सामाजिक सेवा क्षेत्र ( Social Service Sector ) से आप क्या समझते हैं? बिहार राज्य के मानव विकास सूचकांक को सुधारने में इसकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।

सामाजिक सेवा क्षेत्र ( Social Service Sector ) से आप क्या समझते हैं? बिहार राज्य के मानव विकास सूचकांक को सुधारने में इसकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – मानव की मूलभूत आवश्यकताओं, जैसे- आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सफाई एवं जलापूर्ति, परिवहन, बिजली आदि से जुड़ी सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवा सामाजिक सेवा क्षेत्र (Social Service Sector) के अन्तर्गत आते हैं। ये सेवाएं मानव रूपी संसाधन के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इन सेवाओं के बेहतर प्रयोग से मानव की कार्यक्षमता को बढ़ायी जा सकती है। एक कल्याणकारी राज्य के लिए इन सेवाओं की पूर्ति आवश्यक है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत इन क्षेत्रों के विकास के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही सरकार इस ओर पर्याप्त ध्यान दे रही है। राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों के अंतर्गत भी सामाजिक सेवा क्षेत्र में काम करने की बात कही गई है। यद्यपि एक विकासशील, विशाल जनसंख्या एवं विशाल के क्षेत्रफल वाले देश के कारण भारत में इन क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी प्रयासों के बावजूद मानव विकास सूचकांक के आंकड़े चिंताजनक हैं। –
बिहार मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से काफी नीचे है। मानव विकास सूचकांक के निर्धारण में प्रति व्यक्ति आय, निर्धनता रेखा से नीचे की जनसंख्या का अनुपात, स्वास्थ्य संकेतक, जैसे कि – मृत्यु दर, स्वच्छता, साक्षरता, जीवन प्रत्याशा अथवा कुपोषण आदि को ध्यान में रखा जाता है। शिशु मृत्यु दर एवं मातृत्व मृत्यु दर भी मानव विकास सूचकांक के निर्धारण में सहायक हैं। किसी देश अथवा राज्य में वहां के लोगों के जीवन स्तर का अनुमान मानव विकास सूचकांक के आधार पर लगाया जा सकता है। वर्तमान में भारत के राज्यों में केरल राज्य की स्थिति मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से अच्छी है। जबकि यहां जनसंख्या वृद्धि दर, शिशु मृत्यु दर, मातृत्व मृत्यु दर एवं लिंग भेद न्यूनतम है एवं साक्षरता दर सर्वाधिक है। अतः जिन राज्यों में सामाजिक क्षेत्र में विकासात्मक कार्यों पर जोर दिया गया है, उन राज्यों में मानव विकास सूचकांक की स्थिति अच्छी है। वर्तमान में बिहार मानव विकास सूचकांक की दृष्टिकोण से खराब स्थिति में है। इसके लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार को सामाजिक क्षेत्रों में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। बिहार में साक्षरता दर पूरे देश में सबसे कम है। इसे बढ़ाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं एवं अनेक केन्द्र तथा राज्य प्रायोजित योजनाएं चलाई जा रही हैं। उसी प्रकार राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधारने की आवश्यकता है। सरकारी अस्पतालों की स्थिति सुधारकर शिशु मृत्यु दर, मातृत्व मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है जो मानव विकास सूचकांक के महत्वपूर्ण तथ्य हैं। आवास के क्षेत्र में भी पर्याप्त सुधार की आवश्यकता है। खासकर सामाजिक दृष्टिकोण से पिछड़े वर्गो, निम्न जाति-वर्गो, असहायों, अल्पसंख्यकों को आवास की आवश्यकता ज्यादा है। बिहार में साक्षरता दर की स्थिति सुधारकर अनेक समस्याओं से स्वतः छुटकारा पाया जा सकता है। इसमें जनसंख्या वृद्धि प्रमुख है। जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर समस्या है। इससे संसाधनों की समस्या उत्पन्न होती है। यद्यपि मानव खुद एक संसाधन है लेकिन इसके कौशल विकास के लिए जनसंख्या स्थिरता आवश्यक है। अत: सामाजिक सेवा क्षेत्र की भूमिका बिहार के मानव विकास सूचकांक को सुधारने में स्पष्ट है।
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