किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए—

किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए— 

(i) कम्प्यूटर की उपयोगिता

(ii) जीवन कौशल शिक्षा
(iii) आदर्श विद्यालय
(iv) यशपाल समिति प्रतिवेदन ( 1993 )
(v) स्माट कक्षा-कक्षा,
उत्तर— (ii) जीवन कौशल शिक्षा—जीवन कौशल शिक्षा एक संरचित कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य सकारात्मक और अनुकूल व्यवहार को बढ़ाना है। सामाजिक कौशलों को विकसित करने, जिससे व्यक्तियों के जोखिम कारकों को कम किया जा सके और सुरक्षा कार्यक्रमों को अधिकतम किया जा सके, इसमें सहायता करता है। जीवन कौशल शिक्षा कार्यक्रम सैद्धान्तिक और प्रमाणिकता पर आधारित, शिक्षार्थी केन्द्रित, निपुण व्यक्तियों द्वारा प्रेषित और उचित रूप से निरन्तर मूल्यांकन जिसमें सुधार के साथ-साथ अपेक्षित परिणामों का दस्तावेज सुनिश्चित होता है।
जीवन कौशल शिक्षा के उद्देश्य–निम्नलिखित हैं—
(1) जीवन-कौशल के महत्त्व को बताना।
(2) जीवन कौशल शिक्षा के महत्त्व को समझना और सराहना।
(3) जीवन कौशल शिक्षा की अवधारणाओं को बताना ।
(4) जीवन कौशलों का कैसे प्रयोग किया जाए उसकी व्याख्या करना ।
जीवन कौशलों को दैनिक जीवन में महत्ता एवं उपयोगिता—
(1) जीवन कौशल किशोर/किशोरियों को जानकारी देने के लिए उपयोगी होते हैं।
(2) (अ) जीवन कौशल शिक्षा से किशोर/किशोरियों के स्वयं ही पहचान बनाने में मदद मिलती है। जीवन में दूसरों के साथ ही तालमेल बनाने के लिए स्वयं को पहचानना आवश्यक है। किशोर / किशोरियों में स्वयं की समझ बनने के साथ ही वे अपनी पसन्द, नापसन्द, राय, सहमति, असहमति आदि को बताना शुरू कर देते हैं।
(ब) स्वयं की पहचान सही होने के बाद ही किशोर/किशोरियाँ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु अपनी क्षमताओं व योग्यताओं की पहचान कर लगातार आगे बढ़ सकते हैं तथा स्वयं, परिवार व समाज के विकास में सकारात्मक व अधिकतम योगदान दे सकते हैं।
(स) जीवन कौशल शिक्षा से किशोर / किशोरियों में पारिवारिक एवं सामाजिक सम्बन्धों को बनाने के कौशलों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं जैसे—बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, बाल श्रम आदि की रोकथाम हेतु आत्मजागृति पैदा हो सकेगी।
(3) (अ) जीवन कौशल शिक्षण से किशोर / किशोरियों में स्वयं की पहचान के साथ व्यक्तित्व निर्माण में स्वयं के योगदान को समझने में मदद मिलती है।
(ब) किशोरियाँ अपने व्यक्तित्व के सही विकास के लिए किशोरावस्था में शारीरिक बदलावों, अपने गुणों एवं अवगुणों की सही-सही पहचान कर सकती हैं तथा अपनी क्षमता के अनुसार अपनी कमजोरियों को दूर भी कर सकती हैं।
(4) जीवन कौशल शिक्षा से किशोर / किशोरियों में आत्म-विश्वास पैदा होता है। किशोर / किशोरियों को समूह दबाव की समस्या से सामना करना पड़ता है। किशोरावस्था में समूह दबाव अधिक होता है, यह सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार का हो सकता है। सकारात्मक दबाव किशोर / किशोरियों के व्यक्तित्व विकास व आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है। एक किशोरी का दूसरी किशोरी पर अपनी वेशभूषा व बाल संवारने के तरीके को सुधारने के लिए दबाव डाल सकती है तथा दूसरों की मजाक बनाने या गुटखा खाने के लिए दबाव डाल सकती है । नकारात्मक समूह दबाव किशोरियों को बुरी आदतों व असामाजिक व्यवहार के लिए प्रेरित करता है। जीवन कौशल शिक्षण के द्वारा किशोरावस्था में सकारात्मक व्यवहार बनाया जा सकता है तथा किशोरियों में आत्मविश्वास पैदा किया जा सकता है। चिन्तन कौशल व सम्प्रेषण कौशल से समूह दबाव से बचा जा सकता है ।
