मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए ।

मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए । 

उत्तर— मानव विकास की अवस्थाएँ (Stages of Human Development)— विकास जीवन-पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है जिसको विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों में के आधार पर इसके वर्गीकरण में मतभेद हैं, फिर भी सामान्यतः आयु विकास के निम्न चार सोपान हैं—
(i) शैशवावस्था (0-6 वर्ष)
(ii) बाल्यावस्था (6-12 वर्ष), आरम्भिक बाल्यकाल (6-9 वर्ष) और उत्तर बाल्यकाल (9-12 वर्ष )
(iii) किशोरावस्था (12-18 वर्ष) एवं
(iv) प्रौढ़ावस्था (18 वर्ष के पश्चात्) ।
कॉलसेनिक ने व्यक्ति के विकास के निम्नलिखित सोपान बताए हैं—
(i) पूर्व जन्मकाल
(ii) शैशवावस्था (0-4 सप्ताह शैशवावस्था, 1-15 माह आरम्भिक शैशव, 15-30 माह उत्तर शैशव)
(iii) बाल्यावस्था (2.5 से 5 वर्ष पूर्व बाल्यकाल, 5-9 वर्ष मध्य बाल्यकाल  और 9-12 वर्ष उत्तर बाल्यकाल) एवं
(iv) किशोरावस्था (12-21 वर्ष) ।
(1) शैशवावस्था (Infancy)– बालक के जन्म से लेकर प्रारम्भिक (0-6) वर्षों के काल को शैशवावस्था कहा जाता है। शैशवावस्था की आयु के निर्धारण पर अभी भी मनोवैज्ञानिकों में मतभेद पाया जाता है फिर भी इसमें जीवन के पहले 5-6 वर्षों को ही शामिल किया गया है। बालक में विकास की दृष्टि से इस अवधि का बहुत ही अधिक महत्त्व होता है ।
सिग्मंड फ्रॉयड के अनुसार, “यही काल बालक के भावी जीवन की नींव रखता है। “
वेलेन्टाइन के अनुसार, “शैशवावस्था सीखने का आदर्शकाल है। “
एडलर के अनुसार, “बालक के जन्म के कुछ समय बाद ही यह निश्चित किया जा सकता है कि उसका भावी जीवन में क्या स्थान है। “
यह जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण काल होता है क्योंकि यह बालक. के विकास का आधार प्रस्तुत करता है। जीवन के प्रारम्भ में निर्मित प्रतिमान एवं जन्मजात शक्तियाँ सदैव बनी रहती हैं ।
(2) बाल्यावस्था (Childhood) ( 6 से 12 वर्ष तक )– शैशवावस्था एवं किशोरावस्था के मध्य की अवस्था बाल्यावस्था कहलाती है। शैशवावस्था पूर्ण करने के पश्चात् बालक बाल्यावस्था में प्रवेश करता है।
कोल और ब्रुस ने इस अवस्था को जीवन का ‘अनोखा काल’ बताते हुए लिखा है कि “बाल्यावस्था को समझना सबसे कठिन कार्य है। यह अवस्था बालक के व्यक्तित्व निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है । “
रॉस ने बाल्यावस्था को ‘मिथ्या परिपक्वता’ का काल कहा है । बाल्यावस्था वैचारिक क्रिया अवस्था है इसमें बालक अपनी प्रत्येक क्रिया पर विचार करता है।
किल्पैट्रिक ने बाल्यावस्था को प्रतिद्वंद्विता का काल माना है।
(3) किशोरावस्था (Adolescence) (12 से 18 वर्ष तक)– ‘किशोरावस्था’ शब्द का जन्म लैटिन भाषा के ‘एडोलसेन्स’ (Adolescence) शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ है ‘वृद्धि’ या ‘परिपक्वता’। सामान्यतः इस काल की आयु 12 से 18 वर्ष तक मानी गई है, लेकिन यह पूर्ण रूप से लिंग, जलवायु, प्रजाति और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। किशोरावस्था शारीरिक परिपक्वता की अवस्था मानी जाती है। इस अवस्था में हड्डियों में दृढ़ता आती है तथा अत्यधिक भूख का अनुभव होता है। इस अवस्था में बालकों में तीव्र सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक परिवर्तन होते हैं।
स्टेनले हॉल ने किशोरावस्था को तनाव, दबाव और संघर्ष की अवस्था कहा है। उन्होंने आगे लिखा है कि इस काल में व्यक्तित्व का नया जन्म होता है।
कुल्हन ने बताया है कि “किशोरावस्था, बाल्यकाल तथा प्रौढ़ावस्था के मध्य अत्यधिक परिवर्तन का संक्रमण काल है। “
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