“अनुच्छेद 356 की भावना को समझने के लिए उसे अनुच्छेद 355 से मिलाकर पढ़ा जाना. चाहिए।” (टिप्पण- 200 शब्दों में )

“अनुच्छेद 356 की भावना को समझने के लिए उसे अनुच्छेद 355 से मिलाकर पढ़ा जाना. चाहिए।” (टिप्पण- 200 शब्दों में )

अथवा

सर्वप्रथम अनुच्छेद 356 एवं अनुच्छेद 355 को स्पष्ट करें, उसके बाद 356 के लिए अनुच्छेद 355 के महत्व को रेखांकित करें ।
उत्तर- अनुच्छेद 356 के अनुसार यदि किसी राज्यपाल से रिपोर्ट मिलने पर या अन्यथा राष्ट्रपति को समाधान हो जाता है कि उस राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता या संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है तो वह राज्य में राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा कर सकता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति निम्नलिखित निर्णय ले सकता है
(i) राज्य सरकार के कोई भी कृत्य तथा शक्तियां अपने हाथ में ले सकता है। उनमें राज्यपाल तथा राज्य के अन्य प्राधिकारियों की शक्तियां भी शामिल होंगी।
(ii) राज्य के विधानमंडल की शक्तियों का प्रयोग संसद द्वारा किया जा सकता है। ऐसी उद्घोषणा द्वारा केन्द्र न्यायिक कृत्यों को छोड़ राज्य के प्रशासन पर अपना नियंत्रण प्राप्त कर सकता है।
अनुच्छेद 356 के अधीन राष्ट्रपति शासन के उपर्युक्त बिन्दुओं की मूल भावना यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक राज्य में राज्य की सरकार संविधान के अनुसार चलाई जाए जिससे देश की एकता, अखंडता एवं अन्य संवैधानिक आदर्श कायम रह सके। लगभग इन्हीं बातों को अनुच्छेद 355 में स्पष्ट किया गया है। अनुच्छेद 355 के अनुसार “संघ का यह संवैधानिक कर्तव्य है कि वह बाह्य आक्रमण तथा आंतरिक अव्यवस्था से अपने राज्यों की रक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि हर राज्य की सरकार संविधान के अनुसार चलाई जाए।” इस अनुच्छेद के आंतरिक अव्यवस्था से संबद्ध शब्द राज्यों की रक्षा का दायित्व केन्द्र को निर्देशित करता है, साथ ही यह भी निर्देशित करता है कि संघ यह ध्यान रखे कि राज्य की सरकार संविधान के अनुसार चले। ऐसा न होने की स्थिति में केन्द्र सरकार अनुच्छेद 356 के अधीन राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करती है।
अतः अनुच्छेद 356 के अधीन राज्यों में राष्ट्रपति शासन का मूल उद्देश्य राज्यों में संवैधानिक तंत्र की सफलता है। अतः अनुच्छेद 356 के प्रयोग की भावना को समझने के लिए इसे अनुच्छेद 355 के साथ मिलाकर पढ़ना चाहिए ।
> अनुच्छेद 356- किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को यह रिपोर्ट दी जाए कि उस राज्य में संवैधानिक तंत्र असफल हो गया है तो वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
> अनुच्छेद 355- संघ का यह संवैधानिक कर्तव्य है कि वह बाह्य आक्रमण तथा आंतरिक अव्यवस्था से अपने राज्यों की रक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि हर राज्य की सरकार संविधान के अनुसार चलाई जाए।
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