(5) जीवन कौशल शिक्षा के द्वारा किशोरावस्था में प्रभावी सम्प्रेषण व आपसी सम्बन्ध बनाया जा सकता है।
(अ) सम्प्रेषण कौशल किशोरियों में आपसी समझ विकसित करने, विचार प्रकट करने, जिज्ञासा व्यक्त करने, समस्याओं का समाधान प्राप्त करने, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आवश्यक दिशा देने का साधन है। सम्प्रेषण दक्षता से किशोरियाँ माता-पिता, सहेलियों से बातें कर सकती है।
(ब) किशोरावस्था में जैव-रासायनिक परिवर्तनों के कारण गुस्सा आना, चिड़चिड़ा होना एक सामान्य बात है। दूसरी ओर कुछ किशोर/किशोरी अपने रंग, योग्यताओं व क्षमताओं को कम आँकते हैं। इस कारण वे डरे हुये व चिन्ताग्रस्त हो जाते हैं। इन दोनों स्थितियों से किशोर / किशोरियों को बचाने हेतु अपने विचारों भावनाओं को सही ढंग से बताने हेतु ‘सम्प्रेषण कौशल’ आवश्यक है।
(6) जीवन कौशल शिक्षा के द्वारा किशोर-किशोरियों में स्वस्थ शरीर एवं समाज की विचारधारा को समझकर स्वयं निरन्तर स्वस्थ रहने की क्षमता विकसित की जा सकती है। प्रजनन यौन स्वास्थ्य की सही व सम्पूर्ण जानकारी व उससे जुड़ी भ्रांतियों के सही समाधान से किशोरकिशोरियों में स्वास्थ्य के प्रति जागृति पैदा हो सकेगी। जीवन कौशल शिक्षा से किशोरावस्था में सामान्य शारीरिक विकास पोषण, गर्भधारण, गर्भावस्था, प्रसव, गर्भनिरोधक साधन, यौन रोग प्रजनन संक्रमण व एचआईवी एड्स की जानकारी से किशोर किशोरी स्वस्थ जीवन जीने के तरीकों को अपना सकेंगे।
स्मार्ट कक्षा-कक्ष—
परिचय – आधुनिक ई-लर्निंग व ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में स्मार्ट कक्षा व स्मार्ट विद्यालय किसी से भी अनभिज्ञ नहीं है, क्योंकि स्मार्ट कक्षा तकनीकी ने कम्प्यूटर जनित शिक्षा प्रणाली को अधिक विकसित कर दिया है। यह नई शिक्षा प्रणाली शिक्षा के स्तर में वृहत स्तर पर बदलाव ला रही है। स्मार्ट कक्षा प्रणाली कक्षा के वातावरण को वृहत् स्तर पर सुलभ व रोचक बना देती है। यह एक नवीन प्रवर्तनकारी शिक्षा तकनीकी है, जो शिक्षकों के लिए नवीन प्रवर्तनकारी कार्य प्रणाली उपलब्ध करवाती है।
स्मार्ट कक्षा तकनीकी के अन्तर्गत कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर्स, इन्टरनेट माध्यम और अन्य बहुमाध्यम प्रविधि व इकाइयाँ जैसे—होम थियेटर आदि सम्मिलित रहती हैं। हम कह सकते हैं कि अब श्यामपट्ट व चॉक के स्थान पर स्मार्ट बोर्ड का प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रणाली में स्मार्ट बोर्ड के माध्यम से शिक्षकों द्वारा शिक्षा के नये सिद्धान्त व चल-चित्रों का प्रदर्शन छात्र-छात्राओं को दिखाया जाता है। सम्बन्धित विषय पर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न माध्यम जैसे—ऑडियो व वीडियो का प्रयोग किया जाता है।
स्मार्ट कक्षा की विशेषताएँ—
