अध्ययन से आप क्या समझते हैं ? विद्यार्थी में अध्ययन की उत्तम आदतों को विकसित करने के उपाय भी बताइये।

अध्ययन से आप क्या समझते हैं ? विद्यार्थी में अध्ययन की उत्तम आदतों को विकसित करने के उपाय भी बताइये।

उत्तर— अध्ययन का अर्थ – व्यक्ति जब दूसरों के अनुभवों को शब्दों, निरीक्षण, चिन्तन, मनन द्वारा ग्रहण करता है तथा उनका लाभ उठाता है तो यह प्रक्रिया अध्ययन कहलाती है। व्यक्ति सदा अध्ययनरत रहता है। यह आवश्यक नहीं कि वह केवल शब्दों का अध्ययन करता हो, वह व्यवहार का भी अध्ययन करता है। ज्ञान को ग्रहण करने की प्रक्रिया का नाम अध्ययन है।
परिभाषायें—अध्ययन से सम्बन्धित विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की परिभाषायें निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं—
1. रिक्स के अनुसार, “अध्ययन ज्ञान या ग्रहण-शक्ति को सुरक्षित रखने, योग्यताओं को प्राप्त करने, या समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाने वाला नियोजित प्रयास है। “
2. क्रो व क़ो के अनुसार, अध्ययन का अभिप्राय है- उन तथ्यों, विचारों या विधियों ने दक्षता प्राप्त करने के लिए की जाने वाली खोज, जिनको व्यक्ति अभी तक नहीं जानता है या केवल आंशिक रूप से जानता है। “
अध्ययन की उत्तम आदतों का विकास करने के उपाय छात्रों में अध्ययन की उत्तम आदतों का विकास करने के लिए अनेक उपयोगी उपायों का उल्लेख किया गया है। जो निम्न प्रकार से हो सकते हैं—
(1) योजना की आवश्यकता — प्रत्येक प्रकार के कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए, उसकी योजना होना अत्यन्त आवश्यक है। जो व्यक्ति अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं, वे उन कार्यों को आरम्भ करने से पूर्व उनकी एक सुनिश्चित योजना अवश्य बना लेते हैं ।
(2) स्पष्ट व निश्चित दत्तकार्य – छात्र, चाहे जिस भी आयु का हो, उसको स्वतंत्र रूप से करने के लिए दिया जाने वाला कार्य (दत्तकार्य) स्पष्ट एवं निश्चित होना चाहिए। यदि छात्र, दत्तकार्य के विषय में यह | कहता है, “शिक्षक ने क्या कार्य दिया है ? ” या “मैं इस कार्य से सम्बन्धित सामग्री को कहाँ पा सकता हूँ?” तो इस प्रकार शिक्षक द्वारा दिया गया दत्तकार्य स्पष्ट एवं निश्चित नहीं है।
(3) छात्रों की शारीरिक स्वस्थता – शिक्षा शास्त्रियों की यह मान्यता निर्विवाद है कि छात्रों की शारीरिक स्वस्थता, उनकी अध्ययन की आदतों को प्रभावित करती है। जो छात्र सदैव या बहुधा अस्वस्थ रहते हैं, उनमें अध्ययन की उत्तम आदतों का विकास किया जाना, कोरी कल्पना है।
(4) छात्रों की पढ़ने की योग्यता — किसी पुस्तक के किसी पाठ को केवल उसमें प्रयोग किए जाने वाले शब्दों से परिचित होने के लिए नहीं, अपितु उन शब्दों द्वारा व्यक्त किए जाने वाले विचारों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी पढ़ा जाना चाहिए। यदि छात्र का उद्देश्य केवल नवीन शब्दों की जानकारी प्राप्त करना है, तो यह आवश्यक नहीं है कि उसे उन शब्दों द्वारा प्रकट किए जाने वाले विचारों का भी ज्ञान प्राप्त हो जाये ।
(5) छात्रों की प्रश्नों के उत्तर देने की योग्यता – अध्ययन की उत्तम आदतों का विकास करने के लिए, छज्ञत्रों को स्वयं कुछ प्रश्नों की क्रमबद्ध रूप में रचना करनी चाहिए। इस प्रकार के प्रश्नों की रचना करके और उनके उत्तरों की खोज करके वे अपने को उन महत्त्वपूर्ण विचारों का पुनः स्मरण करने के लिए तैयार करते हैं जिनकी उनको भविष्य में आवश्यकता हो सकती है ।
(6) छात्रों की संक्षेप में लिखने की योग्यता — छात्र जिस विषय का अध्ययन करता है, उसको सुनियोजित करके ही संक्षेप में लिखा जा सकता है। इस कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्र को विशेष प्रयास करना करना पड़ता है। यह प्रयास उसको उस विषय के पूर्ण ज्ञान से सम्पन्न करने की अत्युत्तम विधि है।
(7) छात्रों की आवश्यकताओं व योग्यताओं का ज्ञान — छात्रों में अध्ययन की उत्तम आदतों का विकास करने के लिए, उनकी आवश्यकताओं एवं योग्यताओं का ज्ञान प्राप्त किया जाना आवश्यक है। इस ज्ञान की प्राप्ति के लिए बुद्धि-परीक्षण संतोषजनक सिद्ध हुए है । स्पष्ट है कि श्रेष्ठ बुद्धि के कुछ छात्र, मन्द गति से पढ़ते हैं और इसलिए वे अपने अध्ययन को प्रभावशाली नहीं बना पाते हैं, इसके अतिरिक्त, ऐसी खोजों का भी अभाव नहीं है, जिनसे यह ज्ञात होता है कि पढ़ने की बुरी आदतों का कारण श्रेष्ठ बुद्धि का अभाव है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *