HIV/AIDS अनुसंधान में भारतीय योगदान की विवेचना कीजिए। इस बीमारी के कारण एवं बचाव के उपायों को भी समझाइये ।

HIV/AIDS अनुसंधान में भारतीय योगदान की विवेचना कीजिए। इस बीमारी के कारण एवं बचाव के उपायों को भी समझाइये ।

(47वीं BPSC/2007 )
अथवा
AIDS का संक्षिप्त परिचय, फिर उसके कारण, बचाव के उपाए एवं अंत में AIDS अनुसंधान में विश्व स्तर पर हुए अनुसंधान का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए भारतीय अनुसंधान की चर्चा करें।
उत्तर – AIDS (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) मुख्यत: एक यौन संचरित रोग है जो विषाणु संक्रमण के द्वारा उत्पन्न होता है। इसके विषाणु का नाम HIV (Human Immunodeficiency Virus) है जिसे मानव प्रतिरक्षण ह्रास विषाणु भी कहा जाता है। HIV शरीर के प्रतिरक्षा – तंत्र को कमजोर बना देता है जिससे AIDS प्रभावित व्यक्ति किसी भी रोग विषाणु/जीवाणु से प्रभावित हो जाता है एवं उसे विभिन्न रोग जकड़ लेते हैं। AIDS का पता सर्वप्रथम 1981 में चला एवं अब तक विश्व में करोड़ों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। भारत में भी यह तेजी से फैल रहा है।
AIDS का मूल कारण HIV संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बनाना है परंतु इसके अलावा भी कुछ कारण हैं जो व्यक्ति के भ्प्ट संक्रमित होने के लिए जिम्मेदार होते हैं
>  संक्रमित रक्त आधान से
>  संक्रमित सिरिंज के प्रयोग से
> संक्रमित मां से गर्भ में पल रहे उसके भ्रूण में
> कृत्रिम गर्भाधान में संक्रमित शुक्राणु के उपयोग से
> अप्राकृतिक यौन संबंध (समलैंगिक संबंधों) से भी इसकी संभावना रहती है।
संक्रमित बीमारी होने के बावजूद यह रोग संक्रमित व्यक्ति के साथ मिलने-जुलने, हाथ मिलाने, साथ रहने, भोजन करने आदि से नहीं होती।
•  AIDS से बचाव के कुछ उपाय –
> यौन संबंधों में सावधानी बरतकर । अपरिचित व्यक्ति (जिसके AIDS होने / न होने की जानकारी न हो) के साथ यौन संबंध बनाते वक्त पुरुषों के द्वारा कण्डोम का उपयोग
> इंजेक्शन देने के लिए हमेशा नए सिरिंजों का प्रयोग किया जाए।
> अप्राकृतिक यौन संबंध एवं समलैंगिक संबंध न बनाया जाए।
> रक्त- आधान के वक्त रक्त का अथवा दानकर्ता का परीक्षण कर लिया जाए ।
> HIV ग्रस्त स्त्री यदि चाहे तो गर्भ न धारण कर इस रोग के प्रसार को रोक सकती है।
> देश-विदेश में इसके लिए टीकों एवं दवाओं के विकास के लिए कार्य चल रहे हैं, इसमें तेजी लाई जा सकती है।
भारत में 1987 में जब पहली बार AIDS का प्रभाव पाया गया, तब से पूरे देश के रिसर्च संस्थान, क्लिनिक, सरकारी एवं गैर-सरकारी विभिन्न संस्थान इसके टीके एवं इलाज की दवाइयां बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इस दिशा में पूर्ण स्थित नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट सहित अनेक संस्थान इसके अनुसंधान में लगे हुए हैं। NACO (Nationl AIDS Control Organization) AIDS नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाने वाली संस्था है। राष्ट्रीय एचआवी/एड्स प्रतिरोधक व नियंत्रण नीति, 2003 के तहत सरकार ने एड्स के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए नीति निर्धारण की है।
भारत ने AIDS परीक्षण तकनीक विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर जैनेटिक इंजीनियरिंग’ ए दिल्ली द्वारा AIDS परीक्षण के लिए HIV Test विकसित किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. वी.के. चौधरी ने ‘नेवा’ नामक एक किट बनाई है जिसकी सहायता से कोई व्यक्ति काफी कम समय में AIDS की जांच खुद कर सकता है। अभी तक इस रोग के लिए पूर्णत: प्रभावी तरीका / दवाई विकसित नहीं की गई है। पूरी दुनिया सहित भारत में भी इस दिशा में अनुसंधान किए जा रहे हैं। ‘कोंटरवायर’ नामक टीके का विकास भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक सतीश आप्टे ने किया है। ‘कैंडिडेट’ नामक टीके का परीक्षण भारत में चल रहा है।
> AIDS (Acquired Immuno Deficiency Syndrome), HIV (Human Immuno-deficiency Virus) नामक वायरस जनित रोग है।
• AIDS के कारण –
>  HIV संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध से
>  संक्रमित रक्त आधान से
>  संक्रमित अप्राकृतिक यौन संबंधों से
>  संक्रमित सिरिंज / सूई के प्रयोग से
>  संक्रमित गर्भवती मां से उसके शिशु में
> NACO (Nationl AIDS Control Organization) AIDS नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाने वाली संस्था है।
> राष्ट्रीय AIDS/HIV प्रतिरोधक व नियंत्रण नीति 2003 के तहत सरकार इसके नियंत्रण / उन्मूलन के लिए प्रयासरत
> इंटरनेशनल सेंटर फॉर जैनेटिक इंजीनियरिंग, दिल्ली द्वारा AIDS परीक्षण के लिए HIV test विकसित किया गया है।
>  प्रो. वी. के. चौधरी (डीयू) ने नेवा नामक एक किट AIDS जांच के लिए बनाई है।
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