(1) चलचित्रों का प्रयोग – इस विशेष तकनीक में स्वचालित चलचित्रों का प्रयोग किया जाता है जो पृष्ठों को पढ़-पढ़कर पढ़ने से कुछ हद तक निजात दिलाता है। अध्यापक द्वारा छात्र-छात्राओं को समझाने पर सम्बन्धित विषय पर उनका रुझान बढ़ने लगता है चाहे वो शिशु हो या किशोर ।
(2) नए-नए सिद्धान्तों को समझने में सहायक – स्मार्ट कक्षा के उपयोग द्वारा शिक्षक प्रेक्टिकल (व्यावहारिक ज्ञान) नए व अनूठे तरीके से छात्र-छात्राओं को पहुँचाया जा सकता है। किस प्रकार यह तकनीक उपयोगी है इसे समझने के लिए हम एक उदाहरण ले सकते हैं जैसे-व्यावहारिक विषय जैसे विज्ञान व गणित में आमतौर पर सामान्य छात्र को समझने में कठिनाई आती है, वहीं दूसरी ओर यही विषयों के सिद्धान्त उन्हें व्यावहारिक रूप में चलचित्र में दिखाये जाते हैं तो यह उनके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालते हैं साथ ही रुचि का सृजन करते हैं।
( 3 ) रुचिकर – इस तकनीक में अध्यापक व छात्र दोनों सहर्ष भाग लेकर इसकी उपादेयता के मानदण्ड को उचित ठहराते हैं जो विषय छात्रों को नीरस लग रहा था वह इस तकनीक के प्रयोग के कारण उन्हें रुचिकर लगने लगता है। ।
स्मार्ट कक्षा के लाभ—
(1) समय की बचत – यह नई वैज्ञानिक तकनीक जो आज के समय में वरदान स्वरूप है, अध्यापक व छात्रों के लिए। यदि हम पुराने अध्यापक के तौर-तरीके पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि इस तरीके में दोनों पक्ष की तरफ से समय अधिक लगता है वहीं इस वर्तमान तकनीक में अध्यापक को समय की बचत होती है क्योंकि जिस पाठ को उस छात्रों को समझाने में अधिक समय लगता था वही स्मार्ट कक्षा के द्वारा वह समय की बचत करके अन्य अवधि को छात्रों के चहुँमुखी विकास की ओर अधिक ध्यान दे सकता है। दूसरी ओर छात्रों के लिए भी अति उपयोगी है वे सहर्ष रुचि लेकर उस सम्बन्धित विषय को समझकर अपने मूल्यवान समय को अध्ययन में उपयोग कर सकते हैं।
(2) समझने में सरल व याद रखने में सुगम – जब छात्र छात्रायें सम्बन्धित विषय के सिद्धान्त व सूत्र से चलचित्रों के माध्यम से परिचित होते हैं तो सम्बन्धित विषय को समझने में मदद मिलती है जहाँ पुरानी अध्ययन परम्परा से वो किसी पाठ को कठिनाई से याद कर पाते थे अब उन्हें सम्बन्धित विषय के सिद्धान्त को याद करने में सुगमता आती है।
स्मार्ट कक्षा तकनीक अपने आप में अध्यापक व छात्र-छात्राओं के लिए वरदान स्वरूप है वहीं दूसरी ओर इसके उपयोग में सावधानियाँ बरतनी चाहिए अन्यथा यह लाभ की जगह हानि देगी । इस तकनीक का उपयोग समय व जरूरत की माँग के अनुसार करना चाहिए ना कि एक दैनिक आदत के रूप में अधिक मात्रा में उपयोग करने से छात्र-छात्राओं का रुझान पाठ्य पुस्तकों की तरफ से धीरे-धीरे कम होने लगता है, जो कि एक अच्छा संकेत नहीं है तो इस स्मार्ट बोर्ड तकनीक का उपयोग करते समय इन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए। –
स्मार्ट तकनीक सरल व सुगम तो है पर अत्यधिक खर्चीली जो हर किसी माध्यम के विद्यालय द्वारा वहन नहीं की जा सकती है। दूसरी ओर स्मार्ट बोर्ड तकनीक के लाभ व सुविधाएँ असीमित हैं पर इन सुविधाओं का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब हम इसकी सीमितताओं को ध्यान में रखकर इसकी सरलता, सुगमता व उपयोगिता के मानदण्डों को सर्वोच्च स्थान दे सके। अंततः यह मानव जनित वैज्ञानिक तकनीकी अध्यापक व छात्र-छात्राओं के लिए अत्यन्त हितकारी है। इस तकनीक के चहुँमुखी उपयोग से उनकी रुचि के विकास के साथ-साथ उनके अध्ययन में भी उत्तरोत्तर रूप से विकास होगा।
