भारतेंदु युग किसे कहते है? भारतेंदु युग की विशेषताएं

भारतेंदु युग किसे कहते है? भारतेंदु युग की विशेषताएं

भारतेंदु युग को आधुनिक हिन्दी साहित्य का प्रवेश द्वार माना जाता है। इस युग के कवियों मे नवीन के प्रति मोह साथ ही प्राचीन के प्रति आग्रह भी था। भारतेन्दु युग नव जागरण का युग है। इसमे नई सामाजिक चेतना उभरकर आई। भारतेंदु युग मे देशभक्ति और राजभक्ति तत्कालीन राजनीति का अभिन्न अंग थी, जिसका स्पष्ट प्रभाव इस युग के कवियों मे देखा जा सकता है।

भारतेंदु काल मे कविता के क्षेत्र मे ब्रजभाषा का प्रयोग एवं गद्य के क्षेत्र मे खड़ी बोली का प्रयोग किया गया।खड़ी बोली का विकास इस युग की महत्वपूर्ण घटना है। इस युग मे पत्रकारिता, उपन्यास, काहानी, नाटक आलोचना, निबंध आदि अनेक गद्य विधाओं का विकास हुआ, जिसका माध्यय खड़ी बोली है। इस युग मे प्रत्येक लेखक किसी न किसी पत्रिका का सम्पादन करता था। भारतेन्दु युग मे जिन साहित्यिक रूपों और प्रवृत्तियों का बीच बोया गया था, वह द्विवेदी युग मे खूब फला फूला।

भारतेंदु युग की विशेषताएं इस प्रकार है–

1. राष्ट्रीयता की भावना

भारतेंदु युग के कवियों ने देश-प्रेम की रचनाओं के माध्यम से जन-मानस मे राष्ट्रीय भावना का बीजारोपण किया।

2. सामाजिक चेतना का विकास 

भारतेंदु युग काव्य सामाजिक चेतना का काव्य है। इस युग के कवियों ने समाज मे व्याप्त अंधविश्वासों एवं सामाजिक रूढ़ियों को दूर करने हेतु कविताएँ लिखीं।

3. हास्य व्यंग्य

हास्य व्यंग्य शैली को माध्यम बनाकर पश्चिमी सभ्यता, विदेशी शासन तथा सामाजिक अंधविश्वासों पर करारे व्यंग प्रहार किए गए।

4. अंग्रेजी शिक्षा का विरोध 

भारतेंदु युगीन कवियों ने अंग्रेजी भाषा तथा अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रति अपना विरोध कविताओं मे प्रकट किया है।

5. विभिन्न काव्य रूपों का प्रयोग 

इस काल मे काव्य के विविध रूप दिखाई देते है जैसे– मुक्तक-काव्य, प्रबंध-काव्य आदि।

6. काव्यानुवाद की परम्परा 

मौलिक लेखन के साथ-साथ संस्कृत तथा अंग्रेजी से काव्यानुवाद भी हुआ है।

भारतेन्दु युग के कवि एवं उनकी रचनाएं 

1. भारतेंदु हरिश्चन्द्र    = प्रेम-सरोवर, प्रेम-फुलवारी, वेणु-गीति,प्रेम-मल्लिका।

2. बद्रीनारायण चौधरी ” प्रेमघन ”   = जीर्ण-जनपद, आनन्द-अरूणोदय, लालित्य-लहरी।

3. प्रताप नारायण मिश्र   = प्रेम-पुष्पावली, मन की लहर, श्रंगार-विलास।

4. जगमोहन सिंह    = प्रेम-सम्पत्ति लता, देवयानी, श्यामा-सरोजिनी।

5. अम्बिका दत्त व्यास    = भारत धर्म, हो हो होरी, पावस-पचासा।

6. राधाचरण गोस्वामी    = नवभक्त माल।

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