झारखण्ड के उद्योग
झारखण्ड के उद्योग
> झारखण्ड अपनी खनिज सम्पदा के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहाँ उद्योग के विकास के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ; जैसे- कच्चा माल, सस्ता श्रमिक, ऊर्जा के साधन, जल की उपलब्धता, परिवहन की सुविधा, पर्याप्त भू-खण्ड आदि उपलब्ध हैं। कुल खनिज सम्पदा का 40% से अधिक झारखण्ड में विद्यमान है। स्वतन्त्रता के बाद देश में औद्योगीकरण की प्रक्रिया तीव्र हुई तथा अन्य राज्यों के साथ-साथ झारखण्ड में भी उद्योग-धन्धों की स्थापना हुई।
> प्रमुख उद्योग
राज्य में प्रमुख उद्योग निम्नलिखित हैं —
> लौह-इस्पात उद्योग
भारत में लौह-इस्पात की 9 बड़ी इकाइयाँ हैं, जिनमें से 2 ( टाटा और बोकारो) इकाइयाँ झारखण्ड राज्य में स्थित हैं। इन इकाइयों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है
> टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी
> यह भारत का प्रथम एवं सबसे बड़ा लौह एवं इस्पात कारखाना है। इसे वर्तमान में टाटा स्टील कम्पनी के नाम से जाना जाता है । यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति से भारत भी अछूता नहीं रहा तथा यहाँ इस क्रान्ति के प्रणेता जमशेदजी टाटा बने, जिन्होंने वर्ष 1907 में पश्चिमी सिंहभूम जिले में स्वर्ण रेखा और खरकई नदी के संगम पर साकची नामक स्थान पर इस कम्पनी की स्थापना की।
> वर्ष 1911 में टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी ने उत्पादन शुरू किया गया।
> स्टील उद्योग स्थापित होने के बाद साकची गाँव एक नगर के रूप में विकसित हुआ तथा इसका नाम जमशेदजी टाटा के नाम पर जमशेदपुर पड़ा । इसे टाटा नगर भी कहा जाने लगा। टिस्को (TISCO) के लिए सभी आवश्यक कच्चे माल जमशेदपुर के आस-पास ही उपलब्ध हैं।
> इस स्टील कम्पनी को लौहा- अयस्क नोवामुण्डी, बादाम पहाड़, गुआ आदि क्षेत्रों से कोयला प्राप्त कराया जाता है। झरिया की खान से चूना पत्थर और डोलोमाइट ओडिशा के सुन्दरगढ़ जिले के पांगपोस खान से मैंगनीज और क्रोमाइट आदि प्राप्त होते हैं ।
> चाईबासा की खान से स्वच्छ जल और बालू स्वर्ण रेखा एवं खरकई नदियों से प्राप्त हो जाते हैं। वर्ष 1948 में जमशेदपुर में टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कम्पनी (TELCO) की स्थापना की गई। टाटा नगर में रेलवे वैगन, मोटरगाड़ी के पूर्जे तथा बॉयलर बनाने के कारखाने स्थापित किए गए हैं ।
> बोकारो स्टील प्लाण्ट
> इस प्लाण्ट की स्थापना वर्ष 1964 में बोकारो जिले के माराफरी नामक स्थान पर की गई तथा इसमें वर्ष 1972 से उत्पादन शुरू हुआ।
> इस प्लाण्ट भारत का चौथा बड़ा लोह-इस्पात कारखाना है। यह संयन्त्र देश का पहला स्वदेशी इस्पात संयन्त्र है।
> यहाँ गार्डर, फिश प्लेट, इस्पात की चादरें, छड़ें, एंगल, पाइप इत्यादि बनाए जाते हैं। यह कारखाना सेल (Steel Authority of India Limited, SAIL) के अन्तर्गत आता है।
> यह बोकारो और झारिया कोयला क्षेत्र के निकट है।
> इस प्लाण्ट में लौह-अयस्क की आपूर्ति क्योंझर की खानों से होती है ।
> यह दामोदर एवं बोकारो नदियों के संगम पर स्थित है।
> एल्युमीनियम उद्योग
