बिहार के जन-आंदोलनों में गांधीजी की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
बिहार के जन-आंदोलनों में गांधीजी की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
(46वीं BPSC/2005)
अथवा
चंपारण सत्याग्रह एवं उसके बाद के आंदोलनों में गांधी की सकारात्मक एवं महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख एवं विश्लेषण करें।
> गांधी जी ने 1917 में चंपारण आंदोलन में सत्याग्रह का सफलतापूर्वक प्रयोग किया।
> 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान बिहार आकर लोगों को स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया।
> 1925 एवं 1927 में भी बिहार दौरा किया।
> सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी गांधी के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए पूरे बिहार में आंदोलन हुआ।
> 1934 में गांधी जी ने बिहार में भूकंप पीड़ितों की दशा देखने के लिए बिहार दौरा किया।
> 1942 के गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन एवं उनके ‘करो या मरो’ के मूलतंत्र का बिहार में काफी असर रहा।
उत्तर – भारतीय राजनीति में 1915 से 1947 तक गांधी का प्रभाव रहा एवं स्वतंत्रता संघर्ष मूलतः उनके नेतृत्व एवं रणनीति से ही लड़ा गया। गांधी ने सफलतापूर्वक सत्याग्रह का प्रयोग सर्वप्रथम बिहार के चंपारण में किया। इस आंदोलन में बिहार के लोगों ने उनका साथ दिया और जब यह आंदोलन सफल हुआ तो लोगों की गांधीजी के प्रति आस्था काफी बढ़ गयी। जनसामान्य को अन्याय एवं बुराई के खिलाफ लड़ने की शक्ति प्राप्त हुई और संपूर्ण आजादी की लड़ाई में बिहार के लोगों ने गांधी जी का अनुसरण किया।
1919 में जब रॉलेट एक्ट के विरोध में गांधी जी ने आंदोलन चलाया तो उसका प्रभाव बिहार में भी देखने को मिला। 1917 के बाद असहयोग आंदोलन के दौरान जब 1920 में गांधी बिहार आए तो लोगों में उत्साह काफी बढ़ गया। लोगों ने असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों को अपनाया। विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई, शराबबंदी आंदोलन चले तथा राष्ट्रीय स्कूल, बिहार राष्ट्रीय विद्यालय, बिहार विद्यापीठ की स्थापना हुई।
असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं जनसमान्य से रचनात्मक कार्यों में भाग लेने का आह्वान किया। इसी दौरान 1925 एवं 1927 में बिहार यात्रा की एवं लोगों को खादी एवं स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग को प्रोत्साहित किया। यह गांधी का ही प्रभाव था कि बिहार राष्ट्रीय आंदोलन के केन्द्र के रूप में उभरा। साथ ही बिहार में मजबूत संगठन के रूप में कांग्रेस का अस्तित्व स्थापित हुआ।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान भी बिहार ने गांधीवादी तरीके का प्रयोग करते हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। बिहार के संदर्भ में गांधीजी ने कहा “बिहार की जनता ने आंदोलनों के दौरान सत्याग्रह एवं अहिंसा के सिद्धांतों का जिस प्रकार पालन किया, वह उल्लेखनीय एवं सराहनीय है।” 1934 में भी गांधी जी ने बिहार का दौरा किया एवं भूकंप पीड़ित क्षेत्रों में गए। इस दौरान उन्होंने अस्पृश्यता निवारण पर भी लोगों को प्रोत्साहित किया।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के मुख्य केन्द्र के रूप में बिहार उभरा। यद्यपि कुछ हिंसात्मक एवं तोड़-फोड़ की घटनाएं हुई लेकिन यह आंदोलन की तीव्रता एवं समय की मांग के अनुसार ही था। खुद गांधी जी ने उग्र आंदोलन की बात की थी।
अत: बिहार का जन-आंदोलन गांधी जी से काफी प्रेरित था। दूसरे प्रमुख नेताओं पर भी गांधीवाद का प्रभाव था जिन्होंने स्थानीय, प्रदेश एवं केन्द्र स्तर पर नेतृत्व किया था।
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