CTET पेपर – I, कक्षा I-V 8 दिसम्बर, 2019

CTET पेपर – I, कक्षा I-V 8 दिसम्बर, 2019

भाग-I : बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र

1. निम्नलिखित में से कौन-सी प्रथाएँ सार्थक अधिगम को बढ़ावा देती हैं?
(i) शारीरिक दंड
(ii) सहयोगात्मक अधिगम पर्यावरण
(iii) सतत् एवं समग्र मूल्यांकन
(iv) ‘निरंतर तुलनात्मक मूल्यांकन
(1) (ii), (iii), (iv)
(2) (i), (ii)
(3) (ii), (iii)
(4) (i), (ii), (iii)
2. शिक्षक बच्चों की जटिल अवधारणाओं की समझ को किस प्रकार सहज कर सकते हैं?
(1) अन्वेषण एवं परिचर्चा के लिए अवसर उपलब्ध करके।
(2) एक व्याख्यान दे करके
(3) प्रतियोगितात्मक अवसरों की व्यवस्था करके ।
(4) बार-बार यांत्रिक अभ्यास के द्वारा।
3. एक प्राथमिक विद्यालय की अध्यापिका बच्चों को एक प्रभावशाली समस्यासमाधानकर्ता बनने के लिए किस प्रकार से प्रोत्साहित कर सकती है ?
(1) बच्चों को सहजानुभूत अनुमान लगाने के लिए प्रोत्साहित करके तथा उसी पर आधारित विचार मंथन करके।
(2) प्रत्येक छोटे कार्य के लिए भौतिक पुरस्कार देकर।
(3) केवल प्रक्रियात्मक ज्ञान पर बल / महत्त्व देकर।
(4) ‘गलत उत्तरों को अस्वीकार करके एवं दंडित करके।
4. निम्नलिखित में से कौन सा द्वितीयक सामाजीकरण एजेन्सी का उदाहरण है?
(1) मीडिया एवं पास-पड़ोस
(2) परिवार एवं पास-पड़ोस
(3) परिवार एवं मीडिया
(4) विद्यालय एवं मीडिया
5. निम्नलिखित अवधि में से किसमें शारीरिक वृद्धि एवं विकास तीव्र गति से घटित होता है?
(1) किशोरावस्था एवं वयस्कता
(2) शैशवावस्था एवं प्रारंभिक बाल्यावस्था
(3) प्रारंभिक बाल्यावस्था एवं मध्य बाल्यावस्था
(4) मध्य बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था
6. निम्नलिखित में से कौन सा विकास का सिद्धांत नहीं है?
(1) विकास सार्वभौमिक है तथा सांस्कृतिक संदर्भ इसे प्रभावित नहीं करते।
(2) विकास जीवनपर्यन्त होता है।
(3) विकास परिवर्त्य होता है।
(4) विकास आनुवंशिकता एवं पर्यावरण दोनों के द्वारा प्रभावित होता है।
7. वैयक्तिक विभिन्नताओं का प्राथमिक कारण क्या है ?
(1) आनुवंशिकता एवं पर्यावरण के बीच जटिल पारस्परिक क्रिया |
(2) लोगों के द्वारा माता-पिता से प्राप्त आनुवंशिक संकेत पद्धति (कोड)
(3) जन्मजात विशेषताएँ
(4) पर्यावरणीय प्रभाव
8. बच्चों में जेंडर रूढ़िवादिता एवं जेंडरभूमिका अनुरूपता को कम करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी पद्धति प्रभावशाली है?
(1) जेंडर – पृथक् बैठने की व्यवस्था करना।
(2) जेंडर – पक्षपात के बारे में परिचर्चा ।
(3) जेंडर – विशिष्ट भूमिकाओं को महत्त्व देना।
(4) जेंडर – पृथक् खेल समूह बनाना।
9. निम्नलिखित में से किस मनोवैज्ञानिक ने बच्चों को ज्ञान के सक्रिय जिज्ञासु के रूप में देखते हुए उनके चिंतन पर सामाजिक एवं सांस्कृतिक विषय वस्तुओं के प्रभाव को महत्त्व दिया ?
(1) लारेंस कोलबर्ग
(2) जॉन बी. वाट्सन
(3) लेव वायगोट्स्की
(4) जीन पियाजे
10. भाषा के अर्जन एवं विकास के लिए सर्वाधिक संवेदनशील अवधि कौन-सी है?
(1) किशोरावस्था
(2) जन्म पूर्व अवधि
(3) प्रारंभिक बाल्यावस्था
(4) मध्य बाल्यावस्था
11. निम्नलिखित में से कौन सी लॉरेंस कोलबर्ग के द्वारा प्रस्तावित नैतिक विकास की एक अवस्था है? 
(1) उद्योग बनाम अधीनता अवस्था
(2) प्रसुप्ति अवस्था
(3) सामाजिक अनुबंध अभिविन्यास
(4) मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
12. कक्षा में परिचर्चा के दौरान एक शिक्षक ‘प्राय: लड़कियों की तुलना में लड़कों पर अधिक ध्यान देता है। यह किसका उदाहरण है ?
(1) जेंडर समरूपता
(2) जेंडर पक्षपात
(3) जेंडर पहचान
(4) जेंडर संबद्धता
13. बच्चों के संज्ञानात्मक विकास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सी पियाजे की संरचना है ?
(1) प्रबलन
(2) स्कीमा
(3) अवलोकन अधिगम
(4) अनुबंधन
14. जिंग- जॉ पहेली को करते समय 5 वर्ष की नज्मा स्वयं से कहती है, “नीला टुकड़ा कहाँ है? नहीं, यह वाला नहीं, गाढ़े रंग वाला जिससे यह जूता पूरा बन जाएगा।” इस प्रकार की वार्ता को वायगोट्स्की किस तरह संबोधित करते हैं?
(1) आत्मकेन्द्रित वार्ता
(2) व्यक्तिगत वार्ता
(3) जोर से बोलना
(4) पाड़ (ढाँचा)
15. बच्चों को संकेत देना तथा आवश्यकता पड़ने पर सहयोग प्रदान करना, निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?
(1) पाड़ (ढाँचा)
(2) प्रबलन
(3) अनुबंधन
(4) मॉडलिंग
16. निम्नलिखित व्यवहारों में से कौन-सा जीन पियाजे के द्वारा प्रस्तावित ‘मूर्त संक्रियात्मक अवस्था’ को विशेषित करता है?
(1) प्रतीकात्मक खेल; विचारों की अनुत्क्रमणीयता
(2) परिकल्पित – निगमनात्मक तर्क; साध्यात्मक विचार
(3) संरक्षण; कक्षा समावेशन
(4) आस्थगित अनुकरण; पदार्थ स्थायित्व
17. आकलन का प्राथमिक उद्देश्य क्या होना चाहिए?
(1) रिपोर्ट कार्ड में उत्तीर्ण या अनुत्तीर्ण अंकित करना।
(2) विद्यार्थियों के लिए श्रेणी निश्चित करना।
(3) संबंधित अवधारणाओं के बारे में . बच्चों की स्पष्टता तथा भ्रांतियों को समझना।
(4) विद्यार्थियों के प्राप्तांकों के आधार पा उनको नामांकित करना ।
18. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा बुद्धि के बारे में सही है?
(1) बुद्धि बहु-आयामी है तथा जटिल योग्यताओं का एक समूह है।
(2) बुद्धि एक निश्चित योग्यता है जो जन्म के समय ही निर्धारित होती है।
(3) बुद्धि को मानकीकृत परीक्षणों के प्रयोग से सटीक रूप से मापा एवं निर्धारित किया जा सकता है।
(4) बुद्धि एक एकात्मक कारक तथा एक एकाकी विशेषक है।
19. रूही हमेशा समस्या के एकाधिक समाधानों के बारे में सोचती है। इनमें से काफी समाधान मौलिक होते हैं। रूही किन गुणों का प्रदर्शन कर रही है ?
(1) आत्म-केन्द्रित विचारक
(2) सृजनात्मक विचारक
(3) अभिसारिक विचारक
(4) अनम्य विचारक
20. शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में उल्लेख की गई ‘समावेशी शिक्षा’ की अवधारणा निम्नलिखित में किस पर आधारित है?
(1) मुख्यतः व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध अशक्त बच्चों को मुख्यधारा में शामिल करना
(2) व्यवहारवादी सिद्धांत
( 3 ) अशक्त बच्चों के प्रति एक सहानुभूतिक अभिवृत्ति
(4) अधिकार – आधारित मानवतावादी परिप्रेक्ष्य
21. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में, वंचित समूह से संबंधित विद्यार्थियों के द्वारा सहभागिता कम होने की स्थिति में एक शिक्षक को क्या करना चाहिए ?
(1) अपनी शिक्षण पद्धति पर विचार करना चाहिए तथा बच्चों की सहभागिता में सुधार करने के लिए नए तरीके ढूँढ़ने चाहिए।
(2) बच्चों को विद्यालय छोड़ने के लिए कहना चाहिए।
(3) इस स्थिति को जैसी है, स्वीकार कर लेना चाहिए ।
(4) इन विद्यार्थियों से अपनी अपेक्षाओं को कम करना चाहिए।
22. एक समावेशी कक्षा में, एक शिक्षक को विशिष्ट शैक्षिक योजनाओं को
(1) तैयार करने के लिए हतोत्साहित होना चाहिए।
(2) तैयार नहीं करना चाहिए ।
(3) कभी-कभी तैयार करना चाहिए ।
(4) सक्रिय रूप से तैयार करना चाहिए ।
23. ‘पठनवैफल्य’ बच्चों के प्राथमिक लक्षण क्या हैं?
(1) एक ही गतिविषयक कार्य को बार-बार दोहराना
(2) न्यून – अवधान विकार
(3) अपसारी चिंतन; पढ़ने में धाराप्रवाहिता
(4) धाराप्रवाह पढ़ने की अक्षमता
24. संवेग एवं संज्ञान एक दूसरे से………हैं |
(1) संबंधित नहीं
(2) पूर्णतया अलग
(3) स्वतंत्र
(4) सन्निहित
25. संरचनावादी ढाँचे में, अधिगम प्राथमिक रूप से
(1) अवबोधन की प्रक्रिया पर केंद्रित है।
(2) यंत्रवत् याद करने पर आधारित है।
(3) प्रबलन पर केंद्रित है।
(4) अनुबंधन द्वारा अर्जित है।
26. अनेक घटनाओं के बारे में बच्चों के द्वारा बनाए गए ‘सहजानुभूत सिद्धांतों’ के संदर्भ में एक शिक्षिका को क्या करना चाहिए?
(1) प्रतिकूल प्रमाण एवं उदाहरणों को प्रस्तुत करके बच्चों के इन सिद्धान्तों को चुनौती देनी चाहिए।
(2) बच्चों के इन सिद्धान्तों को अनदेखा करना चाहिए ।
(3) बच्चों को दंडित करना चाहिए।
(4) बार-बार याद करने के द्वारा एक सही सिद्धांत से ‘बदल’ देना चाहिए ।
27. छात्र केंद्रित शिक्षाशास्त्र की क्या विशेषता है?
(1) योग्यता के आधार पर विद्यार्थियों को नामांकित करना तथा वर्गीकरण • करना
(2) केवल पाठ्यपुस्तकों पर निर्भर होना
(3) बच्चों के अनुभवों को प्रमुखता देना
(4) यंत्रवत् याद करना
28. संरचनावादी सिद्धान्तों के अनुसार अधिगम के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?
(1) अधिगम सक्रिय विनियोजन के द्वारा ज्ञान की संरचना की प्रक्रिया है।
(2) अधिगम पुनरुत्पादन एवं स्मरण की प्रक्रिया है।
(3) अधिगम यंत्रवत् याद करने की प्रक्रिया है।
(4) अधिगम आवृत्तीय संबंध के द्वारा व्यवहारों का अनुबंधन है।
29. विद्यार्थियों को स्पष्ट उदाहरण एवं गैर- उदाहरण देने के क्या परिणाम है?
(1) यह अवधारणात्मक समझ के बजाय कार्यविधिक/प्रक्रियात्मक ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करता है।
(2) अवधारणात्मक परिवर्तनों को प्रोत्साहित करने के लिए यह एक प्रभावशालीतरीका है।
(3) यह विद्यार्थियों के दिमाग में भ्रांतियाँ उत्पन्न करता है।
(4) यह अवधारणाओं की समझ में अभाव पैदा करता है।
30. बच्चों को अधिगम गतिविधियों में भागीदारी करने के लिए लगातार पुरस्कार देना व दंड का प्रयोग करने से क्या प्रभाव पड़ता है?
(1) अधिगम में बच्चों की स्वाभाविक अभिरुचि तथा जिज्ञासा कम होती है।
(2) बाहरी अभिप्रेरणा कम होती है।
(3) आंतरिक अभिप्रेरणा बढ़ती है।
(4) यह बच्चों को प्रदर्शन आधारित लक्ष्यों के बजाय निपुणता पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

भाग- II: गणित

31. निम्नलिखित में से क्या गणितीय तर्कणा की सूचक है ?
(1) विभिन्न परिस्थितियों में सही सूत्रों को स्मरण करने की क्षमता।
( 2 ) गणितीय संकल्पनाओं की परिभाषा देने की क्षमता
(3) गणितीय प्रक्रिया की तर्कसंगतता देने की क्षमता
(4) परिकलन में निपुणता की क्षमता
32. प्राथमिक स्तर पर ज्यामिति के अध्यापन के लिए वांछनीय प्रक्रिया पहचानिए ।
(1) प्राथमिक स्तर पर व्यापक ज्यामितीय शब्दसंग्रह का विकास करना उद्देश्य नहीं होना चाहिए ।
(2) प्राथमिक स्तर पर ज्यामिति को सरल मूलभूत आकृतियों की पहचान तक सीमित रखना चाहिए।
(3) अध्यापक को प्रारंभ में सरल आकृतियों की स्पष्ट परिभाषा देनी चाहिए और उदाहरण दिखाने चाहिए।
(4) बच्चों को प्रचुर अवसर दिए जाने चाहिए कि वे दिक्स्थान की अंतर्दर्शी समझ को विकसित कर सकें।
33. सुपर बाजार में सब्जियों की मूल्य सूची निम्नलिखित है :
संजय ने 1/2 किग्रा. टमाटर, 1 किग्रा.
आलू, 1/2 किग्रा. गाजर, 250 ग्राम मिर्च और 6 नींबू खरीदे। उसने बिल क्लर्क को काउंटर पर ₹ 200 का नोट दिया। उसे कितने रुपये वापिस मिलेंगे?
(1) ₹97.50
(2) ₹112.50
(3) ₹87.50
(4) ₹86.50
34. एक रेलवे स्टेशन पर कार पार्किंग की पार्किंग दर निम्न रूप चित्रित की गई है :
(a) 2 घण्टे तक – ₹50
(b) 2 घण्टे से ऊपर और 5 घण्टे तक – ₹75
(c) 5 घण्टे के पश्चात – 8 घण्टे तक प्रति अतिरिक्त घण्टा ₹10
(d) 8 घण्टे से ऊपर और 12 घण्टे तक – ₹150
(e) 12 घण्टे से ऊपर और 24 घंटे तक – ₹250
राजीव ने अपनी कार को 7.00a.m. पर पार्क किया और उसे उसी दिन ही लेने वह 4.30pm. पर आया। उसे कितने रुपए का भुगतान करना होगा?
(1) ₹100
(2) ₹135
(3) ₹150
(4) ₹130
35. मैं एक दो अंकों की संख्या हूँ। 
दहाई के स्थान पर अंक और इकाई के स्थान पर अंक क्रमिक अभाज्य संख्याएँ हैं।
अंकों का योग 3 और 4 का गुणज है।
संख्या है
(1) 13
(2) 57
(3) 23
(4) 35
36. एक पाँच अंकों की संख्या में, दहाई के स्थान का अंक 8, इकाई के स्थान का अंक दहाई के स्थान के अंक का एक-चौथाई, हजार के स्थान का अंक 0, सौवें स्थान का अंक इकाई के स्थान का दुगुना और दस हजारवें स्थान का अंक इकाई के स्थान का तिगुना है। संख्या क्या है?
(1) 60482
(2) 64082
(3) 64028
(4) 46028
37. आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर निम्नलिखित में से कौन सी संख्या तृतीय स्थान पर होगी ?
7.07,7.70,7.707, 7.007, 0.77
(1) 7.707
(2), 7.70
(3) 7.007
(4) 7.07
38. एक वर्ग की भुजा 4cm है। इसे काट, कर 4 बराबर वर्गों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक छोटे वर्ग का क्षेत्रफल क्या होगा?
(1) 8 cm2
(2) 4 cm2
(3) 1 cm2
(4) 16 cm2
39. तीन ब्रांड A, B तथा C के पेन क्रमश: 10, 12 और 24 के पैकेटों में उपलब्ध हैं। यदि एक दुकानदार को तीनों प्रकार के पेन समान संख्या में खरीदने हैं, तो उसके द्वारा खरीदे जाने वाले पैकेटों की न्यूनतम संख्या क्या होगी?
(1) A = 12, B = 10, C = 5
(2) A = 10, B = 12, C = 5
(3) A = 5, B = 12, C = 10
(4) A = 10, B = 5, C = 12
40. निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है ?
(1) एक अंक वाली केवल चार अभाज्य संख्याएँ हैं।
(2) सभी अभाज्य संख्याएँ विषम संख्याएँ होती हैं।
(3) अभाज्य संख्याएँ अपरिमित रूप से अनेक हैं।
(4) अभाज्य संख्याओं के केवल दो गुणनखण्ड होते हैं।
41. वह संख्या जो 1 से 10 (दोनों सम्मिलित) तक सभी संख्याओं से विभाज्य होगी, निम्न है :
(1) 2520
(2) 10
(3) 100
(4) 604
42. आयशा के पास केवल ₹ 5 और ₹10 के सिक्के हैं। यदि उसके पास सिक्कों की कुल संख्या 25 और ₹160 का धन है, तो उसके पास ₹ 5 और ₹ 10 के सिक्कों की संख्या है :
(1) क्रमश: 20 और 5
(2) क्रमश: 18 और 7
(3) क्रमश: 10 और 15.
(4) क्रमश: 15 और 10
43. एक बाग के वृक्षों में नीम के वृक्षों कीसंख्या एक छठवाँ भाग है। आधे वृक्ष अशोक के हैं और शेष यूकेलिप्टस के हैं। यदि नीम के वृक्षों की संख्या 5 है, तो बाग में यूकेलिप्टस के कितने वृक्ष हैं?
(1) 20
(2) 5
(3) 10
(4) 15
44. मान ज्ञात कीजिए :
17.5 × 3 – 21 ÷ 7 – 3 × 12.5
(1) 50
(2) 52.5
(3) 12
(4) 120
45. निम्नलिखित में से किसमें लम्बाइयों को घटते क्रम में व्यवस्थित किया गया है ?
(1) 8500mm, 80dm8cm, 800 cm 8mm, 8m
(2) 8500mm, 800cm 8mm, 80dm 8cm, 8m
(3) 80dm 8cm, 8500mm, 8 m, 800cm 8mm
(4) 8m, 80dm 8cm, 8500 ..mm,800cm 8mm
46. एक रेलगाड़ी दिल्ली से 29 अगस्त, 2019 को 16 : 30 बजे प्रस्थान करती है और अपने गंतव्य पर 31 अगस्त को 08:45 बजे पहुँचती है। इस यात्रा का कुल समय है 
(1) 40 घंटे 15 मिनट
(2) 36 घंटे 15 मिनट
(3) 38 घंटे 45 मिनट
(4) 39 घंटे 45 मिनट
47. एक 180cm लम्बी तार को एक आयत का रूप दिया गया। यदि आयत की चौड़ाई 30 cm है तो इसकी लम्बाई क्या है?
(1) 120cm
(2) 45cm
(3) 60cm
(4) 90cm
48. कक्षा II के छात्रों को 44 लिखने के लिए कहा गया, तो कुछ ने 404 लिखा। अध्यापक के रूप में आप इसको कैसे संबोधित करेंगे?
(1) उन्हें सही उत्तर प्राप्त करने के लिए कहेंगे ।
(2) उनकी कॉपियों में सही उत्तर लिखेंगे।
(3) उन्हें मूर्त पदार्थ से विनिमय नियम समझायेंगे।
(4) उनको उस समूह में रखेंगे, जिसने सही लिखा है।
49. गणित के प्राथमिक पाठ्यक्रम में ‘प्रतिचित्रण’ का परिचय देने का मुख्य प्रयोजन है
A. त्रिविम विचार – क्षमता को प्रोत्साहन देना ।
B. आनुपातिक विवेचन को प्रोत्साहन देना।
C. विषय को सरल और रुचिकर बनाना।
D. संख्याओं की नीरसता को समाप्त करना।
(1) B और C
(2) A और C
(3) A और D
(4) A और B
50. सूत्र का प्रयोग किए बिना अध्यापक, निम्नलिखित में से किन साधनों / शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोग यह दर्शाने के लिए कर सकता है, कि विभिन्न आयामों वाले दो आयतों का क्षेत्रफल समान हो सकता है :
A. पैमाना
B. ग्राफ पेपर
C. धागा
D. टाइल
(1) A और D
(2) केवल B
(3) B और D
(4) केवल C
51. एन सी एफ (राष्ट्रीय पाठ्यचर्या) 2005 के अनुसार निम्नलिखित में से कौन से विषय प्राथमिक विद्यालय में गणित पाठ्यक्रम का भाग नहीं हैं?
(1) अनुपात
(2) चौपड़ (टाइलिंग)
(3) सममिति
(4) प्रतिरूप
52. निम्न में से गणित में उपलब्धि कम होने का कारण क्या हो सकता है?
(1) व्यक्ति की स्वाभाविक क्षमता
(2) लिंग
(3) सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
(4) गणित का स्वरूप
53. यह समझाने के लिए कि 1/4 , 1/3 , से छोटा है, निम्नलिखित में से कौन सी योजना सबसे अधिक उपयुक्त है?
(1) संख्या चार्ट का प्रयोग
(2) लघुत्तम समापवर्तक विधि का प्रयोग
(3) कागज की पट्टियों का प्रयोग
(4) डाइनिस ब्लॉक्स ( (Dienes blocks) का प्रयोग
54. प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को गणित पढ़ाने के लिए बनाई जाने वाली पाठ योजना का निम्नलिखित से कौन सा अति महत्त्वपूर्ण पहलू है?
(1) क्रियाकलापों को लिखना और इस संदर्भ में प्रश्न देना।
(2) पाठ्य पुस्तक के अनुक्रम का अनुसरण करना
(3) गणितीय संकल्पनाओं को संरचनात्मक ढंग से प्रस्तुत करना
(4) विद्यार्थियों को अवसर देना कि वे संकल्पनाओं की संरचना करें।
55. निम्नलिखित में से कौन से कथन की सहमति गणित के संरचनात्मक (रचनावादी दृष्टिकोण) से की जा सकती है?
(1) मानसदर्शन गणित का महत्त्वपूर्ण पहलू है।
(2) गणित तथ्यों को सीखने के बारे में है।
(3) गणितज्ञों से सच्चाई का आविष्कार अपेक्षित होना चाहिए।
(4) गणित पूर्णतया विषयपरक है।
56. निम्नलिखित में से किसे संरचनात्मक (रचनावादी) गणितीय कक्षा कक्ष का लक्षण नहीं माना जा सकता है ?
(1) गणित और दूसरे पाठ्येतर क्षेत्रों के बीच के संबंधों को उजागर किया जाता है।
(2) गणित के अधिगम में भाषा और संवादों की भूमिका पर उचित ध्यान दिया जाता है।
(3) अध्यापक स्वीकार करता है कि दी गई अन्योन्य क्रिया को विभिन्न विद्यार्थी अलग-अलग प्रकार से समझ सकते हैं। .
(4) प्राथमिक स्तर पर आकलन के लिए विषयपरक प्रकार की परीक्षा का उपयोग किया जाता है।
57. गणित के अधिगम के संबंध में निम्नलिखित में से क्या सही नहीं है ?.
(1) विद्यालय में दिए जाने वाले निर्देशों की भाषा का असर बच्चे के गणित के प्रदर्शन पर हो सकता है।
(2) गणित में उत्कृष्ट प्रदर्शन की प्रतिभा स्वाभाविक होती है।
(3) अध्यापक के सीखने वालों के प्रति विचारों का अधिगम परिणामों पर प्रभावशाली असर होता है।
(4) विद्यार्थियों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि का गणित के निष्पादन असर होता है।
58. निम्नलिखित में से कौन सा क्रियाकलाप बच्चों में त्रिविम समझ को विकसित करने के लिए अधिक उपयुक्त है?
(1) संख्याओं को संख्या रेखा पर निरूपित करना।
(2) बोतल के ऊपरी दृश्य को चित्रित करना।
(3) मानचित्र पर शहरों का स्थान निर्धारण करना।
(4) चंद्रमा के उदय होने का समय लिखना।
59. हिंदू- अरबी गणना प्रणाली के लिए निम्नलिखित में से कौन सा सही नहीं है?
(1) यह गुणनात्मक प्रकृति का है।
(2) एक संख्या में अंक की स्थिति इसका मान बताती है।
(3) यह योगात्मक प्रकृति का है।
(4) इसमें आधार 2 की प्रणाली का पालन किया जाता है।
60. निम्नलिखित शाब्दिक समस्या के प्रकार को पहचानिए ।
मेरे पास 6 पेंसिल हैं। मनीष के पास मेरे से दो अधिक हैं। मनीष के पास कितनी पेंसिल हैं?
(1) व्यवकलित घटा
(2) तुलनात्मक जमा
(3) तुलनात्मक घटा
(4) व्यवकलित जमा

भाग-III: पर्यावरण अध्ययन

61. निम्नलिखित में से कौन सा पर्यावरण अध्ययन में सीखने का रचनात्मक आकलन का साधन नहीं ।
(1) वार्षिक उपलब्धि परीक्षण
(2) पोर्टफोलियो
(3) क्रम निर्धारण मापनी
(4) वर्णन अभिलेख
62. निम्नलिखित में से किसको पर्यावरण अध्ययन में बच्चों के आकलन में दूर करना चाहिए?
(1) बच्चों के सीखने के गुणात्मक आकलन।
(2) बच्चों के उत्तरों को सही या गलत में आँकना।
(3) कंक्षा V के EVS पाठ्यपुस्तक में प्रत्येक पाठ के अंत में दिए गए ‘आज हमने क्या सीखा’ पर चर्चा |
(4) आकलन के संकेतकों का उपयोग।
63. एक कक्षा V की शिक्षक एक क्रियाकलाप का संचालन करती है जिसमें वह कक्षा के बच्चों से फर्श पर चीनी के कुछ दाने डालने को कहती है और उनको चींटियों के आने का इंतजार करने को कहती है । बच्चों को इस क्रियाकलाप से अर्थपूर्ण सीखने को मिल सकता है यदि शिक्षक-
(1) बच्चों को क्रियाकलाप से संबंधित प्रश्नों को घर से करने को प्रेरित करती है।
(2) बच्चों को क्रियाकलापका करने को प्रेरित करती है।
(3) बच्चों को अपने अनुभव साझा करने को प्रेरित करती है।
(4) बच्चों को क्रियाकलाप का अवलोकन, अनुभव साझा और उस पर चर्चा करने को प्रेरित करती है।
64. नीचे दी गयी सूची पर विचार कीजिए : कछुआ, घड़ियाल, कौआ, बत्तख, मछली इस सूची में से निम्न में से कौन सा दूसरों से भिन्न
(1) कछुआ
(2) मछली
(3) कौआ
(4) घड़ियाल
65. कॉलम-I
(शहर / राज्य )
A. हाँगकांग
B. केरल
C. कश्मीर
D. गोआ
कॉलम-II
(अत्यधिक पसन्द का भोजन )
I. किसी भी करी के साथ उबला टैपिओका
II. सरसों के तेल में बनी मछली
III. नारियल के तेल में बनी समुन्दर की मछली
IV. छोले-भटूरे
V. पकाया हुआ साँप
कॉलम-I की मदों का कॉलम-II की मदों से सही मिलान है-
(1) A-III; B-II; C-IV; D-I
(2) A-V; B-II; C-III; D-IV
(3) A-V; B-I; C-II; D-III
(4) A-V; B-III; C-II; D-I
66. नीचे दिए गए पक्षियों की कौन सी प्रजाति झटके से अपनी गर्दन आगे-पीछे करती है?
(1) मैना
(2) उल्लू
(3) कौआ
(4) बसन्त गौरी
67. हाथियों के विषय में नीचे दिए गए कथनों पर विचार कीजिए :
A. हाथी बहुत कम आराम करते हैं, यह एक दिन में केवल 2 से 4 घंटे ही सोते हैं।
B. एक बड़ा हाथी एक दिन में 200 kg से अधिक पत्तियाँ और झाड़ियाँ खा लेता है।
C. इन्हें पानी और कीचड़ में खेलना बहुत भाता है, इससे इनके शरीर को ठंडक मिलती है।
D. किसी हाथियों के झुण्ड में सबसे बुजर्ग हथिनी ही सभी फैसले लेती है।
इनमें सही कथन हैं
(1) A, B और D
(2) A, B और C
(3) B, C और D
(4) C, D और A
68. घरों के नीचे दिए गए विवरणों पर विचार कीजिए:
A. राजस्थान में गाँव के लोग मिट्टी के घरों, जिनकी छतें कंटीली झाड़ियों की होती हैं, में रहते हैं।
B. मनाली (हिमाचल प्रदेश) में घर बाँसों के खंभों पर बनाए जाते हैं।
C. लेह में पत्थर के दो मंजिलें घर बनाए जाते हैं। नीचे की मंजिल पर जरूरत का सामान और जानवरों को रखते हैं।
इनमें सही कथन है/हैं
(1) केवल C
(2) A और B
(3) B और C
(4) A और C
69. ‘रेगिस्तानी ओक’ नाम का एक पेड़ है, जो पाया जाता है
(1) संयुक्त अरब अमीरात के रेगिस्तानों में
(2) आबू धाबी में
(3) ऑस्ट्रेलिया में
(4) राजस्थान के रेगिस्तानों में
70. कोई व्यक्ति 29 नवम्बर, 2019 को एक एक्सप्रेस ट्रेन में सूरत (गुजरात) से नगरकोइल (केरल) जाने के लिए बैठा। यह ट्रेन सूरत से 19.45 बजे चली और 1 दिसम्बर, 2019 को 11.45 बजे नगरकोइल पहुँची। यदि सूरत से नगरकोइल के बीच ट्रेन – मार्ग की दूरी 2120km है, तो इस यात्रा में ट्रेन की औसत चाल थी-
(1) 45 किमी./घंटा
(2) 132.5 किमी./घंटा
(3) 60 किमी / घंटा
(4) 53 किमी / घंटा.
71. निम्नलिखित में से कौन अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वेट लिफ्टर है?
(1) कर्णम मल्लेश्वरी
(2) सुनीता विलियम्स
(3) बछेन्द्री पाल
(4) सूर्यमणि
72. नीचे दिया गया कौन सा एक समूह जड़ों का है ?
(1) गाजर, चुकन्दर, मूली
(2) चुकन्दर, आलू, अदरक
(3) गाजर, हल्दी, अदरक
(4) शकरकन्दी, मूली, हल्दी
73. नीपेन्थिस, वह पौधा जो शिकार करता है, के विषय में नीचे दिए गए कथनों पर विचार कीजिए :
A. यह पौधा ऑस्ट्रेलिया, इण्डोनेशिया और भारत में मेघालय में पाया जाता है।
B. इसका आकार घड़े जैसा होता है और इसका मुँह एक पत्ती से ढका होता है।
C. यह केवल छोटे कीड़े-मकोड़ों को फंसाकर उनका शिकार कर सकता है।
D. यह छोटे कीड़े-मकोड़ों को खींचने के लिए मोहक आवाज निकालता है जो इसमें फंस जाते हैं और बाहर नहीं निकल पाते।
इनमें सही कथन हैं
(1) A, B और C
(2) केवल A और B
(3) केवल A और C
(4) केवल B और D
74. भारत की आजादी से पहले महात्मा गाँधी ने जिस दांडी के समुद्र तट तक अपनी प्रसिद्ध यात्रा की थी वह भारत के नीचे दिए गए किस राज्य में स्थित है?
(1) गुजरात
(2) आंध्र प्रदेश
(3) कर्नाटक
(4) महाराष्ट्र
75. उच्च ज्वर (तेज बुखार) के साथ कंपकंपी जिसका उपचार सिंकोना पेड़ की छाल से किया जा सकता है, वह है
(1) डेंगू
(2) मियादी बुखार
(3) मलेरिया
(4) चिकनगुनिया
76. NCF- 2005 के अनुसार निम्नलिखित में से क्या प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन शिक्षण का उद्देश्य नहीं होना चाहिए?
(1) पर्यावरणीय समझ के द्वारा बच्चों में सटीक संख्यात्मक कौशलों का विकास करना।
(2) विशेषतः प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति बच्चे की जिज्ञासा एवं सृजनात्मकता को बढ़ावा देना।
(3) अवलोकन, वर्गीकरण और निष्कर्ष निकालने आदि प्रक्रियाओं के माध्यम से बुनियादी संज्ञानात्मक और गत्यात्मक कौशल प्राप्त करने के लिए खोजबीन से जुड़ी और हाथों से करने वाले कार्यों में बच्चों को संलग्न करना।
(4) प्राकृतिक, सांस्कृतिक व सामाजिक पर्यावरण के बीच संबंधों को पहचानने व समझने में बच्चों को प्रशिक्षित करना।
77. किसी डॉक्टर का घर X पर स्थित है तथा उसका अस्पताल Y पर स्थित है। डॉक्टर के घर से अस्पताल जाने के लिए कोई सीधी सड़क नहीं है। अतः डॉक्टर पहले A पर जाते हैं जो X के ठीक पूर्व में 600m की दूरी पर है, फिर वह B पर जाते हैं जो A के ठीक दक्षिण में 450 m की दूरी पर है, फिर वह C पर जाते हैं जो B के ठीक पश्चिम में 120m की दूरी पर है और अन्त में वह Y पर अपने अस्पताल पहुँचते हैं जो C के ठीक उत्तर में 90m की पर है। अस्पताल के सापेक्ष डॉक्टर के घर की सही दिशा क्या है?
(1) दक्षिण-पश्चिम
(2) उत्तर-पूर्व
(3) उत्तर-पश्चिम
(4) दक्षिण-पूर्व
78. ‘चेराओ’ नृत्य कहाँ के लोग करते हैं?
(1) मेघालय
(2) झारखण्ड
(3) मिजोरम
(4) मणिपुर
79. तमिलनाडु के निकटवर्ती राज्य हैं-
(1) आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक
(2) आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक
(3) केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र
(4) कर्नाटक, छत्तीसगढ़, केरल
80. पर्यावरण अध्ययन कक्षाओं III से V के लिए एक विषय क्षेत्र है, जो संकलित करता है.
(1) पर्यावरणीय शिक्षा और विज्ञान की अवधारणाओं और मुद्दों को।
(2) विज्ञान की अवधारणाओं और मुद्दों को ।
(3) पर्यावरण शिक्षा, सामाजिक अध्ययन और विज्ञान की अवधारणाओं और मुद्दों को।
(4) विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की अवधारणाओं और मुद्दों को।
81. निम्नलिखित में से क्या पर्यावरण अध्ययन के संदर्भ में सही है?
(1) I से II तक की कक्षाओं के लिए पर्यावरण अध्ययन से जुड़े मुद्दे विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के द्वारा पढ़ा जाते हैं।
(2) पर्यावरण अध्ययन एक विषय है जो I से V तक की कक्षाओं में पढ़ाया जाता है।
(3) I से II की कक्षाओं के लिए भाषा और गणित के माध्यम से पर्यावरण अध्ययन पढ़ाया जाता है।
(4) II, III और IV की कक्षाओं के लिए पर्यावरण अध्ययन से जुड़े मुद्दों को भाषा और गणित के माध्यम से पढ़ाया जाता है।
82. बच्चों को पर्यावरण अध्ययन को सीखने के लिए खोजने के द्वारा पर्याप्त समय दिया जाता है यह इंगित करता है, कि
(1) पर्यावरण अध्ययन शिक्षक केन्द्रित है।
(2) पर्यावरण अध्ययन याद करके सीखा जाता है।
(3) पर्यावरण अध्ययन सूचनाओं के द्वारा सीखा जाता है।
(4) पर्यावरण अध्ययन बाल-केन्द्रित है।
83. निम्नलिखित में से कौन-सा पर्यावरण. अध्ययन पाठ्यक्रम के सुझावित प्रकरणों का उपप्रकरण है?
(1) हम चीजें कैसे बनाते हैं?
(2) परिवार और मित्र
(3) भोजन
(4) जानवर
84. निम्नलिखित में से क्या पर्यावरण अध्ययन के शिक्षक के लिए वांछनीय गतिविधि है?.
(1) केवल पाठ्य पुस्तकों पर आश्रित रहना।
(2) विभिन्न कक्षाओं के बहुसांस्कृतिक क्षेत्रों को संबोधित करना ।
(3) पर्यावरण अध्ययन की अवधारणाओं से संबंधित महत्त्वपूर्ण सूचनाओं को बच्चों को देने के लिए प्रेरित करना ।
(4) पर्यावरण अध्ययन के छः प्रकरणों का रेखीय आयोजन करना।
85. निम्नलिखित में से क्या पर्यावरण अध्ययन में बच्चों के द्वारा ज्ञान की रचना में महत्त्वपूर्ण है?
A. बच्चों का सक्रिय भाग लेना
B. बच्चों के समुदाय के सदस्य
C. पर्यावरण अध्ययन की पाठ्य-पुस्तकें
D. पर्यावरण अध्ययन की पाठ्य पुस्तक में दी गए व्याख्या और परिभाषा
(1) केवल C
(2) A, B और C
(3) केवल A और C
(4) A, C और D
86. पर्यावरण अध्ययन के शिक्षक के द्वारा बच्चों को जानवरों का अवलोकन और उनका चित्र बनाने को प्रेरित करने का उद्देश्य है
A. बच्चों में सृजनात्मकता का विकास करना।
B. बच्चों में अवलोकन और रचना कौशलों का विकास करना।
C. बच्चों में सौंदर्यगत् वेदना का विकास करना।
(1) A, B और C
(2) केवल A
(3) केवल A और C
(4) केवल B
87. बच्चों को पर्यावरण अध्ययन सीखने में प्रभावशाली तरीके से जोड़ा जा सकता है।
A. वृत्तांत
B. कहानियाँ
C. शिक्षक के द्वारा अवधारणाओं की प्रभावशाली व्याख्या
D. शिक्षक के द्वारा अवधारणाओं का प्रभावशाली प्रदर्शन और व्याख्या
(1) A, B और C
(2) A, C, D
(3) केवल A और B
(4) केवल C और D
88. पर्यावरण अध्ययन में शिल्पकला और चित्रकला को समूह में करके सीखने पर बल दिया जाता है क्योंकि-
A. कक्षा की अनुशासनहीनता को रोकने के लिए समूह में सीखना शिक्षकों के लिए एक आसान और बहुत प्रभावशाली युक्ति है।
B. समूह में सीखना सहपाठी द्वारा सीखने को प्रोत्साहित करता है।
C. समूह में सीखना कक्षा में सामाजिक अन्तः क्रिया को बेहतर करता है।
D. समूह में सीखना पर्यावरण अध्ययन के पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करने में सहायता करता है।
(1) केवल C और D
(2) केवल A और D
(3) केवल B और D
(4) केवल B और C
89. निम्नलिखित में से क्या पर्यावरण अध्ययन को सीखने का सबसे प्रभावशाली संसाधन है?
A. परिवार के सदस्य
B. समुदाय के सदस्य
C. समाचार पत्र
D. कक्षा
(1) केवल A और B
(2) केवल D
(3) केवल C और D
(4) A, B और C
90. निम्नलिखित सीखने के कौन से सिद्धांत का पर्यावरण अध्ययन में अनुसरण होता है?
(1) ज्ञात से अज्ञात
(2) वैश्विक से स्थानीय
(3) अमूर्त से मूर्त
(4) अज्ञात से ज्ञात

भाग-IV: भाषा-I (हिन्दी)

91. ‘विकसित’ शब्द में प्रत्यय है
(1) संत
(2) सित
(3) इत
(4) त
92. अनुच्छेद के आधार पर कहा जा सकता है कि आधुनिक शिक्षा का नतीजा
(1) पता नहीं।
(2) सुखद है।
(3) दुःखद है।
(4) औसत है।
93. आधुनिक शिक्षा में किस विषय को सबसे अधिक महत्त्व दिया जाता है?
(1) इतिहास को
(2) कला को
(3) भाषा को
(4) विज्ञान को
94. अनुच्छेद के आधार पर हमें किस पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है?
(1) बाल्यावस्था पर
(2) विज्ञान पर
(3) कला प्रवृत्ति पर
(4) किशोरावस्था पर
95. अनुच्छेद के अनुसार गणित, भूगोल, इतिहास आदि विषय
(1) बोध प्रधान हैं।
(2) तर्क प्रधान हैं।
(3) भाव प्रधान हैं।
(4) कला प्रधान हैं।
96. ज्ञान-विज्ञान को बहुत अधिक महत्त्व देने के कारण
(1) व्यक्ति विध्वंस की राह पर नहीं है।
(2) समाज उन्नति कर रहा है।
(3) समाज में विभाजन हो रहा है।
(4) व्यक्ति सृजन की राह पर है।
97. किशोरावस्था तार्किकता की प्रधानता और भाव के अभाव में……का रास्ता अपना रही है।
(1) कर्म
(2) पतन
(3) ज्ञान
(4) प्रगति
98. इनमें से कौन सा शब्द समूह से भिन्न है ?
(1) अभिव्यक्ति
(2) तार्किक
(3) स्वाभाविक
(4) साहित्यिक
99. ‘आज की तालीम भी इसी दौड़ में साथ दे रही है।’ वाक्य में निपात है
(1) में
(2) आज
(3) भी
(4) इस
100. ‘निस्सीम’ शब्द में कौन सी संधि है?
(1) दीर्घ
(2) स्वर
(3) व्यंजन
(4) विसर्ग
101. हिमालय को ‘यतिवर’! कहकर संबोधित किया गया है, क्योंकि वह
(1) समस्या का हल ढूँढ रहा है।
(2) भारत का प्रहरी है।
(3) पर्वतों का स्वामी है।
(4) समाधि में लीन है।
102. ‘हिमकिरीट’ का आशय है
(1) स्वर्णिम मुकुट
(2) ठंडा मुकुट
(3) बर्फ का मुकुट
(4) चाँदी का मुकुट
103. ‘नगपति’ का विग्रह और समास होगा
(1) नगों का पति है जो, ऐसा- बहुव्रीहि
(2) रत्नों (नग) का पति तत्पुरुष
(3) नगों (पर्वतों) का पति है जो-कर्मधारय
(4) नगों (पर्वतों) का पति तत्पुरुष
104. किस पंक्ति में कहा गया है कि हिमालय शक्ति की ज्वालाओं का ढेर है?
(1) साकार, दिव्य गौरव विराट
(2) युग-युग अजेय, निबंध, मुक्त
(3) मेरे भारत के दिव्य भा
(4) पौरुष के पूँजीभूत ज्वाला
105. ‘जिसे जीता न जा सके’ उसके लिए कविता में कौन सा शब्द प्रयुक्त हुआ है?
(1) दिव्य
(2) अजेय
(3) अखंड
(4) अमर
106. बहु-भाषिकता हमारी पहचान भी है और हमारी… .. व……… का अभिन्न अंग भी।
(1) संस्कृति, चुनौतियों
(2) सभ्यता, संस्कृति
(3) सभ्यता, साहित्य
(4) संस्कृति, साहित्य
107. प्राथमिक स्तर की पाठ्य पुस्तक में कार्टून, भाषण, विज्ञापन आदि बच्चों के भाषा – क्षमता विकास में… .. हैं |
(1) अनुपयोगी
(2) सहायक
(3) बाधक
(4) निरर्थक
108. पाँचवीं कक्षा की सुहानी ‘पाँचों, किन्हें, आँखें, दोनों आदि शब्द लिखती है। आप सुहानी के लेखन क्षमता के बारे में क्या कहेंगे?
(1) वह अनुनासिक चिह्न के नियम का अति सामान्यीकरण करती है।
(2) वह अनुनासिक चिह्न का प्रयोग बिलकुल नहीं जानती।
(3) वह अनुनासिक चिह्न के प्रयोग के प्रति सजग है।
(4) वह अनुनासिक चिह्न के प्रयोग प्रति लापरवाह है।
109. विद्यालय में भाषा शिक्षण के लिए कोई कार्यक्रम शुरू करते समय सबसे महत्त्वपूर्ण है 
(1) बच्चे की पठन क्षमता को पहचानना ।
(2) बच्चे की लिखित क्षमता को पहचानना।
(3) बच्चे की सहज भाषायी क्षमता को पहचानना।
(4) बच्चे की सहज मौखिक अभिव्यक्ति को पहचानना ।
110. कई बार बच्चे जब स्कूल आते हैं तो दो या तीन भाषाओं को ……. और बोलने की क्षमता से लैस होते हैं।
(1) समझने
(2) पढ़ने
(3) लिखने
(4) रटने
111. किसी विषय को सीखने का मतलब है उसकी ……. को सीखना, उसकी ….. को सीखना।
(1) शब्दावली, विषय
(2) अवधारणाओं, विषय-वस्तु
(3) विषय-वस्तु, उपयोगी
(4) अवधारणाओं, शब्दावली
112. प्राथमिक स्तर पर बच्चों की भाषा का आकलन करने का उद्देश्य है
(1) उसकी बोलने की कुशलता का आकलन।
(2) उसकी पठन क्षमता का आकलन ।
(3) उसके भाषा प्रयोग की क्षमता का आकलन।
(4) उसकी लेखन क्षमता का आकलन ।
113. इनमें से कौन सा भाषा-आकलन में सबसे कम प्रभावी तरीका है ?
(1) श्रुतलेख
(2) कहानी कहना
(3) कहानी लिखना
(4) घटना-वर्णन
114. आकलन की प्रक्रिया में केवल बच्चे की क्षमताओं का आकलन नहीं होता बल्कि शिक्षक की शिक्षण प्रक्रिया का भी आकलन होता है । यह विचार
(1) निराधार है।
(2) पूर्णत: सही है।
(3) अंशत: सही है।
(4) पूर्णतः गलत है।
115. रीमा ने तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली ऋतिका की भाषा क्षमता, भाषा – निष्पादन संबंधी क्रमिक प्रगति का ब्यौरा उसके अभिभावकों को दिया। रीमा ने ……. के आधार पर यह जानकारी दी।
(1) लिखित परीक्षा
(2) अवलोकन
(3) पोर्टफोलियो
(4) जाँच सूची
116. पहली कक्षा में………भी लिखना के अंतर्गत आता है।
(1) चित्र बनाना
(2) वाक्य लिखना
(3) शब्द लिखना
(4) अक्षर बनाना
117. प्राथमिक स्तर पर पढ़ना सीखने में सबसे कम महत्त्वपूर्ण है
(1) पढ़ने का उद्देश्य
(2) अनुमान लगाना
(3) संदर्भानुसार अर्थ
(4) अक्षरों की पहचान
118. ‘भाषा अर्जन क्षमता’ किसके साथ संबंधित है ?
(1) ब्रूनर
(2) पियाजे
(3) चॉमस्की
(4) स्किनर
119. प्राथमिक स्तर पर भाषा सीखने में भाषा संबंधी कौन सा संसाधन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है?
(1) टेलीविजन
(2) कम्प्यूटर
(3) बाल साहित्य
(4) समाचार पत्र
120 बच्चे अपनी मातृभाषा का प्रयोग करते हुए हिंदी भाषा की कक्षा में अपनी बात कहते हैं। यह बात………..है।
(1) अनुचित
(2) स्वाभाविक
(3) निंदनीय
(4) विचारणीय

