काल्पनिक कथाओं और नाटकीय घटनाओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

काल्पनिक कथाओं और नाटकीय घटनाओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर— काल्पनिक कहानियाँ (कल्पित कथा )– बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाने और संचार पर उनका अधिकार बनाए रखने के लिए उनके मूल पाठों तथा अध्यायों में उपन्यास अथवा ऐसी काल्पनिक कहानियों का समावेश करना चाहिए जिससे बच्चे एक ओर उसमें रुचि लेने के कारण उससे बंधे रहें दूसरे उन्हें पढ़ना नीरस न लगे और इन काल्पनिक कथाओं को स्वयं पढ़ने की रुचि जाग्रत होने के कारण वे पढ़ना- सीखने के लिए प्रेरित हों । काल्पनिक सुनना कहानियाँ ऐसे विषयों पर आधारित हो सकती हैं जिसे बच्चे चाहते हैं, जैसे-परियों की कथाएँ, शेर, चीते, हाथी, भालू, बन्दर आदि पर आधारित कथाएँ आदि।
उपन्यास या काल्पनिक कथाएँ संदेश देने वाली तथा उन्हें लिखने और पढ़ने की प्रेरणा देने वाली और उनमें मूल्यों का विकास करने वाली होनी चाहिए। काल्पनिक कथाओं के माध्यम से हम बच्चे को मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान कर सकते हैं जिसमें बड़ों का सम्मान करना, लिंगभेद न करना, धोखाधड़ी न करना और ऐसे अनेक मूल्य हैं जो बिना सिखाए इन काल्पनिक कथाओं के माध्यम से बच्चा अंगीकार कर सकता है।
बच्चों को कहानियाँ तथा कथाएँ अधिक पसन्द होती हैं। क्योंकि बच्चों में कौतूहल या जिज्ञासा की प्रवृत्ति पाई जाती है वे यह जानने को इच्छुक रहते हैं कि आगे क्या हुआ? उनकी यह जिज्ञासा या उत्सुकता कथा के द्वारा ही शान्त होती है। वह निरन्तर पूछता है कि आगे ता हुआ? और आगे? प्रत्येक बच्चे में उत्साह का भाव भी पाया जाता है। उन्हें पशु-पक्षियों की कथाएँ, काल्पनिक कथाएँ अच्छी लगती हैं। ये कहानियाँ सुनकर वे पशु-पक्षियों से प्रेम करने लगते हैं। इससे उनमें प्राणी मात्र से प्रेम करने की प्रवृत्ति का पोषण होता है। उनमें कल्पना का भाव भी पाया जाता है। कल्पना की प्रवृत्ति का पोषण कथा के द्वारा होता है।
नाटकीय घटनाएँ– बच्चों को भाषा ज्ञान कराने के लिए कुछ नाटकीय घटनाओं को भी मूल पाठों तथा अध्यायों में जोड़ना चाहिए। नाटकीय घटनाएँ जहाँ बच्चों में उत्सुकता उत्पन्न करती हैं वहीं वातावरण का सजीव चित्रण भी प्रस्तुत करती हैं। नाटकीय घटनाएँ बहुत ही गम्भीर विषय को हल्के-फुल्के रूप में व्यक्ति को समझा देती हैं। सामाजिक समस्याएँ हों या राजनीतिक स्थितियाँ हों अथवा घरेलू समस्याएँ नाटकीय घटनाओं के माध्यम से व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर एक अमिट छाप छोड़ देती हैं। नाटकीय घटनाएँ जिनके विषय छात्र के स्तर के अनुसार हों उनका मूल अध्यायों में समावेश जहाँ बच्चों को साहित्य से परिचित कराता है, वहीं सामाजिक कुरीतियों, आध्यात्मिक पाखण्डों, भेदभाव के विषय में भी एक नवीन दृष्टिकोण प्रदान करता है।
नाटकीय घटनाओं के माध्यम से शिक्षा दो प्रयोजनों को ध्यान में रखकर दी जाती है—
(1) ऐसा उपदेश देना जिससे दूसरों का हित हो ।
(2) दर्शकों का मनोविनोद हो ।
इसके माध्यम से छात्र ज्ञान और सीख भी अर्जित करता है तथा नीरस भाषण की अपेक्षा इसे अधिक पसन्द करता है भिन्न-भिन्न रुचि वाले लोगों को समान रूप से सन्तुष्ट करने का साधन नाटक अथवा नाटकीय घटनाएँ हैं। ये वातावरण को अत्यन्त सजीव कर देती हैं और बालक उस वातावरण में स्वयं को रखकर सोचने के लिए बाध्य हो जाता है। नाटक तथा नाटकीय घटनाओं के महत्व पर अभिनव भरत का विचार है कि “वाद्य, नृत्य, अभिनय, संगीत, दृश्य – सौन्दर्य, चित्रकला, यांत्रिक कला, नायक-नायिकाओं का मनमोहक रूप तथा उनकी विभिन्न वेश-भूषा आदि अनेक आकर्षक कलाओं से संयुक्त होने के कारण नाटक मनोरंजन का सबसे बड़ा और प्रिय साधन है।” परन्तु अब नाटक केवल मनोविनोद की वस्तु ही नहीं रहा, इसका प्रयोग शिक्षा में भी होने लगा है।
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