> झारखण्ड में रांची एवं पलामू जिले में क्षेत्र में बॉक्साइट के अपार भण्डार संचित हैं।
> रांची तथा लोहरदगा जिले के बगरू पहाड़ी से बॉक्साइट को निकाला जाता है ।
> बॉक्साइट की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इण्डियन एल्युमीनियम कम्पनी लिमिटेड ने वर्ष 1938 में मुरी (रांची जिला) नामक स्थान में एल्युमीनियम उद्योग की स्थापना की।
> इसका नाम अब हिन्डालको (HINDALCO) हो गया है ।
> यह भारत का दूसरा सबसे पुराना एवं सबसे बड़ा कारखाना है, जिसकी उत्पादन क्षमता लगभग 1.60 लाख टन है।
> यह कारखाना विद्युत की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण बॉक्साइट से अन्तिम उत्पाद नहीं बना पाता, बल्कि मध्यवर्ती उत्पाद ही बनाता है तथा इसे अलपुरम एवं अलवाय, बेलूर तथा लेई (मुम्बई) स्थित कारखानों को भेज दिया जाता है।
> झारखण्ड, भारत में तैयार होने वाले कुल एलुमिना का 16% भाग प्रदान करता है।
> ताँबा उद्योग
> भारत में पहली ताँबा उत्पादन खान की स्थापना सिंहभूम के घाटशिला में वर्ष 1924 में की तथा वर्ष 1930 में घाटशिला में ही इण्डियन कॉपर कॉर्पोरेशन कम्पनी ने ताँबा शोधन कारखाना स्थापित किया ।
> राज्य में ताँबे की खानें मुसाबनी एवं बेदिया में हैं, जहाँ से ताँबा अयस्क निकालकर उसे चूरा बनाया जाता है तथा इसे मउभण्डार की भट्टी में भेजा जाता है तथा शुद्ध ताँबा निकाला जाता है।
> घाटशिला के अतिरिक्त राज्य में ताँबा कारखाने—हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड (जादुगोड़ा) तथा इण्डियन केबल कम्पनी लिमिटेड हैं।
> सीमेण्ट उद्योग
> सीमेण्ट का आविष्कार पोर्टलैण्ड सीमेण्ट के in में इंग्लैण्ड के जोसेफ एम्पडेन ने किया था। सीमेण्ट उद्योग के लिए कच्चे माल की उपलब्धता झारखण्ड में प्रचुर मात्रा में है, अतः यहाँ सीमेण्ट के अनेक कारखाने हैं।
> राज्य में सीमेण्ट कारखाने खेलारी (रांची), सिन्दरी (धनबाद), बोकारो, झिंकपानी (पश्चिम सिंहभूम), जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम), कुमारधुबी (धनबाद), जपला (पलामू) में स्थापित किए गए हैं।
> सिन्दरी, बोकारो, झिंकपानी तथा जमशेदपुर के • सीमेण्ट कारखाने से निकलने वाले अवशिष्ट का उपयोग करते हैं, जबकि अन्य सभी चूना-पत्थर का उपयोग करते हैं।
> ए. सी. सी. (ACC) द्वारा खेलारी में खेलारी सीमेण्ट कारखाना स्थापित किया गया है।
> कोयला शोधक उद्योग
> राज्य के दामोदर घाटी क्षेत्र में कोयले के प्रचुर भण्डार के कारण वहाँ कोयला शोधन कारखानों की स्थापना की गई है, जहाँ कोयले से राख, जिप्सम, कैल्साइट, अग्निसह मिट्टी, शैल आदि अलग किए जाते हैं ।
> राज्य में मुख्य कोयला शोधन केन्द्र जामाडोबा, करगली, लोदना, पश्चिमी बोकारो, कर्णपुरा आदि स्थलों पर स्थापित किए गए हैं ।
> करगली कोल वाशरी भारत की सबसे बड़ी कोल
वाशरी है तथा एशिया में प्रमुख स्थान रखती है।
> इंजीनियरिंग उद्योग
> झारखण्ड में भारी इंजीनियरिंग एवं मशीन उद्योग की स्थापना 31 दिसम्बर, 1958 को हैवी इंजीनियरिंग कॉरर्पोरेशन (एच.ई.सी.) नामक कम्पनी के रूप में सोवियत संघ (वर्तमान रूस) तथा चेकोस्लोवाकिया (वर्तमान चेक गणराज्य) के सहयोग से रांची के निकट हरिया में की गई ।