भाग-V: LANGUAGE-II (ENGLISH)

121. Which part of the following sentence contains an error ?
There is no doubt that hard
       (a)                 (b)
work paves the way to success.
            (c)            (d)
(1) (c)
(2) (d)
(3) (a)
(4) (b)
122. Which of the following statements is not true?
(1) Freedom helps man evolve morally and spiritually.
(2) Man can enjoy life only in an environment of freedom.
(3) Material progress cannot be achieved without freedom.
(4) Freedom is not one of the most important factors in life.
123. Which methods do authorities not use to suppress people fighting for freedom ?
(1) Tortures
(2) Inquisition
(3) Excommunication
(4) Persuasion
124. Reaction against established religion prompts people not to :
(1) join some cult.
(2) join other religious organisations.
(3) to start a new religion.
(4) follow some guru.
125. Real freedom, according to the author, is
(1) religious freedom.
(2) economic freedom.
(3) inner freedom.
(4) political freedom.
126. Read the following sentences :
A. Individual freedom does not exist at all in capitalist countries.
B. People do not have individual freedom in communist countries.
(1) Both A and B are false.
(2) A is false, B is true.
(3) A is true, B is false.
(4) Both A and B are true.
127. Which word is most similar in meaning to the word ‘endeavours’ as used in the passage ? (Para 1)
(1) challenges
(2) movements
(3) attempts
(4) actions
128. Which word is the most opposite in meaning to the word, ‘shun’ as used in the passage ? (Para 2)
(1) rejoice
(2) prefer
(3) rehabilitate
(4) welcome
129. Which part of speech is the underlined word in the following sentence ?
The area is home to dozens of perennial streams.
(1) Pronoun
(2) Noun
(3) Adverb
(4) Adjective
130. In the context of the passage which of the following is not true? Water should be central to our thining because :
(1) It is the core of life.
(2) We cannot survive without water.
(3) It is a life-line for our farmers.
(4) It is considered holy by most religions.
131. Which of the following has not been mentioned in the passage?
(1) The Himalayas form the back bone of our tourism industry.
(2) The Himalayas provide us with highly productive ecosystems.
(3) The Himalayas provide water to more than 1000 million people.
(4) The Himalayas irrigate mil.’ lions of hectares of land.
132. Which of the following is false?
(1) They have some of the longest glaciers.
(2) The Himalayan mountains are a fragile resource.
(3) Climate change has little effect on the Himalayas.
(4) They bring prosperity to large parts of the world.
33. What is not so special about the Himalayas in the state of Uttarakhand ?
The Himalayan state has :
(1) numerous waterfalls and ponds.
(2) many perennial streams.
(3) huge mineral deposits.
(4) many rain fed rivers.
134. Which one of the following words is most similar in meaning to the word, ‘bounty’?
(1) abundance
(2) generosity
(3) assets
(4) sympathy
135. Which word is opposite in meaning to the word, ‘benevolent’?
(1) indecent
(2) malevolent
(3) rude
(4) untruthful
136. A teacher is telling a story with actions and gestures to class III students. After this she asked them to draw pictures on the story in groups. Why do you think she asked them to draw pictures on the story?
(1) She wanted to see the participation of children while drawing.
(2) She wanted to assess their colouring and drawing. skills.
(3) She had completed her lesson as per her lesson plan so, she engaged them in drawing.
(4) She wanted to assess their comprehension of the story.
137. Active vocabulary consists of words which are…..
(1) phonological and lexical
(2) used occasionally
(3) difficult to pronounce
(4) used frequently
138. The major aim of teaching posetry is……
(1) making learners to became poets.
(2) vocabulary development.
(3) enjoyment and appreciation.
(4) development of grammar.
139. Morpheme is the
(1) smallest unit of a phrase.
(2) smallest unit of a word.
(3) smallest unit of meaning that cannot be broken up.
(4) unit of a word that can be broken up into new meaning.
140. A teacher of class II uses learner’s knowledge and language to build a bridge between his mother tongue and English language teaching. Here learner’s language is used in teaching English as a……
(1) pattern
(2) hindrance
(3) translation
(4) resource
141. BICS stands for
(1) Basic Interpersonal Communicative Skills
(2) Bilingual Integrated Content and Syllabus
(3) Bilingual Interdependent Course and Syllabus
(4) Basic Interrelated Communication Strategies
142. A teacher wants to create a language rich environment in her class. She should :
(1) ask students to use only English while communicating in the class with peers.
(2) establish a language lab in her class.
(3) motivate parents to buy language games and activities.
(4) provide an opportunity where the language is seen, noticed and used by children.
143. Literature for children is considered as a/an ……. reading.
(1) inspirational source of
(2) additional burden on
(3) authentic source of
(4) hindrance material for
144. Which one of the following is not a form of literature for children?
(1) Tales of heroes of history
(2) Picture books
(3) Thesaurus
(4) Myths and legends
145. Which one of the following statements is not correct about Print Rich Environment?
(1) Encourage children to cre ate their own poems, posters, stories etc. and display them in the class.
(2) It consists of contextbased relevant material for children such as pictures, rhymes, stories etc.
(3) Once the material is pasted on walls, it should not be removed for the whole session.
(4) Pictures / posters give children an opportunity to talk about things, persons and happenings.
146. A teacher gives a task of dialogue completion to class V students. The role of this task in language learning will be…..
(1) to provide frequent feedback only on grammatical errors.
(2) teaching of structures.
(3) the separation of spoken and written forms of language.
(4) to facilitate conversation by giving specific language practice using formulaic expressions.
147. Using ‘realia’ in the language class means bringing…….
(1) real level of child’s learning to the knowledge of parents.
(2) real life situations to communicate.
(3) real objects as teaching aids.
(4) realistic objectives and targets for the learners.
148. The multilingual nature of the Indian class-room must be used as a resource so that……..
(1) the teacher develops lan guage proficlency.
(2) every child feels secure and accepted.
(3) every child learns at the same pace.
(4) children can learn many languages.
149. An English textbook for class I starts with pictures, poems and stories and ends with alphabets in the end. Which approach does this kind of arrangement reflect in language pedagogy ?
(1) Language across curriculum approach
(2) Eclectic approach
(3) Bottom-up approach
(4) Top down approach
150. While checking the notebooks the teacher observed that a child has repeatedly made some errors in writing such as reverse image as b-d, m-w. The child is showing the signs of…….
(1) learning differences
(2) learning preference
(3) learning style
(4) learning disability

