तार को अर्थ तार भी कहते हैं। भू-संपर्क तार का संपर्क मेन फ्यूज से रहता है। फ्यूज होकर विद्युत उपकरणों तक पहुँचाया जाता है तथा वह वापस फ्यूज तक संपर्कित रहता है। इसका मुख्य कार्य झटका से बचाने का होता है।
प्रश्न- विद्युत धारा क्या है ? विद्युत धारा का SI मात्रक लिखें।
उत्तर– प्रतिरोधकों को परस्पर संयोजित करना प्रतिरोध का संयोजन कहलाता है। यह दो प्रकार से होता है —
(i) श्रेणीक्रम संयोजन—
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(ii) पाश्र्वक्रम संयोजन—
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प्रश्न- हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं ?
उत्तर– उत्तल दर्पणों का उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च-दृश्य (wing ) दर्पणों के रूप में करते हैं। इनमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहनों को देख सकते हैं जिससे वे सुरक्षित रूप से वाहन चला सकें। उत्तल दर्पणों को इसलिए भी प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि ये सदैव सीधा, प्रतिबिंब बनाते हैं लेकिन वह छोटा होता है। इनका दृष्टि क्षेत्र भी बहुत अधिक है क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं। समतल दर्पण की तुलना में उत्तल दर्पण ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाते हैं। इसलिए वे बेहतर हैं ।
प्रश्न- विद्युत शक्ति क्या है ? निगमन करें H = I2Rt जहाँ H, किसी प्रतिरोधक R में विद्युत धारा I द्वारा t समय में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा है।
उत्तर– किसी परिपथ में उपकरणों या प्रतिरोधकों द्वारा उपभुक्त ऊर्जा की दर को विद्युत शक्ति कहते हैं। इसे P द्वारा सूचित किया जाता है। इसका S.I. मात्रक वाट या J s-1 होता है।
मान लिया कि R प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर V है जिसके कारण उसमें I धारा प्रवाहित होती है।
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अतः, V=IR …(i)
यदि Q आवेश t समय में प्रतिरोधक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाता हो, तो आवेश के स्थैतिक ऊर्जा में कमी U = QV.
परंतु, Q = It …(ii)
अतः, U=(It) x (IR)= I2Rt [समीकरण (i) और (ii) से]
आवेश की स्थैतिक ऊर्जा में यह कमी प्रतिरोधक में ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है। अतः, प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा H = I2 Rt.
प्रश्न- दृष्टि दोष क्या है ? ये कितने प्रकार के होते हैं? किसी एक दृष्टि दोष निवारण का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर– दृष्टिदोष : जिन व्यक्तियों के नेत्र में प्रतिबिम्ब रेटिना पर नहीं बनता है, उनके लिए कहा जाता है कि उन्हें दृष्टिदोष है। दृष्टिदोष निम्नलिखित होते हैं —
(i) निकट दृष्टिदोष (ii) दूर-दृष्टिदोष
(iii) अबिंदुकता (iv) जरा-दूरदर्शिता
निकट दृष्टि-दोष (Myopia or short-sightedness): इस दोष में नजदीक की चीजें स्पष्ट परंतु दूर की चीजें धूमिल दिखाई पड़ती हैं। यह दृष्टि-दोष नेत्र गोलक की लंबाई में वृद्धि होने से या नेत्र लेंस की सामान्य फोकस दूरी घट जाने के कारण होता हैं। इस कारण दूर से चली किरणें नेत्र लेंस से आवर्तित होने के पश्चात् रेटिना के पहले ही कट जाती हैं। इससे दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर न बनकर रेटिना के पहले ही बन जाता है।
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इस दोष को दूर करने के लिए नेत्र के दूर-बिंदु के बराबर फोकस दूरी वाला अवतल लेंस का चश्मा का व्यवहार किया जाता है।
प्रश्न- वियोजन अभिक्रिया एवं संयोजन अभिक्रिया के लिए एक-एक समीकरण लिखिए।
उत्तर– वियोजन अभिक्रिया— CaCO3 → CaO + CO2
संयोजन अभिक्रिया— H2 + CI2 → 2HCI
प्रश्न- बेंजीन और साइक्लोहेक्सेन की संरचना खीचें ।
उत्तर– बेंजीन (C6H6) —
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साइक्लोहेक्सेन (C6H12) —
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प्रश्न- मिश्रधातु क्या होते हैं? मिश्र धातु के दो उदाहरण दें।
उत्तर– दो या दो से अधिक धातुओं अथवा धातु एवं अधातु के समांग मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं। दो मिश्र धातुएँ निम्न है —
(i) पीतल– यह ताँबा एवं जस्ता की मिश्रधातु है।
(ii) काँसा– यह ताँबा एवं टिन की मिश्रधातु है।
प्रश्न- धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन-सी निकलती है? एक उदाहरण के साथ समझाएँ।
उत्तर– हाइड्रोजन गैस (H2) निकलती है जब हम धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया करते हैं। जैसे —
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2 (↑)
प्रश्न- एनोडीकरण क्या है ?