> वर्ष 1963 से उत्पादन का प्रारम्भ हुआ। इस वृहद् औद्योगिक इकाई की तीन शाखाएँ स्थापित की गई हैं, जो निम्न प्रकार हैं
> भारी उद्योग उपकरण संयन्त्र
> रूस की सहायता से स्थापित इस संयन्त्र में 274 प्रकार के कल-पुर्जे बनाए जाते हैं। इसका वार्षिक उत्पादन 10,000 टन है।
> यह लौह इस्पात सम्बन्धी उपकरण क्रेन, एस्कैवेटर आदि उपरकण का निर्माण करता है। बोकारो इस्पात संयन्त्र को यहीं से आवश्यक मशीनें व उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं।
> भारी मशीन निर्माण संयन्त्र
> इसकी स्थापना चेकोस्लोवाकिया की सहायता से की गई थी ।
> इसका वार्षिक उत्पादन 80,000 मिलियन टन भारी मशीनें तथा 25,000 मिलियन टन इस्पात के ढाँचे हैं। यह भारी मशीनों के औजारों का निर्माण करता है।
> फाउण्ड्री फोर्ज संयन्त्र
> इसकी स्थापना चेकोस्लोवाकिया की सहायता से रांची में की गई थी। इसकी उत्पादन क्षमता 1 लाख 40 हजार मिलियन टन है।
> यह ढलाई भट्टी संयन्त्र है। यहाँ भारी मशीन या औजार के निर्माण के लिए लोहा गलाने एवं विशेष आकृतियों में ढालने का काम होता है।
> रासायनिक उद्योग
> रासायनिक उद्योग के अन्तर्गत भारी रसायन, रासायनिक उर्वरक, पेण्ट एवं वार्निश, औषधि एवं दवाइयाँ, पेट्रोकेमिकल्स आदि आते हैं, जो निम्न प्रकार हैं
> कास्टिक सोडा
> यह क्षारीय पदार्थ वस्त्र, कागज, साबुन, रेयन, रसायन एवं तेलशोधन तथा एल्युमीनियम उद्योग में प्रयुक्त होता है।
> यह टाटा केमिकल्स का झारखण्ड में एकमात्र कारखाना है।
> सोडा एश
> यह क्षारीय रसायन सोडियम क्लोराइट एवं चूना पत्थर से बनता है। इसका प्रयोग काँच, कागज, साबुन, वस्त्र, कास्टिक सोडा, फोटोग्राफी के सामान तथा रबड़ उद्योग में किया जाता है।
> जमशेदपुर के टाटा केमिकल्स में इसका उत्पादन किया जाता है ।
> गन्धक का अम्ल
> यह अम्ल अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसका उपयोग कृत्रिम वस्त्र, रासायनिक उर्वरक, रंग-रोगन तथा प्लास्टिक बनाने में किया जाता है।
> राज्य के जमशेदपुर, सिन्दरी तथा घाटशिला में इसका उत्पादन किया जाता है।
> विस्फोटक उद्योग
> राज्य में इस उद्योग की स्थापना ICI द्वारा की गई, जिसे वर्तमान में इण्डियन एक्सप्लोसिइस लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण ब्रिटेन की सहायता से वर्ष 1955 में हुआ था।
> इस उद्योग की स्थापना गोमिया (बोकारो) में की गई ।
> उर्वरक उद्योग
> भारतीय उर्वरक निगम द्वारा झारखण्ड के धनबाद जिले में वर्ष 1951 में सिन्दरी में एक विशाल रासायनिक उर्वरक कारखाने की स्थापना की गई। यह भारत का सबसे बड़ा उर्वरक उद्योग कारखाना है ।
> सिन्दरी का रासायनिक उर्वरक कारखाना देश का पहला सार्वजनिक क्षेत्र का कारखाना है ।
> यहाँ नाइट्रोजन एवं फॉस्फेट उर्वरकों का उत्पादन होता है।
> सिन्दरी का उर्वरक कारखाना दामोदर नदी के तट पर स्थित है, जो पाँच भागों में विभक्त है — पावर प्लाण्ट, अमोनिया प्लाण्ट, गैस प्लाण्ट, सल्फेट प्लाण्ट एवं मोम ओवन प्लाण्ट ।
> काँच उद्योग
> झारखण्ड में काँच उद्योग का विकास मुख्य रूप से रामगढ़ के आस-पास के क्षेत्र में हुआ है।
