झारखण्ड का जिलेवार विवरण

झारखण्ड का जिलेवार विवरण

वर्ष 2000 में झारखण्ड के गठन के समय राज्य में कुल जिलों की संख्या 18 थी। वर्तमान में राज्य में जिलों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है।

> झारखण्ड राज्य में 5 प्रमण्डल हैं 

1. उत्तरी छोटानागपुर प्रमण्डल
2. दक्षिणी छोटानागपुर प्रमण्डल 
3. सन्थाल परगना प्रमण्डल 
4. कोल्हान प्रमण्डल 
5. पलामू प्रमण्डल

1. उत्तरी छोटानागपुर प्रमण्डल

> हजारीबाग
हजारी नामक स्थान के पास स्थित होने के कारण इस स्थान को हजारीबाग कहा जाने लगा। इसका शाब्दिक अर्थ ‘हजार बागों वाला क्षेत्र’ है।
मुगलकाल में हजारीबाग रामगढ़ राज्य के अधीन था, तब इसके चार भाग कुण्डा, रामगढ़, केन्दी, चाचचम्पा एवं खरगडीहा थे। 1831 ई. में हुए कोल विद्रोह के बाद इस क्षेत्र में प्रशासनिक सुधार किए गए। 1833 ई. में हजारीबाग एवं लोहरदगा जिलों का गठन कर इस क्षेत्र का विकास किया गया ।
> स्थिति
इस जिले की भौगोलिक स्थिति छोटानागपुर पठार क्षेत्र के उत्तर में है। यह दामोदर नदी के किनारे पर स्थित है। इसका क्षेत्रफल 3555 वर्ग किमी है। यह क्षेत्र कई पठार, पहाड़ों एवं घाटियों से भरा है। इस जिले के तीन प्राकृतिक प्रभाग-मध्यम पठार, निम्न पठार तथा दामोदर घाटी हैं। राज्य का मुख्यालय हजारीबाग शहर मध्यम पठार का हिस्सा है।
> प्रशासन
इस जिले में 2 अनुमण्डल-हजारीबाग एवं बरही हैं तथा यह 16 प्रखण्डों में विभाजित (बड़कागाँव, चुरचु, सदर, केरेडारी, कटकमसांडी, बरही, इचाक, विष्णुगढ़, बरकट्ठा, चौपारण, पदमा, डाडी, टाटीझरिया, दारू, चलकुशा एवं कटकम दाग) हैं। जिले में चार विधानसभा क्षेत्र बरकट्ठा, बरही, बड़कागाँव एवं हजारीबाग हैं |
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – हजारीबाग
> कुल जनसंख्या – 1734495
> लिंगानुपात – 947
> जनसंख्या घनत्व – 488
> साक्षरता दर – 69.75%
> प्रमुख नदियाँ – दामोदर, बराकर, टंडवा गरही और भैरवी
> प्रमुख फसल – धान, आलू, मोटे अनाज
> प्रमुख खनिज-कोयला, चूना-पत्थर, अभ्रक, पायराइट, फायरक्ले
> पर्यटन स्थल – हजारीबाग राष्ट्रीय उद्यान, कोनार डैम, चन्द्रपुरा हिरन पार्क, सूरजकुण्ड, आदि।
> कोडरमा
यह क्षेत्र रामगढ़ राज्य के समय से है। यह चाई के नाम से जाना जाता था तथा यह क्षेत्र रामगढ़ राज्य के अधीन था। यहाँ के इतिहास का सम्बन्ध रामगढ़ राज्य से है। इस जिले का गठन 10 अप्रैल, 1994 को हुआ। इस जिले की स्थापना हजारीबाग जिले से पृथक् करके की गई। यह जिला अभ्रक नगरी के नाम से प्रसिद्ध है।
> स्थिति
इस जिले के पूर्व में गिरिडीह, पश्चिम में गया (बिहार), उत्तर में नवादा (बिहार) तथा दक्षिण में हजारीबाग जिला है, इस जिले का क्षेत्रफल 1500 वर्ग किमी है।
> प्रशासन
प्रशासनिक दृष्टिकोण से कोडरमा में 1 अनुमण्डल (कोडरमा), 6 प्रखण्ड (कोडरमा, सतगाँवा, जयनगर, मरकच्चो, चन्दवारा एवं डोमचाँच) हैं तथा एक विधानसभा (कोडरमा) क्षेत्र है।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय-कोडरमा
> कुल जनसंख्या – 716259
> लिंगानुपात – 950
> जनसंख्या घनत्व – 282
> साक्षरता दर – 66.84%
> प्रमुख नदियाँ – बराकर, बरसोती तथा सकरी
> प्रमुख फसल -धान, मकई
> प्रमुख खनिज – अभ्रक, चूना पत्थर, क्वार्ट्ज
> मुख्य उद्योग – क्रेशर (स्टोन चिप्स)
> पर्यटन स्थल-प्रेट्रो जलप्रपात, ध्वजवाड़ी पहाड़ पर स्थित शिव मन्दिर, तिलैया डैम, शक्ति पीठ, माँ चंचला देवी मंदिर, गौतम बुद्ध वन्यजीव अभयारण्य आदि ।
> चतरा 
यह क्षेत्र वर्ष 1771 से 1780 ई. के दौरान छोटानागपुर कमिश्नरी का प्रशासनिक मुख्यालय था। 1857 ई. की क्रान्ति के दौरान इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्त्व रहा है।
4 अक्टूबर, 1857 को क्रान्तिकारी सूबेदार जयमंगल पाण्डेय एवं सूबेदार नादिर अली को यहाँ फाँसी दी गई थी। इस जिले को हजारीबाग से अलग कर 29 मई, 1991 में एक नए जिले के रूप में सृजित किया गया था।
> स्थिति
यह जिला 3718 वर्ग किमी में विस्तृत है तथा यह उत्तरी अक्षांश व पूर्वी देशान्तर में स्थित है। यह जिला औषधीय पौधों केन्द्र के पत्तों, बाँस, साल, सागौन व अन्य लकड़ी प्रजातियों, जड़ी-बूटियों व जंगली जानवरों की एक विस्तृत शृंखला से भरा है। अधिकांशतः यह वन क्षेत्र से आवृत है।
> प्रशासन
