“जब तक भारत में जनसंख्या वृद्धि अवरूद्ध नहीं की जाती, तब तक आर्थिक विकास को उसक सही रूप में नहीं देखा जा सकता।” इस कथन का परीक्षण कीजिए।

“जब तक भारत में जनसंख्या वृद्धि अवरूद्ध नहीं की जाती, तब तक आर्थिक विकास को उसक सही रूप में नहीं देखा जा सकता।” इस कथन का परीक्षण कीजिए।

अथवा

भारत में जनगणना 2011 के अनुसार जनसंख्या के परिप्रेक्ष्य को स्पष्ट करें।
अथवा
जनसंख्या विस्फोट का उल्लेख करें। 
अथवा
आर्थिक विकास पर जनसंख्या के नकारात्मक प्रभावों की चर्चा कीजिए ।
अथवा
 निष्कर्ष में जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के उपाय सुझाते हुए जनसंख्या लाभांश का उल्लेख करते हुए उत्तर का समापन करें।
उत्तर – जनगणना, 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ थी। एक अनुमान के अनुसार भारत की जनसंख्या 2019 में बढ़कर 13 करोड़ हो गयी है, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए अत्यन्त भयावह स्थिति है क्योंकि यहां प्राकृतिक भूभाग एवं संसाधन अत्यन्त सीमित हैं। यू.एन. वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रोस्पैक्ट्स के अनुसार भारत की जनसंख्या 2027 में चीन की जनसंख्या को पार कर जाएगी। यह स्थिति भारत में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति को दर्शाती है।
किसी भी देश में उसकी बढ़ती हुई जनसंख्या अर्थव्यवस्था को दो रूपों में प्रभावित करती है। एक ओर यह आर्थिक विकास के लिए कुशलतम मानवीय संसाधन उपलब्ध कराती है, वहीं दूसरी ओर यह अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव भी डालती है। तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास की गति को धीमी कर देती है क्योंकि तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि के कारण उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय आय का अधिकांश भाग व्यय कर दिया जाता है। जिसके फलस्वरूप जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पाती है। फलतः लोगों की प्रति व्यक्ति निम्न आय उनके जीवन स्तर को को निम्न कर देती है और उनकी उत्पादन क्षमता घट जाती है। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की दर बढ़ने लगती है। इस प्रकार बढ़ती हुई जनसंख्या आर्थिक विकास के मार्ग पर अवरोधक का कार्य करती है।
अतः स्पष्ट है कि जब-तक जनसंख्या वृद्धि अवरुद्ध नहीं की जाती, तब तक आर्थिक विकास को उसके सही रूप में नहीं देखा जा सकता। इस आधार पर भी कहा जा सकता है कि तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या आर्थिक विकास के मार्ग में एक दीवार की भांति खड़ी होकर बाधा पहुंचाती है। जिससे आर्थिक प्रगति का प्रयास सीमित हो जाता है। भारत में तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या देश की आर्थिक प्रगति के समक्ष निम्नलिखित समस्या उत्पन्न करती है।
1. आय, बचत एवं विनियोग को प्रभावित करती है: आर्थिक विकास आय सृजन का सूचक होता है, परन्तु बढ़ती हुई जनसंख्या इस सृजित आय का अधिकांश भाग अपने में अवशोषित कर लेती है, क्योंकि आय का अधिकांश भाग जनसंख्या के उपयोग व्यय से खर्च किया जाता है। फलस्वरूप बचत एवं विनियोग में कमी होती है और आर्थिक विकास अवरुद्ध हो जाता है ।
2. तीव्र जनसंख्या वृद्धि से खाद्यान्न की समस्या : बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण खाद्यान्न की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए सरकार को अरबों रुपए प्रति वर्ष राष्ट्रीय आय एवं विदेशी पूंजी का भाग खर्च करना पड़ता है। जिसके फलस्वरूप इन आयों का प्रयोग आर्थिक प्रगति में करने की जगह जनसंख्या की खाद्यान्न आपूर्ति में व्यय किया जाता है। फलतः आर्थिक विकास की दर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
3. बेरोजगारी में वृद्धि : जनसंख्या वृद्धि के कारण कार्यशील जनसंख्या में वृद्धि होती है। लेकिन रोजगार के साधन उस अनुपात में नहीं बढ़ते हैं। जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
4. आश्रितों की संख्या में वृद्धि : जनसंख्या बढ़ने के कारण आश्रितों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। जिसके परिणामस्वरूप कार्यशील जनसंख्या पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में लगभग 66% लोग आश्रित हैं।
5. उपयोगी सेवाओं में भीड़ : बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सड़क, यातायात रेलवे, शिक्षा इत्यादि सेवाओं में अत्यधिक भीड़ बढ़ती जा रही है, जिसके कुशल प्रबन्धन एवं सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक व्यय करना पड़ता है। इस प्रकार राष्ट्रीय आय का एक बड़ा अंश, इन अनुत्पादक कार्यों में खर्च हो जाता है जिसके कारण आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न हो जाती है।
उपर्युक्त के अतिरिक्त तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कई अन्य आर्थिक विकास पर दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। जैसे –
> कृषि एवं उद्योग के विकास में बाधा ।
> मंहगाई में वृद्धि
> उत्पादन तकनीक पर प्रभाव आदि ।
निष्कर्ष-उपर्युक्त विवरणों के आधार पर निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या आर्थिक विकास के लिए बाधक सिद्ध होती है, लेकिन इसके बावजूद जनसंख्या – लाभांश के रूप में यह देश के विकास में सहायक भी होती है। अतः कहा जा सकता है कि तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या, अर्थव्यवस्था में दोहरी भूमिका अदा करती है, किन्तु नकारात्मक पक्ष की अधिकता के कारण, यह विकास के पथ पर अवरोधक का कार्य करती है।
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