जलवायु परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? जलवायु परिवर्तन के क्या कारण हैं? भारत सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन पर निर्मित राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत कौन-कौन से लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं? बिहार सरकार द्वारा इस संबंध में क्या-क्या कदम उठाए गए हैं? वर्णन कीजिए।

जलवायु परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? जलवायु परिवर्तन के क्या कारण हैं? भारत सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन पर निर्मित राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत कौन-कौन से लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं? बिहार सरकार द्वारा इस संबंध में क्या-क्या कदम उठाए गए हैं? वर्णन कीजिए।

अथवा

जलवायु परिवर्तन को परिभाषित कीजिए। जलवायु परिवर्तन के कारणों एवं इस पर भारत सरकार द्वारा निर्मित कार्य योजनाओं की चर्चा कीजिए | बिहार सरकार ने जलवायु परिवर्तन पर क्या-क्या कदम उठाए? वर्णन कीजिए।
उत्तर- सूर्य के सापेक्ष पृथ्वी की गति जलवायु को निश्चित करती है। जलवायु परिवर्तन मौसमी परिवर्तनों से ईतर सुस्थिर घटना है। सूरज की किरणों की मात्रा एवं उसकी पृथ्वी से दूरी जलवायु को निश्चित करती है। यदि मार्च महीने से जब सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर सीधी पड़नी शुरू हो जाएं तो वहां ग्रीष्म ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है । इस प्रक्रिया में जून तक सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर पड़नी शुरू हो जाती हैं। इस तरह मार्च से सितम्बर तक सूर्य का उत्तरी गोलार्द्ध में होना ग्रीष्म ऋतु का द्योतक है, वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध में किरणों की कम मात्रा के कारण शरद ऋतु का आगमन रहता है। इसी प्रकार सितम्बर से मार्च तक सूर्य का दक्षिणी गोलार्द्ध में होना वहां ग्रीष्म ऋतु का और उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु का संकेत है। ये ऋतुएं एक निश्चित काल तक समान होती हैं।
बाह्य एवं आन्तरिक कारकों ने इस प्रक्रिया में अवरोध खड़ा कर दिया है। आंतरिक कारकों में, मानवीय क्रियाकलाप तथा बाह्य कारकों में ब्रह्माण्डीय क्रिया के अलावा पृथ्वी की सतह पर हलचल ने जलवायु परिवर्तन की दिशा ही बदल दी है। भौतिकतावाद एवं बढ़ती आबादी के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अति दोहन इसके जिम्मेदार हैं। मानव बिना सोचेसमझे जंगलों को काट रहा है, खनन एवं नदियों पर ऊंचे बांध बनाकर प्राकृतिक आपदाओं को आमंत्रित कर रहा है। उद्योगों के अपशिष्ट एवं रासायनिक क्रियाकलाप वैश्विक तापन के कारण हैं। इन सभी क्रियाकलापों से पृथ्वी का रक्षक ओजोन परत की हानि हो रही है जिनसे पृथ्वी का ताप निरन्तर बढ़ रहा है।
2008 जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना प्रारंभ हुई थी। इसमें जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने तथा विकास के पथ की पारिस्थितकीय टिकाऊपन बढ़ाने की कार्यनीति की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। इसके अनुसरण में आठ राष्ट्रीय मिशनों की शुरुआत की जा रही है
1. राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन
2. ऊर्जा क्षमता बढ़ाने का मिशन
3. रहन-सहन के लिए मिशन
4. जल संरक्षण मिशन
5. हिमालय के लिए मिशन
6. ग्रीन इण्डिया मिशन
7. टिकाऊ कृषि मिशन
8. ज्ञान का रणनीतिक मिशन
सभी आठ मिशन संबंधित मंत्रालयों द्वारा स्थापित किए गए हैं। संयोजक अंतरक्षेत्रीय दल द्वारा किया जा रहा है जिसमें संबंधि त मंत्रालयों के साथ-साथ वित्त मंत्रालय, योजना आयोग, उद्योगों के विशेषज्ञ, शिक्षाविद् एवं जागरूक नागरिक शामिल हैं। प्रत्येक मिशन में निर्धारित लक्ष्यों को 12वीं योजना काल 2012-17 के दौरान हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि मिशन क्रियान्वयन की शीर्ष संस्था जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री का परिषद् है।
जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार भारत सरकार के साथ मिलकर कई योजनाओं पर काम कर रही है। केन्द्र सरकार और कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां इसके लिए फण्ड देने को तैयार हैं। केन्द्र नल एडाप्टेशन फण्ड ऑन क्लाइमेट चेंज स्कीम और अंतर्राष्ट्रीय ग्रीन क्लाइमेट फण्ड का संचालन हेतु क्रियान्वयन एजेंसी नाबार्ड को बनाया गया है। नाबार्ड की कंसल्टेंसी नैबकान्स बिहार राज्य को ग्रीन क्लाइमेट फण्ड के लिए प्रोजेक्ट देने के लिए तैयार है ।
बिहार सरकार द्वारा 300 गांवों का चयन जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण उपायों में से एक है। इसके लिए 25 करोड़ की राशि से फण्ड बनाया गया है। इसके लिए नालंदा – शेखपुरा और समस्तीपुर- दरभंगा कोरिडोर का चयन किया गया है। इन दो कोरिडोरों के तीन सौ गांव को स्मार्ट गांव के रूप में चयन कर किसानों को तनकीकी जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा सरकार ने हालिया घोषित कर रखा है कि- “जलवायु परिवर्तन में प्रभाव को कम करने के लिए जो योजना बनेगी, उसमें नाबार्ड राज्य सरकार की मदद करेगा। केन्द्र सरकार अंतर्राष्ट्रीय ग्रीन क्लाइमेंट फण्ड राज्य में इसके लिए 500 करोड़ रुपया खर्च करेगी। योजना की शुरुआत दक्षिण बिहार के जिलों से किया जाएगा। ” राज्य सरकार उद्योगों के अपशिष्ट एवं ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन पर भारत सरकार के साथ मिलकर भी काम कर रही है।
इस प्रकार मानव प्रेरित गतिविधियों के कारण जलवायु में अपेक्षित परिवर्तन हो रहे हैं। भारत सरकार भी इस मसले पर गंभीर है। दोनों सरकार इस पर योजनाएं चला रहे हैं, सरकार के साथ-साथ बिहार परन्तु आवश्यक आम-समूह भी जलवायु के प्रति सजग एवं सतर्क हो, तभी धारणीय विकास की अवधारणा सफल होगी, अन्यथा संपूर्ण मानवता को संकट का सामना करना पड़ जाएगा।
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