इस जिले की प्रशासनिक व्यवस्था में 2 अनुमण्डल (चतरा व सिमरिया), 12 प्रखण्ड (चतरा, इटखोरी, प्रतापपुर, हण्टरगंज, टण्डवा, सिमरिया, लावालौंग कुण्डा, मयुरहुण्ड, गिद्धौर, कान्हा चट्टी तथा पथलगड़ा) तथा 2 विधानसभा क्षेत्र (सिमरिया व चतरा) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – चतरा
> कुल जनसंख्या – 1042886
> लिंगानुपात – 953
> जनसंख्या घनत्व – 280
> साक्षरता दर – 60.18%
> प्रमुख नदियाँ – बराकर और दामोदर
> प्रमुख फसल – धान
> प्रमुख खनिज- कोयला, अभ्रक, चूना पत्थर
> पर्यटन स्थल – कोलेश्वरी (कोलहुआ) पर्वत, भद्रकाली मन्दिर ( इटखोरी प्रखण्ड), लक्ष्मणपुर डैम, कोटेश्वरनाथ मन्दिर आदि ।
> बोकारो
इस जिले की स्थापना 31 मार्च, 1991 में धनबाद जिले के दो प्रखण्ड तथा गिरिडीह जिले के 6 प्रखण्डों को मिलाकर की गई। यह एक विकसित जिला है, जहाँ पर वर्ष 1964 में रूस की मदद से इस्पात कारखाना स्थापित किया गया। बोकारो इस्पात लि. की स्थापना के बाद यह क्षेत्र आर्थिक एवं तकनीकी क्षेत्र में सुदृढ़ होता गया। यह औद्योगिक रूप से विकसित जिला है। यह शहर स्टील सिटी के नाम से प्रसिद्ध है।
> स्थिति
यह जिला 2883 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में विस्तृत है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 210 मीटर है। यह पारसनाथ पहाड़ियों के बीच दामोदर नदी के दक्षिण में स्थित है।
> प्रशासन
इस जिले की प्रशासनिक रूपरेखा में 2 अनुमण्डल (चास व बेरमो), 9 प्रखण्ड (चास, बेरमो, गोमिया, चन्दनक्यारी, जरीडीह, कसमार, पेटखार, नावाडीह एवं चन्द्रपुरा) तथा 4 विधानसभा क्षेत्र (गोमिया, बोकारो, बेरमो, चन्दनक्यारी) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – चास
> कुल जनसंख्या – 2062330
> लिंगानुपात – 922
> जनसंख्या घनत्व – 715
> साक्षरता दर – 72.01%
> प्रमुख नदियाँ – दामोदर, कोनार और खांनो
> प्रमुख फसल – धान, गेहूँ, मक्का, महुआ
> प्रमुख खनिज- कोयला
> मुख्य उद्योग – बोकारो इस्पात कारखाना, गोमिया बारूद कारखाना
> पर्यटन स्थल-नेहरू पार्क, दुर्गापुर पहाड़, सिटी पार्क, तेनुघाट डैम, बोकारो बाँध व इस्पात कारखाना,
आदि ।
> धनबाद
धनबाद जिले का नाम जिले में ‘बाइद धान’ की प्रमुखता के कारण पड़ा। 500 या 600 ई. पू. में जैन धर्म के आगमन से यह क्षेत्र काफी प्रसिद्ध हुआ। ह्वेनसांग ने अपने यात्रा विवरण में धनबाद का उल्लेख किया है। सातवीं शताब्दी में गौड़ नरेश शशांक का इस क्षेत्र पर अधिकार था । दसवीं शताब्दी में इस क्षेत्र की ब्राह्मण व्यवस्थाओं का मुण्डों द्वारा विरोध किया गया था। इसके बाद यह क्षेत्र भूमिज जनजातियों के आधिपत्य में रहा। 15वीं शताब्दी में यहाँ मुगलों द्वारा प्रवेश किया गया। इसके पश्चात् यह क्षेत्र अंग्रेजों के अधिकार में रहा। 1 नवम्बर, 1956 को इस जिले की स्थापना की गई ।
> स्थिति
यह जिला 2040 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जिला तीन वृहद् प्राकृतिक प्रभागों ( पहाड़ी क्षेत्र से मिलकर उत्तर व उत्तर-पश्चिम भाग, कोयला खदानों एवं अधिकांश उद्योगों में ऊपरी क्षेत्र, शेष ऊपरी भाग एवं दक्षिण में दामोदर नदी की कृषि योग्य भूमि) में विभाजित है।
> प्रशासन
इस जिले में 1 अनुमण्डल (धनबाद), 11 प्रखण्ड (झरिया, धनबाद, पूर्वी टुण्डी, टुण्डी, बाघमारा, गोविन्दपुर, निरसा, तोपचांची, बलियापुर, एगारकण्ड कलियासोल) तथा 6 विधानसभा क्षेत्र (सिन्दरी, धनबाद, निरसा, झरिया, टुण्डी व बाघमारा) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – धनबाद
> कुल जनसंख्या – 2684487
> लिंगानुपात – 909
> जनसंख्या घनत्व – 1316
> साक्षरता दर – 74.52%
> प्रमुख नदियाँ – दामोदर, गोबाई और बराकर
> प्रमुख फसल – धान, गेहूँ, महुआ, मक्का
> प्रमुख खनिज-फायरक्ले, अभ्रक, फेलस्कार
> मुख्य उद्योग-सिन्दरी में खाद्य व रसायन उद्योग, फायरक्ले एण्ड सिलिका वर्क्स लि. रिलायन्स फायरब्रिक्स एण्ड पोटरीज कम्पनी
> पर्यटन स्थल-मैथन व पंचेत डैम, तोपचांची झील, उर्वरक कारखाना (गोपालपुर) आदि।
 > गिरिडीह
इस जिले का गठन 6 दिसम्बर, 1972 को हजारीबाग से पृथक् करके किया गया। यह जिला अपने ऐतिहासिक महत्त्व के कारण जाना जाता है। यह जैनियों का आगमन तथा राज्य के सबसे ऊँचे पहाड़ पारसनाथ के कारण प्रसिद्ध है। पारसनाथ में ही जैन धर्म के 20 से लेकर 24वें तीर्थंकरों को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। यहाँ पर 2000 वर्ष पुराना जैन मन्दिर है।
> स्थिति
जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 4962 वर्ग किमी है। इस जिले के उत्तर में जमुई व नवादा (बिहार) जिले, पूर्व में देवघर व जामताड़ा जिले, दक्षिण में बोकारो व धनबाद तथा पश्चिम में कोडरमा व हजारीबाग जिले हैं। यह क्षेत्र घने वन, वनस्पतियों एवं पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
> प्रशासन
इस जिले में 4 अनुमण्डल (गिरिडीह, खोरी महुआ, डुमरी एवं बगोदर सरिया), 13 प्रखण्ड (गाँवा, तिसरी, देवरी, धनवार, जमुआ, बेंगाबाद, गांडेय, गिरिडीह, बिरनी, डुमरी, बगोदर, सरिया एवं परिटाण्ड) तथा 6 , विधानसभा क्षेत्र (जमुआ, बगोदर, धनवार, गिरिडीह, गाण्डेय व डुमरी) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय-गिरिडीह
> कुल जनसंख्या-2445474
> लिंगानुपात-944
> जनसंख्या घनत्व – 493
> साक्षरता दर 63.14%
> प्रमुख नदियाँ-दामोदर, बराकर और सकरी
> प्रमुख फसल-धान, मक्का, गेहूँ
> प्रमुख खनिज-कोयला, रुवी अफ्रक,
> पर्यटन स्थल-पारसनाथ पहाड़ी पर जैन मन्दिर, मधुबन, ऊपरी लत, आदि।
> रामगढ़
रामगढ़ की ऐतिहासिकता इसके रामगढ़ ही जानी जाती है। इसका विस्तार मुगलकाल में पूर्व चार छोटे-छोटे राज्यों केन्द्री अथवा कुण्डा, चास या है, खड़गडीहा रामगढ़ में विभाजित या इसे हजारीबाग से पृथक् कर 12 सितम्बर, 2007 को नया जिला बनाया गया है, जिसका मुख्यालय रामगढ़ में स्थित है।
> स्थिति
यह जिला 1341 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में विस्तृत है। इस जिले के पूर्व में बोकारो, पश्चिम व उत्तर में हजारीबाग तथा दक्षिण में रांची जिला स्थित है। इस जिले में राज्य की एकमात्र सैन्य छावनी है।
> प्रशासन
इसकी प्रशासनिक संरचना में 1 अनुमण्डल (रामगढ़), 6 प्रखण्ड (पतरातु, माण्डू, रामगड, गोला, चितरपुर एवं दुलमी) तथा 2 विधानसभा क्षेत्र (रामगढ़ व माण्डू) है।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय-रामगढ़
> कुल जनसंख्या-949443
> लिंगानुपात-921
> जनसंख्या घनत्व- 708
> साक्षरता दर-73.17%
> प्रमुख नदियाँ – दामोदर, भैरवी, बोकारो एवं कोनार
> प्रमुख फसल- धान
> प्रमुख खनिज-कोयला, क्वार्ट्ज व चूना पत्थर मुख्य उद्योग-सीमेण्ट, कैल्शियम कार्बाइड व माइल्डस्टील
> पर्यटन स्थल – छिन्नमस्तिका देवी (रजरप्पा), पतरातु डैम आदि ।

2. दक्षिणी छोटानागपुर प्रमण्डल

> रांची
रांची राज्य की राजधानी है। इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता मदरा मुण्डा के शासनकाल से है, जिसने इस क्षेत्र के सुतियाम्बे को राजधानी बनाया था। इसके पश्चात् नागवंशियों ने चुटिया एवं खुसरा को राज्य की राजधानी बनाया। 1538 ई. में शेरशाह द्वारा रोहतास गढ़ में आक्रमण के पश्चात् उरांवों का प्रवेश इसी क्षेत्र (कोयल नदी घाटी क्षेत्र) में हुआ। 1857 ई. में डोरण्डा में सिपाही विद्रोह व 1858 ई. में शेख भिखारी, विश्वनाथ शाहदेव, पाण्डेय गणपत राय को रांची में फांसी दी गई।
> स्थिति
इस जिले का क्षेत्रफल 5097 वर्ग किमी है। रांची को जलप्रपातों के शहर के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1983 में रांची से अलग कर लोहरदगा व गुमला जिलों की स्थापना की गई।
> प्रशासन
इसकी प्रशासनिक व्यवस्था में 2 अनुमण्डल (रांची सदर व बुण्डू), 18 प्रखण्ड (कांके, नामकुम, बेड़ो, माण्डर, लापुंग, चान्हों, रातू, सिल्ली, ओरमांझी, अनगड़ा, बुढ़मू, बुण्डू, तमाड़, सोनाहातू, नगड़ी, इटकी, खलारी एवं राहे) तथा 7 विधानसभा क्षेत्र (सिल्ली, खिजरी, रांची, तमाड़, हटिया, कांके व माण्डर) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय-रांची
> कुल जनसंख्या – 2914253
> लिगांनुपात-949
> जनसंख्या घनत्व – 572
> साक्षरता दर – 76.06%
> प्रमुख नदी – स्वर्णरखा, शंख, दक्षिणी कोयल
> प्रमुख फसल-धान, मक्का, आलू, प्रमुख खनिज- ग्रेनाइट, चूना चायनावले
> पर्यटन स्थल-गौतमधारा (जोन्हा), दाशम प्रपात, सूर्य मन्दिर, बिरला जैविक उद्यान, टैगोर हिल, रांची पहाड़ी मन्दिर, जगन्नाथ मन्दिर, आदि।
> लोहरदगा
जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान महावीर इस स्थान पर रुके थे, जिसके कारण इसे लोर-एयादगा कहा जाने लगा, जिसे मुण्डा जनजाति की भाषा में आँसुओं की नदी कहा जाता था। में किस्मत-ए-लोहरदगा का उल्लेख मुगलकाल मिलता है। इसका शाब्दिक अर्थ हिन्दी में लोहे का व्यापारी व ‘दगा’ से था अर्थात् लोह खनिजों का केन्द्र | इस जिले को वर्ष 1981 में रांची से विभाजित कर गठित किया गया ।
> स्थिति
इस जिले का क्षेत्रफल 1502 वर्ग किमी है। यह जिला झारखण्ड राज्य के दक्षिण-पश्चिम भाग में अवस्थित है। यह जिला छोटे-छोटे पहाड़ों एवं जंगल से घिरा हुआ है। इसका सामान्य ढलान पश्चिम से पूर्व की ओर है।
> प्रशासन
इस जिले में 1 अनुमण्डल (लोहरदगा), 7 प्रखण्ड (कुडू, लोहरदगा, सेनहा, किस्को, भण्डरा, कैरी व पेशरार) तथा 1 विधानसभा क्षेत्र (लोहरदगा) है।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – लोहरदगा
> कुल जनसंख्या – 461790
> लिंगानुपात – 985
> जनसंख्या घनत्व – 307
> साक्षरता दर – 67.61%
> प्रमुख फसल – धान प्रमुख नदी – दक्षिणी कोयल
> प्रमुख खनिज – बॉक्साइट, क्ले
> मुख्य उद्योग-बॉक्साइट का खनन, चमड़े के जूते, बीड़ी का निर्माण
> पर्यटन स्थल-घड़घड़िया एवं निन्दी जलप्रपात आदि।
>  गुमला
मुण्डा जनजाति की मुण्डारी भाषा में गुमला का अर्थ धानकूटन से है, जो स्थानीय लोगों का प्रमुख पेशा था। यहाँ पर गौमेला लगने के कारण इसे ‘गुमला’ कहा जाने लगा।
यह क्षेत्र पहले लोहरदगा जिले का एक हिस्सा था, जो 1899 ई. में रांची जिले में सम्मिलित में गुमला को कर लिया गया। 28 मई, 1984 रांची से पृथक् कर एक नए जिले के रूप में सृजित किया गया।
स्थिति
इस जिले का क्षेत्रफल 5360 वर्ग किमी है। यह राज्य के पश्चिमी भाग में अवस्थित है।
प्रशासन
इस जिले की प्रशासनिक रूपरेखा में 3 अनुमण्डल (गुमला, चैनपुर व बसिया) तथा 12 प्रखण्ड (चैनपुर, डुमरी, रायडीह, गुमला, सिसई, भरनो, कमडारा, बसिया, घाघरा,
विशुनपुर, पालकोट एवं अल्बर्ट एक्का) तथा 3 विधानसभा क्षेत्र (गुमला, विशुनपुर, सिसई) हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
जिला मुख्यालय – गुमला
कुल जनसंख्या – 1025213
लिंगानुपात – 993
जनसंख्या घनत्व – 191
साक्षरता दर – 65.73%
प्रमुख नदियाँ – दक्षिणी कोयल और शंख
प्रमुख फसल – धान
प्रमुख खनिज-बॉक्साइट, सीसा, चूना-पत्थर, अभ्रक
पर्यटन स्थल – रामरेखा, देवगाम, नागफेनी,
बाद्यमुण्डा जलप्रपात, नवरत्न किला, आदि ।
> सिमडेगा
प्राचीनकाल में यह क्षेत्र बीरु-कैसलपुर परगना के नाम से जाना जाता था, जो राजा कतंगदेव का राज्य था। कुछ समय के लिए यह कलिंग साम्राज्य का हिस्सा था। मुण्डा व खड़िया जनजातियों का इस क्षेत्र में आगमन लगभग 1441 ई. में हुआ था। राज्य में इस जिले में सबसे अधिक अनुसूचित जनजाति निवास करती है।
झारखण्ड राज्य के गठन के ठीक पाँच महीने के बाद गुमला जिले से पृथक्कर 30 अप्रैल, 2001 को नए जिले के रूप में सिमडेगा का गठन किया गया।
स्थिति
जिले का कुल क्षेत्रफल 3774 वर्ग किमी है। यह जिला 32% वन क्षेत्रों से घिरा हुआ है। यह राज्य के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में स्थित है। इसके उत्तर में गुमला, पूर्व में रांची व पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा), दक्षिण में ओडिशा राज्य तथा पश्चिम में छत्तीसगढ़ राज्य है।
प्रशासन
जिले की प्रशासकीय संरचना में 1 अनुमण्डल (सिमडेगा), 10 प्रखण्ड (सिमडेगा, कोलेबीरा, जलडेगा, बानो, ठेठइटांनगर, बोलवा, कुरडेग, केरसई, पाकरटाण्ड एवं बांसजोर) तथा 2 विधानसभा क्षेत्र (कोलेबीरा व सिमडेगा) हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
जिला मुख्यालय – सिमडेगा
कुल जनसंख्या – 599578
लिंगानुपात – 997
जनसंख्या घनत्व – 159
साक्षरता दर – 67.99%
प्रमुख नदियाँ – दक्षिणी कोयल और शंख
प्रमुख फसल – धान, महुआ
प्रमुख खनिज – चूना पत्थर, क्वार्ट्ज
प्रमुख उद्योग – बीड़ी, साबुन, लोहे के सामान, मोमबत्ती
पर्यटन स्थल – रामरेखा का प्रसिद्ध मेला ।
> खूँटी
खूँटी में प्राचीन बौद्ध विहार के साक्ष्य पाए गए हैं। इस क्षेत्र में प्राचीनकाल के ईंटों से निर्मित भवन के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इन ईंटों का अनुमान इन क्षेत्र में लोहे गलाने से प्राप्त अपशिष्टों से है। इस जिले का गठन रांची जिले से पृथक् करके 12 सितम्बर, 2007 को किया गया ।
> स्थिति
यह जिला 2535 वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तृत है। यह जिला रांची के दक्षिण भाग में स्थित है। इस क्षेत्र की भाषा नागपुरी व मुण्डारी हैं। यहाँ पर 768 गाँव 76 पंचायत हैं ।
> प्रशासन
इस जिले में 1 अनुमण्डल (खूँटी), 6 प्रखण्ड (तोरपा, कर्रा, खूँटी, रनिया, मुरहू, अड़की ) तथा 2 विधानसभा क्षेत्र (तोरपा व खूँटी) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – खूँटी
> कुल जनसंख्या – 531885
> लिंगानुपात – 997
> जनसंख्या घनत्व – 210
> साक्षरता दर – 63.86%
> प्रमुख नदियाँ – काँची, करकरी व कारो
> प्रमुख फसल – धान
>  प्रमुख खनिज – इमारती पत्थर, चूना-पत्थर, ईंट, बालू
> पर्यटन स्थल – बिरसा मृग विहार, आम्रेश्वर धाम, डोम्बारी पहाड़, पंचघाघ जलप्रपात सेंट माइकल चर्च आदि ।

3. सन्थाल परगना प्रमण्डल

> दुमका
पाषाणकाल में यहाँ के मूल निवासी मोनरमेर व मुण्डा थे। मेगास्थनीज ने इस क्षेत्र को ‘माली’ के नाम से सम्बोधित किया है।
मध्यकाल में चौसा युद्ध में जीत के कारण यह क्षेत्र शेरशाह सूरी के साम्राज्य में आ गया था, परन्तु हुसैन कुली खान की बंगाल जीत पर यह क्षेत्र मुगलों के अधीन आ गया। यह क्षेत्र वर्ष 1921 के बाद स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय था।
वर्ष 1855 में सन्थाल परगना एक जिला बना, तब यह एक अनुमण्डल था, जिसे बाद में एक नए जिले के रूप में सृजित किया गया।
> स्थिती
यह जिला 3761 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तृत है। यह जिला सन्थाल क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। दुमका को राज्य की उपराजधानी के रूप में जाना जाता है।
> प्रशासन
इस जिले में 1 अनुमण्डल (दुमका), 10 प्रखण्ड (जरमुण्डी, जामा, रामगढ़, सरैयाहाट, गोपीकान्दर, काठीकुण्ड, दुमका, शिकारीपाड़ा, रानेश्वर व मसलिया) तथा 4 विधानसभा क्षेत्र ( दुमका, जाया, जरमुण्डी, शिकारीपाड़ा) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – दुमका
> कुल जनसंख्या – 1321442
> लिंगानुपात -977
> जनसंख्या घनत्व – 351
> साक्षरता दर – 61.02%
> प्रमुख नदियाँ – मयूराक्षी और बाँसलोई
>  प्रमुख फसल – धान, मक्का,खेसारी
> प्रमुख खनिज-कोयला, सीसा, चूना पत्थर, फायरक्ले, क्वार्ट्ज, फेल्सफार, केयोलीन इत्यादि ।
> पर्यटन स्थल – छोटेबाबा या छोटेनाथ की मूर्ति, मसानजोर डैम, बासुकीनाथ मन्दिर आदि ।
> जामताड़ा
इस जिले का इतिहास मेगास्थनीज व ह्वेनसांग के यात्रा-वृतांतों में मिलता है। इस जिले के नाम का अर्थ सन्थाली भाषा में साँप व ताड़ के निवास से है। यहाँ बड़ी संख्या में साँप पाए जाते हैं। इस जिले का गठन 26 अप्रैल, 2001 को किया गया। दुमका से पृथक् कर इसे जिला बनाया गया।
> स्थिति
इसका क्षेत्रफल 1811 वर्ग किमी है। इस जिले के उत्तर में देवघर, पूर्व में दुमका व पश्चिम बंगाल राज्य, दक्षिण में धनबाद व पश्चिम बंगाल राज्य तथा पश्चिम में गिरिडीह जिला है।
> प्रशासन
इस जिले की प्रशासनिक व्यवस्था में 1 अनुमण्डल (जामताड़ा), 6 प्रखण्ड ( नाला, जामताड़ा, नारायणपुर, कुण्डहित, फतेहपुर व करमाटाण्ड विद्यासागर) तथा 2 विधानसभा क्षेत्र (नाला व जामताड़ा) हैं। यहाँ पर 1161 गाँव त्र 118 पंचायत हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – जामताड़ा
> कुल जनसंख्या – 791042
> लिंगानुपात – 954
> जनसंख्या घनत्व – 437
> साक्षरता दर – 64.59%
> प्रमुख नदी – मयूराक्षी
> प्रमुख फसल – धान, मक्का, खेसारी
> प्रमुख खनिज- चूना-पत्थर, क्वार्ट्ज, फेल्सफार, कोयला, कोयला, चीनी मिट्टी
> पर्यटन स्थल – नाला, जामताड़ा, मिहिजाम, मैथन डैम, कुण्डलित, कल्याणेश्वरी मन्दिर आदि।
> गोड्डा
इसका इतिहास सन्थाल परगना क्षेत्र के साथ ही बसा रचा है। इस जिले में पहाड़िया जनजाति के लोग निवास करते हैं। इसका गठन वर्ष 1981 की जनगणना के बाद सन्थाल परगना क्षेत्र से पृथक् कर किया गया ।
> स्थिति
यह जिला 2110 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जिला राज्य के पूर्वोत्तर हिस्से में स्थित है।
> प्रशासन
इस जिले की प्रशासनिक संरचना में 2 अनुमण्डल (गोड्डा व महगामा), 9 प्रखण्ड (मेहरमा,