उत्तर– किया जाता है ताकि दिए हुए धातु पर जंग ना लग सके। इससे वह (धातु) ज्यादा दिन तक टिकता है।
प्रश्न- ब्रोमोप्रोपेन एवं प्रोपेनोन का संरचना सूत्र लिखें।
उत्तर– ब्रोमोप्रोपेन का संरचना सूत्र— (C3H7Br)
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एवं प्रोपेनोन का संरचना सूत्र— (C3H60)
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प्रश्न- खनिज पदार्थ एवं अयस्कों के बीच दो अन्तरों को लिखें।
उत्तर– खनिज एवं अयस्क में निम्नलिखित अंतर इस प्रकार हैं –
खनिज | अयस्क |
भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्त्वों या यौगिकों को खनिज कहते हैं।
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वे खनिज जिसमें धातुएँ आसानी से तथा कम खर्च में , प्राप्त की जा सकती हैअयस्क कहलाते हैं।
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सभी खनिजों में धातु की मात्रा एक समान नहीं होती है।
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सभी अयस्कों में धातु की प्रतिशत मात्रा पर्याप्त होती है।
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प्रश्न- साबुनीकरण क्या है? यह एस्टरीकरण से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर– एस्टर अम्ल या क्षारक की उपस्थिति में अभिक्रिया करके पुनः कार्बोक्सलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल बनाता है। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं। इस क्रिया का उपयोग साबुन बनाने में किया जाता है।
NaOH
CH3COOC2H5 → CH3COOH + CH5OH
एथिल एनेनाएर एथेनॉइक एथेनॉल
(एस्टर) अम्ल
यह (साबुनीकरण) एस्टीकरण का उल्टा होता है, यही कारण है कि यह एक-दूसरे भिन्न है। अतः हम एस्टीकरण को समीकरण से दिखा सकते हैं, कार्बोक्सलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से एस्टर बनता है। एस्टर बनने की इस क्रिया को एस्टीकरण कहते हैं।
अम्ल
कार्बोक्सलिक अम्ल + परिशुद्ध एल्कोहॉल →
उत्प्रेरक
एस्टर + जल
जैसे- एथेनॉइक अम्ल किसी अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में परिशुद्ध एथेनॉल से अभिक्रिया कर एथिल एथेनोएट (एस्टर) तथा जल बनाते हैं।
अम्ल
CH3COOH + C2H5OH →
एथेनॉइक अम्ल एथेनॉल उत्प्रेरक H2SO4
CH3COOC2H5 + H2O
एथिल एथेनोएट जल
(एस्टर)
प्रश्न- एल्युमिनियम धातु का निष्कर्षण उसके अयस्क से कैसे किया जाता है ?
