एक्स-रे तथा अल्ट्रासोनोग्राफी स्वास्थ्य को सुधारने में किस तरह से सदुपयोगी होते हैं ?
एक्स-रे तथा अल्ट्रासोनोग्राफी स्वास्थ्य को सुधारने में किस तरह से सदुपयोगी होते हैं ?
( 44वीं BPSC/2002 )
उत्तर – वर्तमान चिकित्सा पद्धति आधुनिक तकनीकी से लैस है। अनेक उपकरणों एवं विधियों के आविष्कार ने इसके प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाया है। एक्स-रे एवं अल्ट्रासोनोग्राफी भी आधुनिक चिकित्सा पद्धति की महत्वपूर्ण खोज है। एक्स-किरणें लघु तरंगदैर्ध्य (Short Wavelength) वाली विद्युत चुंबकीय तरंगें हैं। इनकी खोज 1895 ई. में रान्टजन (जर्मन वैज्ञानिक) द्वारा की गई थी। एक्स-किरणों का तरंगदैर्ध्य 10-10m – 15 m तक होता है तथा विद्युत या चुंबकीय क्षेत्र का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ये अपारदर्शी पदार्थों के आरपार चली जाती हैं। एक्स-किरणों के इन गुणों के कारण इनका उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक रूप से होता है। टूटी हड्डियों के चित्र लेने, फेफड़ों में उत्पन्न विकारों का पता लगाने तथा पेट के अंदर अन्यान्य बीमारियों की जांच करने में इसका प्रयोग किया जाता है। एक्स-किरणों के इन चिकित्सकीय जांच से चिकित्सा क्षेत्र में एक क्रांति आ गई है। इन जांचों के फलस्वरूप डॉक्टर रोगी के अंग- विशेष की वास्तविक स्थिति जान पाने में सक्षम हो पाता है एवं उस अनुसार उपचार करता है। एक्स-किरणों का उपयोग शरीर के आंतरिक भागों के चित्र लेने के अलावा औषधियों के जांच के लिए भी किया जाता है। अप्रत्यक्ष रूप में एक्स-किरणों के चिकित्सा क्षेत्र में और भी कई योगदान हैं।
अल्ट्रासोनोग्राफी (पराश्रव्य-चित्रण) मानव शरीर के चिकित्सकी जांच की एक विधि है जिसकी खोज 1950 में हुई थी। इस तकनीक में 1-15 मेगा हर्ट्ज पराश्रव्य (Ultrasonic) ध्वनि का एक पुंज शरीर के अंदर भेजा जाता है, उसके बाद कुछ ध्वनि तरंगें आंशिक रूप से परावर्तित हो जाती हैं। प्राप्त प्रतिध्वनि को कम्प्यूटर द्वारा चित्र के रूप में देखा जा सकता है। । यह चिकित्सकीय पद्धति कम खर्चीली, सुरक्षित एवं आरामदेह है। इसका प्रयोग गुर्दों के परीक्षण के लिए, हृदय, पित्ताशय, नसों आदि के विकृतियों की जांच के लिए किया जा सकता है। इस तकनीक की सहायता से धड़कते हृदय से रक्त प्रवाह का चित्र लिया जा सकता है। वर्तमान में अल्ट्रासोनोग्राफी का सबसे ज्यादा प्रयोग भ्रूण (embryo) विकास एवं लिंग परीक्षण के लिए किया जा रहा है।
अतः एक्स-रे एवं अल्ट्रासोनोग्राफी आधुनिक व विकसित चिकित्सा प्रणाली की महत्वपूर्ण देन हैं जो मानव स्वास्थ्य को सुधारने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
> एक्स-किरणें लघु तरंगदैर्ध्य वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगे हैं। इनकी खोज 1895 में रान्टजन ने की थी ।
> इनका तरंगदैर्ध्य 10 ¯ ¹⁰ m 158mतक होता है।
> इनका उपयोग हड्डियों, फेफड़ों आदि के चित्र लेने औषधियों के जांच आदि में किया जाता है।
> अल्ट्रासोनोग्राफी (पराश्रव्य-चित्रण) में पराश्रव्य (Ultrasonic) ध्वनि तरंगों का उपयोग करके शरीर के आंतरिक अंगों, जैसे- गुर्दे, हृदय, पित्ताशय, नसों का चित्र, कम्प्यूटर पर प्राप्त किया जाता है। भ्रूण विकास एवं लिंग परीक्षण के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here