कक्षा शिक्षण में भूमिका निर्वहन से आप क्या समझते हैं ?

कक्षा शिक्षण में भूमिका निर्वहन से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर— कक्षा शिक्षण में भूमिका निर्वहन–पात्र अभिनय उस नीति को कहते हैं जिसके द्वारा कक्षा के चार या पाँच विद्यार्थियों अथवा छोटे समूहों को दूसरों के अनुभवों का अनुकरण करवाया जाता है । इस नीति में कक्षा को छोटे-छोटे समूहों में बाँट दिया जाता है और उनसे वास्तविक पात्रों का अनुसरण करने हेतु प्रेरित किया जाता है। यह प्रविधि सामाजिक संबंधों के अन्तर्सम्बन्धों को विकसित करने में सहयोग प्रदान करती है। यह छात्रों को हीन भावना तथा नागरिकता के प्रशिक्षण में अवसर प्रदान करती है। यह एक सहयोगी कार्य हैं जो छात्रों में सहयोग तथा सामाजिक समझदारी विकसित करती है। इनमें अभिप्राययुक्त समन्वय निहित है। इसमें छात्र क्रियाशील रहते हैं। यह बालकों की इन्द्रियों को शिक्षित एवं प्रफुल्लित करती है। इसके द्वारा विषय ग्राह्यता, आत्मविश्वास तथा आत्मविश्लेषण क्षमताओं का विकास होता है। बालक प्रस्तुतीकरण की कला को ही सीख पाता है, क्योंकि बालक को मौखिक एवं अमौखिक अभिव्यक्ति के अवसर प्रदान किये जाते हैं।

स्वरूप–यह एक नाटकीय विधि मानी जाती है। बालक को इसके अभ्यास में पात्र की भूमिका का निर्वाह करना पड़ता है। बालक एक विषय-वस्तु को अभिनय के माध्यम से अपने ही साथियों के समक्ष प्रस्तुत करता है। कार्य की पूर्ति कर शिक्षक उसे पृष्ठपोषण प्रदान करता है।
सिद्धान्त–यह विधि निम्नलिखित सिद्धान्तों पर आधारित है–
(1) बालक स्वयं कार्य करके अधिक सीखता है।
(2) कृत्रिम परिस्थितियों में अभ्यास द्वारा सीखा जा सकता है।
(3) पृष्ठ-पोषण अधिगम में सहायता प्रदान करता है।
(4) सामाजिक कौशलों का विकास मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के उपयोग से किया जाता है।
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