महगामा, बोआरीजोर, पथरगामा, गोड्डा, सुन्दर पहाड़ी, पोड़ैयाहाट, ठाकुरगंगटी व बसन्त राय) एवं 3 विधानसभा क्षेत्र (गोड्डा, महगामा, पोड़ैयाहाट) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय-गोड्डा
> कुल जनसंख्या – 1313551
> लिंगानुपात – 938
> जनसंख्या घनत्व – 580
> साक्षरता दर – 56.40%
> प्रमुख नदी – सुन्दर नदी
> प्रमुख फसल-धान, गेहूँ, मोटे अनाज
> प्रमुख खनिज- कोयला, सीसा, फायरक्ले
> प्रमुख उद्योग – गुड़, बेकरी, मिट्टी के बर्तन, हैण्डलूम कपड़ा
> पर्यटन स्थल – बाराकोपा पहाड़ी में स्थित योगिनी देवी का मन्दिर ।
> देवघर
इस जिले का इतिहास 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक वैद्यनाथधाम मन्दिर से जुड़ा है। इस मन्दिर का उल्लेख पुराणों में भी है, परन्तु कथाओं के आधार पर इस मन्दिर का निर्माण त्रेतायुग में माना गया है।
इस क्षेत्र को पहले देवगढ़ कहा जाता था। बाद में खिलजी के शासनकाल के दौरान इसे देवघर कहा जाने लगा। इस जिले की स्थापना 1 जून, 1981 में की गई ।
> स्थिति
इस जिले का कुल क्षेत्रफल 2477 वर्ग किमी है। इस जिले के उत्तर में भागलपुर (बिहार), दक्षिण-पूर्व में दुमका जिला एवं पश्चिम में गिरिडीह जिला स्थित है ।
> प्रशासन
इस जिले में 2 अनुमण्डल (देवघर व मधुपुर), 10 प्रखण्ड (मोहनपुर, देवघर, मधुपुर, सारवां, करों, सारठ, पालोजोरी, देवीपुर, मारगो मुण्डा, सोनारायठाडी) तथा 3 विधानसभा क्षेत्र (सारठ, देवघर व मधुपुर ) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – देवघर
> कुल जनसंख्या-1492073
> लिंगानुपात – 925
> जनसंख्या घनत्व -602
> साक्षरता दर-64.85%
> प्रमुख नदियाँ-अजय, पथरा व जयन्ती
> प्रमुख फसल–धान, गेहूँ, मक्का
> प्रमुख खनिज-कोयला, एस्बेस्टस
> पर्यटन स्थल-वैद्यनाथधाम मन्दिर, बुढेश्वरी मन्दिर, बालानन्द आश्रम, बकुलिया प्रपात, युगल मन्दिर, त्रिकुटाचल आश्रम, लीला मन्दिर, तपोवन ।
> साहेबगंज
यह जिला पाल वंश के शासकों का महत्त्वपूर्ण स्थल रहा। यह जिला सन्थाल परगना का क्षेत्र है। वर्ष 2007 में यहाँ व्यापक खुदाई के बाद मौर्य व कुषाणकालीन अवशेष भी पाए गए हैं। इस जिले का गठन सन्थाल परगना क्षेत्र से पृथक् कर 17 मई, 1983 को किया गया।
> स्थिति
इस जिले का भौगोलिक क्षेत्र 2063 वर्ग किमी है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 37.185 मी है।
> प्रशासन
इस जिले की प्रशासनिक रूपरेखा में 2 अनुमण्डल (साहेबगंज व राजमहल), 9 प्रखण्ड (बोरिया, साहेबगंज, तालझारी, राजमहल, बरहरवा, पाथना, बरहेट, मन्डरो व उधवा) तथा 3 विधानसभा क्षेत्र (बोरिया, बरहेट, राजमहल) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय- साहेबगंज
> कुल जनसंख्या-1150567
> लिंगानुपात – 952
> जनसंख्या घनत्व – 558
> साक्षरता दर- 52.04%
> प्रमुख नदियाँ-गंगा, बाँसलोई और ब्राह्मणी
> प्रमुख फसल-धान व मक्का
> प्रमुख खनिज-फायरक्ले, इमारती पत्थर, बालू पत्थर, नीलम, कोयला, गोमेद आदि
> प्रमुख उद्योग-चीनी मिट्टी, बर्तन, विद्युत सामग्री, मशीनरी, प्लास्टिक आदि
> पर्यटन स्थल – राजमहल, दामिनी कोह, उधवा, मंगलाहाट, रामपुर आदि।
> पाकुड़
इस जिले का इतिहास सन्थाल परगना के इतिहास से जुड़ा है। यह गठन के पूर्व साहेबगंज का एक अनुमण्डल था। इस जिले का गठन 28 जनवरी, 1994 को हुआ था। साहेबगंज पहले राजमहल के नाम से जाना जाता था। राजमहल को दो भाग साहेबगंज (उत्तरी भाग) व पाकुड़ (दक्षिणी भाग) में विभक्त कर दिया गया।
> स्थिति
यह जिला 1806 वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तृत है। इस जिले के उत्तर में साहेबगंज, दक्षिण में दुमका, पश्चिम में गोड्डा तथा मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) हैं।
> प्रशासन
इस जिले की प्रशासकीय संरचना में 1 अनुमण्डल (पाकुड़), 6 प्रखण्ड (महेशपुर, पाकुड़, पाकुड़िया, अमड़ापारा, हिरनपुर व लिट्टीपाड़ा) तथा 3 विधानसभा क्षेत्र (लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, पाकुड़) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय-पाकुड़
> कुल जनसंख्या – 900422
> लिंगानुपात – 989
> जनसंख्या घनत्व – 497
> साक्षरता दर-48.82%
> प्रमुख नदियाँ-गंगा, ब्राह्मणी, बाँसलोई नदी प्रमुख खनिज-कोयला, गोमेद, फायरक्ले
