भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अनुसार, “देश के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों में से प्रमुख हैं – बढ़ती हुई आबादी, स्वास्थ्य के बढ़ते हुए खतरे, घटते हुए प्राकृतिक संसाधन और घटती जा रही खेती की भूमि | ” इन चार क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए कम से कम तीन वैज्ञानिक उपक्रमों/प्रयासों की चर्चा कीजिए, जिन्हें आप लागू करना चाहेंगे ।
भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अनुसार, “देश के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों में से प्रमुख हैं – बढ़ती हुई आबादी, स्वास्थ्य के बढ़ते हुए खतरे, घटते हुए प्राकृतिक संसाधन और घटती जा रही खेती की भूमि | ” इन चार क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए कम से कम तीन वैज्ञानिक उपक्रमों/प्रयासों की चर्चा कीजिए, जिन्हें आप लागू करना चाहेंगे ।
( 53-55वीं BPSC/2012 )
उत्तर – प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के समक्ष उपस्थित जिन चुनौतियों की चर्चा की है तथा उनसे निपटने में जिन वैज्ञानिक प्रयासों को किया जा सकता है, उसे क्रमागत रूप से निम्न प्रकार से वर्णित किया जा सकता है
1. बढ़ती आबादी के प्रति वैज्ञानिक उपक्रम / प्रयास
> मातृत्व शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं, जैसे- टीकाकरण और प्रसव सुविधा इत्यादि को सर्वसुलभ बनाना क्योंकि शिशु मृत्यु दर अधिक होने से लोगों में अधिक बच्चे को जन्म देने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
> वैज्ञानिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार ताकि लोगों में व्याप्त अंधविश्वास, जैसे कि बच्चे ईश्वर की देन हैं, बाल-विवाह तथा पुत्र की अनिवार्यता आदि की भावना को दूर किया जा सके। इसके अतिरिक्त यौन शिक्षा के माध्यम से भी लोगों को प्राकृतिक निरोध के विषय में जागरूक बनाया जा सकता है।
> सूचना-प्रौद्योगिकी एवं टीवी जैसे सर्वव्यापक संचार माध्यमों द्वारा परिवार नियोजन, नसबंदी तथा गर्भ निरोधक उपाय के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाया जा सकता है।
2. स्वास्थ्य के बढ़ते खतरों के प्रति वैज्ञानिक उपक्रम/प्रयास
> टेलीमेडीसिन की सुविधा सभी गांवों एवं शहरों तक पहुंचाई जानी चाहिए।
> वर्तमान समय में मानव स्वास्थ्य का सबसे बड़ा शत्रु प्रदूषण है। प्रदूषित जल और प्रदूषित आहार – श्रृंखला मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं जैविक कृषि की ओर विशेष रूप से ध्यान देना होगा।
> अनेक बीमारियां, जैसे-एड्स आदि के बारे में व्यापक जागरूकता बहुत जरूरी है, अन्यथा अनजाने में ही लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं।
> योग जैसी क्रियाओं को अपनाकर भी स्वास्थ्य के समक्ष उत्पन्न खतरों को कम किया जा सकता है।
3. घटते प्राकृतिक संसाधनों के प्रति वैज्ञानिक उपक्रम / प्रयास
> ऊर्जा के क्षेत्र में गैर-परंपरागत ऊर्जास्रोतों, यथा – सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा ज्वारीय ऊर्जा आदि के उपयोग पर जोर ।
> क्लोनिंग, टिश्यूकल्चर के द्वारा लुप्तप्राय जीवों, पौधों, पशुओं का संरक्षण सामाजिक वानिकी एवं कृषि वानिकी पर जोर
4. घटती खेती के प्रति वैज्ञानिक उपक्रम / प्रयास
> मृदा अपरदन पर रोक के लिए फसल चक्र पद्धति, जैविक कृषि आदि जैसे उपायों पर जोर
> शुष्क कृषि, ड्रिप सिंचाई तथा सूखा रोधी बीजों का उपयोग कर शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों एवं रेगिस्तानी इलाकों को कृषि के दायरे में लाना।
> मरुस्थलीकरण के रोकथाम हेतु मरुस्थलों की सीमाओं पर व्यापक वनीकरण को बढ़ावा देना।
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