पर्यावरण प्रदूषण से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों का वर्णन करें। भारत में मानव के स्वास्थ्य पर उनके प्रभावों का भी वर्णन करें

पर्यावरण प्रदूषण से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों का वर्णन करें। भारत में मानव के स्वास्थ्य पर उनके प्रभावों का भी वर्णन करें

( 42वीं BPSC/1999 )
उत्तर- जैव और अजैव कारकों से निर्मित पर्यावरण, मानव के अनियंत्रित क्रियाकलाप से जब असंतुलित हो जाता है तो इस असंतुलित अवस्था को पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। आज मानव ने भौतिक विकास के लिए प्रकृति का मनमाने एवं अनियंत्रित ढंग से दोहन किया है। जंगलों का व्यापक पैमाने पर विनाश हुआ है। कारखानों एवं गाड़ियों से निकलने वाले धुएं पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। इनमें पाये जाने वाले कुछ रसायन, जैसे CFC आदि से पर्यावरण के ओजोन (O,) स्तर का क्षय हुआ है एवं पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणों का प्रभाव बढ़ा है। आज पर्यावरण प्रदूषण के कारण वैश्विक तापमान (Global Warming) अनियोजित ढंग से बढ़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण के विभिन्न घटकों- वायु, जल, मृदा आदि को प्रदूषित कर रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख प्रकार निम्न हैं
1. वायु प्रदूषण – वायु नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, ऑर्गन, कार्बन डाईऑक्साइड आदि गैसों का एक संतुलित मिश्रण है, लेकिन जब विभिन्न मानवीय क्रियाओं के कारण यह संतुलन बिगड़ जाता है तो वायु प्रदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है। वायु-प्रदूषण का कारण कल-कारखाने, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं, कोयला, पेट्रोलियम पदार्थों के धुएं, A.C. एवं रेफ्रिजरेटरों का व्यापक प्रयोग आदि है। इनके कारण वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), कार्बन डाईऑक्साइड (CO2), हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), सल्फर डाईऑक्साइड (SO2,) आदि गैसों का स्तर बढ़ रहा है जो पृथ्वी के तापमान वृद्धि, ध्रुवीय प्रदेशों के बर्फ के तेजी से पिघलने, स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं के लिए जिम्मेवार हैं। –
2. जल प्रदूषण – जल-प्रदूषण से तात्पर्य जल में विषाक्त तत्वों का समावेश तथा इससे जल के गुणों में अवांछित परिवर्तन — है। जल-प्रदूषण का प्रमुख कारण – औद्योगिक कचरे, घरेलू अवशिष्ट पदार्थ, कृषि में रासायनिक व कीटनाशी पदार्थों
का प्रयोग। जल-प्रदूषण के कारण भारत के अनेक नदियों का अस्तित्व संकट में आ गया है। इसमें गंगा एवं यमुना भी प्रमुख है जो भारतीय जनमानस की जीवन रेखा है। जल प्रदूषण से जहां पीने के पानी का संकट होता जा रहा है वहीं पीलिया, पेचिस, टायफाइड, अतिसार आदि बीमारियां फैल रही है। इसके अतिरिक्त मलेरिया, जापानी इन्सेफलाइटिस, फाइलेरिया, डेंगू आदि भी होने की संभावना बढ़ जाती है।
3. ध्वनि प्रदूषण – विभिन्न कारणों से होने वाले तीव्र एवं अनियंत्रित शोर ध्वनि प्रदूषण के कारण हैं। परीक्षणों के अनुसार 30 डेसीबल से कम तीव्रता वाली ध्वनि का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है जो पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है। शहरों का तीव्र विकास ध्वनि प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य को विभिन्न रोग, जैसेअनिंद्रा, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग, चिड़चिड़ापन, श्रवणदोष आदि हो सकते हैं।
4. भूमि-प्रदूषण- कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए अनियंत्रित ढंग से उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवारनाशकों आदि का प्रयोग, साथ ही उद्योगों के ठोस एवं द्रव अवशिष्ट पदार्थ भूमि प्रदूषण के कारण हैं। इसे रोकना आवश्यक है, क्योंकि इससे कृषि के साथ ही अन्य चीजें प्रभावित होंगी।
5. रेडियोधर्मी प्रदूषण – मनुष्य द्वारा परमाणु ऊर्जा, एक्स-रे आदि का अत्यधिक प्रयोग पर्यावरण में रेडियोधर्मी प्रदूषण पैदा करता है। परमाणु परीक्षणों के कारण वायुमंडल एवं मृदा में काफी मात्रा में रेडियोधर्मी कण मुक्त हो जाते हैं। ये रेडियोधर्मी कण प्राय: वर्षा के साथ भूमि के अंदर पहुंचकर जल एवं मृदा के माध्यम से पौधों में चले जाते हैं। भोजन द्वारा ये पदार्थ शरीर में प्रवेश करते हैं जो अनेक बीमारियों का कारण बनता है।
> जैव-अजैव कारकों से निर्मित पर्यावरण, जब मानव के अनियंत्रित क्रियाकलाप से असंतुलित हो जाता है असंतुलित अवस्था को पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।
> वायु प्रदूषण –
> कारण – CO, CO2, H2S, SO2, आदि गैसों का वायु में स्तर बढ़ना
> प्रभाव स्वास्थ्य संबंधी समस्या, वैश्विक तापमान में वृद्धि
> जल-प्रदूषण –
> कारण – औद्योगिक कचरा, कृषि में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों/कीटनाशकों का प्रयोग आदि
>  प्रभाव पीलिया, पेचिस, टायफाइड, अतिसार जैसी बीमारियां, जल संकट आदि
> ध्वनिन-प्रदूषण –
> कारण – तीव्र एवं अनियंत्रित स्त्रोत
> प्रभाव –अनिंद्रा, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग, चिड़चिड़ापन, श्रवणदोष आदि
> भूमि-प्रदूषण –
> कारण – कृषि में अनियंत्रित मात्रा में उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवार नाशकों आदि का प्रयोग
 > प्रभाव – कृषि के साथ ही अन्य चीजें प्रभावित
> रेडियोधर्मी प्रदूषण –
> कारण – रेडियोधर्मी पदार्थों का प्रयोग
> प्रभाव स्वास्थ्य संबंधी समस्या
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