उत्तर व्याख्या सहित

भाग-I : बाल विकास व शिक्षाशास्त्र

1. ( 3 ) शिक्षण में अधिगम का ऐसा प्रकार जिसमें हमेशा सकारात्मक पुनर्वलन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे अधिगम, को आगे बढ़ाने में सहायता मिलती है, सार्थक अधिगम कहा जाता है । सहयोगात्मक अधिगम पर्यावरण को उपलब्ध कराने से अधिगम हेतु अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण होता है एवं सार्थक अधिगम को बल मिलता है। इसी तरह सतत् एवं समग्र मूल्यांकन से समय-समय पर अधिगम के बीच आने वाली कठिनाइयों को आसानी से दूर कर लिया जाता है।
2. (1) शिक्षण में अन्वेषण एवं परिचर्चा के लिए अवसर उपलब्ध कराकर शिक्षक बच्चों के सामने मौजूद जटिल अवधारणाओं को सहज कर सकता है। अन्वेषण विधि (Henristic method) के जनक आर्म स्ट्रांग हैं। इस विधि के माध्यम से बच्चों को खोजी प्रवृत्ति का बनाया जाता है। इसमें बच्चों को अपने निरीक्षण तथा प्रयोग से स्वयं खोजना होता है। इसी तरह परिचर्चा विधि के माध्यम से बच्चों के मध्य समस्या समाधान हेतु एक निष्कर्ष निकालने की चुनौती प्रस्तुत की जाती है।
3. (1) प्रगतिशील शिक्षा एक शैक्षणिक आंदोलन है। इसकी शुरूआत 19वीं सदी के अन्त में हुई थी। इस तरह की शिक्षा में करके सीखने पर बल, विषयगत इकाइयों पर केन्द्रित एकीकृत पाठ्यक्रम, शिक्षा में उद्यमिता का एकीकरण, समस्या समाधान तथा आलोचनात्मक सोच पर बल, समूह कार्य तथा सामाजिक कौशलों का विकास आदि को शामिल किया जाता है। इस प्रणाली में बच्चों को प्रभावशाली समस्या समाधानकर्ता के रूप में निखारने के लिए उन्हें सहजानुभूत अनुमान लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उसी पार आधारित विचार मंथन को बल दिया जाता है।
4. (4) सामानीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य समाज के भीतर विभिन्न व्यवहार, रीति-रिवाज एवं गतिविधियां सीखता है। जैविक अस्तित्व से सामाजिक अस्तित्व में मनुष्य का रूपान्तरण भी सामाजीकरण के माध्यम से संभव होता है। समाजशक्तियों ने सामाजीकरण की प्रक्रिया को प्राथमिक एवं द्वितीयक में विभाजित किया है। प्राथमिक सामाजीकरण, परिवार, पड़ोस एवं नातेदारी मित्र समूह आदि के माध्यम से होता है। जबकि द्वितीयक सामाजीकरण में कॉलेज, विश्वविद्यालय, समिति, राजनीतिक संस्थाएं, मीडिया आदि की भूमिका प्रबल हो
5. (2) शैशवावस्था व बाल्यावस्था में शारीरिक विकास व वृद्धि तीव्र गति से घटित होता है। इस शैशवास्था में बच्चे का भार और लम्बाई में वृद्धि बहुत तेजी से होती है। यह अवस्था प्रथम तीन वर्षों तक रहती है जिसके बाद विकास की गति धीमी पड़ जाती है। उसकी इन्द्रियों, कर्मेन्द्रियों, आंतरिक अंगों, मांसपेशियों आदि का विकास तीव्र गति से होता है। बाल्यावस्था में बालक के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। इस अवस्था में सीखी गई आदतें, व्यवहार, पैदा की गई रुचियां और इच्छाएं सामान्यतः स्थायी होती हैं।
6. (1) विकास का संबंध परिवर्तन से होता है। विकास में व्यक्ति में मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक तथा शारीरिक दृष्टि से होने वाले परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है। विकास जीवन पर्यन्त होता है। ऐसा नहीं कि शैशवावस्था के बाद विकास नहीं होता है। बल्कि यह शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था और यहाँ तक कि प्रौढ़ावस्था में भी विकास की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। यह हमेशा परिवर्तन शील होता है और आनुवंशिकता एवं पर्यावरण मिले-जुले रूप का परिणाम होता है।
7. (1) प्रत्येक प्राणी अपने जन्म ही विशेष शक्तियों को लेकर जन्म लेता है। ये विशेषताएँ उसे उसकी माँ एवं पिता अर्थात् आनुवंशिक रूप से प्राप्त होती हैं। इसी के साथ पर्यावरण, भी व्यक्ति के विकास को प्रभावित करता है। वातावरण मनोवैज्ञानिकों का यह तर्क है कि व्यक्ति जिस प्रकार के सामाजिक वातावरण में निवास करता हैं उसी के अनुरूप उसका व्यवहार, • रहन-सहन, आचार-विचार आदि प्रभावित होते हैं। अतः कहा जाता है कि, वैयक्तिक भिन्नताओं का प्राथमिक कारण आनुवंशिक एवं पर्यावरण के बीच जटिल पारस्परिक क्रिया है।
8. (2) बच्चों के मध्य लिंग को लेकर व्याप्त रूढ़ियों एवं लिंग की किसी विशेष काम के लिए अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए जेंडर-पक्षपात के बारे में परिचर्चा सबसे महत्वपूर्ण काम हो सकता है। इसके अलावा एनसीईआरटी द्वारा 124 पृष्ठों का एक दस्तावेज तैयार किया गया है जिसे एन. सी. एफ. – नेशनल करिक्यूलम फ्रेमवर्क (2005) कहा जाता है। इस फ्रेमवर्क में भी लैंगिक पक्षपात को न केवल कम करने बल्कि समाप्त करने पर बार-बार जोर दिया जा रहा है एवं इसमें शिक्षक की भूमिका को अनिवार्य बताया गया है। इसके अलावा लैंगिक समानता हेतु ऐसे • पाठ्यक्रम और शैक्षिक गतिविधियों का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि बच्चों के मध्य जेंडर संवेदीकरण की समझ विकसित हो ।
9. (3) लेव वाइगोत्सकी का सामाजिक दृष्टिकोण संज्ञानात्मक विकास का एक प्रगतिशील विश्लेषण प्रस्तुत करता है। वस्तुत: वाइगोत्सकी ने बालक के संज्ञानात्मक विकास समाज एवं उसके सांस्कृतिक संबंधों के बीच संवाद को एक महत्वपूर्ण आयाम घोषित किया है। जीन पियाजे की तरह वाइगोत्सकी भी इस बात पर जोर देते हैं कि बच्चे स्वयं के ज्ञान का निर्माण करते हैं। लेकिन साथ में वह यह भी मानते हैं कि, बच्चों का जो संज्ञानात्मक विकास होता है, वह एकाकी नहीं हो सकता है। यह भाषा विकास, सामाजिक विकास, यहाँ तक कि शारीरिक विकास के साथ-साथ सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में होता है।
10. (4) मध्य बाल्यावस्था भाषा एवं विकास की पूर्ण अवस्था कही जाती है। इसी अवधि में बच्चों के भाषा का विकास तेजी से होता है। साथ ही रुचियों का विस्तार, चिंतन का विकास एवं सृजनात्मकता का विकास भी इसी काल की मूल विशेषता होती है।
11. (3) कोहलबर्ग के नैतिक विकास सिद्धान्त को अवस्था सिद्धान्त ( Stage theory) भी कहा गया है। उन्होंने अपने सम्पूर्ण नैतिक विकास को छः अवस्थाओं में विभाजित किया है। इन अवस्थाओं को कोहलबर्ग सार्वभौमिक अवस्था मानते हैं। सार्वभौमिक से तात्पर्य है, दुनिया का प्रत्येक बच्चा इन सभी अवस्थाओं से गुजरता है। इन अवस्थाओं को उन्होंने प्री- कन्वेशनल कन्वेंशनल एवं पोस्ट कन्वेंशनल में बांटा है। पुनः इन अवस्थाओं को दो-दो भाग में बांटा गया है। कोहलबर्ग के सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक बच्चे को इन सभी क्रमों से होकर गुजरना ही पड़ता है। उनके कन्वेंशनल स्तर में दूसरी अवस्था सामाजिक व्यवस्था के प्रति सम्मान की अवस्था सम्मिलित होती है जिसे, सामाजिक 3 अनुबंध अभिविन्यास अवस्था भी कहते हैं।
12. (2) पक्षपात आधार पर महिलाओं के साथ होने वाला भेदभाव परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमजोर वर्ग के रूप देखा जाता रहा है। इसी तरह यदि किसी कक्षा में एक अध्यापक के द्वारा इस तरह की गतिविधि में लिप्त होते हुए देखा जा रहा है, तो इसका सीधा सा अर्थ है कि अध्यापक लैंगिक पक्षपात का सहारा ले रहा है। जबकि एन सी एफ-2005 के दिशानिर्देशों में भी लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने पर बार-बार जोर दिया गया है। साथ ही बच्चों के बीच में व्याप्त लड़कियों के प्रति रूढ़िवादिता को समाप्त करने में शिक्षक की भूमिका को महत्वपूर्ण माना गया है।
13. (2) स्कीमा से तात्पर्य ऐसी मानसिक संरचना से है, जो व्यक्ति विशेष के मस्तिष्क में सूचनाओं को संगठित तथा व्यवस्थित करने हेतु विद्यमान होती है। यह स्कीमा दो प्रकार का होता है। पहला साधारण स्कीमा तथा दूसरा जटिल स्कीमा । साधारण स्कीमा मोटरकार या खिलौने के स्कीमा से समझा जा सकता है। इसी तरह इस अंतरिक्ष का निर्माण कैसे हुआ था सूर्य क्या है? आदि जटिल स्कीमा के उदाहरण हैं। पियाजे के अनुसार बच्चे के स्कीमा के संभोधित व समायोजित करने में दो प्रक्रियाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । (1.) आत्मसातीकरण (2) समायोजन
आत्मसातीकरण से तात्पर्य है, बच्चा अपने पूर्व स्कीमा में नए ज्ञान को आत्मसात् कर लेता है जबकि समायोजन में बच्चा नयी सूचना या स्कीमा को वातावरण के अनुसार समायोजित कर लेता है।
14. (2) लेव वाइगोत्सकी अपने सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार सामाजिक अन्त:-. क्रिया ही बालक की सोच एवं व्यवहार में निरंतर बदलाव लाता है। जो एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति में भिन्न हो सकता है। उनके अनुसार किसी बालक का संज्ञानात्मक विकास उसके अन्य व्यक्तियों से अन्तर्संबंधों पर निर्भर करता है।
वाइगोत्सकी यह मानते हैं कि बच्चे बड़ों के सम्पर्क में आकर चिंतन और व्यवहार के संस्कृति अनुल्प तरीके सीखते हैं। उनके (वाइगोत्सकी) के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धान्त के अन्तर्गत संज्ञान के अनेक तत्व आते हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है, व्यक्तिगत वार्ता या चर्चा, जिसमें बच्चे स्वयं से वार्ता करके किसी तर्क ५ निर्धारित करते हैं।
15. (1) बच्चों को संकेत देना तथा आवश्यकता पड़ने पर सहयोग प्रदान करना पाड़ ( ढांचा ) कहलाता है। ढांचा निर्माण विकास के संभावित क्षेत्र से संबंधित संप्रायय है। ढांचा निर्माण एक तकनीक है जो सहायता के स्तर में परिवर्तन करती है। शिक्षण करते समय या सहयोगी अधिगम में शिक्षक या अधिक कौशल वाले सहयोगी को अधिगमकर्ता के समसामयिक निष्पादन के अनुसार अपने परामर्श को समायोजित करना पड़ता है। जैसे कि कोई नयी समस्या है तो अधिक निर्देश देने पड़ते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हाल की क्षमता और कार्य का विस्तार होता जाता है, निर्देशों की संख्या कम होने लगती है। वाइगोत्सकी के अनुसार संवाद, ढांचा निर्माण का महत्वपूर्ण औजार होता है।
16. (3) जीन पियाजे के सिद्धांत के अनुसार मूर्त संक्रियात्मक अवस्था, ज्ञानात्मक विकास की तीसरी अवस्था होती है, जो सात साल से प्रारंभ होकर 12 साल तक चलता है। हालांकि इस अवस्था में बच्चों के विचारों में संक्रियात्मक क्षमता आ जाती है और अन्तर्दर्शी तर्कशक्ति की जगह तार्किकता आ जाती है। परन्तु बालक समस्या समाधान हेतु मूर्त परिस्थितियों पर ही निर्भर होता है। पियाजे के अनुसार इस अवस्था में बालक तीन महत्वपूर्ण प्रत्य विकसित कर लेता है।
(1) संरक्षण बालक, तरल, लम्बाई, भार इत्यादि के संरक्षण से संबंधित समस्याओं का समाधान करते हुए देखे जा सकते हैं।
(2) संबंध – बालक इसमें क्रमिक, समस्याओं का समाधान करते हुए हैं। कक्षा देखे गए समावेशन इसी तरह की गुणवत्ता में विकसित होता है।
(3) वर्गीकरण – बालक में, वस्तुओं के गुण के अनुसार वर्गों या उपवर्गों में बाँट पाने की क्षमता का विकास हो जाता है।
17. (3) आकलन का प्राथमिक उद्देश्य संबंधित अवधारणाओं के बारे में बच्चों की स्पष्टता तथा भ्रांतियों को समझना होता है । वस्तुतः आकलन और मूल्यांकन दोनों का उद्देश्य बच्चों की अभिव्यक्ति क्षमता अनुभूति आदि का मापन करना है। आकलन एक संक्षिप्त प्रक्रिया है जबकि मूल्यांकन व्यापक प्रक्रिया मूल्यांकन किसी भी शैक्षिक कार्यक्रम में किसी भी पक्ष के विपक्ष में एवं विषय में सूचना एकत्र करना उसका विश्लेषण करना और व्याख्या करना होता है। आकलन के दो प्रकार होते हैं। योगात्मक और निर्माणात्मक आकलन। योगात्मक आकलन को ‘सीखने के आकलन’ के नाम से जाना जाता है। जबकि निर्माणात्मक आकलन को ‘सीखने के लिए आकलन’ के नाम से जाना जाता है।
18. (1) सामान्यतः बुद्धि शब्द का प्रयोग ज्ञान, प्रतिभा, प्रज्ञा और समझ आदि के अर्थों से होता है। बुद्धि द्वारा ही हम अपनी विविध समस्याओं का समाधान निकालते हैं। केली एवं थर्स्टन नामक मनोवैज्ञानिकों ने बताया है कि बुद्धि का निर्माण प्राथमिक मानसिक योग्यताओं के द्वारा होता है। केली के अनुसार बुद्धि का निर्माण, वाचिक योग्यता, संगीतात्मक योग्यता, स्थानिक संबंधों के साथ उचित ढंग से व्यवहार करने की योग्यता, रुचि और शारीरिक योग्यता से होता है। थर्स्टन का मत है कि बुद्धि इन प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का समूह होता है। विविध प्रकार की बौद्धिक योग्यता यह प्रमाणित करती है कि बुद्धि का बहुआयामी होना निश्चित तौर पर संभव है। इसी कारण से कई लोग अनेक योग्यताओं में दक्ष होते हैं ।
19. (2) सृजनात्मकता व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके अन्तर्गत व्यक्ति किसी नयी योग्यता या तथ्य का सृजन करता है और पूर्ण तौर पर उससे अपरिचित होता है । इस प्रकार के कार्य करने वाले व्यक्ति को सृजनशील व्यक्ति कहा जाता है। जिस प्रतिभा के आधार पर कोई व्यक्ति इस तरह के कार्यों को अंजाम देता है उसे सृजनात्मकता कहते हैं।
स्किनर के अनुसार, सृजनात्मक चिंतन वह है जो नए क्षेत्र की खोज करता है, नए परीक्षण करता है एवं नयी भविष्यवाणियां करता है और नए निष्कर्ष निकालता है। क्रो एवं क्रो के अनुसार, सृजनात्मकता, मौलिक परिणामों को अभिव्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है।
20. (4) शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में उल्लिखित समावेशी शिक्षा अधिकार आधारित मानवतावादी परिप्रेक्ष्य की अवधारणा पर आधारित है। यह एक शिक्षा प्रणाली है। शिक्षा का समावेशीकरण यह बताता है कि विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य छात्र और एक विकलांग छात्र को समान शिक्षा प्राप्ति के अवसर मिलने चाहिए। इसमें एक सामान्य छात्र एक अशक्त या विकलांग छात्र के साथ विद्यालय में अधिकतर समय व्यतीत करता है। पहले समावेशी शिक्षा की परिकल्पना सिर्फ विशेष छात्रों के लिए की गई थी। लेकिन आधुनिक काल में प्रत्येक शिक्षक को इस सिद्धान्त के साथ विस्तृत दृष्टिकोण अपनाते हुए कक्षा में व्यवहार करना चाहिए।
21. (1) शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शिक्षा एक मूल अधिकार है, जिससे किसी भी बच्चे को वंचित नहीं किया जा सकता है। अतः शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में, वंचित समूह से संबंधित विद्यार्थियों के द्वारा सहभागिता कम होने की स्थिति में एक शिक्षक को अपनी शिक्षण पद्धति पर विचार करना चाहिए तथा बच्चों की सहभागिता में सुधार करने के लिए नए तरीके ढूँढने चाहिए।
22. (4) समावेशी शिक्षा एक इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली है जिसके द्वारा सभी प्रकार के भेद-भाव के अन्तर को समाप्त करते हुए समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षा उपलब्ध करायी जाती है ताकि समाज में मौजूद प्रत्येक बच्चे को एक स्तर पर लाया जा सके। इस तरह की शिक्षा के कई उद्देश्य होते हैं। जैसे- बालक के विकास के लिए सहायक वातावरण उपलब्ध कराना, बालक में समाज के प्रति संवेदनशीलता का विकास करना सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना, बालकों में नव जीवन का संचार करना आदि। इसके हेतु शिक्षक का सक्रिय रहना बहुत जरूरी माना जाता है।
23. (4) डिसलेक्सिया (पठन वैफल्य) एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे पढ़ना, लिखना और शब्दों को बोल पाने में कठिनाई महसूस करते हैं। यह तीन तरह का होता है। पहला यानि प्राइमरी डिसलेक्सिया जिसमें बच्चें अक्षर और संख्या की पहचान करना, पढ़ना, मापना, समय देखना और अन्य गतिविधियां नहीं कर पाते हैं। सेकेंण्ड्री डिसलेक्सिया में भ्रूणावस्था से ही बच्चों का दिमाग विकसित नहीं होता है। इसमें बच्चों को शब्दों की पहचान करने और उसका उच्चारण करने में परेशानी होती है। तीसरे प्रकार की डिसलेक्सिया में बच्चे दिमागी चोट की वजह से शब्दों को सुन नहीं पाते, जिसकी वजह से उन्हें शब्दों का उच्चारण करने और उसे पढ़ने में परेशानी होती है।
24. (4) संवेग एवं संज्ञान एक-दूसरे से सन्निहित हैं। जीवन में संवेग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है तथा व्यक्ति के वैयक्तिक एवं सामाजिक विकास में इसका भारी योगदान होता है। इसी तरह संवेदी सूचनाओं को ग्रहण करना एवं उसका समुचित इस्तेमाल संज्ञान कहलाता है। रेबर के अनुसार ( According to Reber) संज्ञान का तात्पर्य ऐसे मानसिक व्यवहारों से हैं जिनका स्वल्प अमूर्त होता है और जिसमे प्रतीकीकरण सूझ प्रत्याशा, जटिल नियम, उपभोग, प्रतिभा, विश्वास, अभिप्राय, समस्या, समाधान तथा अन्य शामिल होते हैं। संवेग की अवस्था में आंगिक प्रक्रियाओं जैसे, नाड़ी, श्वसन, ग्रन्थिस्रावों का एक विसरित उद्दीपन होता है। इसमें शिक्षार्थी आवेगी बल का अनुभव करता है।
25 (1) संरचनावादी ढांचे में, अधिगम प्राथमिक रूप से अववोधन की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। सोचने का आधार अवबोधन है और अवबोधन पर्यावरण में किसी वस्तु के साथ अवलोकन, अनुभव और प्रक्रिया के द्वारा आती है। छोटे बच्चे ( प्राथमिक रूप से) की प्रथम परस्पर क्रिया उसके पर्यावरण में पूर्ण रूप से उसकी ज्ञानेन्द्रियों के अनुभव पर आधारित होती है। अधिकांशतः देखकर छूकर और कभी-कभी सुनकार और स्वाद लेकर । बहुत से मनोवैज्ञानिक जिनमें पियाजे और वर्नर प्रमुख हैं, जो यह विश्वास करते हैं कि, किसी भी वस्तु की हस्तकौशल के द्वारा उत्पन्न समझ ही व्यक्ति के ज्ञान और सोच के आधार का निर्माण करती है।
26. (1) स्कूल में प्रवेश करने के पूर्व ही बच्चों के दिमाग में बहुत सी ऐसी भावनाएं एवं धारणाएं गहराई तक बनी होती हैं, जिसके अनुसार बच्चे प्रत्येक चीज को उसी के आकार में निर्मित करते हैं और एक अपनी अलग दुनिया का निर्माण करते हैं। इसी को सहजानुभूत सिद्धान्त कहते हैं। ये सिद्धान्त बच्चों के लिए घातक होती है। अतः शिक्षिका को प्रतिकूल प्रमाण एवं उदाहरणों के माध्यम से बच्चों के सहजानुभूत सिद्धान्तों को समाप्त करना चाहिए। चूंकि यह सिद्धांत बच्चों के लिए किसी भी लिहाज से स्वास्थ्यकर नहीं होता है। अतः इनका निर्मूलन आवश्यक है।
27. ( 3 ) छात्र केन्द्रित शिक्षा में हमेशा बच्चों के अनुभवों को महत्व दिया जाता है। आधुनिक शिक्षा पद्धति में बालक को केन्द्र में रखकर शिक्षा की योजना बनाई जाती है। उसके सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है। इस तरह के विकास में बच्चे का शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास आदि सभी पक्ष शामिल होते हैं।
भारतीय शिक्षाविद् विजू भाईवाला की बाल केन्द्रित शिक्षा के क्षेत्र में विशेष एवं उल्लेखनीय भूमिका है। इसके विकास के लिए उन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं।
28. (1) संरचनावादी सिद्धान्तों के अनुसार अधिगम सक्रिय विनियोजन के द्वारा ज्ञान की संरचना की प्रक्रिया है। संरचनावाद का योगदान शिक्षा तथा शिक्षा मनोविज्ञान के लिए प्रत्यक्ष न होकर परोक्ष रूप में है। संरचनावाद ने सर्वप्रथम मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके इसका स्वस्थ प्रयोगात्मक बनाया ताकि मनोविज्ञान की हर शाखा, जिसमें शिक्षा मनोविज्ञान भी शामिल था, का स्वस्थ्य प्रयोगात्मक हो गया।
अतः शिक्षा में उन पाठ्यक्रमों को अधिक महत्व दिया जाने लगा जिससे शिक्षार्थियों के . चिंतन, स्मरण, प्रत्यक्षण एवं ध्यान जैसी मानसिक क्रियाओं का समुचित विकास तथा उनका प्रयोगात्मक अध्ययन संभव हो ।
29. (2) स्पष्ट उदाहरण एवं गैर उदाहरण आदि का इस्तेमाल कक्षा में अवधारणात्मक सोच को विकसित करने का सबसे बेहतर तरीका है। किसी स्पष्ट उदाहरण के द्वारा अमूर्त तथ्यों के बारे में एक अवधारणा का निर्माण किया जाना आसान होता है। संभव है कि पहली बार तथ्यों को समझने में परेशानी हो लेकिन एक बार समझ लेने से स्पष्ट उदाहरण का निर्माण संभव हो जाता है। लेकिन इसी स्पष्ट उदाहरण के माध्यम से गैर उदाहरण के द्वारा अवधारणा का विकास किया जाना आसान होता है। यह एक प्रभावशाली तरीका है जिससे अवधारणाओं की पृष्ठभूमि को मजबूती मिलती है।
30. (1) ऐसी कोई भी क्रिया जो अनुक्रिया की संख्या में वृद्धि करती है, पुनर्बलन कहलाती है। पुनर्बलन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों होते हैं। सकारात्मक पुनर्बलन या पुरस्कार वह प्रवृत्ति है जिससे उस विशिष्ट व्यवहार के प्रभाव को सीखने के लिए एक बल मिलता है। सकारात्मक पुनर्बलन से अनुक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है। इसी तरह अनुक्रिया को घटाने के लिए नकारात्मक पुनर्बलन सहायक होता है। लेकिन अधिगम की प्रक्रिया में दोनों के प्रयोग को सीमित करना चाहिए। क्योंकि इन दोनों से बच्चों के स्वाभाविक अभिरुचि तथा जिज्ञासा में कमी होती है।