> पर्यटन स्थल-अलीगंज, देवीनगर, ब्रह्मविद्यालय, अलीगंज का छोटा किला, बीरखाता का किला।

4. कोल्हान प्रमण्डल

> पूर्वी सिंहभूम
यह जिला सिंहभूम क्षेत्र के अन्तर्गत आता है, जहाँ पर पोराहाट राजवंश का शासनकाल था। वर्ष 1981 में सिंहभूम जिले को दो भाग पूर्वी व पश्चिम सिंहभूम क्षेत्र में विभाजित किया गया। पूर्वी सिंहभूम का मुख्यालय जमशेदपुर (टाटा नगर) है, जो इस्पात उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। 16 नवम्बर, 1990 को पूर्वी सिंहभूम का गठन किया गया।
> स्थिति
यह जिला राज्य के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इस जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 3562 वर्ग किमी है।
> प्रशासन
इस जिले की प्रशासकीय संरचना में 2 अनुमण्डल (घाटशिला व धालभूम), 11 प्रखण्ड (गोलमुरी सह जुगलसलाई, पटमदा, पोटका, डुमरिया, मुसाबनी, घाटशिला, धालभूमगढ़ चाकुलिया, बहरागोड़ा, बोड़ाम, व गुड़ाबांधा) एवं 6 विधानसभा क्षेत्र (घाटशिला, बहरागोड़ा, पोटका, जुगसलाई) पूर्वी जमशेदपुर व पश्चिमी जमशेदपुर हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – जमशेदपुर
> कुल जनसंख्या – 2293919
> लिंगानुपात 949
> जनसंख्या घनत्व – 644
> साक्षरता दर- 75.49%
> प्रमुख नदियाँ – स्वर्ण रेखा, खरकई
 > प्रमुख फसल- धान,मोटे अनाज
> प्रमुख खनिज-लोहा, चूना पत्थर, मैंगनीज, पायराइट, फायरक्ले, टंगस्टन सोना यूरेनियम इत्यादि
> प्रमुख उद्योग- टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, इण्डियन कॉपर कॉर्पोरेशन, ऊषा मार्टिन इण्डस्ट्रीज, आदि।
> पर्यटन स्थल – जुबली पार्क, डिमना लेक, चित्रेश्वर मन्दिर, कोकपाड़ा, पार्सी अग्नि मन्दिर (साकची ) ।
> पश्चिमी सिंहभूम
इस जिले का गठन पूर्वी सिंहभूम के साथ 16 नवम्बर, 1990 को हुआ। इसका भी इतिहास सिंहभूम के पोरहाट राज्य के अन्तर्गत शामिल है। पश्चिम सिंहभूम का मुख्यालय चाईबासा है। यह क्षेत्र 1831 ई. के कोल विद्रोह का प्रसिद्ध केंद्र था।
> स्थिति
यह जिला 7224 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है। इस जिले का विस्तार छः प्राकृतिक भू-भाग क्रम की पट्टियों में हुआ है।
> प्रशासन
इस जिले में कुल 3 अनुमण्डल ( सिंहभूम सदर, जगन्नाथपुर, पौड़ाहाट) व 18 प्रखण्ड (टोंटो, चाईबासा, हाट गम्हरिया, कुमारडुंगी, जगन्नाथपुर, मंझगाँव, चक्रधरपुर, खूँटपानी, तांतनगर, मंझरी, झींकपानी, बन्दगाँव, गुदड़ी, नोवामुण्डी, मनोहरपुर, गोईलकेरा, सोनुआ व आनन्दपुर) एवं 5 विधानसभा (चाईबासा, मंझगाँव, चक्रधरपुर, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – चाईबासा
> कुल जनसंख्या – 1502338
> लिंगानुपात – 1005
> जनसंख्या घनत्व – 208
> साक्षरता दर – 58.63%
> प्रमुख नदियाँ – दक्षिणी कोयल, वैतरणी, कोमना, स्वर्णरेखा, देव
> प्रमुख फसल – धान
> प्रमुख खनिज – मैंगनीज, लौह-अयस्क, ताँबा, कायनाइट, चूना पत्थर
> प्रमुख उद्योग-एसीसी सीमेण्ट लि. (चाईबासा), सीमेण्ट वर्क्स (ऑकपानी) इंजीनियरिंग वर्कशॉप (सीनी) आदि।
> पर्यटन स्थल-सारण्डा वन, संरंगा (विश्व कल्याण आश्रम), रामतीर्थ, हिरनी प्रपात, लुपुंगटु प्रपात, जोजोहातु, आदि।
> सरायकेला-खरसावाँ
यह क्षेत्र सिंहभूम का हिस्सा रहा है। यह क्षेत्र लोदी शासन के दौरान ओडिशा के गंग शासक के मंत्री कपिलेन्द्र द्वारा स्थापित राज्य के अंतर्गत था। सिंहभूम के शासक विक्रम सिंह के द्वारा ही सरायकेला खरसावाँ राज्य की स्थापना की गई थी। इस जिले की स्थापना वर्ष 2001 में की गई थी।
> स्थिति
> इस जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 2657 वर्ग किमी है।
> प्रशासन
इसकी प्रशासनिक रूपरेखा में 2 अनुमण्डल (सरायकेला व चाण्डिल), 9 प्रखण्ड (ईचागढ़, कुकडु, नीमडीह, चाण्डिल, राजनगर, गमहरिया, कुचाई, खरसावाँ, सरायकेला) तथा 3 विधानसभा क्षेत्र (ईचागढ़, सरायकेला, खरसावाँ) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय सरायकेला
> कुल जनसंख्या- 1065056
> लिंगानुपात – 956
> जनसंख्या घनत्व – 401
> साक्षरता दर 67.70%
> प्रमुख नदियाँ-स्वर्णरेखा, करकरी, संजय व खरकई
> प्रमुख खनिज-सोना, एपेटाइट, वेनेडियम, ताँबा, कायनाइट एवं एस्बेस्टस
> प्रमुख उद्योग-बीड़ी निर्माण उद्योग, लाह, चमड़ा, सरायकेला ग्लास वर्क्स प्रा. लि.
