टिप्पणी लिखें- ( क ) अम्ल वर्षा (Acid Rain), (ख ) अग्नि (Agni)

टिप्पणी लिखें- ( क ) अम्ल वर्षा (Acid Rain), (ख ) अग्नि (Agni)

(40वीं BPSC/1995 )
 उत्तर – (क) अम्ल वर्षा (Acid Rain) – औद्योगिक विकास एवं मनुष्य के जीवन स्तर के उच्च होने के कारण विभिन्न स्त्रोतों से विषैली गैसों, जैसे-सल्फर डाईआक्साइड (SO2,) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का उत्सर्जन बढ़ा है। वायुमंडल में पहुंचकर ये गैस अभिक्रियास्वरूप क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4,) एवं नाइट्रिक अम्ल (HNO3,) बनाते हैं। ये अम्ल जब जल के साथ धरातल पर पहुंचते हैं, तो उसे अम्ल वर्षा कहते हैं।
अम्लीय वर्षा मानव सहित विभिन्न जीवों, पेड़-पौधों के लिए हानिकारक होते हैं। कृषि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। झीलों, तालाबों एवं जल भडारों में जलीय जीवों की मृत्यु के लिए अम्लीय वर्षा उत्तरदायी हो सकती है। इस कारण इसे कभी-कभी ‘झील कातिल’ (Lake Killer) भी कहा जाता है।
स्मारकों आदि को अम्ल वर्षा से संक्षरण (Corrosion) का खतरा रहता है। इसी कारण कहा जाता है कि मथुरा स्थित तेल शोधक एवं आसपास के औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले सल्फर डाईऑक्साइड (SO,) के कारण ताजमहल के संगमरमर को संक्षरण का खतरा है। यद्यपि भारत में अम्ल वर्षा की समस्या वर्तमान में ज्यादा घातक नहीं है लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारण अब हमें सचेत होने की आवश्यकता है।
> सल्फ्यूरिक अम्ल (H,SO4) एवं नाइट्रिक अम्ल (HNO3) युक्त वर्षा को अम्ल वर्षा कहते हैं।
> अम्ल वर्षा मनुष्य सहित विभिन्न जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों के लिए घातक है, झीलों तालाबों के जीवों पर इसके बुरे प्रभाव के कारण इस वर्षा को झील कातिल (Lake Killer) भी कहते हैं।
> अम्ल वर्षा भवनों विशेषकर स्मारकों के लिए घातक है।
(ख) अग्नि (Agni) – 1983 में प्रारंभ किए गए समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Programme-IGMDP) के अंतर्गत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के द्वारा अब तक अग्नि शृंखला के तीन बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-I, अग्नि-II, अग्नि III का विकास किया गया है।
> अग्नि-I : यह सतह से सतह पर मार करने वाला मध्य दूरी का बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता 700-800 किमी. है।
> अग्नि-II : यह स्वदेशी तकनीक से विकसित परंपरागत और परमाणु आयुध वहन करने में सक्षम मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 2200 किमी. है एवं इसे 3000 से 3500 किमी. तक बढ़ाया जा सकता है।
> अग्नि-III: यह भारत द्वारा विकसित लंबी दूरी का ठोस ईंधन आधारित बैलिस्टिक मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 3000 किमी. है एवं इसे 5000 किमी तक बढ़ाया जा सकता है । अग्नि- T-III के सफल परीक्षण से उत्साहित DRDO के वैज्ञानिकों ने अब अग्नि श्रृंखला का नया संस्करण अग्नि-IV एवं अग्नि-V का भी विकास कर लिया है।
> मध्यम दूरी का बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-I की मारक क्षमता 700-800 किमी., अग्नि-II की मारक क्षमता परंपरागत और परमाणु आयुध दोनों में सक्षम 2200 किमी. है और इसे 3000 से 3500 किमी तक बढ़ाया जा सकता है। लंबी दूरी की अग्नि-III की मारक क्षमता 3000 से 5000 किमी. है।
> DRDO के वैज्ञानिक अग्नि श्रृंखला का नया संस्करण अग्नि-IV एवं अग्नि-V का भी विकास कर चुके हैं।
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