भाग-II : गणित

31. (i) गणितीय तर्कणा का सूचक विभिन्न परिस्थितियों में सही सूत्रों को स्मरण करने की क्षमता है। गणितीय तर्कशास्त्र (Mathematical logic) गणित की शाखा है जिसका संगणक विज्ञान एवं दार्शनिक तर्कशास्त्र से निकट का सम्बन्ध है। तर्कशास्त्र का गणितीय अध्ययन तथा गणित के अन्य विधाओं में तर्कशास्त्र (formal logic) के अनुप्रयोग दोनों ही इसके अंतर्गत आते हैं। प्रायः गणितीय तर्कशास्त्र को समुच्चय सिद्धान्त, मॉडल सिद्धान्त (model theory), रिकर्सन सिद्धान्त (recursion theory) तथा सिद्धि सिद्धान्त (proof theory) नामक क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है।
32. (4) प्राथमिक स्तर पर ज्यामितीय के अध्यापन के लिए बच्चों को प्रचुर अवसर दिए जाने चाहिए। ताकि वे दिक्स्थान की अन्तदर्शी समझ को विकसित कर सकें। कक्षा एक में पहुँचने तक बच्चों के हाथों की तालमेल की क्षमता में वृद्धि हो जाती है, उनकी स्थानिक समझ भी बढ़ जाती है और एक आकृति के विभिन्न अनुस्थापनों को पहचानने की उनकी क्षमता भी विकसित हो जाती है।
33. (3)
34. (3)
35. (2)
36. (1)
37. (4)
38. (2)
39. (1)
40. (2)
41. (1)
42. (2)
43. (3)
44. (3)
45. (1)
46. (1)
47. (3)
48. (3) यदि अध्यापक के कहने के अनुसार बच्चे ने 44 के स्थान पर 404 लिखा है तो इसका तात्पर्य है कि बच्चों में अभी भी मूर्त विषय व पदार्थ से विनिमय नियम का पता नहीं है। इसलिए अध्यापक को इस तथ्य की जानकारी बच्चों को देनी पड़ेगी।
49. (2) गणित एवं इससे संबंधित क्षेत्रों में प्रतिचित्रण (मैपिंग) शब्द का प्रयोग फलन के समानार्थी शब्द जैसा होता है। इसके शिक्षण के अंतर्गत त्रिविमीय विचार क्षमता को प्रोत्साहन देना होता है और विषय को सरल एवं रुचिकर बनाने पर ध्यान दिया जांता
50. (3) सूत्र का प्रयोग किये बिना अध्यापक ग्राफ पेपर और टाइल आदि शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोग यह दर्शाने के लिए कर सकता है कि विभिन्न आयामों वाले दो आयतों का क्षेत्रफल समान होता है।
51. (1) एनसीएफ-2005 के अनुसार चौपड़, सममित और प्रतिरूप प्राथमिक विद्यालय में गणित विषय के भाग हैं। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रुपरेखा के अनुसार गणित का शिक्षण राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रुपरेखा अनुसार गणित की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चे की गणितिकरण की क्षमताओं का विकास करना है। स्कूली गणित का सिमित लक्ष्य है – लाभप्रद क्षमताओं का विकास, विशेषकर अंक ज्ञान से जुडी क्षमताएँ, सांख्यिक संक्रियाए, माप, दशमलव व प्रतिशत। इसके उच्च उद्देश्य है – बच्चे के साधनों को विकसित करना ताकि वह गणितीय ढंग से सोच सके व तर्क कर सके, मान्यताओं के तार्किक परिणाम निकल सके और अमूर्त को समझ सके।
52. (4) गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। यही कारण है कि इसके स्वरूप में कठिनता का भाव है और यही इसकी उपलब्धि कम होने के कारण हैं।
53. (4) डायनेज लकड़ी या प्लास्टिक के क्यूब्स, छड़ और फ्लैट्स हैं जिनका उपयोग बच्चों को बुनियादी गणित में सहायता के लिए किया जाता है। गणितीय अवधारणाओं जैसे कि जोड़, घटाव, संख्या बोध और स्थान के मूल्य को सीखने के दौरान छात्रों द्वारा डायनेजों का उपयोग किया जाता है। डायनेज को बेस दस ब्लॉक या मल्टी- बेस अंकगणितीय ब्लॉक भी कहा जाता है।
54. (4) प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को गणित पढ़ाने के लिए बनाई जाने वाली पाठ योजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि विद्यार्थियों को अवसर देना ताकि वे संकल्पना का निर्माण कर सकें।
55. (1) गणित के छात्रों के लिए दृश्य अभ्यावेदन बनाना उनकी समझ को विस्तृत कर सकता है। विजुअलाइजेशन के माध्यम से वांछित सीखने के लक्ष्य और छात्रों के लिए सही उपकरण की पहचान की जा सकती है। साथ ही यह व्यक्ति के मस्तिष्क को पढ़ने में सक्षम होता है। हम अक्सर चित्रों में चित्र या आरेख को समस्याओं के निदान के रूप देखते हैं और इन्हें • सहायता के रूप में गणित में जोड़ते हैं। लेकिन विचारों के विकास का समर्थन करने और परिणाम और समझ के संचार को सुविधाजनक बनाने सहित समस्या को सुलझाने में विजुअलाइजिंग की बहुत व्यापक भूमिका होती है।
56. (4) सीखने को लेकर विभिन्न सिद्धान्तों में से आज के समय में रचनावादी नजरिये को प्रमुखता दी जाती है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 ने भी विद्यालयो में ‘स्वयं करके सीखने’ को लेकर ही पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया गया है। सीखने में केवल सीखने के तौर-तरीका ही मायने नहीं रखते, बल्कि उसके साथ में और भी पहलुओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। इसके अंतर्गत भाषा और संवादों की भूमिका पर ध्यान दिया जाता है, अध्यापक स्वीकार करता है कि दी गयी अन्योन्य क्रिया को विभिन्न विद्यार्थी अलग-अलग प्रकार से समझ सकते साथ ही गणित और दूसरे अन्य विषयों के मध्य सम्बन्धों को आसानी से उजागर किया जा सकता है।,
57. (4) गणित के अधिगम के संदर्भ में गणित के उत्कृष्ट प्रदर्शन की प्रतिभा स्वाभाविक होती है। साथ ही अध्यापक के सीखने • वालों के प्रति विचारों का अधिगम परिणामों पर प्रभावशाली असर होता है एवं विद्यालय में दिए जाने वाले निर्देशों की भाषा का असर बच्चे के गणित के प्रदर्शन पर हो सकता है।
58. (3) मानचित्र पर शहरों का स्थान निर्धारण करना बच्चों में त्रिविम सम्बन्ध को विकसित करने में सबसे कारगर माध्यम है। स्थानिक जागरूकता अंतरिक्ष में स्वयं के बारे में ‘जागरूक होने की क्षमता है। यह उस दिए गए स्थान में स्वयं के संबंध में वस्तुओं का एक संगठित ज्ञान है। स्थान परिवर्तन होने पर स्थानिक जागरूकता में इन वस्तुओं के संबंध को समझना भी शामिल है।
59. (4) यूरोप में बारहवीं शताब्दी तक रोमन अंकों का प्रयोग होता था। रोमन अंक प्रणाली में केवल सात अंक हैं, जो अक्षरों द्वारा व्यक्त किए जाते हैं। ये अक्षरांक हैंI (एक), V (पांच), L (पचास), C (सौ), D (पांच सौ) तथा M (एक हजार ) । इन्हीं अंकों के जोड़ने घटाने से कोई भी संख्या लिखी जाती है। उदाहरण के लिए अगर तीन लिखना है तो एक का चिन्ह तीन बार लिख दिया III | आठ लिखना है तो पांच के दायीं तरफ तीन एक-एक के चिन्ह लिखकर जोड़ दिए और VIII (आठ) हो गया। यह प्रणाली इतनी कंठिन और उलझी हुई है कि एक संख्या में अंक की स्थिति इसका मान बताती है। साथ ही यह गणनात्मक प्रकृति की होती है और इसका स्वरुप योगात्मक होता है।
60. (2) कैंडल ने तुलनात्मक शिक्षा के क्षेत्र के दो पहलू बतलाए हैं। एक ओर शिक्षा संस्थान की रचना, शिक्षा का संगठन, सांख्यिक ब्योरा, पाठ्यक्रम एवं विषय, अध्यापन कार्य तथं अध्यापन कला; और दूसरी ओर समाजगत आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव है। ये प्रभाव परोक्ष रूप से शिक्षा को निरंतर प्रभावित करते रहते हैं और इतने शक्तिशाली हैं कि बिना इनके ज्ञान के तुलनात्मक शिक्षा के प्रथम पहलू का ज्ञान शून्य एवं निष्फल होगा। साथ ही समाज की आशाएँ, भविष्य के विकास का मोड़ और झुकाव, एवं समाजगत होने वाले परिवर्तनों की जानकारी भी आवश्यक है। दिए गए प्रश्न में तुलनात्मक ज्ञान के माध्यम से यह बताया जा रहा है कि मनीष के पास 6 पेन्सिल से कितनी अधिक पेन्सिल है।