> पर्यटन स्थल-सोन नदी के किनारे विहंगम दृश्य।

5.  पलामू प्रमण्डल

> पलामू
इस जिले का नाम पीली मिट्टी होने के कारण पलामू रखा गया। इसका प्रारम्भिक क्षेत्र खरवार, उरांव व चेरो के शासन क्षेत्र के अन्तर्गत था। मुगलों के समय यह क्षेत्र अकबर के शासनकाल के अधीन था। 1772 ई. में अंग्रेजों का प्रवेश इस क्षेत्र में हुआ। उस समय इस क्षेत्र में गोपाल राय का शासन था, परन्तु अंग्रेजों ने पलामू किले पर अधिकार कर लिया ।
यह 1892 को एक नए जिले के रूप में सृजित किया गया। इसका मुख्यालय मेदिनीनगर (डाल्टेनगंज) है।
> स्थिति
इस जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 4393 वर्ग किमी है। यह जिला राज्य के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। यह जिला समुद्रतल से 222 मीटर की ऊँचाई पर है ।
> प्रशासन
इस जिले में 3 अनुमण्डल (मेदिनीनगर, हुसैनाबाद, छतरपुर), 21 प्रखण्ड (चैनपुर, विश्रामपुर, हुसैनाबाद, हरिहरगंज, छतरपुर, मनातु, पाटन, पांकी, लेस्लीगंज, मेदिनीनगर, सतबरवा, पांडू, उंटारी रोड, नवडीह बाजार, पंडवां, मोहम्मदगंज, हैदरनगर, पिपरा, तरहसी एवं रामगढ़) तथा 5 विधानसभा क्षेत्र (पांकी, डाल्टेनगंज, विश्रामपुर, छत्तरपुर, हुसैनाबाद) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
>  जिला मुख्यालय – मोदिनीनगर
> कुल जनसंख्या-1939869
> लिंगानुपात-928
> जनसंख्या घनत्व – 442
> साक्षरता दर 63.63%
> प्रमुख नदियाँ – सोन, उत्तरी कोयल, अमानत नदी
> प्रमुख खनिज- कोयला, फायरक्ले, सीसा, चाँदी, चूना-पत्थर, अभ्रक, लोहा, ग्रेफाइट आदि।
> प्रमुख उद्योग – जपला का सीमेण्ट, बीड़ी, टसर, हथकरघा उद्योग
> पर्यटन स्थल-पलामू का किला, तातापानी का गर्म जलकुण्ड आदि ।
> गढ़वा
इस क्षेत्र को मराठों द्वारा बसाया गया था। गढ़ावा, पलामू जिले का एक अनुमण्डल था, जिसे 1 अप्रैल, 1991 को पलामू से अलग कर एक नया जिला बनाया गया। मराठों का आक्रमण बंगाल पर अधिक हुआ, परन्तु उनका मार्ग झारखण्ड था, जो गढ़वा क्षेत्र से होकर जाते थे।
> स्थिति
यह 4093 वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तृत है।
> प्रशासन
इसकी प्रशासकीय संरचना में 3 अनुमण्डल ( गढ़वा, नगरऊंटारी व रंका), 20 प्रखण्ड (मंझीआंव, नगरऊंटारी, धुरकी, भवनाथपुर, मेराल, गढ़वा, रंका, भण्डरिया, खरौधी, कण्डी, रमना, डंडई, चिनिया, डण्डा, रमकण्डा, केतार, विशुनपुर, सगमा, बरडीहा व बड़गड़) तथा 2 विधानसभा क्षेत्र ( गढ़वा तथा भवनाथपुर) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय – गढ़वा
> कुल जनसंख्या – 1322784
> लिंगानुपात – 935
> जनसंख्या घनत्व – 323
> साक्षरता दर – 60.33%
> प्रमुख नदियाँ – सोन, अमानत तथा उत्तरी कोयल प्रमुख खनिज-चूना पत्थर, ग्रेफाइट
> प्रमुख उद्योग – लौह, कत्था, रेशम, बीड़ी, चारकोल ।
> पर्यटन स्थल-वंशीधर मन्दिर (नगर), सूखाडाड़ी प्रपात, गुरसिन्धु प्रपात, बलीरा प्रपात।
> लातेहार
यह क्षेत्र चेर राजाओं के शासन क्षेत्र के अन आता था। स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय लातेहार जिला काफी सक्रिय रहा। 4 अप्रैल, 2001 को पलामू जिले से पृथक कर लातेहार को नए जिले के रूप में सृजित किया गया।
> स्थिति
इस जिले का क्षेत्रफल 4291 वर्ग किमी है, जो राज्य के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह जिला रांची, लोहरदगा, गुमला, पलामू व चतरा के साथ छत्तीसगढ़ राज्य से भी घिरा हुआ है।
> प्रशासन
जिले में 2 अनुमण्डल (लातेहार व महुआटाण्ड) तथा 9 प्रखण्ड (मनिका बखाडीह, बालूमाथ चन्दवा, लातेहार, गारू, महुआखण्ड, हेर बरियातु) तथा 2 विधानसभा क्षेत्र (लातेहार व मनिका) हैं।
> अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
> जिला मुख्यालय लातेहार
> कुल जनसंख्या-726978
> लिंगानुपात-967
> जनसंख्या घनत्व – 169
> साक्षरता दर 59.51%
> प्रमुख नदियाँ- उत्तरी कोयल एवं औरंगा
> प्रमुख खनिज–चूना पत्थर, कोयला, बॉक्साइट
> प्रमुख उद्योग-हिन्डालको का स्मेल्टर प्लाष्ट बीड़ी उद्योग आदि।
> पर्यटन स्थल-नेतरहाट, बेतला राष्ट्रीय उद्यान, क्रान्ति प्रपात, लोधा जलप्रपात, जलप्रपात ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *