मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत भारत ने अपने सुरक्षा निकाय में सुरक्षा आयुधों एवं उपकरणों को राष्ट्र की सुरक्षा के लिए समाहित कर उसमें वृद्धि की है । ” इस कथन की पुष्टि सुरक्षा अभियांत्रिकी में वैज्ञानिक विकास के आधार पर कीजिए।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत भारत ने अपने सुरक्षा निकाय में सुरक्षा आयुधों एवं उपकरणों को राष्ट्र की सुरक्षा के लिए समाहित कर उसमें वृद्धि की है । ” इस कथन की पुष्टि सुरक्षा अभियांत्रिकी में वैज्ञानिक विकास के आधार पर कीजिए।
उत्तर – आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ‘मेक इन इंडिया’ पर विशेष ध्यान दे रही है। भारत न सिर्फ आयात के विकल्प के उद्देश्य से निर्माण कर रहा है, बल्कि भारत में निर्मित रक्षा उत्पादों का निर्यात अन्य देशों को करने के लिए भी रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन दे रहा है। दुनियां का पांचवा सबसे बड़ा रक्षा बजट होने के बावजूद भारत अपनी 60 प्रतिशत से अधिक हथियार प्रणालियों को विदेशी बाजारों से खरीदता है।
सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को ध्यान में रखकर भारत व्यापार संवर्धन संगठन (ITPO) ने भारत अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एक्सपो (IISE) के 21वें संस्करण में स्टार्ट-अप को 50 प्रतिशत किराये की छूट प्रदान करते हुए अपना समर्थन किया है, तथापि इन स्टार्ट-अप्स को भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के (DPIIT) द्वारा अधिसूचित होना चाहिए। दक्षिण-एशिया क्षेत्र में यह एकमात्र ऐसा सुरक्षा एक्सपो है जिसे सभी पुलिस बल, NDMA, CRPF, BSF, ITPB, SSB, दिल्ली पुलिस, SPG DFS इत्यादि की सहायता से आयोजित किया जाता है।
यह कार्यक्रम मेक-इन-इंडिया अभियान के तहत सुरक्षा उपकरणों और गैजेट्स के निर्माण को बढ़ावा देने की उद्योग की नई पहलों को भी प्रदर्शित करता है। इसमें नवीनतम उत्पादों, सेवाओं और घरेलू सुरक्षा के साथ-साथ प्रौद्योगिकी आधारित सुरक्षा क्षमताओं के नवाचारों की एक विस्तृत श्रृंखला की प्रस्तुति के अलावा साइबर सुरक्षा और कुशल कार्यबल के विकास के लिए नए पथ का मार्ग भी प्रशस्त करता है ।
‘मेक-इन-इंडिया’ को आधार बनाकर ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ की रणनीति पर कार्य करने का एकमात्र उद्देश्य भारत को वर्ष 2024 तक पांच बिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा निर्यात लक्ष्य तक पहुंचाना है। इसके लिए भारत को भूमि संचालित, नौसैनिक व वायु सैनिक, नौसेना एवं होमलैंड सुरक्षा तथा रक्षा इंजिनीयरिंग प्रणाली का एक प्रमुख गंतव्य बनाना है, साथ ही भविष्य के युद्ध को ध्यान में रखते हुए विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के प्रभाव और आवश्यक उपकरणों तथा प्लेटफार्मों पर इसके परिणामी प्रभाव को पहचानना है ।
सुरक्षा अभियांत्रिकी में वैज्ञानिक विकास के आधार पर भारत ने अपने सुरक्षा निकाय में सुरक्षा आयुधों एवं उपकरणों को राष्ट्र की सुरक्षा के लिए समाहित कर उसमें वृद्धि की है, इसके लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कुछ विशेष कदम उठाए हैं जो निम्नवत हैं
1. निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रक्षा मंत्री के स्तर पर एक सम्मेलन का आयोजन करना ।
2. उपस्थित होने वाले लोगों के लिए आभासी तरीके से घटनाओं में शामिल होने और संगोष्ठियों में भाग लेने, बी2 बी बैठकें आयोजित करने, उत्पादों को देखने और विचारों/व्यवसायिक प्रस्तावों को आदान-प्रदान करने आदि के लिए एक हाइब्रिड प्रणाली विकसित करना ।
3. भूमि आधारित, नौसैनिक तथा वायुसैनिक एवं होमलैंड सुरक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन करने के लिए सेवाओं एवं रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और उद्योग द्वारा लाइव प्रदर्शन पर ध्यान देना ।
4. प्रसिद्ध विषयवस्तु विशेषज्ञों की बौद्धिक पूंजी का उपयोग करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय उद्योग मंडलों दोनों द्वारा व्यवसायिक सेमिनार का आयोजन करना ।
5. सरकार द्वारा अपने एयरोस्पेस और रक्षा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और विदेशी निवेश की तलाश के अवसर का उपयोग करना ।
6. नई प्रक्रियाएं: मेक-इन-इंडिया में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण अकेले कारक के रूप में Ease of doing business की पहचान की गई है, जिसका उद्देश्य किसी कारोबार या बिजनेस के संपूर्ण जीवन चक्र के लिए उद्योग को लाइसेंस मुक्त और विनियमन युक्त किया जा सके।
7. नया इंफ्रास्ट्रक्चरः किसी भी उद्योग की वृद्धि के लिए आधुनिक और सहायताकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर अत्यंत आवश्यक उपक्रम है। इस माध्यम से आधुनिक हाई-स्पीड संचार और एकीकृत लॉजिस्टिक व्यवस्था के साथ आधुनिकतम टेक्नोलॉजी के आधार पर औद्योगिक कॉरिडोर तथा स्मार्ट सिटिज विकसित किया जा सकता है।
8. नए क्षेत्र: मेक-इन-इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवा क्रियाकलापों जैसे 25 क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं। साथ ही रक्षा उत्पादन सहित निर्माण, रेलवे इन्फ्रा इत्यादि में FDI के रास्ते खोल दिए गए हैं।
वर्ष 2014 से वर्ष 2021 के मध्य भारत ने रक्षा क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर मेक फॉर वर्ल्ड की दिशा में अग्रसर करने के लिए विभिन्न बदलाव किए हैं। परिणामस्वरूप भारत के इस स्ट्रेटेजिक सेक्टर में जमीनी स्तर पर सकारात्मक प्रभाव दृष्टिगत होने की संभावना है। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित रक्षा सुधार उपाए किए गए है ताकि इस क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन / वृद्धि दर्ज की जा सके
1. ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) और सैन्य मामलों के विभाग का गठन
2. भारतीय रक्षा उत्पादक के निर्यात में वृद्धि
3. रक्षा अधिग्रहण में आधुनिकीकरण व पारदर्शिता
4. हर क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देना
5. मेक इन इंडिया से मेक फॉर वर्ल्ड की ओर अग्रसर होना
6. FDI सीमा में संशोधन एवं बढोतरी
7. परियोजना प्रबंधन ईकाई (PMU) का गठन/स्थापना
8. रक्षा आयात विधेयक में कमी करना 8.
9. घरेलू पूंजी खरीद के लिए अलग बजट का प्रावधान
10. आयुध निर्माण बोर्ड का निगमीकरण
11. देश के भीतर अत्याधुनिक हथियार निर्माण को बढ़ावा देना
12. रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर अभियान की घोषणा
13. सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन
14. BRO की प्रक्रियाओं और कार्यप्रवाह में सुधार लाना
15. DRDO का निजी क्षेत्र के साथ मिलकर कार्य करना
16. रक्षा अधिग्रहण में आत्मनिर्भरता
17. अपात स्थिति में नागरिक प्रशासन को सहायता प्रदान करना
18. सीमाओं से इतर राष्ट्रों को मदद प्रदान करना
19. रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 एवं रक्षा अधिप्राप्ति नियमावली 2009 की समीक्षा हेतु एक समिति का गठन करना
20. वर्ष 2025 तक जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का हिस्सा बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखना
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