भारतीय संघीय व्यवस्था और केन्द्र राज्य के प्रशासनिक संबंध का राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी परिषद् (NCTC-National Counter Terrorism Centre) के विशेष संदर्भ में वर्णन कीजिए।

भारतीय संघीय व्यवस्था और केन्द्र राज्य के प्रशासनिक संबंध का राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी परिषद् (NCTC-National Counter Terrorism Centre) के विशेष संदर्भ में वर्णन कीजिए।

उत्तर- संघीय व्यवस्था में दो स्तर की सरकारें होती हैं। एक केन्द्र के स्तर पर केन्द्र सरकार तथा दूसरी, राज्य के स्तर पर राज्य सरकार । राष्ट्रीय महत्व के विषयों यथा – रक्षा, विदेश तथा संचार आदि पर केन्द्र सरकार की अधिकारिता होती है, जबकि अन्य विषयों पर राज्य सरकार की अधिकारिता होती है। संघीय व्यवस्था में संविधान की सर्वोच्चता, स्वतंत्र न्यायपालिका तथा शक्तियों के बंटवारे का स्पष्ट प्रावधान होता है।
भारत में भी उपर्युक्त स्थिति ही है। लेकिन, भारतीय संविधान में संघीय एवं एकात्मक दोनों व्यवस्था के लक्षण विद्यमान हैं। सामान्य परिस्थिति में भारतीय संविधान संघात्मक व्यवस्था की तरह कार्य करता है, जबकि विशेष परिस्थितियों में इसकी प्रकृति एकात्मक हो जाती है जिसमें केन्द्र का पक्ष भारी होता है।
केन्द्र – राज्य संबंध को संविधान की 7वीं अनुसूचित की तीन सूचियों ( संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची) द्वारा स्पष्ट किया गया है। प्रशासनिक संबंधों का निर्धारण संविधान के अनुच्छेद 256 से 263 के बीच किया गया है। केन्द्र सूची के विषय में केन्द्र को, राज्य सूची के विषय में राज्यों को तथा समवर्ती सूची के विषयों में केन्द्र तथा राज्यों दोनों को प्रशासनिक शक्तियां प्रदान की गई हैं। लेकिन विशेष परिस्थितियों में अनेक ऐसे प्रावधान हैं जो केन्द्र को अधिक निर्णायक एवं शक्तिशाली बनाते हैं, जैसे- राज्यपालों की नियुक्ति / बर्खास्तगी, अखिल भारतीय सेवाएं, राज्यों में जांच दल भेजना (अनु. 355), राज्यों में राष्ट्रपति शासन (अनु. 356), राष्ट्रीय आपात (अनु. 352), प्रशासनिक निर्देशन (अनु. 257 ) तथा अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती आदि।
उपर्युक्त विशेष परिस्थितियां ही केन्द्र-राज्य के संबंधों में विवाद का कारण बनती हैं। राज्यों द्वारा केन्द्र पर विशेष परिस्थितियों संबंधी प्रावधानों के दुरुपयोग के अक्सर आरोप लगाए जाते रहे हैं।
इन्हीं उपर्युक्त मुद्दों के संदर्भ में केन्द्र द्वारा राष्ट्रीय आतंकवादी रोधी केन्द्र (NCTC) के गठन का प्रयास काफी विवादास्पद रहा है। एनसीटीसी (NCTC) का उद्देश्य आतंकवाद के विरुद्ध खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल स्थापित करना है, ताकि विदेश प्रायोजित आतंकवाद और देश के अंदर पनपते उग्रवाद दोनों पर काबू पाया जा सके। यह संस्था राज्य और केन्द्र स्तर पर आतंकवादरोधी कार्रवाई में शामिल खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के मध्य सुरक्षित संचार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समर्पित नेटवर्क के रूप में प्रस्तावित है। एनसीटीसी को इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के तहत रखा गया तथा इसे अनेक व्यापक शक्तियां दी गईं, जैसे- आतंकरोधी कार्यों से संबंधित प्राथमिकताओं को तय करना आवश्यकतानुसार किसी भी राज्य में कार्यरत एक या एक से अधिक खुफिया एजेंसी को किसी कार्य विशेष के लिए आदेश देना, आतंकवाद में संलग्न व्यक्तियों तथा संगठनों का वृहत् डाटाबेस तैयार करना, गैर-कानूनी गतिविधि (प्रतिरोधक) अधिनियम-1967 (Unlawful Activities Prevention Act-UAPA) के अनुच्छेद-43(A) के तहत संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार करने, पूछताछ करने तथा आवश्यकता पड़ने पर तलाशी लेने व छापा डालने का अधिकार, एनएसजी, मैरीन कमांडों तथा कोबरा बटालियन की सेवा प्राप्त करने का अधिकार आदि। “
प्रस्तावित एनसीटीसी में प्रावधान है कि एनसीटीसी राज्य पुलिस को संपर्क में तो रखेगी, लेकिन किसी ऑपरेशन को शुरू करने से पहले उसे राज्य सरकारों से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। राज्यों द्वारा एनसीटीसी के इन्हीं अधिकारों पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की गई है। राज्यों ने इसे संघीय संरचना पर आघात माना है तथा कहा है कि कानून-व्यवस्था राज्य सूची का विषय है। ऐसे में एनसीटीसी को जो शक्तियों प्रदान की गई है, उससे राज्य की शक्तियों का हनन हो सकता है तथा आतंकवाद को आधार बनाकर राज्यों के अधिकारों का हनन किया जा सकता है।
राज्यों ने मत व्यक्त किया है कि आतंकवाद से केवल केन्द्र ही नहीं, बल्कि सभी राज्य भी कमोबेश प्रभावित हैं। ऐसे में आतंकवाद से संबद्ध किसी भी निर्णय में राज्यों से सलाह करना जरूरी है। विरोधी दलों का यह भी मानना है कि एनसीटीसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अंतर्गत कार्य करेगी जिसका इस्तेमाल केन्द्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए करती रही है। अतः एनसीटीसी का इस्तेमाल केन्द्र सरकार वैसे राज्यों के विरोध में कर सकती है जो विरोधी राजनीतिक दल द्वारा शासित हैं। ऐसे में एनसीटीसी का राज्यों के विरोध में एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल हो सकता है।
निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि एनसीटीसी का विवाद केन्द्र और राज्यों के मध्य अविश्वास एवं असहयोग की भावना को प्रकट करता है। ऐसे में आतंकवाद और अन्य मामलों पर राज्यों से समुचित विचार-विमर्श जरूरी है। राज्यों को भी आतंकवाद जैसे संवेदनशील एवं गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर राजनीतिक पूर्वग्रहों से ऊपर उठकर केन्द्र के साथ सहयोग करना चाहिए, तभी संघीय व्यवस्था अक्षुण्ण रह सकेगी।
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