> भुरकुण्डा में जापान के सहयोग से इण्डो-आंशाई ग्लास फैक्ट्री के नाम से अत्याधुनिक काँच का कारखाना स्थापित किया गया है।
> इस उद्योग में कच्चे माल के रूप में चूना-पत्थर, सोडा एश, बालू सिलिका, एक सीसा, बोरिक एसिड, पोटैशियम कार्बोनेट, सोडियम सल्फेट, सुहागा, शोरा, सुरमा, संखिया, बेरियम ऑक्साइड आदि का प्रयोग किया जाता है।
> कृषि आधारित उद्योग
> कृषि आधारित उद्योग निम्न प्रकार हैं–
> चीनी उद्योग
> भारत का यह प्राचीनतम उद्योग गन्ने पर आधारित उद्योग है।
> झारखण्ड में गन्ने के उत्पादक क्षेत्र – पलामू, हजारीबाग, सन्थाल परगना आदि हैं। चीनी कारखाने भी इन्हीं क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं।
> सूती वस्त्र उद्योग
> इस उद्योग में झारखण्ड का कोई विशेष स्थान नहीं है ।
> राज्य के रांची, गिरिडीह तथा जमशेदपुर में सूती वस्त्र की छोटी-छोटी इकाइयाँ हैं। राज्य की इन इकाइयों में अहमदाबाद तथा कानपुर से सूत प्राप्त होता हैं।
> राज्य में ओरमाँझी गाँव (रांची) में एक सूत का कारखाना है, जबकि छोटानागपुर में रीजनल हैंडलूम वीवर्स सोसायटी इरवा (रांची) में स्थापित की गई है ।
> रेशमी वस्त्र उद्योग
> राज्य में टसर (तसर) और अण्डी रेशम का उत्पादन होता है।
> इस उत्पादन में झारखण्ड का देश में प्रमुख स्थान है। धनबाद, रांची, दुमका, हजारीबाग, पलामू, साहेबगंज आदि टसर रेशम के प्रमुख उत्पादन केन्द्र हैं।
> झारखण्ड के रांची, दुमका, डाल्टेनगंज तथा गिरिडीह में रेशमी वस्त्रों का उत्पादन होता है।
> भगैया (गोड्डा) में टसर को-ऑपरेटिव सोसायटी कार्य करता है तथा रांची के नगड़ी में तसर अनुसन्धान केन्द्र कार्यरत् है।
,> कृत्रिम रेशा वस्त्र उद्योग
> दुमका, रांची, हजारीबाग, साहेबगंज, पलामू तथा धनबाद झारखण्ड के प्रमुख कृत्रिम रेशा वस्त्र उद्योग के केन्द्र हैं ।
> वन आधारित उद्योग
> झारखण्ड में वनों की अच्छी स्थिति होने के कारण यहाँ वन उत्पाद से सम्बन्धित अनेक उद्योगों का विकास हुआ है।
> वन आधारित उद्योग निम्न प्रकार हैं
> कागज एवं लुग्दी उद्योग
> झारखण्ड के वनों से प्राप्त होने वाले सेवई घास, बाँस तथा मुलायम लकड़ी की प्रचुरता से यहाँ कागज एवं लुग्दी उद्योग का विकास हुआ है।
> राज्य में कागज एवं लुग्दी की अधिकतर इकाइयाँ सन्थाल परगना में अवस्थित हैं।
> लकड़ी उद्योग
> राज्य के वनों तथा नेपाल के सीमान्त क्षेत्रों से प्राप्त लकड़ी से यहाँ लकड़ी चीरने के कारखाने, प्लाईवुड बनाने के कारखाने एवं फर्नीचर बनाने के कारखाने स्थापित किए गए हैं ।
> प्लाईवुड के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए राज्य के उद्योगपतियों द्वारा रांची तथा चाकुलिया में प्लाईवुड बनाने के कारखाने स्थापित किए गए हैं ।
> लाह (लाख) उद्योग
> लाह उत्पादन में झारखण्ड का सर्वोच्च स्थान है तथा यहाँ भारत के कुल लाह उत्पादन का 60% उत्पादित होता है। झारखण्ड में लाह उत्पादन में पलामू का पहला, रांची का दूसरा तथा पश्चिमी सिंहभूम का तीसरा स्थान है।
> वर्ष 1925 में रांची के निकट नामकुम में लाह अनुसन्धान संस्थान की स्थापना की गई । राज्य के गढ़वा, डाल्टेनगंज, पाकुड़, रांची, चाईबासा तथा अन्य क्षेत्रों को मिलाकर कुल 83 छोटी-बड़ी इकाइयाँ हैं।
> राज्य में मुख्यतः कच्चा लाह, दाना लाह व चपड़ा का उत्पादन किया जाता है, जिसका निर्यात 90% तक किया जाता है ।
> अन्य उद्योग
> राज्य के अन्य उद्योग निम्न प्रकार हैं —
> तम्बाकू उद्योग
> राज्य में इस उद्योग का विकास मुख्य रूप से बीड़ी उद्योग के रूप में हुआ है। इस उद्योग में तेन्दु के पत्ते का प्रयोग किया जाता है।
> इस उद्योग का विकास मुख्य रूप से सरायकेला, चाईबासा, जमशेदपुर, सन्थाल परगना तथा चक्रधरपुर में हुआ है।
> शराब उद्योग
> झारखण्ड में यह उद्योग गन्ने का रस, चावल तथा महुआ पर आधारित है।
> राज्य के आदिवासियों द्वारा अपने घरों में चावल को सड़ाकर देशी शराब बनाई जाती है, जिसे हड़िया कहते हैं ।
> राज्य में शराब के उद्योग मुख्यतः रांची में केन्द्रित हैं।
> अभ्रक उद्योग
> राज्य में उद्योग का विकास कोडरमा के पठारी भागों में हुआ है।
> इस उद्योग के कारखाने राज्य में गिरिडीह, हजारीबाग तथा कोडरमा में स्थापित हैं।
> विकास केन्द्र व औद्योगिक क्षेत्र
> वर्ष 1974 में सम्पूर्ण बिहार राज्य के अन्तर्गत बोकारो इण्डस्ट्रियल एरिया डेवलपमेण्ट अथॉरिटी के तत्त्वावधान में छः औद्योगिक विकास केन्द्रों की स्थापना की गई थी । इनमें से तीन औद्योगिक विकास केन्द्र झारखण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित हैं, जो निम्न हैं
> बोकारो इण्डस्ट्रियल एरिया डेवलपमेण्ट अथॉरिटी (BIADA)
> बोकारो इण्डस्ट्रियल एरिया डेवलपमेण्ट अथॉरिटी का विस्तार 238 एकड़ में है, जो चार क्षेत्रों में विभक्त है । ये चार क्षेत्र बोकारो, कण्डरा, सिन्दरी एवं गिरिडीह हैं। वर्तमान में 37 इकाई निर्माणाधीन हैं।
> इन औद्योगिक क्षेत्रों का विकास बोकारो स्टील लिमिटेड क्षेत्र के चारों ओर हुआ है।
> आदित्यपुर इण्डस्ट्रियल एरिया डेवलपमेण्ट अथॉरिटी (AIADA)
आदित्यपुर इण्डस्ट्रियल एरिया डेवलपमेण्ट अथॉरिटी का विस्तार लगभग 3,500 एकड़ में है, जो जमशेदपुर इस्पात कारखाना परिक्षेत्र में विकसित हुआ है। यहाँ 12 बड़े उद्योग हैं।
> रांची इण्डस्ट्रियल एरिया डेवलपमेण्ट अथॉरिटी (RIADA)
> रांची इण्डस्ट्रियल एरिया डेवलपमेण्ट अथॉरिटी काफी विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है, क्योंकि यह 16 छोटे-छोटे औद्योगिक क्षेत्रों का संयुक्त औद्योगिक क्षेत्र है ।
> कुल 1,524 एकड़ प्लॉटों के क्षेत्र में रांची औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार है।
> रांची का औद्योगिक क्षेत्र भारी अभियान्त्रिकी निगम को केन्द्र में रखकर ही विकसित किया गया है।
> स्पेशल इकोनोमिक जोन (SEZ)
> विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की संकल्पना औद्योगिक विकास के क्षेत्र में उभरती एक नई परिकल्पना है। सरकार ने कण्डरा एवं चौका (जमशेदपुर क्षेत्र) के बीच इस इकोनॉमिक जोन की स्थापना करने की घोषणा की है। इस इकोनॉमिक जोन के अन्तर्गत इण्डस्ट्रियल पार्क, व्यापारिक पार्क, मनोरंजन केन्द्र, आवासीय क्षेत्र, अपना शक्ति केन्द्र, हवाई अड्डा आदि की व्यवस्था होगी।
>राज्य के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र
> राज्य में मुख्य रूप से चार औद्योगिक केन्द्र में स्थित हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है
> अभ्रक औद्योगिक क्षेत्र
> इस क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा अभ्रक खनन तथा इससे सम्बद्ध उद्योग का विकास हुआ है।
> यह उद्योग विशेष रूप से गिरिडीह, कोडरमा तथा झुमरीतलैया में विकसित हुआ है।
> इन केन्द्रों पर अभ्रक सम्बन्धी कार्य व्यापक पैमाने पर यन्त्रों एवं मानवीय भ्रम द्वारा किए जाते हैं।
> बोकारो – धनबाद औद्योगिक क्षेत्र (दामोदर घाटी औद्योगिक क्षेत्र)
> झारखण्ड की यह सबसे विस्तृत औद्योगिक पट्टी है। इसका विस्तार पूर्व में कुमारधुबी से लेकर पश्चिम में खेलारी तक हुआ है। बोकारो एवं धनबाद इस क्षेत्र के दो औद्योगिक केन्द्र हैं। बोकारो स्टील प्लाण्ट देश का चौथा सबसे बड़ा लौह-इस्पात कारखाना है।
> इस क्षेत्र में चन्द्रपुरा एवं पतरातू में विद्युत गृह, गोमिया में बारूद कारखाना, सिन्दरी खाद एवं सीमेण्ट उद्योग तथा विद्युत गृह अवस्थित हैं। इस क्षेत्र में भोजुडीह, जामाबोदा, गिद्दी, कथारा, स्वांग, पश्चिम बोकारो, कर्णपुरा, लोदना, करगाली, दुग्धा आदि स्थानों पर कोयला साफ करने के कारखाने हैं। 201
> इस पट्टी में स्थित टुण्डू में जस्ता गलाने तथा रामगढ़, भदानीनगर (भुरकुण्डा) तथा अम्बोना में काँच के उद्योग विकसित हैं।
> रांची औद्योगिक क्षेत्र (ऊपरी स्वर्ण रेखा औद्योगिक क्षेत्र)
> रांची औद्योगिक पट्टी को ऊपरी सुवर्ण रेखा घाटी औद्योगिक पट्टी के नाम से भी जाना जाता है। इस पट्टी/ क्षेत्र का विकास मुख्यतः हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन की स्थापना तथा उससे सम्बन्धित उद्योगों के विकास के कारण हुआ।
> झारखण्ड की यह औद्योगिक पट्टी रांची से मुरी तक विस्तृत है। रांची ( हटिया), टाटी सिलबई, मुरी, नामकुम इस पट्टी के प्रमुख औद्योगिक केन्द्र हैं।
> हटिया में भारी मशीन, रातू में श्रीराम बॉल बेयरिंग लिमिटेड, धुर्बा में गार्डेन रीच शिप बिल्डर एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड अवस्थित हैं।
> मुरी में एल्युमीनियम फैक्ट्री, टाटी सिलबई में इलेक्ट्रिक इक्युप्मेण्ट फैक्ट्री, नामकुम में हाईटेंशन इन्सुलेटर फैक्ट्री स्थापित हैं।
> जमशेदपुर औद्योगिक क्षेत्र
(निचली स्वर्ण रेखा घाटी औद्योगिक क्षेत्र)
> इस औद्योगिक पट्टी का विस्तार उत्तर में चाण्डिल डल से लेकर दक्षिण में बहरगोड़ा तक विस्तृत है। जमशेदपुर इस पट्टी का सर्वप्रमुख औद्योगिक केन्द्र है।
> यहाँ टाटा स्टील से सम्बन्धित अनेक उद्योगों की स्थापना की गई है, जिनमें इलेक्ट्रिक केबल, रेलवे वैगन, टिन प्लेट, ट्रक इंजन, कृषि सम्बन्धी यन्त्र आदि के कारखाने प्रमुख हैं।
> इस पट्टी का दूसरा प्रमुख औद्योगिक केन्द्र घाटशिला के पास मउ भण्डार में है, जहाँ भारतीय ताँबा निगम है।
> चाईबासा के पास झिंकपानी में सीमेण्ट उद्योग, काण्डरा में सीसा तथा सेरैमिक उद्योगों की स्थापना की गई है।
> औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण
राज्य में तीन औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण स्थापित किए गए हैं, जो पार्क, सड़क, नाली, जलापूर्ति, भू-अधिग्रहण की जिम्मेदारी सँभालते हैं। इनका विवरण निम्न है
> बोकारो औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण
> रांची औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण
> आदित्यपुर (जमशेदपुर के समीप) औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण ।
> नई औद्योगिक नीति, 2012
> राज्य के सूक्ष्म, लघु और मध्यम औद्योगिक (MSME) इकाइयाँ अपनी प्रगति के साथ रोजगार नए अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में अग्रसर है। इसके कारण नए निवेश एवं विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन का मार्ग सम्भव हो सका।
> राज्य सरकार ने व्यापार को बढ़ावा देने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए धीरे-धीरे यहाँ
अनुकूल माहौल बनाया है।
> मुख्यमन्त्री उद्यमी विकास बोर्ड का भी गठन किया गया है, जिससे लाह, हैडिक्राफ्ट्स एवं दूसरे ग्रामीण कुटीर उद्योगो को सहयोग मिलेगा।
> झारखण्ड में औद्योगिक प्रोत्साहन प्रयास
झारखण्ड में उद्योगों के विकास के लिए सरकार ने निम्न प्रयास किए हैं
> झारखण्ड औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास निगम (जिडको)
> जिडको की स्थापना राज्य के औद्योगिक आधारभूत संरचना के निर्माण को उचित तरीकों से तय करने के लिए किया गया है। यह एक लाभ अर्जित करने वाला लोक उपक्रम है।
> इसकी कुल 50 करोड़ की शेयर पूँजी है। जगदीशपुर – हल्दिया गैस पाइप लाइन की परियोजना का निर्माण गोल एवं जिडको द्वारा संयुक्त रूप में किया जा रहा है। जिडको द्वारा जिला उद्योग केन्द्र में कर्मिकों की कमी को हॉस कीपिंग सपोर्ट द्वारा सहायता प्रदान करेगा।
> औद्योगिक पार्क की स्थापना
> राज्य में औद्योगिक पार्क नीति, 2015 के तहत राज्य के औद्योगिकीकरण में निजी कम्पनियों के भागीदारी हेतु निजी औद्योगिक पार्क तथा PPP मॉडल पर औद्योगिक पार्क की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया गया है । इस नीति के तहत राज्य में आई.टी.आई. एस पार्क, रत्न तथा आभूषण पार्क, जैव प्रौद्योगिकी पार्क, जड़ी-बूटी पार्क, औषधीय एवं रासायनिक पार्क की स्थापना की जाएगी।
> निर्यात प्रोत्साहन
> भू-आविष्ट राज्य होने के कारण झारखण्ड राज्य व्यापारिक दृष्टिकोण से पिछड़ा राज्य है, व्यापारियों को अपने उत्पाद बाजार तक पहुँचाने हेतु संचार सम्बन्धित समस्याओं से जुझना पड़ता है। इसलिए राज्य सरकार के उद्योग विभाग द्वारा रांची में एयर कार्गो, कॉम्पलेक्स की स्थापना की जा रही है ।
> इसके लिए भारतीय विमान पतन प्राधिकरण के साथ समझौता किया गया है तथा राज्य द्वारा निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु झारखण्ड निर्यात नीति, 2015 अधिसूचित की गई है।
> झारखण्ड सिंगल विण्डो क्लीयरेंस एक्ट 2015
> औद्योगिक विकास के प्रोत्साहन के उद्देश्य से विभिन्न अनुज्ञप्तियों, अनुमतियों तथा स्वीकृतियों को त्वरित मंजूरी दी गई है।
> नए विदेशों के लिए सिंगल विण्डों तथा औद्योगिक सरलीकरण हेतु ‘झारखण्ड आधारभूत संरचना विकास निगम (जिडको) को अधिसूचित किया गया ।
> अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए मुख्यमन्त्री की अध्यक्षता में एक ‘गवर्निंग बॉडी’ का गठन किया गया है।
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