(3) आकर्षित अध्ययन के तौर-तरीके – स्मार्ट कक्षा तकनीक न केवल अध्यापक को वरन् छात्र-छात्राओं को भी नये-नये तरीकों से अवगत कराती है जैसा कि पूर्व में भी अध्ययन कर चुके हैं कि इस तकनीक के फलस्वरूप समय की बचत होती है जो अतिरिक्त समय शेष रहता है उसे अन्य गतिविधियों में उपयोग किया जा सकता है। जहाँ पहले पाठ सिद्धान्त इत्यादि को श्यामपट्ट पर लिखने में समय लगता था उससे अब काफी हद तक निजात मिली। स्मार्ट कक्षा के द्वारा जहाँ पहले अध्ययन कई छात्र-छात्राओं को ऊबाऊ व अरुचिकर लगता था वह स्मार्ट तकनीक के कारण वही अध्ययन उन्हें आकर्षक व रुचिकर लगता है।
(4) स्वस्थ वातावरण – स्मार्ट कक्षा का उपयोग न केवल अध्ययन रुचिकर बनाती है वरन् अध्यापक व छात्र-छात्राओं को स्वस्थ वातावरण का अनूठा अहसास देती है; जैसे—कुछ अध्यापक व छात्र-छात्राओं को चॉक व धूल से एलर्जी से सम्बन्धित समस्या रहती है। वहीं स्मार्ट बोर्ड उनको स्वस्थ वातावरण मुहैया कराता है।
(5) वास्तविक अनुभूति – एक अन्य लाभ जो अध्यापक के साथसाथ छात्र-छात्राओं को भी होता है वह है सम्बन्धित का वास्तविक अनुभव जो वास्तविकता में तो उनसे दूर है पर कुछ हद तक वास्तविक है यही वास्तविकता हमें पाठ्य पुस्तकों में नहीं मिलती है। उदाहरण के तौर पर जब छात्र-छात्राओं को प्राकृतिक संसाधन के चल-चित्र दिखाये जाते हैं तो वे उन्हें वास्तविक प्रतीत होते हैं, बजाय पाठ्य पुस्तक के द्वारा वास्तविक प्रतीत नहीं होता है।
(6) रुचिकर – चलचित्रों को देखकर छात्र-छात्राएँ सम्बन्धित विषय में सहर्ष रुचि दिखाकर उसको समझने का प्रयत्न करते हैं जो कि पाठ्यपुस्तकों के अध्ययन से उतना सम्भव नहीं है जितना चलचित्रों के माध्यम से सम्भव है।
(7) सरल तकनीक – स्मार्ट बोर्ड तकनीक जो स्वचालित चल-चित्रों को प्रदर्शित करके सम्बन्धित विषय के सिद्धान्तों को छात्र-छात्राओं के मस्तिष्क तक पहुँचाने में कारगार सिद्ध होती है। उदाहरण के तौर पर जैसे कोई सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़कर निर्धारित लक्ष्य पर पहुँचता है। ठीक उसी प्रकार यह तकनीक क्रमवार विषय को समझाते हुए लक्ष्य तक पहुँचती है, जो छात्र-छात्राओं के लिए अत्यन्त हितकारी है ।
(8) व्यवस्थित व निर्धारित — इस तकनीक का एक उपयोग यह भी है कि सम्बन्धित विषय से सम्बन्धित जानकारी को संरक्षित करके रखा जा सकता है जो कि पूर्णतया व्यवस्थित व निर्धारित होती है। व्यवस्थित होने की वजह से किसी भी टॉपिक को बीच में आधा-अधूरा छूटने का भय नहीं रहता है। व्यावहारिक जीवन में अध्यापक जब पढ़ायेगा तो जरूरी नहीं कि वो क्रमवार ही अध्ययन कराए कई सिद्धान्त बीच में छोड़े भी जा सकते हैं जो कि उनका मानवीय स्वभाव या प्रकृति है। पर इस कमी को कुछ हद तक स्मार्ट तकनीक द्वारा पूरा किया जा सकता है। स्मार्ट बोर्ड तकनीक में सम्भव है कि सम्बन्धित विषय के टिप्स या सिद्धान्तों को क्रमवार श्रेणी में दिखाया व समझाया जा सकता है।
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