उत्तर– ऐलुमिनियम का एक प्रमुख अयस्क है— बॉक्साइट। यह मुख्य रूप से एल्युमिनियम ऑक्साइड, आयरन ऑक्साइड तथा कुछ अन्य अशुद्धियों से मिलकर बना होता है ।
बॉक्साइट अयस्क को रासायनिक पृथक्करण विधि द्वारा सांद्रित कर शुद्ध ऐलुमिनियम ऑक्साइड (Al203) प्राप्त किया जाता है। ऐलुमिनियम ऑक्साइड का द्रवणांक उच्च होता है और गलित अवस्था विद्युत का अच्छा चालन नहीं होता है। द्रवणांक को कम करने के लिए और विद्युत का सुचालक बनाने के लिए इसमें क्रायोलाइट और फ्लोरस्पार (CaF2) मिला दिया जाता है। द्रवित मिश्रण का विद्युत अपघटन करने से ऐलुमिनियत धातु कैथोड पर और ऑक्सीजन ऐनोड पर मुक्त होती है।
AI2O3 → 2AI3++ 3O2-
कैथोड पर : 2AI3++ 6e → 2AI (अपचयन)
ऐनोड पर : 302- – 6e → 3 / 2 O2 ( उपचयन )
विद्युत अपघटन
∴ 2AI22O3 ————→ 4 AI + 3O2
मिश्रण में उपस्थित क्रायोलाइट और फ्लोस्पार अपरिवर्तित ऐलुमिनियम आयन (AI3+) कैथोड से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर परमाणु के रूप में मुक्त होते हैं और ऑक्साइड आयन (02-)इलेक्ट्रॉन देकर ऑक्सीजन गैस के रूप में मुक्त होते हैं।
प्रश्न- पित्त रस क्या है? मनुष्य के पाचन में इसका क्या महत्व है ?
उत्तर– पित्त रस यकृत द्वारा स्रावित एक गाढ़ा एवं हल्के हरे रंग का क्षारीय द्रव होता है, जो भोजन के पाचन में अहम भूमिका निभाता है।
(i) पित्त रस अमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बनाता है ताकि उसपर अग्न्याशयी रस के एंजाइम क्रिया कर सके।
(ii) पित्त रस वसा का पायसीकरण करता है अर्थात् पित्त रस का लवण वसा के बड़े-बड़े कणों को विघटित कर उसे छोटे-छोटे कणों में परिवर्तित कर देता है, ऐसे वसा का पायसीकृत वसा कहते हैं।
प्रश्न- वायवीय श्वसन और अवायवीय श्वसन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर– वायवीय (ऑक्सी) श्वसन एवं अवायवीय (अनॉक्सी) श्वसन में अंतर —
वायवीय श्वसन
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अवायवीय श्वसन |
यह श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में संपन्न होता है।
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यह श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में संपन्न होता है।
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यह श्वसन दो चरणों में संपन्न होता है— (a) प्रथम चरण (ग्लाइकोलीसिस) कोशिका द्रव्य में संपन्न होता है। (b) द्वितीय चरण (केब्स चक्र) माइटोकॉण्ड्रिया में संपन्न होता है।
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श्वसन की संपूर्ण प्रक्रिया कोशिकाद्रव्य में संपन्न होती है। इसमें केब्स चक्र की प्रक्रिया नहीं होती है।
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ग्लूकोज का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है।
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ग्लूकोज का आंशिक विखंडन होता है। |
अंतिम उत्पाद के रूप में डाइऑक्साइड एवं कार्बन जल बनते हैं।
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अंतिम उत्पाद के रूप में पौधों में इथेनॉल एवं CO, बनते हैं तथा जंतु कोशिका में लैक्टिक अम्ल बनता है।
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ATP के 38 अणु बनते हैं।
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ATP के मात्र दो अणु बनते हैं। |
प्रश्न- लसीका क्या है? इसके क्या कार्य हैं ?
उत्तर– ऊतक कोशिकाओं के बीच स्थित WBC ससि रक्त प्लाज्मा को लसीका (lymph) कहते हैं। लसीका में RBC नहीं पायी जाती है, इसलिए इसका रंग कुछ पीला होता है।
लसीका के कार्य– (i) लसीका शरीर की पोषण प्रक्रिया में भाग लेता है। यह प्रोटीन के बड़े-बड़े अणुओं को ऊतकों से निकालकर रक्त परिसंचरण में लाता है। यह पोषण प्रक्रिया के लिए पचित वसा को भी ले जाता है। (ii) लसीका, लसीका ग्रंथियों में उपस्थित लसीका कोशिका (लिम्फोसाइट) की सहायता से शरीर ऊतकों से अप्रवाहित रोगाणुओं को मारकर तथा रोग प्रतिकारकों का निर्माण कर शरीर की रक्षा करता है। (iii) यह जल का अस्थायी संचय भी करता है।
प्रश्न- वृक्क क्या है? वृक्क के दो महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर– वृक्क शरीर का प्रमुख उत्सर्जी अंग है।
वृक्क के दो कार्य—
(i) रक्त से अपशिष्ट पदार्थों जैसे अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल आदि को छानकर मूत्र का निर्माण करता है।
(ii) शरीर में जल का संतुलन बनाए रखता है।
प्रश्न- मानव मूत्र के अवयवों की प्रतिशत मात्रा क्या है ?
उत्तर– मानव मूत्र में साधारणतः जल, यूरिया तथा सोडियम क्लोराइड विद्यमान रहते हैं। मनुष्य के 24 घंटे के 80 से 100 ग्राम प्रोटीन आहार में जल 96% तथा ठोस 4% ( जिसमें यूरिया 2% तथा अन्य पदार्थ 2% होता है) यूरिया की सामान्य मात्रा 100 mg माना जाता है। 1.5 से 2 ग्राम यूरिक अम्ल प्रतिदिन मूत्र के साथ उत्सर्जित होता है। मूत्र का पीला रंग इसमें उपस्थिति यूरोक्रोम रंजक की उपस्थिति के कारण होता है।
प्रश्न- प्रतिवर्ती क्रिया क्या है ? प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?
उत्तर– प्रतिवर्ती क्रिया मस्तिष्क के इच्छा के बिना होनेवाली अनैच्छिक क्रिया है। यह स्वायत्त प्रेरक का प्रयुत्तर है। यह बहुत स्पष्ट और यांत्रिक प्रकार की होती है। जैसे—खाँसना, छींकना प्रतिवर्ती क्रियाएँ मस्तिष्क के द्वारा परिचालित नहीं होती, ये मेरुरज्जु के द्वारा नियंत्रित पेशियों की अनैच्छिक क्रियाएँ होती हैं, जो प्रेरक के प्रत्युत्तर में होती है, ये क्रियाएँ यद्यपि मस्तिष्क के इच्छा के बिना होती है पर मस्तिष्क तक इसकी सूचना पहुँचती है जहाँ सोचने-विचारने की प्रक्रिया होती है।
प्रश्न- DNA का विस्तृत नाम लिखें। DNA की प्रतिकृति बनना जनन के लिए आवश्यक है; क्यों ?
उत्तर– DNA का पूरा नाम — Deoxyribose Nucleic Acid है। जनन की प्रक्रिया में वैसी ही समरूप संतान की प्राप्ति की जाती है, जैसे जनक होते हैं । DNA की प्रतिकृति के परिणामस्वरूप ही वंशानुगत गुणों से युक्त संतान प्राप्त होती है। इसलिए DNA की प्रतिकृति बनना जनन के लिए आवश्यक है।
प्रश्न- पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ?
उत्तर– पारितंत्र में अपमार्जक (अपघटक) अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपमार्जक (जीवाणु एवं कवक) मृत जैव अवषेश का अपमार्जन करते हैं। ये मृत पादप एवं जंतु शरीरों का अपने भोजन के लिए उपयोग करते हैं। अपमार्जक जटिल कार्बनिक पदार्थों का अपघटन कर उसे सरल कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर मृदा में प्रतिस्थापित कर देते हैं, जिससे मृदा पोषक तत्त्वों से समृद्ध होकर अपेक्षाकृत अधिक उर्वरा हो जाती है। इस प्रकार अपमार्जक पर्यावरण को स्वच्छ एवं साफ रखते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं।
प्रश्न- मानव में शिशुओं का लिंग निर्धारण किस प्रकार होता है ?
उत्तर– नर युग्मक (2A + XY) विषम युग्मनजी होता है और दो प्रकार के नर युग्मक (शुक्राणु) उत्पन्न करता है— A+ X और A+Y शुक्राणु ।
मादा मनुष्य (2A + XX) समयुग्मनजी होता है और केवल एक प्रकार के मादा युग्मक (अंडाणु) उत्पन्न करता है— A + X अण्डाणु ।
(i) यदि A + X शुक्राणु, मादा युग्मक अण्डाणु (A + X) से निषेचित करता है तो 2A + XX जाइगोट बनता है जो परिवर्द्धित होकर लड़की को जन्म देगी।
(ii) यदि A+Y शुक्राणु, A + X अण्डाणु के साथ निषेचित होता है, तो 2A + XY जाइगोट बनेगा जो परिवर्द्धित होकर लड़का को जन्म देगा।
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प्रश्न- पुष्पी पौधों में निषेचन की प्रक्रिया का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर– परागण की क्रिया द्वारा परागकण स्त्रीकेसर के वार्तिकाग्र तक पहुँचता है। परागकण वर्तिकाग्र द्वारा स्रावित तरल पदार्थ को अवशोषित कर फूल जाता है। परागकण का बाह्यचोल फूल कर फट जाता है और अन्तः चोल अंकुरित होकर बाह्य चोल में अवस्थित जनन छिद्र (germ pore) द्वारा एक नलिका के रूप में बाहर आता है, जिसे परागनली कहते हैं, परागनली वर्तिकाग्र और वर्तिका के ऊतकों को भेदती हुई बीजांड तक पहुँच जाती है। परागनली के शीर्ष पर नलिका केन्द्रक होते हैं जो परागनली को बीजांड तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करते हैं, परागनली में जनन केन्द्रक (n) समसूत्री कोशिका विभाजन द्वारा दो नर युग्मक (n) बनाता है।
बीजांड तक पहुँचने के बाद परागनली बीजांडद्वार (micropyle) द्वारा बीजांड के भीतर भ्रूणकोष (embryosac) तक पहुँच जाता है। परागनली के शीर्ष पर मौजूद नलिका केन्द्र नष्ट हो जाता है जिसे परागनली खुल जाती है। दोनों नर युग्मक भ्रूणकोष के भीतर पहुँच जाते हैं।
एक नरयुग्मक (n) भ्रुणकोष में मौजूद मादा युग्मक अंडकोशिका (n) के साथ निषेचित होता है और जाइगोट बनाता है। इस क्रिया को सिनगेमी (Syngamy) कहते हैं।
जबकि दूसरा नर युग्मक (n) भ्रूणकोष में मौजूद निर्दिष्ट केन्द्रक (2n) के साथ संयुग्मित होकर प्राथमिक भ्रूणकोष केन्द्रक (3n) बनाता है। निषेचन की इस प्रक्रिया को त्रिसंलयन (triple fission) कहते हैं।
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चूँकि दो प्रकार का जनन सिनगेमी और त्रिसंलयन एक साथ एक भ्रूणकोष में संपन्न होता है, इसलिए इसे दोहरा निषेचण (Double fertilization) कहते हैं। निषेचण के पश्चात् अंडाशय फल में तथा बीजांड बीज में परिवर्द्धित होता है।
प्रश्न- दोहरा परिसंचरण किसे कहते हैं? मनुष्य में दोहरे परिसंचरण की प्रक्रिया किस प्रकार होती है? यह क्यों आवश्यक है ?
उत्तर– दोहरा परिसंचरण— एक परिसंचरण पूरा करने के लिए रक्त को हृदय का दो चक्कर लगाना पड़ता है, इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं। दोहरा परिसंचरण निम्नांकित दो चरणों में पूरा होता है—
(i) फुफ्फुसीय (पल्मोनरी) परिसंचरण
(ii) दैहिक (Systemic) परिसंचरण
फुफ्फुसीय परिसंचरण— यह परिसंचरण मानव हृदय के दाहिना निलय से आरंभ होता है, और फेफड़ा होता हुआ बायाँ आलिंद में समाप्त होता है। यह प्रक्रम इस प्रकार होता है।
विऑक्सीजनित रक्त
दायाँ निलय —————→ पल्मोनरी धमनी →
Blood with CO2
ऑक्सीजनित रक्त
→फेफड़ा → शुद्धिकरण —————→
Blood with O2
→पल्मोनरी शिरा → बायाँ आलिंद
दैहिक परिसंचरण— यह परिसंचरण हृदय के बायाँ निलय से आरंभ होता है और शरीर के विभिन्न ऊतकों से होता हुआ हृदय के दायाँ आलिंद में समाप्त होता है।
बायाँ निलय →ऑक्सीजन युक्त रक्त→महाधमनी→धमनी→धमनिका→रक्त कोशिकाएँ → → ऊतक →ग्लूकोज का ऑक्सीकरण रक्त → कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त→रक्त कोशिकाएँ→शिरिकाएँ→शिरा→महाशिरा → दायाँ आलिंद
मानव में दोहरे रक्त परिसंचरण की खोज अंग्रेज वैज्ञानिक विलियम हार्वे ने की।
महत्व — दोहरे परिसंचरण के कारण शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त हो जाती है। उचित ऊर्जा की प्राप्ति होती है, जिससे शरीर का उचित तापमान बना रहता है।
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