भाग- III : पर्यावरण अध्ययन

61. (1) पोर्टफोलियो क्रम निर्धारण मापनी और वर्णन अभिलेख आदि पर्यावरण अध्ययन में सीखने के रचनात्मक हैं।
62. (2) पर्यावरण अध्ययन में बच्चों के त्रुटियों को भी समझने – विचारने की ज़रूरतर है । यहाँ त्रुटियाँ भी अधिगम के साथ-साथ आकलन प्रक्रिया पर पुनर्विचार की मांग करती है। ऐसी स्थिति में मात्र सही-गलत के आधार पर आकलन अनुचित है।
63. (4) पर्यावरण अध्ययन कोई एक विषयक्षेत्र नहीं है, बल्कि विभिन्न विषय- क्षेत्रों का एक समूह है। यह तो हम जानते हैं कि हमारे परिवेश में मुख्यतः दो प्रकार के घटक हैंप्राकृतिक एवं सामाजिक। इनका अध्ययन क्रमश: विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश की सार्थक समझ बनाने हेतु हमें इतिहास बोध एवं भौगोलिक समझ की भी आवश्यकता होती है। अतः पर्यावरण अध्ययन में इतिहास और भूगोल भी शामिल हैं। इस प्रकार सीखने के जिस क्षेत्र को हम “पर्यावरण अध्ययन कहते हैं, उसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल समाहित होते हैं। इन क्षेत्रों की पद्धतियों एवं सामग्री में पर्याप्त भिन्नताएँ हैं। अतः अध्यापक को पर्यावरणीय अध्ययन की अवधारणाओं से सम्बंधित महत्वपूर्ण सूचनाओं को बच्चों को देने के लिए प्रेरित करना चाहिए ।
64. (3) कछुआ, मछली और घड़ियाल आदि सभी जलचर प्राणी हैं, जबकि कौवा नभचर प्राणी है।
65. (3) हांगकांग में पकाया हुआ सांप, गोवा में किसी भी करी के साथ उबला हुआ टैपिकोआ, कश्मीर में सरसो के तेल में बनी मछली और केरल में नारियल के तेल में बनी समुन्दर की मछली बड़े चाव से खायी जाती है।
66. (1) मैना अपनी गर्दन 360 डिग्री तक घुमा सकता है।
67. (4) हाथी जमीन पर रहने वाला सबसे बड़ा स्तनपायी प्राणी है। मुख्य रूप से हाथी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप के बड़े-बड़े मैदानों में पाए जाते हैं। हाथी मुख्य रूप से घास, पेड़ों की छाल और पत्तियाँ खाता है। हाथी 160- 350 पौंड अर्थात 72 से 158 किलोग्राम भोजन रोज लेता है। ये एक दिन में 2 से 4 घंटे ” ही सोते हैं और इन्हें पानी में और कीचड़ में खेलना पसंद होता है ताकि इनके शरीर का ताप अच्छा बना रहे।
68. (4) राजस्थान के घरों की दीवार मोटी इसलिए होती हैं ताकि वे गर्मी को घर के अंदर आने से रोकें वहीं चपटी छत रेगिस्तानी इलाके में होने वाली हल्की बारिश को संरक्षित रखने के लिए होती हैं। इसी तरह बाढ़ और जंगली जानवरों के खतरे से बचने के लिए असम में प्रायः कुछ घर . बाँस के खम्बों पर बने होते हैं नाकि हिमाचल प्रदेश में । इसी तरह लेह में भी ठण्ड से बचने के लिए पत्थर के दो तल्ले वांले घर बनाये जाते हैं, जिसमें निचले वाले तल पर जानवर और ऊपर वाले तल पर लोग स्वयं रहते हैं।
69. (3) रेगिस्तानी ओक एक वृक्ष है, जिसकी ऊँचाई हमारी कक्षा के कमरे के लगभग ‘बराबर अर्थात लगभग 4 मीटर होती है इस वृक्ष की जड़े नीचे वृक्ष की ऊंचाई की लगभग 30 गुनी गहराई तक जमीन के भीतर जाती हैं जहां तक कि पानी तक ना पहुंच। इस वृक्ष के तने में पानी एकत्र होता है। यह वृक्ष आबू धाबी में पाया जाता है।
70. (4)
71. (1) कर्णम मल्लेश्वरी भारत की प्रसिद्ध भारोत्तोलक (वेटलिफ्टर) हैं। वे ओलम्पिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी हैं। अपने मजबूत हौसले और दिलेर कारनामों से कर्णम मल्लेश्वरी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर तिरंगे की शान में चार चांद लगाया है। मंच कोई भी हो, लेकिन ‘जीत हर कीमत पर’ का इरादा रखने वाली इस वेटलिफ्टर की जिंदगी संघर्ष और कामयाबी के अदभुत कहानी रही है। 2000 में सिडनी में हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी ने महिलाओं के 69 किलो वर्ग में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच डाला। मल्लेश्वरी को 1995 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। 1996 में उन्हें ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार’ तथा 1997 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया।
72. (1) पौधे का वह हिस्सा जो भूमि के अंदर छिपा हुआ होता है, जड़ या मूल कहलाता है। जड़ें मिट्टी के कणों को परस्पर बांधे रखती हैं और पौधे को भूमि पर स्थिर रखती हैं। ये पौधे के पोषण के लिए जरूरी खनिज लवणों को भूमि से अवशोषित करके तनों के माध्यम से पहुंचाती हैं। गाजर, चुकंदर और मूली इसी श्रेणी में आते हैं।
73. (1) निपेन्थिस ख़ासियाना वास्तव में एक कीटभक्षी पौधें “कलश पादप अथवा घटपर्णी” का वैज्ञानिक नाम है। इस पौधे का वानस्पतिक नाम नेपन्थिस खासियाना ( nepenthes khasiana) है। यह पौधा मुख्यतः असम के खासी पहाड़ियों में पाया जाता है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में भी यह बहुतायत में पाया जाता है। इस पौधे की पत्ती घट या कलश के रूप में विकसित हो जाती है, जिसके मुँह पर पत्ती का ही एक ढक्कन होता है। इस कलश से एक प्रकार का मकरंद (मीठा तरल पदार्थ) निकलता है, जिससे कीट इसकी ओर आकर्षित होते हैं।
74. (1) नमक सत्याग्रह के नाम से इतिहास में चर्चित दांडी यात्रा की शुरुआत 12 मार्च, 1930 में गांधी जी के नेतृत्व में हुई थी। 24 दिनों तक चली यह पद यात्रा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू होकर नवसारी स्थित छोटे से गांव दांडी तक गई थी। नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा चलाये गये प्रमुख आंदोलनों में से एक था। गांधीजी के साथ, उनके 79 अनुयायियों ने भी यात्रा की और 240 मील लंबी यात्रा कर दांडी स्थित समुद्र किनारे पहुंचे, जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से नमक बना कर नमक कानून तोड़ा।
75. (3) मलेरिया एक प्रकार का बुखार है जो ठंड या सर्दी (कॅपकपी) लग कर आता है। मलेरिया रोगी को रोजाना या एक दिन छोड़कर तेज बुखार आता है। इस बुखार में सिनकोना (Cinchona) जोकि एक सदाबहार पादप है जो झाड़ी अथवा ऊँचे वृक्ष के रूप में उपजता है की छाल से कुनैन नामक औषधि प्राप्त की जाती है जो मलेरिया ज्वर की दवा है।
76. (1) एनसीएफ-2005 अनुसार पाठ्यपुस्तकों से अपेक्षा है कि ज्ञान को स्थानीय व वैश्विक पर्यावरण के संदर्भ में रखें ताकि विज्ञान, तकनीक व समाज के पारस्परिक संवाद के क्रम में मुद्दों को समझा जा सके। इनमें स्वच्छता, शौचालय, कचरा प्रबंधन आदि पर विस्तार से बात की गयी है जिससे यह उम्मीद दिखती है कि इन मुद्दों पर समाज में संवाद कायम होगा और बदलाव भी आ सकेगा। इसके अलावा एनसीएफ 2005 में किसी भी प्रकार के पर्यावरणीय संख्यात्मक कौशल को विकसित करने की बात नहीं की गयी है।
77. (3)
78. (3) चुरांव नृत्य को ‘बांस नृत्य’ के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि नृत्य करते समय बांस का उपयोग किया जाता है। यह नृत्य मिजोरम के सबसे रंगीन और विशिष्ट नृत्य में से एक है। माना जाता है यह पहली सदी से किया जा रहा है। पुरुष जमीन पर सिर के बल बैठते हैं, लयबद्ध ताल में खुली और बंद बांस की क्षैतिज और पार बांस की लंबी जोड़ी को खोलते हैं। लड़कियां ‘पूंची’, ‘कवच’ के बहु-रंगीन मिजो परिधान पहनती हैं। ‘वाकिरिया’ और ‘थिहना’ बांस की बीट के बीच में और बाहर नाचते हैं। यह नृत्य लगभग सभी समारोहों में किया जाता है।
79. (1) तमिलनाडु भारत का एक दक्षिणी राज्य है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई (चेन्नै) है। तमिलनाडु के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर मदुरै, त्रिचि (तिरुच्चि), कोयम्बतूर (कोऽयम्बुत्तूर), सेलम (सेलम), तिरुनेलवेली (तिरुनेल्वेली) हैं। इसके पड़ोसी राज्य आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल हैं। तमिलनाडु में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा तमिल है।
80. (3) राष्ट्रीय पाठयचर्या की रूपरेखा 2005 में भी प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन को समेकित पद्धति से अधिक सशक्त रूप से पढ़ाने पर बल दिया गया। कक्षा 1 व 2 में स्तर पर पर्यावरणीय कौशलों एवं सरोकारों को भाषा तथा गणित के विषयों के साथ एकीकृत रूप में पढ़ाने की सिफारिश की गई है तथा कक्षा 3 से 5 तक अलग विषय के रूप में पढ़ाए जाने की संस्तुति की गई है।
81. (3) I से II की कक्षाओं के लिए भाषा और गणित के माध्यम से पर्यावरण अध्ययन पढ़ाया जाता है।
82. (4) पर्यावरण अध्ययन पर प्राथमिक कक्षाओं में कार्य करने को आमतौर पर सरल कार्य माना जाता है, क्योंकि माना जाता है कि यह विषय अथवा इस विषय की प्रकृति बच्चों के परिवेश से जुड़ी होती है। इसलिए बच्चे आसानी से विषय वस्तु e .. से स्वयं को जोड़ पाते हैं तथा उन्हें उसमें * मजा भी आने लगता है। इस परिप्रेक्ष्य में शिक्षक को हमेशा बच्चों को सूचनाओं के माध्यम से इसके अध्ययन हेतु पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
83. (4) पर्यावरण अध्ययन परिवेश के सामाजिक और भौतिक घटकों की अन्तः क्रियाओं का अध्ययन है। वास्तव में ये घटक मिलकर ही हमारे सम्पूर्ण परिवेश का निर्माण करते हैं। अतः जब हम अपने परिवेश, अर्थात् इर्द-गिर्द उपस्थित उपरोक्त सामाजिक और भौतिक घटकों को समझने का प्रयास करते हैं तो वही पर्यावरणअध्ययन कहलाता है। पर्यावरणीय अध्ययन के उपप्रकरणों में सामाजिक घटकों में संस्कृति (भाषा, मूल्य, दर्शन) तथा भौतिक / प्राकृतिक घटकों में हवा, पानी, मिट्टी, धूप, पशु-पक्षी, खनिज, जंगल / वनस्पति आदि शामिल हैं। इस दृष्टि से पर्यावरण – अध्ययन में हम एक ओर तो मानव और इसके द्वारा निर्मित समाज एवं सामाजिक क्रियाकलापों का अध्ययन करते हैं, और दूसरी ओर प्रकृति एवं उसकी कार्य प्रणाली के पीछे के नियमों का अध्ययन किया जाता है।
84. (2) पर्यावरण अध्ययन के शिक्षक को बच्चों के बहुसांस्कृतिक परिवेश से परिचित होना वांछनीय है।
पर्यावरण अध्ययन में बच्चों के ज्ञान की रचना में बच्चों का सक्रिय तौर पर भाग लेना, उनके समुदाय का सदस्य होना और पर्यावरण के अध्ययन के लिए पाठ्य पुस्तकों का होना बहुत जरूरी होता है।
85. (2) बच्चों का सक्रिय भाग लेना, बच्चों के समुदाय का सदस्य होना, पर्यावरण अध्ययन की पाठ्य पुस्तकें पर्यावरण अध्ययन में बच्चों के द्वारा ज्ञान की रचना में महत्वपूर्ण होते हैं।
86. (1) यदि शिक्षक के द्वारा पर्यावरण अध्ययन के समय जानवरों के चित्र बनाये जा रहे हैं और उनका अवलोकन किया जा रहा है तो इसका अर्थ है कि शिक्षक के द्वारा बच्चों में सृजनशीलता का विकास, अवलोकन और रचनात्मक कौशल का विकास और सौंदर्यगत संवेदना का विकास किया जा रहा है ।
87. (3) यदि शिक्षा का उद्देश्य समझ का विकास है तो प्राथमिक शिक्षा में हम उस ‘विकास की आधारभूमि ही तैयार कर सकते हैं। और यदि पर्यावरण अध्ययन वह क्षेत्र है जो उपरोक्त विषयों को समाहित करता है, तो पर्यावरण अध्ययन का शिक्षाक्रम इन सभी क्षेत्रों में वह आधारभूमि तैयार करने में समर्थ होना चाहिए और यही पर्यावरण अध्ययन की जटिलता/ समस्या है। अतः वृतांत, कहानियां एवं शिक्षकों के द्वारा अवधारणाओं की व्याख्या पर्यावरण के अध्ययन के लिए अत्यंत जरुरी स्रोत हैं।
88. (4) कल्पनाशील सोच-विचार को शायद एक दक्षता न माना जाता हो, लेकिन यह अधिकतर कलात्मक दक्षताओं से भी अधिक आधारभूत है। छोटी कक्षाओं में यह सिखाना बहुत मुश्किल है। कला के संसार में अलग ही कल्पना की अलग ही उड़ान होती है और इस संसार में प्रवेश कर पाना आसान नहीं है। कला शिक्षण के शुरुआत में सम्भव है कि किसी शिक्षक ने कोई आकृति बनाने या उसे रंगों से भरने या फिर सीधी लकीरें खींचने के लिए कहा हो। कभी-कभी बच्चे ऐसा करने में बोरियत महसूस करते हैं और कला की कक्षाओं में उनकी दिलचस्पी घटने लगती है। अतः समूह में सीखना सहपाठी द्वारा सीखने को प्रोत्साहित करता है। साथ ही उनके मध्य अंतःक्रिया को बढ़ावा देता है।
89. (4) पर्यावरण अध्ययन पर प्राथमिक कक्षाओं में कार्य करने को आमतौर पर सरल कार्य माना जाता है, क्योंकि माना जाता है कि यह विषय अथवा इस विषय की प्रकृति बच्चों के परिवेश से जुड़ी होती है। इसलिए बच्चे असानी से विषय वस्तु से स्वयं को जोड़ पाते हैं तथा उन्हें उसमें मजा भी आने लगता है। इसके अध्ययन में वस्तुत: परिवार के सदस्य, समुदाय के सदस्य और समाचार पत्र सहायक होते हैं। उदाहरणार्थ- भाषा शिक्षण में वर्णमाला की जानकारी कराते समय प्रत्येक वर्ण से सम्बन्धित वस्तु की जानकारी करायें तत्पश्चात् उसी वर्ण से सम्बन्धित एक से अधिक वस्तुओं की जानकारी कराई जा सकती है। जैसे- क से कमल, कलम, कलश, कबूतर तथा ख से खरगोश, खत, खड़ाऊ आदि
90. (4) जो बात छात्र जानता है, उसे आधार , बनाकर अज्ञात वस्तुओं की जानकारी देना ही ज्ञात से अज्ञात शिक्षण विधि कही जाती है। इस सूत्र के अनुसार शिक्षक को बालकों के पूर्व ज्ञान को जाँचकर उसी के आधार पर उन्हें नया ज्ञान देना चाहिए अर्थात् उसे पहले वे बातें बतानी चाहिए जिन्हें वह जानता है फिर उस विषयवस्तु पर आना चाहिए, जिन्हें वह नहीं जानता क्योंकि सर्वथा नवीन तथ्य बच्चे के लिए कठिन होते हैं। किसी पाठ में छात्रों की रुचि व ध्यान तभी संभव है जब उसमें जानकारी व नयापन दोनों सम्मिलित हों। अतः शिक्षक को पढ़ाने से पूर्व छात्रों का पूर्वज्ञान अवश्य जान लेना चाहिए ।

भाग-IV : भाषा-I हिन्दी

91. (3) प्रत्यय वे होते हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं। ये दो शब्दों से मिलकर बने होते हैं। अर्थात्, प्रति + अय प्रति का अर्थ होता है साथ में, पर बाद और अय का अर्थ होता है, चलने वाला। अतः प्रत्यय का अर्थ है, साथ में पर बाद में चलने वाला। दिए गए शब्द विकसित में. ‘इत’ प्रत्यय जुड़ा हुआ है।
92. (3) दिए गए गद्यांश के अनुसार मनुष्य • की शिक्षा आधुनिक समय की ऐसी शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत हो रही है, जिसमें सिर्फ उसके एक ही पक्ष का विकास हो रहा है। उसे इस शिक्षा प्रणाली से सिर्फ दुःख ही मिल रहा है, सिवाय किसी और सन्तुष्टि के सम्भव है कि इस तरह की शिक्षा प्रणाली से व्यक्ति जो चाह रहा है, उसी की तृप्ति हो रही है, बाकी अन्य पक्ष उसके आज भी अतृप्त हैं।
93. (4) शिक्षो का स्वाभाविक एवं नैतिक अंग कला से सम्बन्धित होता है। व्यक्ति इन्हीं को छोड़कर आजकल विज्ञान की शिक्षा पर ज्यादा जोर दे रहा है। वह यह मानता है कि वैज्ञानिक शिक्षा ही उसके विकास का आधार है, इसी से उसके सभी हितों की पूर्ति होती है। यहाँ तक कि बाल्यावस्था में भी कला को उतना महत्व नहीं दिया जा रहा है। चूँकि बाल्यावस्था में कला की शिक्षा देना उसकी मजबूरी है। अत: वह बाद के दिनों में कला से दूरी बनाने में सक्षम होने लगता है। जैसा कि हर्बर्ट रीड महोदय ने कहा है कि 11-12 वर्ष के बच्चों के जीवन से भी कला को निकाल दिया गया है।
94. (3) कला शिक्षा भावना प्रधान शिक्षा होती है। लेकिन आज की आधुनिक शिक्षा • प्रणाली से इसे निकाल दिया गया है। आज महत्व सिर्फ विज्ञान, गणित आदि को दिया जा रहा है। हालाँकि इनकी बुनियाद तार्किक जरूर है, लेकिन इनसे बालकों के जीवन से भावना का धीरे-धीरे अभाव होने लगता है और वह महज भावना शून्य बनकर रह जाता है। इसी कारण से आजकल • नयी पीढ़ी अपराध पर जोर दे रही है जो कहीं-न-कहीं भावना शून्य होने का ही परिणाम है।
95. (1) दिए गए गद्यांश के अनुसार गणित, भूगोल और इतिहास आदि विषय यद्यपि बोध प्रधान हैं, लेकिन भावना का इनमें नितान्त अभाव होता है। ये विषय हालाँकि बुनियादी रूप से तार्किक विषय हैं और विकास के लिए जरूरी है। किन्तु भावना शून्य होने के कारण ये बालकों के मानस पथ को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। उन्हें अपराध की तरफ उन्मुख कर रहे हैं। उन्हें परिवार | के प्रति गैर-जिम्मेदार बना रहे हैं और समाज से उनके जीवन को परित्यक्त कर रहे हैं।
96. (3) दिए गए गद्यांश के अनुसार आज की शिक्षा प्रणाली आधुनिक शिक्षा प्रणाली के मुख्य अंग गणित, विज्ञान की शिक्षा की तरफ उन्मुख हो रही है। लोग इन्हीं विषयों को विकास का मानक समझ रहे हैं। लोगों के जीवन में बोध तो आ रहा है लेकिन भावना प्रधान नियमों या अध्ययन सामग्री के अभाव के कारण बालकों का समाज के प्रति उत्तरदायित्व के बोध की समझ समाप्त हो रहा है जिससे समाज का विभाजन हो रहा है। समाज में शून्यता की प्रधानता होती जा रही है।
97. (3) आज की पीढ़ी में भावना प्रधान विषयों के अभाव के कारण उसका मानस अस्वस्थ है, उसका परिवार दुःखी है, समाज़ में फूट पड़ रही है। दुनिया को ध्वंस का बुखार चढ़ा हुआ है। इस भयानक अवस्थाओं को हमारा ज्ञान-विज्ञान सहारा रहा है। आज की तालीम की इसी दौड़ में साथ दे रही है। इसी का परिणाम है कि किशोरावस्था तार्किकता की प्रधानता और भाव के अभाव में पतन का रास्ता अपना रही है।
98. (1) दिए गए शब्द तार्किक, स्वाभाविक और साहित्यिक में ‘इक’ प्रत्यय जुड़ा हुआ है। जो कि शब्दों के अन्त में जुड़कर अर्थ को बदल देते हैं। जबकि अभिव्यक्ति शब्द में ‘इक’ प्रत्यय नहीं जुड़ा हुआ है।
99. (2) यास्क के अनुसार निपात शब्द के अनेक अर्थ होते हैं। इसलिए इन्हें निपात कहा जाता है। उच्चावच्चेषु अर्थेषु निपतन्तीति निपाताः । यह पाद का पूरण करने वाला होता है। कभी-कभी अर्थ के अनुसार प्रयुक्त होने से अनर्थक निपातों से अन्य सार्थक निपांत भी होते हैं । निपात का कोई . लिंग या वचन नहीं होता है । मूलतः इसका प्रयोग अवयवों के लिए होता है। जैसे- अव्ययों में आकारगत, अपरिवर्तनीयता होती है, वैसे ही निपातों में भी दिए गए वाक्य में ‘आज’ एक निपात है।
100. (4) विसर्ग का स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं। उदाहरण- निः + चय = निश्चय, निः + सीम = निस्सीम | विसर्ग सन्धि चार प्रकार की होती है- (1) सत्व सन्धि (2) उत्व सन्धि (3) स्त्व सन्धि (4) विसर्ग लोप सन्धि
101. (3) यतिवर का अर्थ है श्रेष्ठ योगी। जैसे योगी जीव-जगत् के गूढ़ रहस्यों को जानने के लिए ध्यानमग्न हो, अखंड और चिर् समाधि में लीन रहता है, उसी प्रकार हिमालय भी मानो किसी जटिल समस्या का हल ढूँढने के लिए सदियों से एक ही स्थान पर अवस्थित हो ध्यान में डूबा है। ध्यानावस्थित योगी जिस प्रकार मौन होता है, उसकी प्रकार हिमालय भी मौन है।
102. (3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहते हैं कि हे, पर्वतों के राजा मालय! तुम अत्यन्त विराट, विशाल, अलौकिक, महान, गौरवशाली, पराक्रमी व आग के समान तेजवान हो । भारतमाता के बर्फ के मुकुट भी तुम ही हो। तुम्हीं मेरे भारत के अद्वितीय मस्तक भी हो। तुम्हें देखकर लगता कि भारतमाता ने उज्ज्वल, चमचमाता सफेद मुकुट धारण किया है। हे हिमालय ! तुम सम्पूर्ण भारत के गौरव हो एवं सम्पूर्ण भारत के सिरमौर हो ।
103. (4) नगपति का विग्रह नगों ( पर्वतों) का पति होगा। जबकि यह तत्पुरुष समास है । अर्थात् तत्पुरुष समास वह होता है जिसमें उत्तर पद प्रधान होता है अर्थात् प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है। साथ ही इसमें समास करते वक्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है। इस समास में आने वाले कारक चिह्नों को, से, के लिए, से, का आदि का लोप होता है।
104. (4) दिए गए पद्यांश में पौरुष के ‘पूँजीभूत ज्वाल’ में हिमालय की शक्ति को ज्वाला के ढेर के समान माना गया है।
105. (2) जिसे जीता न जा सके उसे अजेय कहा जाता है।
106. (2) बहुभाषिकता हमारी पहचान भी है और हमारी संस्कृति एवं सभ्यता का अभिन्न अंग भी है। बहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या दो से अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है। विश्व में बहुभाषी लोगों की संख्या एकभाषियों की तुलना में बहुत अधिक है। विद्वानों का मत है कि द्विभाषिकता किसी भी व्यक्ति के ज्ञान व व्यक्तित्व के विकास के लिए बहुत उपयोगी है।. :
107. (2) प्राथमिक स्तर की पाठ्य पुस्तक कार्टून, भाषण, विज्ञापन इत्यादि बच्चों के भाषा – क्षमता विकास में सहायक है। क्योंकि पाठ्य-पुस्तक से परे संसाधनों का उपयोग बच्चों को यह अनुभव करने का कि ये सभी चीजें क्या है, उनका लाभ क्या है आदि का अवसर देता है। इन संसाधनों के इस्तेमाल से बच्चों की कल्पना शक्ति को निखारने, मौलिक अभिव्यक्ति को सशक्त बनाने आदि में किया जा सकता है। इसके अलावा बने हुए कार्टून दिखाकर, उनकी भाषा को जानना, लिखना भी भाषा को निखारने में सहायक हो सकता है।
108. (4) पाँचवीं कक्षा की सुहानी को अनुनासिक और अर्ध-अनुनासिक में अन्तर को सही तरीके से बताया नहीं गया है। या सुहानी को इसका अन्तर पता नहीं है। इसीलिए चाहे अं की बिन्दी का इस्तेमाल हो या चन्द्रमा वाली बिन्दी, वह दोनों को एक समान समझते हुए इस्तेमाल करती है।
109. (4) देश की बहुभाषायी प्रकृति के चलते भारत में त्रिभाषा सूत्र अपनाया गया है। इसमें प्रत्येक राज्य प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में सीखने पर जोर देता है। बच्चे का मनोवैज्ञानिक व सामाजिक विकास मुख्यतः उस भाषा पर निर्भर करता है , जिसका बच्चे को घर में पास-पड़ोस में और पहली बार स्कूल जाने पर अनुभव होता हैं। यही उस बच्चे की मातृभाषा या पहले भाषा होती है।
बच्चे की दूसरी भाषा सम्पर्क भाषा (या तो हिन्दी या अंग्रेजी) होती है, जबकि तीसरी भाषा मातृभाषा के अलावा कोई और जो कि राष्ट्रीय एकीकरण को और अधिक प्रोत्साहित कर सके। अतः विद्यालय में भाषा शिक्षण के लिए कोई कार्यक्रम | शुरू करते समय सबसे महत्वपूर्ण है बच्चे की सहज मौखिक अभिव्यक्ति को पहचानना जिससे उसके भाषा अधिगम को सम्भव बनाया जा सके।
110. (1) बच्चे हमेशा सामाजीकरण की प्राथमिक एजेंसियों यथा- माता-पिता, पास-पड़ोस आदि से रू-ब-रू होते रहते हैं जिसकी वजह से उनके अन्दर एक-दो या अधिक भाषाओं का अधिगम सम्भव हुआ रहता है। यही कारण है कि बच्चे जब कई बार स्कूल आते हैं तो दो या तीन भाषाओं को समझने और बोलने की क्षमता रखते हैं।
111. (4) किसी विषय को सीखने का मतलब है कि उसकी अवधारणाओं को सीखना, उसकी विषय-वस्तु को सीखना होता है। क्योंकि जब तक बच्चा किसी विषय की अवधारणा से परिचित नहीं होगा वह स्वयं के विचार का निर्माण नहीं कर सकता है। उसी प्रकार विषय को सुगम एवं सर्वांगीण जानकारी के लिए उसके विषय-वस्तु के बारे में जानना अत्यन्त जरूरी होता है।
112. (3) प्राथमिक स्तर पर बच्चों की भाषा का आकलन करने का उद्देश्य उनके भाषा प्रयोग करने की क्षमता का आकलन होता है। आकलन का उद्देश्य निदानात्मक होता है। अर्थात् शिक्षण अधिगम कार्यक्रम में सुधार करना, छात्रों व अध्यापकों को पृष्ठपोषण प्रदान करना तथा छात्रों की अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयों को ज्ञात करना आदि।
113. (1) भाषा आकलन में सबसे कम प्रभावी तरीका श्रुत लेखन है। श्रुत लेखन का अर्थ है ‘सुने हुए को लिखना’ या सुनकर लिखना। इस विधि में एक व्यक्ति बोलता है और दूसरा उस बोले हुए को लिखता है। विद्यालयों में श्रुत लेखन का उपयोग वर्तनी सुधारने हेतु किया जाता है न कि भाषा आकलन के लिए। लेकिन कहानी कहना, कहानी लिखना और घटना का वर्णन करना आदि भाषा आकलन के लिए सबसे प्रभावी तरीके हैं।
114. (2) आकलन की प्रक्रिया में न केवल बच्चे की क्षमता का आकलन होता है बल्कि शिक्षक की शिक्षण प्रक्रिया का भी आकलन होता है। आकलन का महत्व मूल्यांकन करने के औजारों की तरह है। क्योंकि ये शैक्षणिक प्रक्रियाओं तथा उनके परिणामों के बारे में जानकारी के साधन होते हैं। आकलन के रचनात्मक, योगात्मक तथा प्रामाणिक पहलू इसकी समग्रतावादी प्रकृति तथा शिक्षा के भीतर मूल्यांकन के अवसरों की जटिलता, दोनों की ओर संकेत करते हैं। इस प्रकार आकलन समग्रता का प्रतिनिधित्व करते हुए सर्वांगीण तथ्य की बात करता है।
115. (3) रीमा ने तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली ऋतिका की भाषा-दक्षता, भाषा-निष्पादन सम्बन्धी क्रमिक प्रगति का ब्यौरा उसके अभिभावकों को दिया। रीमा ने पोर्टफोलियो के आधार पर यह जानकारी दी थी। इस प्रक्रिया में बच्चों की निरन्तर प्रगति से सम्बन्धित तमाम आँकड़े तथा फीडबैक (प्रतिपुष्टि) आदि को एकत्रित किया जाता है। इसी एकत्रित फीडबैक या प्रगति की रिपोर्ट को पोर्टफोलियो कहा जाता है। इसका प्रयोग बच्चों की समस्याओं, आवश्यकताओं आदि को समझने तथा उन्हें उपचारात्मक शिक्षण प्रदान करने के लिए किया जाना चाहिए ताकि अधिगम को प्रभावी तथा स्थायी बनाया जा सके।
116. (1) पहली कक्षा में चित्र बनाना भी लेखन कार्य माना जाता है। क्योंकि बालक अभी इस अवस्था में लेखन के प्रति संज्ञानी नहीं होता है। यह पेन पैन्सिल पकड़कर महज चित्र या कुछ और आड़ी-तिरछी रेखाएँ बनाता है। उसके द्वारा किया गया यह कार्य भी लेखन प्रक्रिया के अन्दर शामिल किया जाता है। क्योंकि लेखन की पहली सीढ़ी हाथ में पैंसिल या पेन पकड़ने को माना जाता है।
117. (1) प्राथमिक स्तर पर पढ़ना सीखने में सबसे कम महत्वपूर्ण पढ़ने का उद्देश्य। पढ़ाई न केवल व्यक्ति को सक्षम बनाती है बल्कि चारित्रिक उत्थान में भी मदद करती है। किसी भी स्थिति को बदलने के .लिए पढ़ाई बहुत जरूरी है। क्योंकि इसके माध्यम से बच्चे उन सभी आकांक्षाओं एवं इच्छाओं को प्राप्त कर सकते हैं। जिनकी वे कल्पना करते हैं। लेकिन प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए यह उद्देश्य अप्रासंगिक होता है। वे इससे महज अनुमान लगा सकते हैं, सन्दर्भानुसार अर्थ निकाल सकते हैं एवं अक्षरों की पहचान कर सकते हैं।
118. (3) भाषा अर्जन इस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा मानव भाषा को ग्रहण करने एवं समझने की क्षमता अर्जित करता है तथा बातचीत करने के लिए शब्दों एवं वाक्यों का प्रयोग करता है।
चोमस्की ने भाषा सीखने और उसके प्रयोग के सन्दर्भ में यह कहा है कि मानव किसी भाषा को सीखने के बाद नए विचारों व वाक्यों का सृजन स्वयं कर लेता है। उन्होंने भाषा विज्ञान को मनोविज्ञान से सम्बद्ध माना है। उनके अनुसार से मनोवैज्ञानिक अध्ययन के साथ संज्ञानात्मक मनोविज्ञान भी सहायक होगा।
119 (3) प्राथमिक स्तर पर भाषा सीखने में बाल साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है। क्योंकि साहित्य की पहली सीढ़ी बाल जीवन ही है। लोरियाँ क्या हैं? माँ का आँचल साहित्य में झाँकने वाला सबसे पहला झरोखा है। स्कूल जाने से पहले ही बच्चे कहानी – किस्सा सुनने और गढ़ने में माहिर होते हैं। चूँकि बाल साहित्य में आयु के अनुरूप रचना सामग्री होती है और उसके विकास ( मानसिक, शारीरिक ) के लिए सर्वांगीण अवसर इससे उपलब्ध होते हैं।
120. (2) बच्चे अपनी मातृभाषा का प्रयोग करते हुए हिन्दी भाषा की कक्षा में अपनी बात स्वाभाविक रूप में कहते हैं। क्योंकि उनकी अभिव्यक्ति का पहला माध्यम मातृभाषा ही होती है। अतः उनकी सहज अभिव्यक्ति भी उसी भाषा में आसान होती है।

PART-V : ENGLISH-LANGUAGE

121. (2) In given sentence ‘that hard work’ has an error because it should be the hard work’ while error is in the form of ‘that’.
122. (4) According to given paragraph, freedom helps man evolve morally and spiritually. Except it man can enjoy life only in an environment of freedom and material progress can not be achieved without freedom.
123. (4) According to given paragraph, pesuation method do authorities not use to suppress people fighting for freedom.
124. (3) According to given paragraph, reaction against established religion prompts people not to follow some guru.
125. (3) Inner freedom is the ability to do all things guided by wisdom. Most people are bound by their desires, which is not freedom at all. According to given lines, real freedom according to author is inner freedom.
126. (2) Though the scope of the term differs between countries, civil liberties may include the freedom of conscience, freedom of press, freedom of religion, freedom of expression, freedom of assembly, the right to security and liberty, freedom of speech, the right to privacy, the right to equal treatment under the law. And these types of freedom does not survive in capitalist countries at all. But second sentence ‘that is individual freedom in communist countries is not possible is totally wrong because people easily entertain freedom in such countries.
127. (3) Endeavour means try hard to do or achieve something. Which has resemblance with word attempts.
128. (4) Shun meaning is, persistently avoid, ignore, or reject (someone or something) through antipathy or caution. While welcome means, an in stance or manner of greeting someone.
129. (4) A word naming an attribute of a noun, such as sweet, red, or technical. Perennial in given sentence is adjective in nature which show quality of streams.
130. (4) According to given stanza, water should be central to our thinking because it is the core of life, we can not survive without water and it is life line of our farmer.
131. (1) The himalays form the back bone of our tourism industry, is not mentioned in the given paragraph while another three sentene like as, the himalyas provide us with highly productive ecosystem, the himalyas provide water to more than 1000 million people and the himalays irrigate million of hectare of land, are given in paragraph.
132. (3) According to given pargraph the line, climate change has little effect on the himalyas, is not mentioned.
133. (3) According to given pargraph, Himalayan state uttarakhand is not richful in minerals but richful in context of water resources.
134. (1) Bounty means a sum paid for killing or capturing a person or animal. And meaning of abundance is existing or available in large quantities; plentiful. So both words are same in meaning.
135. (2) Benevolent means giving money or help to people or organizations that need it. While meaning of malevolent is causing or wanting to cause harm or evil.
136. (4) Actually by doing this all process, teacher wanted to assess their comprehension of the story. It is notable that in such type of story telling action and gesture are necessary to elaborate all thing to primary class students.
137. (4) Active vocabulary consists of words which are used frequently. An active vocabulary is made up of the words readily used and clearly understood by an individual when speaking and writing. Contrast with passive vocabulary. Martin Manser notes that an active vocabulary “consists of the words that [people] use frequently and confidently.
138. (3) The major aim of teaching poetry is enjoyment and appreciation.
139. (3) A morpheme is the smallest meaningful unit in a language. A morpheme is not identical to a word. The main difference between them is that a morpheme sometimes does not stand alone, but a word, by definition, always stands alone. The linguistics field of study dedicated to morphemes is called morphology. Basically this is smallest unit of meaning that can not be broken up.
140. (4) A resource is a source or supply from which a benefit is produced and that has some utility. In such context kearner’s languase is used in teaching by teacher as resource.
141. (1) BICS stands for, Basic interpersonal communicative skills (BICS). It is language skills needed to interact in social situations, for example, when speaking to friend on the telephone.
BICS refers primarily to context-bound, face-to-face communication, like the language first learned by toddlers and preschoolers, which is used in everyday social interaction.
142.(4) Building an environment that helps language flourish. Building a language rich environment is about using every opportunity to use language, to interact, to share a focus, to talk, to take turns. So to create like such environment any teacher should provide an opportunity where language is seen, noticed and used by children.
143. (3) Literature for children is considered as a/an authentic source of reading. Basically Children’s literature is important because it provides students with opportunities to respond to literature; it gives students appreciation about their own cultural heritage as well as those of others; it helps students develop emotional intelligence and creativity; it nurtures growth and development of the student’s.
144. (2) Children’s literature or juvenile literature includes stories (tales of heroes of history, thesaurus and myths ånd legand), books, magazines, and poems that are made for children. Modern children’s literature is classified in two different ways: genre or the intended age of the reader.
145. (3) A print-rich environment is where a classroom is maintained by providing and encouraging educational cues that compliment classroom instruction. Examples of print that are encouraged are signs, labeled centers, mural, pictures, word walls, stories, bulletin boards showing student work, reading and writing cues, etc.
146. (*)
147. (3) In education, realia are objects from real life used in’ classroom instruction by educators to improve students’ understanding of other cultures and real life situations. A teacher of a foreign language often employs realia to strengthen students’ associations between words for common objects and the objects themselves. In many cases, these objects are part of an instructional kit which includes a manual and is thus considered as being part of a documentary whole by librarians. Using this process, it brings real objects as teaching aids.
148.(2) Multilingualism is the ability of an individual speaker or a community of speakers to communicate effectively in three or more languages. Contrast with monolingualism, the ability to use only one language. A person who can speak multiple languages is known as a polyglot or a multilingual. By this types of class every child feels secure and accepted.
149. (4) For class 1st language pedagogy, top-down approach is beneficiary. Because it contains picture, poems, and stories in which these all end with alphabates. A top-down approach (also known as stepwise design and in some cases used as a synonym of decomposition) is essentially the breaking down of a system to gain insight into its compositional sub-systems in a reverse engineering fashion.
150. (4) In given question, the problem related to student that teacher saw during observation of copy of a student, is basically show learning disability. Learning disabilities are neurologically-based processing problems. These processing problems can interfere with learning basic skills such as ·reading, writing and/or math. They can also interfere with higher level skills such as organization, time planning, abstract reasoning, long or short term memory and attention.
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