बिहार राज्य के विकास में बहु-उद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना की भूमिका को समझाइये |

बिहार राज्य के विकास में बहु-उद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना की भूमिका को समझाइये |

उत्तर – बहु-उद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना किसी भी राज्य, क्षेत्र अथवा देश के विकास में महत्वपूर्ण विकासात्मक भूमिका निभाती हैं। बिहार विभाजन के बाद महत्वपूर्ण एवं बड़ी परियोजनाएं झारखण्ड के हिस्से चली गई। लेकिन बिहार में भी कुछ बहु-उद्देश्यीय योजनाएं हैं जो बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन में सहायक हैं। वर्तमान में बिहार में तीन प्रमुख बहु-उद्देशीय परियोजनाएं हैं- ( 1 ) कोसी परियोजना, (2) गंडक परियोजना, (3) सोन परियोजना
1. कोसी परियोजना – उत्तर बिहार की यह एक प्रमुख परियोजना है जिसका निर्माण नेपाल के सहयोग से किया गया है। विनाशकारी बाढ़ों के कारण कोसी को ‘उत्तरी बिहार का शोक’ कहते हैं। इस परियोजना के निर्माण के पूर्व लगभग 3200 हेक्टेयर कृषियोग्य भूमि बाढ़ प्रभावित थी। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य कोसी नदी की बाढ़ एवं खिसकते
प्रवाह पथ पर रोक, सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण एवं जल विद्युत उत्पादन रहा है। इस परियोजना से विभिन्न जिलों के लगभग 24 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है। साथ ही कटैया नामक स्थान पर एक जल विद्युत गृह का निर्माण किया गया है जिसकी क्षमता 20,000 किलोवाट है।
2. गंडक परियोजना – गंडक नदी भी नेपाल से आती है। इस परियोजना का निर्माण नेपाल सरकार के सहयोग से किया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत भारत-नेपाल सीमा के पास भैंसालोटन नामक स्थान में बैराज निर्मित किया गया है। इससे निकाली गई नहरें सीवान, पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा के लगभग 12.4 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करती है। इससे विद्युत उत्पादन के लिए भी दो विद्युत गृहों की स्थापना की गई है।
3. सोन परियोजना – सोन विंध्याचल की पहाड़ियों से निकलती है एवं पटना के समीप गंगा में मिल जाती है। इस पर डेहरी में इंद्रपुरी बैराज का निर्माण किया गया है। इससे निकाले गए नहरों से बक्सर, भोजपुर, रोहतास, कैमूर, गया, औरंगाबाद तथा पटना जिलों में सिंचाई की व्यवस्था की गई है।
उपर्युक्त परियोजनाओं के अतिरिक्त बिहार में अनेक परियोजनाएं चलाई जा रही हैं एवं कुछ नई परियोजनाओं का निर्माण हो रहा है। ये बहु-उद्देश्यीय परियोजनाएं बिहार में कृषि हेतु सिंचाई, उद्योग, कृषि एवं घरेलू उपयोग हेतु विद्युत एवं आंतरिक परिवहन के स्त्रोत हैं। ये बिहार के विकास में अत्यंत सहायक हैं।
• बिहार की प्रमुख बहु – उद्देश्यीय परियोजनाएं –
 (i) कोसी परियोजना – नेपाल के सहयोग से निर्मित
•  उद्देश्य –कोसी नदी के बाढ़ एवं खिसकते प्रवाह पथ पर रोक, जल विद्युत उत्पादन, सिंचाई।
 (ii) गंडक परियोजना –नेपाल के सहयोग से निर्मित
 गंडक पर भैंसालोटन स्थान में बैराज का निर्माण। –
• उद्देश्य  –सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन
(iii) सोन परियोजना  – डेहरी में इंद्रपुरी बैराज का निर्माण
सिंचाई के लिए नहर एवं आंतरिक परिवहन के दृष्टिकोण से लाभदायक
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *